हरीश मैखुरी की रििपोर्ट
नहीं रहे पद्म भूषण धरमपाल गुलाटी असली मसाले सच सच एमडीएच द टेस्ट ऑफ इंडिया आपने ये विज्ञापन कई बार देखा होगा।
1948 में भारत पाक विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए धर्मपाल गुलाटी जी का प्राथमिक जीवन बहुत संघर्षमय रहा यहां भारत आ कर वे तांगा चलाते थे वह कहते थे मैं पौने क्लास तक पढ़ा हूं यानी वे पहली कक्षा भी पूरी नहीं कर पाये थे। लेकिन अपने निजी पुरुषार्थ के बल पर उनके मसाले एमडीएच की पहचान आज ना केवल 130 करोड़ भारतीय लोगों के घर घर में है बल्कि दुनिया के मसालों के शौकीन थे उनके मसालों का भारत से इंपोर्ट करते हैं।
एमडीएच (महाशियां दी हट्टी) के चेयर मैन पद्मश्री धरमपाल गुलाटी जी का आज प्रातःकाल हृदय गति रूकने के कारण प्रातः. 5.38 बजे निधन हो गया है। 98 वर्ष की उम्र में भी ‘असली मसाले सच-सच, एमडीएच।’ जैसे अपने एड स्वयं करने वाले धरमपाल गुलाटी जी, तांगा चलाने से आजीविका की शुरुआत कर बने मसालों की दुनिया के शहंशाह, जिनके पास भारत विभाजन के समय कुल ₹1500 थे और अब 25 करोड़ इन हैंड सैलरी लेते थे और उसका भी 90% दान कर देते थे, ऐसे प्रेरक महापुरुष के निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है।
देश के रक्षषा मंंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर शोो व्यक्त करते हुए कहा ‘भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है।एक छोटे व्यवसाय से शुरू करने बावजूद उन्होंने देश भर में अपनी एक पहचान और प्रतिष्ठा बनाई। वे सामाजिक कार्यों में काफ़ी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। ओम् शांति!’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जीवन सदैव नव उद्यमियों के लिए प्रेरणा श्रोत बना रहेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने श्रध्दांजलि देते हुए कहा कि “पद्म भूषण से सम्मानित, भारतीय उद्योग जगत के एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व, ‘महाशियां दी हट्टी’ (एमडीएच) के अध्यक्ष श्री #धर्मपाल_गुलाटी जी के निधन का समाचार सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ। श्री #गुलाटी जी द्वारा समाज सेवा के लिए किये गये उनके कार्य भी सराहनीय हैं। मैं, उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये उनके परिजनों व प्रशंसकों तक अपनी शोक संवेदनाएं प्रेषित करता हूं। भगवान, उनकी आत्मा को शांति एवं परिजनों को इस असहनीय दु:ख को सहने की शक्ति प्रदान करें। “ॐ शांति”
2020 बडा क्रूर है..जो पेड़ इतने साल टिका रहा,उसे 2020 की आंधी ने उड़ा दिया। Breakinguttarakhand.com की ओर से भावभीनी श्रध्दांजलि। 🙏💐