थाईलैंड में गुफा में फंसे बच्चों को बचाने के ऑपरेशन से कुछ सीखे भारत का मीडिया

“थाईलैंड में गुफा में फंसे बच्चों को बचाने के ऑपरेशन से कुछ सीखे भारत का मीडिया” 
दुनियां भर का टीवी मीडिया वहां पहुंचा , पर किसी ने भी  लोमहर्षक घटना को कैश नहीं किया  
किसी ने बच्चों के माँ – बाप के दर्द को खरीदा और बेचा नहीं। 
किसी चैनल ने बच्चों के परिजनों और गली मोहल्ले वालों को नहीं दिखाया। 
किसी चैनल ने आंसुओं को नहीं बेचा । किसी ने मां की आहों का सौदा नहीं किया। 
वहां के सरकारी अधिकारियों से मीडिया ने बात नहीं की । केवल विश्वभर के सील कमांडो द्वारा चलाये जा रहे बचाव अभियान दल के लीडर ने समय समय पर बुलेटिन जारी किए। 
प्रिंट मीडिया ने भी बचाव कार्यों पर बल दिया , खबरें नहीं बेची । सम्वेदनाएँ नहीं भुनाई !
थाईलैंड सरकार या वहां के विपक्षी नेताओं  ने मीडिया चैनलों पर बैठकर भद्दी बहस के दरबार नहीं सजाए। 
बस ! एक ही लगन , बच्चे बाहर आ जाएं । बाहर आने तक कल्पनाओं के आधार पर फूहड़ स्टोरी नहीं चलाई ।
बस उतनी ही रिपोर्टिंग , जिससे बचाव अभियान में बाधा न पड़े । 
यह घटना अगर भारत में हो जाती तो सोचकर भी रूह कांप उठती है !!
मीडिया हाहाकार मचा देता । अभियान के कमांडोज को काम न करने देता । बातों और बाइट लेने में उनका समय बर्बाद कर देता । घरों में चीत्कार मचवा देता । अखबारों के परिशिष्ट निकलते । विज्ञापन टीमें बाजार को खंगाल डालती !!
काश , थाईलैंड की घटना से भारत की मीडिया  कुछ सीखें ,