मोदी सरकार के अंतरिम बजट ने बदल दिए सारे समीकरण

हरीश मैखुरी

भारतीय संसद के इतिहास में  संभवत यह पहला बजट है  कि जब सरकार बजट पेश करती है  और विपक्ष के चेहरे लटक जाते हैं  अन्यथा होता क्या था कि  सरकार के बजट में ऐसा कुछ होता ही नहीं था  जिससे जनता को एक धेले का भी सीधे फायदा हो और बजट पेश होते ही विपक्ष के चेहरे खिल उठते थे। लेकिन पिछले 60 सालों में  टैक्स स्लैब 40,000 से बढ़कर सिर्फ ढाई लाख तक हुआ,  जो मोदी कार्यकाल के 4 सालों में ही ढाई लाख से बढ़ाकर 500000 हो गया इस पर सारा हाल संसद हाल मोदी मोदी के नारों से गूंजने लगा, और प्रतिपक्ष में बैठे राहुल की शक्ल लटक गई। दूसरी तरफ मोदी ने किसानों को भी  पहली बार तोहफा दिया और किसान की पैंशन 6000, रू की है। जो कम है अन्नदाता को 36,हजार रुपये मिलने चाहिए। लेकिन पहले वाली सरकार ने आतंक की नर्सरी वालों की तनख्वाह 15000 महिना की थी। जिसे केजरीवाल 18000 करने के लिए उतावले हैं, शायद उस पर मीडिया चर्चा नहीं करेगा । 77-इमर्जेंसी, 84-सिक्ख , 90-कश्मीरी हिंदु नरसंहार तक संविधान सुरक्षित था!
5 वर्षों में 3000 आतंकी मरने से
संविधान खतरे में आ गया ?। पहले पीएम कहते थे पैंसे पेड़ पर नहीं उगते। लेकिन मोदी ने बता दिया कि पैंसे कहां से आते हैं और कहां खर्च होने चाहिए। सबका साथ सबका विकास।  पहले से ही मोदी की ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के आगे विपक्ष की जबान नहीं खुल रही थी और कल के बजट में तो विपक्ष कुछ कहने की स्थिति में रहा भी नहीं। इस बजट में  टैक्स में कमी आई है  रोजगार में वृद्धि हुई है  सरकारी कर्मचारियों की  वेतन भत्ते और ग्रेजुएटी बड़ी है  किसान मजदूर से लेकर सभी के हाथ कुछ ना कुछ लगा है। मोदी के इस अंतरिम बजट ने चुनावी समीकरण बदल दिए। बजट में देश के आम आदमी के हाथ कुछ ना कुछ आया है। समझा जा रहा है कि मोदी सरकार को इस काा फायदा होगा।