भगवान परशुराम जन्मोत्सव और अक्षय तृतीया पर देशभर में अनेक समारोह, वेद सदैव वर्तमान का पथ प्रदर्शन करते हैं इसलिए वे सबके लिए शाश्वत हैं, जब कांग्रेस सरकार में देश के दो दो प्रधानमंत्रियों की हत्या हुई एक प्रधानमंत्री की ताशकंद में हत्या हुई, शहर शहर इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट हुए तब सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार कौन?, आज का पंचाग आपका राशिफल

 *ॐ*🚩 🌞 *सुप्रभातम्* 🌞 🚩
⚜️««« *आज का पंचांग* »»»⚜️
कलियुगाब्द……………………5127
विक्रम संवत्…………………..2082
शक संवत्………………………1947
रवि…………………………..उत्तरायण
मास…………………………….बैशाख
पक्ष……………………………….शुक्ल
तिथी…………………………..द्वितीया
संध्या 05.35 पर्यंत पश्चात तृतीया
सूर्योदय…….प्रातः 05.55.57 पर
सूर्यास्त……..संध्या 06.53.05 पर
सूर्य राशि…………………………मेष
चन्द्र राशि………………………वृषभ
गुरु राशि……………………….वृषभ
नक्षत्र…………………………कृत्तिका
संध्या 06.49 पर्यंत पश्चात रोहिणी
योग…………………………..सौभाग्य
दोप 03.55 पर्यंत पश्चात शोभन
करण…………………………..बालव
प्रातः 07.20 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु………………….(माधव) बसंत
दिन………………………….मंगलवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
29 अप्रैल सन 2025 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.37 से 12.29 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोप 03.18 से 04.56 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मेष*05:10:29 06:51:22
*वृषभ*06:51:22 08:50:00
*मिथुन*08:50:00 11:03:42
*कर्क*11:03:42 13:19:52
*सिंह*13:19:52 15:31:41
*कन्या*15:31:41 17:42:20
*तुला*17:42:20 19:56:58
*वृश्चिक*19:56:58 22:13:08
*धनु*22:13:08 24:18:44
*मकर*24:18:44 26:05:51
*कुम्भ*26:05:51 27:39:23
*मीन*27:39:23 29:10:29

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक………………..1
🔯 शुभ रंग………………..लाल

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 08.47 से 10.25 तक चंचल
प्रात: 10.25 से 12.02 तक लाभ
दोप. 12.02 से 01.40 तक अमृत
दोप. 03.18 से 04.55 तक शुभ
रात्रि 07.55 से 09.17 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
॥ ॐ महावीराय नमः॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (एकादशोऽध्यायः – विश्वरूपदर्शनयोग:) -*
श्रीभगवानुवाच –
मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदं रूपं परं दर्शितमात्मयोगात् ।
तेजोमयं विश्वमनन्तमाद्यं यन्मे त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम् ॥११- ४७॥
अर्थात :
श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्ति के प्रभाव से यह मेरे परम तेजोमय, सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप तुझको दिखाया है, जिसे तेरे अतिरिक्त दूसरे किसी ने पहले नहीं देखा था॥47॥

🍃 *आरोग्यं :*-
-विषाक्त भोजन (फूड प्वाइजनिंग) के लिए घरेलू उपचार -*

*2. सेब का सिरका -*
विषाक्त भोजन की समस्या से ग्रसित है तो आप सेब के सिरके का उपयोग कर सकते हैं। सेब के सिरके में चयापचय अवयव के कारण क्षारीय प्रभाव होता है। इस प्रकार, यह विभिन्न खाद्य विषाक्तता के लक्षणों को कम कर सकता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्तर को शांत कर सकता है और बैक्टीरिया को मार सकता है, जिससे आपको तत्काल राहत मिलती है। इसके लिए आप गर्म पानी के कप में सेब की सिरके की की दो चम्मच मिलाएं और खाना खाने से पहले इसे पीएं। वैकल्पिक रूप से, आप दो से तीन चम्मच सेब का सिरका पी सकते हैं।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में विशेषकर स्त्रियां सावधानी रखें। कार्यों की गति धीमी रहेगी। बु‍द्धि का प्रयोग करें। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। निराशा हावी रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। लाभ होगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आशंका-कुशंका के चलते कार्य की गति धीमी रह सकती है। घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्‍य की चिंता रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। लाभ होगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
जीवनसाथी से कहासुनी हो सकती है। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर होगी। करियर बनाने के अवसर प्राप्त होंगे। नौकरी में प्रशंसा प्राप्त होगी। पारिवारिक सहयोग से कार्य में आसानी होगी। दूसरों के कार्य में दखल न दें। प्रमाद से बचें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। लाभ के असवर हाथ आएंगे। यात्रा में सावधानी रखें। किसी पारिवारिक आनंदोत्सव में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद न करें। बेचैनी रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
कोई बुरी खबर प्राप्त हो सकती है। पारिवारिक चिंताएं रहेंगी। मेहनत अधिक तथा लाभ कम होगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मातहतों का सहयोग नहीं मिलेगा। कुसंगति से बचें, हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय में निश्चितता रहेगी। प्रमाद न करें।

💁‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
मित्रों की सहायता कर पाएंगे। मेहनत का फल मिलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता रहेगी। नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बनेगी। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। समय अनुकूल है। प्रसन्नता रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
दूर से अच्‍छी खबर प्राप्त हो सकती है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। कोई बड़ा काम करने की योजना बनेगी। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर में अतिथियों पर व्यय होगा। किसी मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। प्रसन्नता रहेगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट से कार्य में रुकावट होगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। निवेश में जल्दबाजी न करें। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। जरूरी वस्तु गुम हो सकती है।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। यात्रा में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। स्वास्थ्‍य पर बड़ा खर्च हो सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। आय में कमी रहेगी। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेचैनी रहेगी।

🏹 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
विवेक का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। कोई बड़ी बाधा से सामना हो सकता है। राजभय रहेगा। जल्दबाजी व विवाद करने से बचें। रुका हुआ धन मिल सकता है। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। किसी अपने के व्यवहार से दु:ख होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी का ध्यान खुद की तरफ खींच पाएंगे।

*राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
समाजसेवा में रुझान रहेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नई आर्थिक नीति बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। पुरानी व्याधि से परेशानी हो सकती है। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार वृद्धि होगी। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। समय अनुकूल है। लाभ लें। प्रमाद न करें।

🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
राजकीय अवरोध दूर होंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। धर्म-कर्म में मन लगेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। निवेश शुभ रहेगा। प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें।

☯ *आज मंगलवार है अपने नजदीक के मंदिर में संध्या 7 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें |*

श्री परशुराम जयंती
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हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल यह 29 अप्रैल को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 29 अप्रैल को सायं 5 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। भगवान परशुराम का अवतार प्रदोष काल में हुआ है, इसलिए 29 अप्रैल को प्रदोष काल में भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया का पर्व उदया तिथि में 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।

भगवान परशुराम ने दिया एकता का सूत्र
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भगवान परशुराम ने एकता का सूत्र संसार को दिया है। सभी जाति और समाजों में समरसता का संदेश दिया है।भारतीय वाङमय में सबसे दीर्घ जीवी चरित्र परशुराम जी का है। सतयुग के समापन से कलयुग के प्रारंभ तक उनका उल्लेख मिलता है। भगवान परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है।
भारतीय इतिहास में इतना दीर्घजीवी चरित्र किसी का नहीं है। वे हमेशा निर्णायक और नियामक शक्ति रहे। दुष्टों का दमन और सत-पुरूषों को संरक्षण उनके चरित्र की विशेषता है। उनका चरित्र अक्षय है, इसलिए उनकी जन्म तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया को माना गया।
इस दिन का प्रत्येक पल, प्रत्येक क्षण शुभ मुहूर्त माना जाता है। विवाह के लिए या अन्य किसी शुभ कार्य के लिए अक्षय तृतीया के दिन अलग से मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है। उनके जीवन का समूचा अभियान, संस्कार, संगठन, शक्ति और समरसता के लिए समर्पित रहा है।

मानव जीवन को व्यवस्थित ढांचे में ढाला
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भगवान परशुराम ने मानव जीवन को व्यवस्थित ढांचे में ढालने का महत्वपूर्ण कार्य किया। दक्षिण के क्षेत्र में जाकर वहां कमजोर समाज को एकत्रित कर समुद्र तटों को रहने योग्य बनाया। अगस्त ऋषि से समुद्र से पानी निकालने की विद्या सीख कर समुद्र के किनारों को रहने योग्य बनाया। एक बंदरगाह बनाने का भी प्रमाण परशुराम जी का मिलता है। वही परशुराम जी ने कैलाश मानसरोवर पहुंचकर स्थानीय लोगों के सहयोग से पर्वत का सीना काटकर ब्रह्म कुंड से पानी की धारा को नीचे लाये जो ब्रह्मपुत्र नदी कहलायी।
भगवान परशुराम समतावादी समाज का निर्माण करने वाले थे। भले ही उन्हें ब्राह्मणों का हितैषी और क्षत्रियों का विरोधी माना जाता रहा है। यह परशुराम जी को बेहद संकुचित आधार पर देखने की दृष्टि है। हम महापुरुषों को उनकी जाति के आधार पर देखते हैं। पर सच यह है कि उन्होंने क्षत्रियों को इसलिए पराजित नहीं किया कि वह क्षत्रिय थे या ब्राह्मण नहीं थे। उन्होंने क्षत्रिय समाज के उन अहंकारी राजाओं को परास्त किया जो समाज रक्षण का मूल धर्म भूल गए थे। क्षत्रियों पर उनके क्रोध के पीछे का कारण को समझने से पता चलता है कि उस समय क्षत्रियों के अत्याचार और अन्याय इतने बढ़ गए थे कि उन्होंने क्षत्रियों को सबक सिखाने का प्रण किया। दूसरा अपने मौसा जी सहस्त्रबाहु द्वारा अपने पिता के आश्रम पर आक्रमण और पिता की हत्या ने भी परशुराम के क्रोध को भड़का दिया।

भृगु वंश
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परशुराम भृगु वंशी थे। यह वही भृगु वंश है, जिसमें भृगु ऋषि ने अग्नि का आविष्कार किया था। श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय में भगवान ने कहा-

“मैं ऋषियों में भृगु हूं”!

महर्षि भृगु को संसार का पहला प्रचेता लिखा गया है। विष्णु पुराण के अनुसार नारायण को ब्याहीं श्री लक्ष्मी महर्षि भृगु की ही बेटी थीं। समुद्र मंथन से उत्पन्न लक्ष्मी तो उनकी आभा थी। भृगु वंश में ही महर्षि मार्कण्डेय, शुक्राचार्य, ऋचीक, विधाता, दधीचि, त्रिशिरा, जमदग्नि, च्यवन और नारायण का ओजस्वी अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ।
महर्षि भृगु को अंतरिक्ष, चिकित्सा और नीति का जनक माना जाता है। अंतरिक्ष के ग्रहों और तारागणों की गणना का पहला शास्त्र भृगु संहिता है। वामन अवतार के बाद परशुराम का अवतार हुआ। वामन अवतार जहां जीव के जैविक विकास क्रम का लघु रूप था। वहीं परशुराम मानव जीवन के विकास क्रम के संपूर्णता के प्रतीक थे।
ब्राह्मण समाज में भी उन्होंने सत्ता दी जो संस्कारी थे, सदाचारी थे। वही यदि कोई ब्राह्मण संस्कार विहीन है तो उसे भी पदावनत किया। साथ ही अगर कोई संस्कारवान है तो उसे ब्राह्मणों की श्रेणी में रखने में भी उन्होंने संकोच नहीं किया। उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवंत बनाए रखना था। वे चाहते थे कि यह सारी सृष्टि पशु पक्षियों, वृक्षों, फल फूल और समूची प्रकृति के लिए जीवित रहे। उनका कहना था कि राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है ना कि अपनी प्रजा से आज्ञापालन करवाना।

कलिकाल के अंत में होंगे उपस्थित
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परशुराम जी का यह उदाहरण समरस समाज के निर्माण में उनके योगदान को दर्शाता है, जिसकी आज चर्चा होनी चाहिए। भगवान परशुराम किसी समाज विशेष के आदर्श नहीं है। वे संपूर्ण हिन्दू समाज के हैं और वे चिरंजीवी हैं। उन्हें श्रीराम के काल में भी देखा गया और श्रीकृष्ण के काल में भी। उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था।

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳*भारत माता की जय* 🚩🚩

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय देश भर में शहर शहर 200 से ज्यादा इस्लामी आतंकवादियों के बम विस्फोट हुए, अबल तो आतंकी पकड़े ही नहीं गये और यदि पकड़े भी तो किसी आतंकवादी को फांसी नहीं हुई क्या यह कांग्रेस प्रायोजित थे? यासीन मलिक जैसे खुंखार दरिंदे आतंकवादी की टीम का मनमोहन सिंह पीएमओ में स्वागत करते थे वो प्रायोजित आतंक नहीं कहलाता है? कांग्रेस सरकार के समय भारत के दो-दो प्रधानमंत्री की हत्या हो गई थी क्या तब सुरक्षा में चूक नहीं हुई थी?आतंकवादियों के केस जिन वकीलों ने लडे़ वे किस पार्टी से संबंधित थे! याकुब मैनन जैसे आतंकवादियों के लिए 12:00 बजे रात जिन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट खुलवाया वह किस पार्टी से संबंधित थे।

#पहलगाम में धर्म पूछ कर 27 हिंदुओं का #नरसंहार कांग्रेस द्वारा समर्थित नेशनल कांफ्रेंस की उमर अब्दुल्ला के राज में हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस और उमर अब्दुल्ला की क्यों नहीं? उमर अब्दुल्ला त्यागपत्र दें और कांग्रेस उमर अब्दुल्ला सरकार से समर्थन वापस ले *जो इंदिरा और राजीव को नहीं बचा सके।*🤔

*वो कह रहे हैं कि कश्मीर में इंटेलिजेंस फेल हो गई।

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भगवद्गीता *श्लोक:* 32*श्लोक:*
एवं बहुविधा यज्ञा वितता ब्रह्मणो मुखे।
कर्मजान्विद्धि तान्सर्वानेवं ज्ञात्वा विमोक्ष्यसे ॥ ३२ ॥

*अनुवाद:* ये विभिन्न प्रकार के यज्ञ वेदसम्मत हैं और ये सभी विभिन्न प्रकार के कर्मों से उत्पन्न हैं। इन्हें इस रूप में जानने पर तुम मुक्त हो जाओगे।

*तात्पर्य:* जैसा कि पहले बताया जा चुका है वेदों में कर्ताभेद के अनुसार विभिन्न प्रकार के यज्ञों का उल्लेख है। चूँकि लोग देहात्मबुद्धि में लीन हैं, अत: इन यज्ञों की व्यवस्था इस प्रकार की गई है कि मनुष्य उन्हें अपने शरीर, मन अथवा बुद्धि के अनुसार सम्पन्न कर सके। किन्तु देह से मुक्त होने के लिए ही इन सबका विधान है। इसी की पुष्टि यहाँ पर भगवान् ने अपने श्रीमुख से की है।

नमस्ते नृसिंहाय
प्रह्लादह्लाद दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः
शिलाटंक नखालये॥1॥
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादि शरणं प्रपद्ये॥2॥
तव कर-कमल-वरे नखम्‌ अद्‌भुत-श्रृंङ्गम्‌
दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृंङ्गम्‌
केशव धृत-नरहरिरूप जय जगदीश हरे॥3॥

Meaning

(1) मैं नृसिंह भगवान्‌ को प्रणाम करता हूँ जो प्रह्लाद महाराज को आनन्द प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके नख दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पाषाण सदृश वक्षस्थल के ऊपर छेनी के समान हैं।
(2) नृसिंह भगवान्‌ यहाँ है और वहाँ भी हैं। मैं जहाँ कहीं भी जाता हॅूँ वहाँ नृसिंह भगवान्‌ हैं। वे हृदय में हैं और बाहर भी हैं। मैं नृसिंह भगवान्‌ की शरण लेता हूँ जो समस्त पदार्थों के स्रोत तथा परम आश्रय हैं।
(3) हे केशव! हे जगत्पते! हे हरि! आपने नरसिंह का रूप धारण किया है आपकी जय हो। जिस प्रकार कोई अपने नाखूनों से भ्रमर को आसानी से कुचल सकता है उसी प्रकार भ्रमर सदृश दैत्य हिरण्यकशिपु का शरीर आपके सुन्दर कर-कमलों के नुकीले नाखूनों से चीर डाला गया है।

मनुष्य-जन्म मिलने के पूर्व जितनी भी यातनाएँ हैं तथा शूकर-कुकरादि योनियों के जितने कष्ट हैं, उन सबको क्रम से भोगकर शुद्ध हो जाने पर वह फिर मनुष्य योनि में जन्म लेता है।

आपको कौन सी चिंता है, कमाने की, परिवार पालने के लिए पैसे की ? लेकिन चिंता से पैसा कभी नहीं आएगा। मेहनत करो, कमाई करो, लेकिन चिंता से कभी कमाई में सफलता नहीं मिलेगी। चिंता छोड़ कर्मयोगी बनकर कार्य करो, तो जहां योग है कार्य कुशल होगा और सफलता होगी। चिंता से कमाया हुआ धन चिंता ही पैदा करेगा। दो लाख भी दो रुपए का काम करेगा और खुशी – खुशी से काम करके कमाई करेंगे तो वह पैसा भी खुशी दिलाएगा। दो रुपए भी दो हज़ार का काम करेगा। कोई भी कार्य खुशी खुशी से करो, मजबूरी से नहीं। अगर अपने जीवन की बागडोर भगवान को सौंप दी तो भगवान का वायदा है अंतिम दम तक हमारा जीवन निर्वाह होता रहेगा। सुस्त रहने वालों को नहीं देते। सच्ची दिल वालों को सच की कमाई मिलती है।

दो-तीन वर्ष की आयु तक बच्चा
अबोध / अज्ञानी होता है ।
तीन वर्ष की आयु के बाद
उसे माता पिता सिखाने लगते हैं,
और वह भी कुछ कुछ बातें समझने लगता है ।

पांँच वर्ष की आयु के बाद
वह पढ़ने सीखने के लिए स्कूल जाने लगता है ।
वहांँ उसे अध्यापकगण भी बहुत सी बातें सिखाते हैं ।
पन्द्रह सोलह वर्ष की आयु तक
वह काफी कुछ बातें सीख जाता है।
धीरे-धीरे
उसकी पढ़ाई और संँसार का अनुभव बढ़ता जाता है ।
फ़िर 24 / 25 वर्ष की आयु तक
वह संँसार की बातें बहुत कुछ समझ लेता है,
कि क्या सही है, और क्या गलत है ?
कौन सा काम करना ठीक है,
और कौन सा काम करना गलत है ?
         
इस प्रकार से
25 वर्ष की उम्र तक बहुत कुछ समझने के बाद,
अब जो वह काम करता है,
तो उससे अनजाने में गलतियांँ बहुत कम होती हैं ।
अधिकतर गलतियांँ जान बूझ कर ही की जाती हैं ।
जैसे कि झूठ छल कपट करना धोखा देना
बेईमानी करना अन्याय करना रिश्वत लेना
किसी को ब्लैकमेल करना इत्यादि ।
ये सब बुरे काम, प्रबुद्ध हो जाने के बाद अर्थात्
25 वर्ष की उम्र के बाद ही अधिकतर होते हैं ।
अर्थात् उस उम्र में व्यक्ति ये सब बुरे काम
जान बूझ कर ही करता है ।
अनजाने में ऐसी गलतियांँ प्रायः नहीं होती हैं ।
           
ये सब बुरे काम करते हुए भी
व्यक्ति अनेक बहाने बना बना कर
“स्वयं को धोखा देता” रहता है ।”
वह ऐसे ऐसे कुतर्क घड़ लेता है,
जिनके कारण वह आगे जीवन भर पाप करता जाता है,
और अपना भविष्य अन्धकारमय बना लेता है ।
उसके कुतर्क कुछ इस प्रकार से होते हैं।
       
1- यह संँसार बहुत खराब है ।
यहांँ चारों ओर लोग धोखेबाज हैं, दुष्ट हैं ।
इनसे अपनी रक्षा करने के लिए
मुझे यह सब गड़बड़ काम =
झूठ छल कपट धोखा देना रिश्वत लेना बेईमानी आदि,
करना ही पड़ेगा ।

2- महंँगाई बहुत अधिक है ।
घर का खर्चा पूरा नहीं होता ।
इसलिए झूठ चोरी रिश्वत हेरा फेरी आदि करनी ही पड़ेगी ।
इसके बिना बच्चे पालना,
परिवार का पालन करना बहुत कठिन है, या असंभव है ।

3- संँसार में कुछ भोले भाले/मूर्ख लोग भी हैं ।
मेरे पास बुद्धि अधिक है ।
मैं इनको लूट सकता हूंँ ।
बेईमानी से अधिक धन कमा कर मौज कर सकता हूंँ ।
पहले तो मैं पकड़ा नहीं जाऊंगा। यदि पकड़ा भी गया, तो
रिश्वत देकर छूट जाऊंँगा ।
ईश्वर तो कुछ है नहीं ।
सिर्फ डराने की बातें हैं ।
न कोई अगला जन्म है,
न कोई कर्मों का फल मिलता है ।
इसलिए जिसकी लाठी उसकी भैंस ।
जिस व्यक्ति में ताकत हो, वह लूट ले दुनिया को ।
         

ऐसे-ऐसे कुतर्कों से
व्यक्ति अपने आपको जीवन भर धोखा देता रहता है,
और ढेरों पाप जमा कर के बहुत बड़ा पाप का
गट्ठर साथ लेकर इस संसार से जाता है ।
फिर अगले जन्मों में उसे ईश्वर की न्याय व्यवस्था से
कुत्ता गधा सांँप बिच्छू भेड़िया शेर हाथी बन्दर वृक्ष
वनस्पति आदि योनियों में भयङ्कर दुःख भोगने पड़ते हैं ।
जैसे रात भर ठण्ड में मरना, भूखे प्यासे रहना,
खाने पीने की कोई सुरक्षा नहीं, रहने को मकान नहीं,
भविष्य के लिए कुछ संपत्ति जमा नहीं कर सकते,
बुद्धि कम होने से दूसरे प्राणी उसे कभी भी मार सकते हैं ।
कभी भी हमला कर के उसका जीवन समाप्त कर सकते हैं ।
अन्य प्राणियों के आक्रमण से
उसको बहुत सी मार खानी भी पड़ती है,
और जान बचा कर इधर उधर भागना पड़ता है इत्यादि ।
यदि हम एक घण्टे तक लगातार किसी
कुत्ते गधे भेड़ कॉकरोच आदि प्राणी को बड़े ध्यान से देखें,
तो हम को ऊपर बतायी उसकी समस्याएंँ दुःख मूर्खता
और मजबूरियांँ समझ में आ सकती हैं ।
         
ऊपर लिखी बातें 100% सत्य हैं ।
यदि आप इन बातों को समझ सकें,
तो बहुत अच्छा होगा ।
ईमानदारी से जीवन जिएँ ।
स्वयं को धोखा न दें ।
शुभ कर्मों का आचरण करें,
वर्तमान जीवन को भी शान्ति से जिएंँ,
और अपने भविष्य की भी सुरक्षा करें ।

*जो आया है वो जाएगा जरूर*

महात्मा बुद्ध के जीवन के संबंध में एक कथा आती है। स्थान-स्थान पर धर्म का प्रचार करते हुए वे एक राज्य में पहुंचे तो राज्य के लोगों ने उनका खूब स्वागत किया। परन्तु उस राज्य के महाराज उन्हें मिलने नहीं आए।
महात्मा बुद्ध ने किसी से पूछा- “महाराज कहाँ हैं?”
उसने बताया- “महात्मन्! वे बहुत दुखी हैं। उनकी नवयुवती पत्नी की मृत्यु हो गई है। वे उसी का स्मरण करते रहते हैं और रोते रहते हैं।”
महात्मा बुद्ध ने कहा- “चलो, मैं उनके पास चलता हूँ।”
वे महल में पहुंचे। पता चला कि महाराज उद्यान में हैं। बुद्ध उद्यान में गए। उन्होंने राजा साहब को समझाया कि मरने वाले वापिस नहीं आते, उनके लिए रोना बेकार है। परन्तु दुख के आवेग में महाराज को बुद्ध की बात समझ कैसे आती? महाराज बोले- “मैं जानता हूँ कि मरने वाले वापिस नहीं आते। परन्तु आत्मा तो विद्यमान रहती है। अाप महात्मा हैं, योगी हैं। आप अपने योगबल से बताएँ कि वह इस समय कहाँ और किस रूप में है? यदि मैं उसे देख पाऊँ और वह मुझे देख पाए, तो वह जिस रूप में भी हो, वह मुझसे प्यार करेगी, मैं उससे प्यार करूँगा, मुझे शान्ति मिल जाएगी।”

महात्मा बुद्ध ने देखा कि महाराज किसी दूसरे उपाय से मानेंगे नहीं। किंवदन्ती है कि बुद्ध कुछ समय के लिए ध्यान में बैठ गए। और आँखें खोलकर, उसी उद्यान के एक पौधे के पास गए। उसके पौधे की जड़ के पास मिट्टी में लथपथ दो कीड़े रेंग रहे थे। एक आगे की ओर दौड़ा जा रहा था, तो दूसरा उसका पीछा कर रहा था।
महात्मा बुद्ध ने महाराज से कहा- “राजन्! यह जो पिछला कीड़ा है, यही आपकी रानी है।”
महाराज ने चौंककर कहा- “यह?”
बुद्ध बोले- “आपको विश्वास नहीं होता तो इससे पूछकर देख लें। मैं अपने योग-बल से इसको तुम्हारी बात समझने और इसका उत्तर देने की शक्ति देता हूँ।”
राजा ने पिछले कीड़े को देखते हुए कहा- “क्या तुम ही मेरी रानी हो?”
कीड़े ने उत्तर दिया- “थी कभी, परन्तु अब मेरा तुम्हारा क्या संबंध? हटो आगे से! वह सामने मेरा पति मुझसे रूठकर भागा जाता है। मुझे उसे मनाना है। मेरा मार्ग मत रोको! मैं बर्बाद हो जाऊँगी।”
राजा ने उस घिनौने कीड़े को देखा तो उसकी आँखें खुल गई। और उसका दुख दूर हो गया।

आज जो फूल संसार में खिला है, वह कल मुरझाएगा अवश्य और तब उसका रंग-रूप भी पहचाना नहीं जाएगा, क्योंकि यह रंग-रूप कुछ ही दिन का है, सदा रहनेवाला नहीं है। कुछ भी सदा रहनेवाला नहीं है। कुछ भी सदा रहनेवाला नहीं है।

*गर्मियों में क्यों पीना चाहिए मिट्टी के घड़े का पानी? जानिए बेहतरीन फायदे*

1 मटके का पानी प्राकृतिक तौर पर ठंडा होता है, जबकि फ्रिज का पानी इलेक्ट्रिसिटी की मदद से। बल्कि एक बड़ा फायदा यह भी है कि इसमें बिजली की बचत भी होती है, और मटके बनाने वालों को भी लाभ होगा।
2 इसमें मृदा के गुण भी होते हैं जो पानी की अशुद्ध‍ियों को दूर करते हैं और लाभकारी मिनरल्स प्रदान करते हैं। शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहती बनाने में यह पानी फायदेमंद होता है।
3 फ्रिज के पानी की अपेक्षा यह अधिक फायदेमंद है क्योंकि इसे पीने से कब्ज और गला खराब होने जसी समस्याएं नहीं होती। इसके अलावा यह सही मायने में शरीर को ठंडक देता है।
4 इस पानी का पीएच संतुलन सही होता है। मिट्टी के क्षारीय तत्व और पानी के तत्व मिलकर उचित पीएच बेलेंस बनाते हैं जो शरीर को किसी भी तरह की हानि से बचाते हैं और संतुलन बिगड़ने नहीं देते।
5 मिट्टी के घड़े का पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। इसका तापमान सामान्य से थोड़ा ही कम होता है जो ठंडक तो देता ही है, चयापचय या पाचन की क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे पीने से शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर भी बढ़ता है।

 

*गन्ने का रस*

गर्मी के दिनों में गन्ने का रस शीतलता प्रदान करने के साथ ही अनेक रोगों में लाभप्रद है परन्तु इसे हमेशा ताजा रस ही पीना चाहिये, ज्यादा देर तक रखा हुआ गन्ने का रस नहीं पीना चाहिये। मूत्र में जलन होना, नाक से खून या नकसीर आना इत्यादि में गन्ने का रस बहुत लाभकारी है वेद सदैव वर्तमान का पत्थर प्रदर्शन करते हैं इसलिए वेद प्रत्येक व्यक्ति के लिए शाश्वत है