हरीश मैखुरी तुलसी, पंछी के पिए घटे न सरिता नीर, धर्म किए धन ना घटे जो सहाय रघुबीर।। हरिद्वार के निवासी ‘कुंभ नगरी द्वार’ के
Read moreहरीश मैखुरी तुलसी, पंछी के पिए घटे न सरिता नीर, धर्म किए धन ना घटे जो सहाय रघुबीर।। हरिद्वार के निवासी ‘कुंभ नगरी द्वार’ के
Read more