आज का पंचाग आपका राशि फल, तुलसी के प्रयोग, युरिक एसिड बढ़ने का एक बड़ा कारण

📖 *नीतिदर्शन…………….*✍
*अबन्धुर्बन्धुतामेति नैकट्याभ्यासयोगतः।*
*यात्यनभ्यासतो दूरात्स्नेहो बन्धुषु तानवम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 बार-बार मिलने के सम्बन्ध से अबन्धु बन्धु बन जाता है। दूरी के कारण परस्पर मििल नका  अभ्यास छूट जाने से बन्धुओं में भी स्नेह की कमी हो जाती है।
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || याम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| हेमन्त ऋतु || मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष || दशमी तिथि || गुरुवासर || पौष सौर १० प्रविष्ठ || तदनुसार २४ दिसम्बर २०२० ई० || नक्षत्र अश्विनी (दास्र) || मेषस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

🕉️मार्गशीर्ष-शु.१०-२०७७🔯

🔥 24 दिसम्बर 2020 🔥

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दिन —– *गुरुवार*
तिथि — *दशमी 11:17pm तक रहेगी*
नक्षत्र ——- *अश्वनी*
पक्ष —— *शुक्ल*
अमांत माह- पौष -१० गते 
चंद्र माह– — *मार्गशीर्ष*
ऋतु ——– *हेमन्त*
सूर्य उत्तरायणे,*दक्षिण गोले*
विक्रम सम्वत –2077 -प्रमादी
दयानन्दाब्द — 196
शक सम्बत -1942
मन्वन्तर —- वैवस्वत
कल्प सम्वत–1972949122
मानव,वेदोत्पत्ति सृष्टिसम्वत- १९६०८५३१२२

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२२*

🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७७*
⛅ *🚩तिथि – दशमी रात्रि 11:17 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – शिशिर*
⛅ *चंद्र मास – मार्गशीर्ष*
⛅ *पक्ष – शुक्ल*

सूर्य मास – पौष 
⛅ *नक्षत्र – अश्विनी पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *योग – परिघ दोपहर 01:42 तक तत्पश्चात शिव*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 02:00 से शाम 03:21 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:14*
⛅ *सूर्यास्त – 18:02*
⛅ *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण -*
💥 *विशेष -*

 

🌷 *मोक्षदा एकादशी* 🌷
➡ *24 दिसम्बर 2020 गुरुवार को रात्रि 11:17 से 26 दिसम्बर, शनिवार को रात्रि 01:54 तक (यानी 25 दिसम्बर, शुक्रवार को पूरा दिन) एकादशी है ।*
💥 *विशेष – 25 दिसम्बर, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *यह बड़े भारी पापों का नाश करनेवाला व्रत है | नीच योनि में पड़े पितर भी इसके पुण्यदान से मोक्ष पाते हैं |*

🌷 *तुलसी व तुलसी-माला की महिमा* 🌷
➡ *25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस है ।*
🌿 *तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोषशामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खाँसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है।*
🌿 *सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं।*
🌿 *काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं।*
🌿 *तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में उपयोगी हैं।*
🌿 *वीर्यदोष में इसके बीज उत्तम हैं तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वातपित्त विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है।*
🌿 *जहाँ तुलसी का समुदाय हो, वहाँ किया हुआ पिण्डदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है। यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करें तो वह कोटि गुना फल देने वाला होता है।*
🌿 *तुलसी सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। मंदाग्नि, कब्जियत, गैस, अम्लता आदि रोगों के लिए यह रामबाण औषधि सिद्ध हुई है।*
🌿 *गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है। इसको धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। गले में माला पहनने से बिजली की लहरें निकलकर रक्त संचार में रूकावट नहीं आने देतीं । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान रहता है। तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा, गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है। जो मनुष्य तुलसी की लकड़ी से बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।*
🌿 *कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज नहीं छूटती, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।*
🌿 *तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।*
🌿 *कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।*
🌿 *तुलसी की माला पर जप करने से उँगलियों के एक्यूप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव दूर होता है ।*
🌿 *इसके नियमित सेवन से टूटी हड्डियाँ जुड़ने में मदद मिलती हैं ।*
🌿 *तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से क्रोधावेश एवं कामोत्तेजना पर नियंत्रण रहता है ।*
🌿 *तुलसी के समीप पड़ने, संचिन्तन करने से, दीप जलने से और पौधे की परिक्रमा करने से पांचो इन्द्रियों के विकार दूर होते हैं ।*

 

🌷 *श्रीमद् भगवद् गीता जयंती* 🌷
➡ *25 दिसम्बर 2020 शुक्रवार को श्रीमद् भगवद् गीता जयंती है।*
🙏🏻 *धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए प्रतिवर्ष इस तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है।*
🙏🏻 *गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में शुमार है, जो आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे हैं और जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा रही है। इसके 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है जो कभी ना कभी हर इंसान के सामने आती है। आज हम आपको इस लेख में गीता के 9 चुनिंदा प्रबंधन सूत्रों से रूबरू करवा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-*
🌷 *1 : श्लोक*
*कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।*
*मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।*
🙏🏻 *अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन। कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।*
➡ *मैनेजमेंट सूत्र- भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकर अपना काम करते रहो। फल देना, न देना व कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।*
🌷 *2 : श्लोक*
*योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।*
*सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।*
🙏🏻 *अर्थ- हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।*
➡ *मैनेजमेंट सूत्र- धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य। धर्म के नाम पर हम अक्सर सिर्फ कर्मकांड, पूजा-पाठ, तीर्थ-मंदिरों तक सीमित रह जाते हैं। हमारे ग्रंथों ने कर्तव्य को ही धर्म कहा है। भगवान कहते हैं कि अपने कर्तव्य को पूरा करने में कभी यश-अपयश और हानि-लाभ का विचार नहीं करना चाहिए। बुद्धि को सिर्फ अपने कर्तव्य यानी धर्म पर टिकाकर काम करना चाहिए। इससे परिणाम बेहतर मिलेंगे और मन में शांति का वास होगा। मन में शांति होगी तो परमात्मा से आपका योग आसानी से होगा। आज का युवा अपने कर्तव्यों में फायदे और नुकसान का नापतौल पहले करता है, फिर उस कर्तव्य को पूरा करने के बारे में सोचता है। उस काम से तात्कालिक नुकसान देखने पर कई बार उसे टाल देते हैं और बाद में उससे ज्यादा हानि उठाते हैं।*
🌷 *3 : श्लोक*
*नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।*
*न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।*
🙏🏻 *अर्थ- योग रहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावना रहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।*
➡ *मैनेजमेंट सूत्र – हर मनुष्य की इच्छा होती है कि उसे सुख प्राप्त हो, इसके लिए वह भटकता रहता है, लेकिन सुख का मूल तो उसके अपने मन में स्थित होता है। जिस मनुष्य का मन इंद्रियों यानी धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में भावना (आत्मज्ञान) नहीं होती। और जिस मनुष्य के मन में भावना नहीं होती, उसे किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिलती और जिसके मन में शांति न हो, उसे सुख कहां से प्राप्त होगा। अत: सुख प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है।*
👉🏻 *शेष कल……….*

 

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

🌹 *रूप- वाणी*
” जीवन में कुछ न होने पर भी यदि किसी का मन आनंदित है तो वह सबसे सम्पन्न व्यक्ति है।

🍅 *पहला सुख निरोगी काया*
*बच्चों के रोग*: बच्चों को दूध हजम नहीं होता हो तो — दूध उबलते समय 200 ग्राम दूध में 1 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण डाल दें और दूध औटाने के बाद निकाल कर फेंक दें, इससे दूध में मौजूद दोष नष्ट हो जाएंगे, दूध सुपाच्य हो जाएगा

🏵 *हिन्दी संकल्प पाठ* 🏵

हे परमात्मन् आपको नमन!!आपकी कृपा से मैं आज एक यज्ञ कर्म को तत्पर हूँ, आज एक ब्रह्म दिवस के दूसरे प्रहर कि जिसमें वैवस्वत मन्वन्तर वर्तमान है,अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग जिसका प्रथम चरण वर्तमान है,कि जिसका काल अब 5122 वर्ष चल रहा है ,सृष्टि कल्प सम्वत्सर एक अरब सतानवे करोड़ उन्तीस लाख उनन्चास हजार एक सौ बाईसवां वर्ष है,तथा वेदोत्पत्ति मानव उत्पत्ति सृष्टिसम्वत एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ बाईसवां ,विक्रम सम्वत् दो हजार सतत्तर है,दयानन्दाब्द 196वां है, सूर्य उत्तर अयन में दक्षिण गोल में वर्तमान है ,कि ऋतु हेमन्त , मास *मार्गशीर्ष* का शुक्ल पक्ष ,तिथि – *दशमी* नक्षत्र – *अश्वनी* आज *गुरुवार* है ,अंग्रेजी तारीख 24 दिसम्बर को भरतखण्ड के आर्यावर्त देश के अंतर्गत, ..प्रदेश के ….जनपद…के ..ग्राम/शहर…में स्थित (निज घर में,या आर्यसमाज मंदिर में) मैं …अमुक गोत्र में उत्पन्न, पितामह श्री ….(नाम लें ).के सुपुत्र श्री .(पिता का नाम लें)उनका पुत्र मैं …आज सुख ,शान्ति ,समृद्धि के लिए तथा आत्मकल्याण के लिए प्रातः वेला में यज्ञ हवन दान धर्म करता हूँ। पंचाग पढ़ता हूं। 

 

🕉️ *संस्कृत संकल्प पाठ*🕉

ओं तत्सद्।श्री व्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे ,{ एकोवृन्दः सप्तनवतिकोटयः एकोनत्रिंशत् लक्षाणि एकोनपञ्चाशत् सहस्राणि द्विविंशत्यधिकशततमे सृष्टयब्दे ,२०७७ {सप्तसप्ततति: उत्तर द्वी सहस्रे वैक्रमाब्दे }, शाके १९४२ दयानन्दाब्द(षण् णवती उत्तर शततमे) १९६ , रवि उत्तरायणे, दक्षिण गोले, हेमंत ऋतौ, *मार्गशीर्ष मासे शुक्ल पक्षे तिथि दशमी, अश्वनी नक्षत्रे , गुरुवासरे ,तदनुसार 24 दिसम्बर 2020*
जम्बूद्वीपे,
भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर् गते ………प्रदेशे ,……..जनपदे.. ..नगरे……गोत्रोत्पन्नः….श्रीमान्.(पितामह)….(पिता..).पुत्रस्य… अहम् .'(स्वयं का नाम)….अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शान्ति समृद्वि हितार्थआत्मकल्याणार्थम् ,रोग -शोक निवारणार्थम् च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे।

🚩 *आचार्य संजीव रूप*
संस्थापक/संचालक -आर्य संस्कारशाला/आर्य समाज गुधनी,बदायूँ

*✊चाणक्य नीति⚔️*

*♦️श्लोक:-११*

*लुब्धमर्थेन गृह्वीयात् स्तब्धमञ्जलिकर्मणा।*
*मूर्ख छन्दोअ्नुवृत्तेन यथार्थत्वेन पण्डितम्।।११।।*

*♦️भावार्थ*–लोभी व्यक्ति को धन के द्वारा, हठधर्मी मनुष्य को हाथ जोड़कर, मूर्ख को इच्छा की पूर्ति करके और बुद्धिमान को सही-सही स्तिथि बताकर वश में किया जाता है।

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️

अब से 30-40 साल पहले तक जब दाल खुले बर्तन में उबाल कर बनाई जाती थी तब उसमें सफ़ेद झाग आने पर निकाल कर फेंकने की प्रथा थी। उस झाग को अदहन कहते थे। इसमें वह तत्व होते थे जो यूरिक एसिड बढ़ा देते हैं। कूकर में भी पहले केवल दाल उबालें और उसका झाग फेंक दें तब नमक धनियां मिर्च नमक डालें। ध्यान रहे अन्य गर्म या सुगंधित मशाले मेडिशिन यानी औषधि होते हैं। उनका केवल स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग करेंगे तो शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

अब प्रेशर कुकर में बनाते हो, बताओ कौन निकाल रहा है झाग भई ? जब यूरिक एसिड शरीर में जमा होगा तो जोड़ों में दर्द तो होगा ही।
जोड़ों का दर्द, घुटनों व कमर के दर्द के पीड़ित पिछले 40 सालों से बहुत तेजी से बढ़े हैं। इसके 3 बड़े कारण हैं।
1:- भोजन बनाने के बर्तनों व तकनीक में परिवर्तन। जब से *प्रेशर कुकर* का उपयोग बढ़ा है तब से मानव शरीर में यूरिक एसिड बढ़ा है।
2:- मौसम परिवर्तन के समय में शरीर में जो अनुकूल परिवर्तन होने चाहिये उनको एसी और रूम हीटर के प्रयोग से प्रतिकूल बना लिया हम लोगों ने।
3:- बिना मौसम की सब्ज़ी व खानपान शरीर को लाभ नहीं देते, केवल हानि ही देते हैं। हम लोगों ने भोजन का गुणों के आधार पर चुनाव करना बन्द सा कर दिया। अब स्वाद के दीवाने बन गए हैं जिसका परिणाम यह है कि अब हमारा शरीर न तो दीर्धायु रह पाता है और न ही निरोगी।

🙏🚩आव्हान🚩🙏
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अपने जैविक जीवन शैली विज्ञान को मानव जीवन में पूर्ण करने के लिए और जैविक परिवार की व्यवस्था पूर्ण करने के लिए बहुत से खाद्य और अखाद्य वस्तुओं की आवश्यकता है।
जैसे

*जैविक भोजन को पूर्ण करने वाले उत्पाद*
(दाल,चावल,तेल,मशाले,नमक,गुड़ आदि)

*जैविक ऊर्जा के उत्पाद*

(अभी हम जो पेन-कॉपी,कंघी,साबुन,बर्तन,ब्रस इस्तेमाल कर रहे है ये सब हमे ऊर्जा देने के बजाय हमारे शरीर से ऊर्जा खींच लेते है,इनका इस्तेमाल मनुष्य तभी बन्द कर सकता है जब हम इनके विकल्प लोगों के सामने रख पाएंगे। आज बाजार में इनके विकल्प है ही नही हमे पॉजिटिव ऊर्जा वाले सभी उत्पाद(साबुन,कंघी,बर्तन आदि)बनाने दिलाने पड़ेंगे।

*जैविक घड़ी को पूर्ण करने वाले उत्पाद*

जैविक घड़ी मानव की अंतः क्रिया है इसे स्वयं पूर्ण करना पड़ेगा पर इसे कैसे करे इसे सिखाने के लिए हमे प्रशिक्षित व्यक्ति चाहिए।

*जैविक कर्म को पूर्ण करने वाले उत्पाद*

(गाय और पौधों की सेवा करना,अग्निहोत्र करना। ये जैविक कर्म के हिस्से है,शहर का व्यक्ति पंचगव्य का उपयोग करते हुए टेरिश गार्डन करके यह कर्म पूरा कर सकता है,इसके लिए पंचगव्य व अग्निहोत्र के समान,टेरिश गार्डन के लिए देशी बीज और अन्य चीजें देनी पड़ेंगी।

*उक्त सब बातों को कैसे पूरा किया जाये,उक्त सब का उत्पादन,प्रसंस्करण और विपणन कैसे किया जाए इस बात को मैंने पिछले वर्ष आप सबसे पूछा था,आप सबके बहुत सारे सुझाव आये थे,उन सब सुझाव और पिछले वर्ष 22 से 26 फरवरी 2018 को मेरे पैतृक ग्राम कनई जिला बालाघाट मध्यप्रदेश में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के निर्णयों के आधार पर तय किया है
कि
उक्त सब उत्पाद हर राज्यो के जैविक किसान समूह बनायेगे।
इन समूहों को जैविक बाजार देने की व्यवस्था अपने मिशन के प्रदेश कार्यकारिणी और जिला कार्यकारिणी की टीम करेगी।
जैविक किसान उगा तो लेता है बेच नही सकता।

इस कार्य के लिए
अभी मुझे एक बात आवश्यक लग रहा है वो है वो है इन प्रदेश व जिला कार्यकारिणी में सक्षम लोग आने का जो अपना समय निकाल कर उस क्षेत्र के जैविक किसानों को जैविक बाजार की व्यवस्था दे सके,उपभोक्ताओं को जैविक जीवन के महत्व को समझा सके।

इस महत्व के काम के लिए हमे समय निकालना पड़ेगा।
जिला स्तर की टीम जितनी मजबूती से कार्य करेगी उतना अच्छा होगा।
अपने इस मिशन में बहुत से समयदानी व्यक्ति लगेंगे।

अभी 3 तरह के समयदानी कार्यकर्ता चाहिए

1.⏩जो पूर्णकालिक समय देंगे।
इन्हें संगठन संरचना निर्माण संचालन का कार्य करना है।

2.⏩ जो अंशकालिक समय देंगे। इन कार्यकर्ताओं को ही इनकी प्रवास क्षमता के अनुरूप जिला,सम्भाग, प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी दी जाएगी।
3.⏩ जो अपने जैविक उत्पाद उपभोक्ताओं को देगें, स्थानीय स्तर पर जैविक बाजार की व्यवस्था देखेंगे।

अपने कार्य कृषि, व्यवसाय, नौकरी करते हुए जो समय देकर जिला, प्रदेश कार्यकारिणी में दायित्व लेकर कार्य करना चाहता है।
कृपया
सम्बंधित राज्य के राज्य संयोजक या संगठन सचिव से सम्पर्क करें।

राष्ट्रीय संगठन सचिव-डॉ.ऋषि सागर (जबलपुर) 8889973113
या
राष्ट्रीय संगठन सह-सचिव-श्रीमती अंजलि ताई (पुणे) 7400217227,7776005097
से सम्पर्क करें।

महिलाएं अंजली ताई से सम्पर्क कर आगे बढ़कर कार्य करे,जैविक बाजार सम्भाले,

हम अच्छे कार्य की ओर चल पड़ेगे तो कम से कम स्वयं का जीवन तो अच्छा हो ही जायेगा।
जैविक जीवन शैली विज्ञान 7 दिन में शारीरिक संरचना(PH, EC) को बदल देगा,
जीने के ढंग को बदल देगा फिर आप भी अन्य लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे।

अपने साथ 18 राज्यो की किसानों की टीम जुड़ गई है,हम भारतवासियों को शुद्ध जैविक
कश्मीर के सेब,
दार्जिलिंग की चाय,
नासिक के अंगूर-किसमिस,
गुजरात का गिर गाय का जैविक घी,
पंजाब को सरसों और देशी बाससमैत्री चावल,
छत्तीसगढ़ का विश्नुभोग चावल
मध्यप्रदेश में करेली का गुड़,गडरवाड़ा की दाल,बालाघाट का घी के समान ताकतवर महुआ फल तेल,
आदि आदि अनेक शुद्ध जैविक वो भी अपने मैथड का जैविक चीजें खिला पाएंगे।

जिन फसलों में अपने मैथड का बिल्व रसायन,भस्म रसायन,पंचगव्य रसायन,अग्निहोत्र जल,षडरस आदि डाले जाते है वहाँ के जैविक उत्पादों में गजब का टेस्ट आता है।

अपने विज्ञान को समझते ही व्यक्ति ईस्वर-निष्ठ और आध्यत्मिक हो ही जाता है,परिवार में स्नेह का वातावरण और समाज मे समरसता अपने आप दिखने लगती है।
🙏
ताराचन्द बेलजी
संस्थापक
जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन

 नित्य पंचाग अवश्य पढ़ें इससे कलिकाल एवं शकरकाल का संज्ञान रहता है यानी आप अपडेट रहते हैं। समय सबसे मूल्यवान है उसकी उपयोगिता पता चलती है। जैसे दवाई से धीरे धीरे रोग कटते हैं वैसे पंचाग पढ़ने से कालचक्र के दुष्प्रभाव नहीं फटकते एवं कष्ट कटते हैं। ब्राह्मणों के पंचाग भगवान भगवान कृष्ण भी नित्य पढ़ते थे। पंंचाग का नित्य अध्ययन आपको आने वाले कष्ठों का पूर्वाभाष कराता है और आप सचेत हो जाते हैं।साधक त्रिकालदर्शी हो जाते हैं और उन्हें वागसिद्धि मिलती है। पंचाग का यही गूढ़ रहस्य है। – – हरीश मैखुरी