समाधान नहीं समस्या भी बन सकता है लोकपाल

हरीश मैखुरी

अन्ना हजारे ने लोकपाल के लिए मोदी को लिखा पत्र वर्ना होगा आन्दोलन – – – – लेकिन आज की स्थिति में तो मोदी खुद ही लोकपाल की भूमिका में हैं। न खाऊंगा न खाने दूंगा। भ्रष्टाचार मिटाना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है फिर ये अन्ना हजारे एक व्यक्ति को भ्रष्टाचार मिटाने का ठेका क्यो देना चाहते हैं? और भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक्शन प्लान क्या है? फिर कोई हाईजैकिंग नहीं करेगा? और इस लोकपाल नामक तंत्र के तनख्वाह आफिस आदि पर पर जो खर्चा आयेगा वो बड़े बड़े भ्रष्टाचार को पीछे छोड़ देगा। एक बिल्ली को दूध रखवाली के जिम्मेदार क्यों बनाना चाहते हैं?

पूरा तंत्र पारदर्शी हो। इसके लिए मोदी सरकार कैशलेस सिस्टम बना रही हैं, नकद लेनदेन ही इस भ्रष्टाचार की मूल जड़ था। जबसे दो लाख रुपये से जादा के नकद लेन देन पर पा बंदी लगी प्रोपर्टी का नकली बूम खत्म हो गया। नेताओं की दुकानें बंद हो गई। लालू बाडरा बाबा सब लाईन पर। आफिसों में सीसीटीवी कैमरे और बायोमीट्रिक उपस्थिति सिस्टम लग रहा है। भारत में अब ईमानदारी और भ्रष्टाचार के बीच धर्म युद्ध चल रहा है। देखने वाली बात यही है कि धर्म की जय होती है या भ्रष्टाचार पनपता है।