उनका 5 वर्ष का बच्चा भी कट्टर है और हमारा 80 वर्ष के शंकराचार्य भी धर्मनिरपेक्ष हैं
यही अंतर है🔱 हर हर महादेव 🔱
*༺┇卐┇༻* *श्री हरिहरौ* *विजयतेतराम*
*सुप्रभातम* *आज का पञ्चाङ्ग*
*_शनिवार, ०८ फरवरी २०२५_*
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सूर्योदय: 🌄 ०७:०९, सूर्यास्त: 🌅 ०६:०२
चन्द्रोदय: 🌝 १३:४१, चन्द्रास्त: 🌜२८:४४
अयन 🌖 उत्तरायणे(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🏔️ शिशिर
शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)
विक्रम सम्वत: 👉 २०८१(काल)
मास 👉 माघ, पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 एकादशी (२०:१५ से द्वादशी)
नक्षत्र 👉 मृगशिरा (१८:०७से आर्द्रा)
योग 👉 वैधृति (१४:०४ से विष्कुम्भ)
प्रथम करण👉वणिज(०८:४८तक
द्वितीय करण👉विष्टि(२०:१५ तक
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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मकर, चंद्र 🌟 मिथुन
मंगल🌟मिथुन(उदित,पूर्व,वक्री)
बुध🌟मकर(अस्त,पूर्व,मार्गी)
गुरु🌟वृष(अस्त,पश्चिम,मार्गी)
शुक्र 🌟 कुम्भ(उदित, पूर्व, मार्गी)
शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मीन, केतु 🌟 कन्या
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०९ से १२:५३
अमृत काल 👉 ०९:३१ से ११:०५
रवि योग 👉 ०७:०३ से १८:०७
विजय मुहूर्त 👉 १४:२१ से १५:०५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५७ से १८:२३
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:०० से १९:१८
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०५ से २४:५७
राहुकाल 👉 ०९:४७ से ११:०९
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:५३ से १५:१५
दुर्मुहूर्त 👉 ०७:०३ से ०७:४६
होमाहुति 👉 शनि
दिशा शूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पृथ्वी
भद्रावास 👉 स्वर्ग (०८:४८ से २०:१५)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२०:१५ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ, ३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ, ७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग, ३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग, ७ – काल ८ – लाभ
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
शुभ यात्रा दिशा🚌🚈🚗⛵🛫
पश्चिम-दक्षिण (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
तिथि विशेष〰️〰️〰️〰️
जया एकादशी व्रत (सबका) आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १८:०७ तक जन्मे शिशुओ का नाम मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (क, की) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय चरण एवं तृतीय अनुसार क्रमशः (कु, घ) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मकर – २९:३९ से ०७:२०
कुम्भ – ०७:२० से ०८:४६
मीन – ०८:४६ से १०:०९
मेष – १०:०९ से ११:४३
वृषभ – ११:४३ से १३:३८
मिथुन – १३:३८ से १५:५३
कर्क – १५:५३ से १८:१५
सिंह – १८:१५ से २०:३४
कन्या – २०:३४ से २२:५१
तुला – २२:५१ से २५:१२+
वृश्चिक – २५:१२+ से २७:३२+
धनु – २७:३२+ से २९:३५+
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०७:०३ से ०७:२०
शुभ मुहूर्त – ०७:२० से ०८:४६
रोग पञ्चक – ०८:४६ से १०:०९
चोर पञ्चक – १०:०९ से ११:४३
शुभ मुहूर्त – ११:४३ से १३:३८
रोग पञ्चक – १३:३८ से १५:५३
शुभ मुहूर्त – १५:५३ से १८:०७
मृत्यु पञ्चक – १८:०७ से १८:१५
अग्नि पञ्चक – १८:१५ से २०:१५
शुभ मुहूर्त – २०:१५ से २०:३४
रज पञ्चक – २०:३४ से २२:५१
शुभ मुहूर्त – २२:५१ से २५:१२+
चोर पञ्चक – २५:१२+ से २७:३२+
शुभ मुहूर्त – २७:३२+ से २९:३५+
रोग पञ्चक – २९:३५+ से ३१:०२+
आज का राशिफल🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन परिश्रम को छोड़ अन्य सभी विषयों में उत्तम रहेगा। मेहनत आज अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक करनी पड़ेगी लेकिन इसका फल आशानुकूल मिलने से संतोष होगा। आपको आस-पास का वातावरण भी उत्साह बढ़ाने वाला मिलेगा। कार्य व्यवसाय में आरंभिक उदासीनता के बाद मध्यान पश्चात लाभजनक स्थिति बनेगी। निवेश भी निसंकोच होकर कर सकते है लाभ ही होगा। कुछ दिनों से जिस वस्तु की कामना कर रहे थे आज उसकी प्राप्ति होने से मन प्रफुल्लित रहेगा। धन लाभ के साथ साथ खर्च में भी बढ़ोतरी होगी फिर भी आर्थिक संतुलन बना रहेगा। आज कोई निकटस्थ व्यक्ति घर अथवा कार्य क्षेत्र पर आपके भेदों को सार्वजनिक कर सकता है सतर्क रहें।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपकी मानसिकता कम समय एवं परिश्रम से अधिक लाभ पाने की रहेगी पर आज आपके कार्यो में सफाई कम रहेगी विफलता मिलने पर क्रोध भी आएगा फिर भी कार्यो के प्रति एकाग्र रहे शीघ्र ही परिस्थितियां आपके अनुकूल बनने वाली है। सहकर्मी सहयोग करने में आनाकानी करेंगे जिससे कुछ समय के लिए कार्यो में अवरोध रहेगा लेकिन शीघ्र ही अन्य विकल्प भी मिल जायेंगे। मध्यान के बाद जिस भी काम मे निवेश करेंगे भविष्य में उससे दुगना धन मिलने की संभावना रहेगी लेकिन आज धन की आमद कम रहेगी। पारिवारिक वातावरण में थोड़ा विरोधाभास रहेगा परन्तु महत्त्वपूर्ण विषयो में सभी एकजुट हो जाएंगे। सेहत में सुधार आएगा।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके उच्च प्रतिष्ठित लोगो से संबंध बनेंगे सरकारी कार्यो के लिए दिन उत्तम है सरकार की तरफ से शुभ समाचार मिलने से व्यवसाय एवं अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो की उलझन दूर होगी। धन लाभ की कामना लगी रहेगी इसके लिए कुछ ना कुछ तिकड़म लगाते रहेंगे आमद मध्यान पश्चात ही संभव हो सकेगी। प्रयास करने पर पुराने धन की वापसी हो सकती है। महिलाये खरीदारी पर धन खर्च करेंगी अज्ञानता में हानि होने की संभावना है सतर्क रहें। आपकी जरूरत लोगो को अधिक होने से सम्मान के साथ धन लाभ के अवसर भी मिलते रहेंगे। गृहस्थ में पूर्ण ध्यान नही देने से किसी की नाराजगी देखनी पड़ेगी लेकिन कुछ समय के लिए ही।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपकी आशाओ के विपरीत रहेगा। दिन के आरंभ से ही कुछ गड़बड़ होने की आशंका रहेगी कार्य क्षेत्र अथवा परिवार में कोई छोटी-बड़ी दुर्घटना होने की संभावना है अकस्मात होने से सतर्क होने का समय मुश्किल ही मिलेगा। किसी से बंधी आशा टूटने से मन दुखी होगा। आर्थिक कारणों से मध्यान तक का समय संघर्ष वाला रहेगा कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से लाभ में कमी आएगी इसके बाद कही से थोड़ा धन लाभ होने से राहत मिलेगी। घर मे धार्मिक कार्य होने से मन हल्का होगा। महिलाये आज परिजनों के ऊपर अधिक आश्रित रहेंगी। संतानो के विषय मे नई चिंता बनेगी। वाहन अथवा उपकरणों से सावधानी बरतें दुर्घटना का भय है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन लाभदायक है लेकिन मानसिक रूप से गंभीर होने भी आवश्यक है निर्णय लेने में आज भी दुविधा होगी दिमाग पर ज्यादा दबाव न डालें निसंकोच होकर फैसले ले विजय आज आपकी ही होगी। अधिकांश कार्यो में सहज सफलता मिल जाएगी। फिर भी धन संबंधित कार्य देखभाल कर ही करें। प्रतिस्पर्धा कम रहेगी जिससे लाभ के अवसर बढ़ेंगे। सेहत भी अनुकूल रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों में काम कर लेंगे। जो लोग अबतक आपके विपरीत चल रहे थे वो भी आपका सहयोग एवं प्रशंशा करेंगे फिर भी आकस्मिक वाद-विवाद के प्रसंग बनेंगे इससे बच कर रहें। घर मे थोड़ी उग्रता रहने पर भी प्रेम बना रहेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन कार्य सफलता वाला रहेगा। सेहत ठीक रहने पर भी कार्यो के प्रति आलस्य दिखाएंगे लेकिन जिस भी कार्य को हाथ मे लेंगे उसमे हानि लाभ की परवाह नही करेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति स्थिर रहेगी मौज शौक की प्रवृति के पीछे खर्च अधिक होगा। घर मे सुख सुविधा के सामान की बढ़ोतरी होगी। धन संबंधित योजनाओ को गति देने के लिए आज किसी अन्य की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। मध्यान तक किये परिश्रम का फल संध्या तक मिल जाएगा। जोड़-तोड़ कर धन कोष में वृद्धि होगी लेकिन दैनिक से अतिरिक्त खर्च आने से बचत नही हो पाएगी। आज किसी की सहायता मजबूरी में करेंगे। बाहर घूमने का आयोजन होगा धार्मिक कार्यो पर खर्च बढेगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आध्यात्मिक उन्नति वाला रहेगा। दिन के आरंभ से ही घर मे धार्मिक कार्य को लेकर चहल-पहल रहेगी इसके लिए दैनिक कार्यो में बदलाव भी करना पड़ेगा। आध्यात्मिक एवं परोपकारी स्वभाव का लाभ किसी ना किसी रूप में अवश्य मिलेगा। नौकरी पेशा जातको को नई जगह से प्रस्ताव मिलेंगे। बेरोजगारों के भी नए रोजगार से जुड़ने की संभावना है प्रयासरत रहें। धन लाभ रुक-रुक कर परन्तु प्रचुर मात्रा में होगा जिससे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से कर सकेंगे। फिजूल के खर्च भी मध्यान के बाद अकस्मात ही बढ़ेंगे इनकी परवाह आज नही करेंगे। पति-पत्नि में मामूली नोक-झोंक हो सकती है। संध्या के समय थकान ज्यादा रहेगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज मध्यान तक सेहत में उतार-चढ़ाव लगा रहेगा मध्यान बाद ही इसमे स्थिरता आएगी फिर भी ज्यादा परिश्रम वाले कार्यो से बचें। बनी बनाई योजनाए अधर में लटकी रहेंगी। परिवार अथवा रिश्तेदारी में दुखद घटना होने की संभावना है। जोखिम वाले कार्यो से दूर रहना ही हितकर रहेगा। नौकरी पेशा जातको पर आकस्मिक कोई संकट आ सकता है अधिकारियों से बच कर रहें। कार्य व्यवसाय में उदासीनता दिखाने से होने वाले लाभ में कमी आएगी। आपके स्वभाव में रूखापन रहने से स्नेहीजनों को तकलीफ होगी। परिवार अथवा अन्य से किये वादे पूरे नही कर सकेंगे। आय की अपेक्षा खर्च अधिक होगा। महिलाओ को शारीरिक कमजोरी अनुभव होगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपकी दिनचार्य व्यवस्थित रहेगी अधिकांश कार्यो की योजना पूर्व में ही बना लेंगे फिर भी कुछ काम अकस्मात आने से फेरबदल करना पड़ेगा। नौकरी व्यवसाय में धन के साथ सम्मान की प्राप्ति भी होगी। अधिकारी वर्ग आपसे महत्त्वपूर्ण विषयों को लेकर परामर्श करेंगे। व्यापारी वर्ग को कुछ दिनों से अटके कार्य आज पूर्ण होने से तसल्ली मिलेगी। लेकिन परिवार में आर्थिक अथवा किसी अन्य वजह से खींच-तान होने की संभावना है। धन की अपेक्षा संबंधों को अधिक महत्त्व दे अन्यथा वैर-विरोध का सामना करना पड़ेगा। मध्यान के बाद का समय पूरे दिन की अपेक्षा ज्यादा सुखदायी रहेगा। धार्मिक कार्य एवं संतानो पर खर्च होगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन लाभ-हानि बराबर रहेगी। दिन के आरंभ से ही लाभदायक प्रसंग बनेंगे। आज आप व्यवसाय के साथ सामाजिक कार्य भी आने से अधिक व्यस्त रहेंगे कमाई संतोषजनक रहेगी लेकिन खर्च भी आज कम नही रहेंगे। आध्यात्म के प्रति आस्था बढ़ने पर भी धन कमाने को ज्यादा महत्त्व देंगे। आपकी मनोवृति सुखोपभोग की अधिक रहेगी। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उनके निर्णय आरंभिक व्यवधान के बाद आपके ही पक्ष में रहेंगे। सरकारी कार्यो भी आज किसी के सहयोग मिलने से आगे बढ़ेंगे। महिलाये आज जो भी विचारेंगी फल उसके विपरीत ही मिलेगा। धार्मिक स्थानों की यात्रा के प्रसंग बन सकते है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपका आज का दिन थोड़ा उतार चढ़ाव वाला रहेगा लेकिन आज की मेहनत संध्या बाद से रंग लाने लगेगी आलस्य भी बने रहने से जल्दी से किसी कार्य के लिये हाँ नही करेंगे अपनी इस प्रवृत्ति को बदले अन्यथा भविष्य में आर्थिक परेशानी खड़ी होगी। मनमानी रवैये के चलते भी हानि हो सकती है। कार्य व्यवसाय में आज कुछ विशेष सफलता नही मिलेगी। परिवार में आज किसी सदस्य की इच्छा पूर्ति ना होने पर वातावरण खराब होगा। नए कार्य की योजना बना रहे है तो आज अवश्य आरम्भ करें। नौकरी पेशा जातक काम मे ऊबन अनुभव करेंगे। मनोरंजन के अवसर नही मिलने से निराशा बढ़ेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन कई अशांति वाले प्रसंग बनेंगे। आज आप अन्य लोगो से मतलब का व्यवहार रखेंगे जिस कारण काम पड़ने पर मदद करने की जगह लोग अपना स्वार्थ साधेंगे। आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ाने से क्रोध अधिक आएगा। संबंधों के प्रति लापरवाह रहेंगे जिससे घर मे अशांति के प्रसंग ज्यादा बढ़ेंगे। महिलाओ के अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ विचार मेल नही खाएंगे। व्यवसायी वर्ग मध्यान बाद तक व्यापार को लेकर परेशान रहेंगे इसके बाद स्थिति में सुधार आएगा परन्तु आपकी छोटि मानसिकता आज ओरो को परेशान करेगी। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें असंयमित दिनचर्या हानि पहुचायेगी।
‘पंचांग’ भारतीयों और नासा द्वारा माना जाने वाला वैज्ञानिक कैलेंडर क्यों है। आइए जानते हैं काल गणना की श्रेष्ठ वैज्ञानिक विधि जिसे पंचाग कहा जाता है, शेष संसार के कबीले जब गुफाओं में कच्चे मांस पर जीवन वसर करते थे तब भारत के ज्योतिषी ग्रह नक्षत्र तारामंडल ब्रह्मांड की उत्पत्ति आयु और अवसान का अन्वेषण कर चुके थे, तब भारत में आठ लाख #गुरूकुल और सौ से अधिक विश्वविद्यालय सैकड़ो नगर थे। और एक सुखी सुदीर्घ जीवन जीने की शांतिमय जीवन पद्धति थी।
पंचांग (पंच + अंग = पांच अंग)
पञ्चाङ्ग
भारत में ५ प्रकार से दिन लिखते हैं।
अतः यहां की काल गणना को पञ्चाङ्ग (५ अंग) कहते हैं।
5 अंग हैं-
१. तिथि– चन्द्र का प्रकाश १५ दिन तक बढ़ता है। यह शुक्ल पक्ष है जिसमें १ से १५ तक तिथि है।
कृष्ण पक्ष में १५ दिनों तक चन्द्र का प्रकाश घतता है। इसमें भी १ से १५ तिथि हैं।
२. वार– ७ वार का वही क्रम ग्रहों के नाम पर।
३. नक्षत्र– चन्द्र २७.३ दिन में पृथ्वी का चक्कर लगाता है। १ दिन में आकाश के जितने भाग में चन्द्र रहता है, वह उसका नक्षत्र है। ३६० अंश के वृत्त को २७ भाग में बांटने पर १ नक्षत्र १३ १/३ अंश का है। चन्द्र जिस नक्षत्र में रहता है, वह उस दिन का नक्षत्र हुआ।
४. योग– चन्द्र तथा सूर्य की गति का योग कर नक्षत्र के बराबर दूरी तय करने का समय योग है। २७ योग २५ दिन में पूरा होते हैं।
५. करण– तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं।
तिथि
१. तिथि—चन्द्रमा की एक कला को तिथि माना है। इसका चन्द्र और सूर्य के अन्तरांशों के मान १२ अंशों का होने से एक होती है। जब अन्तर १८० अंशों का होता है उस समय को रिणमा कहते हैं जब यह अन्तर ० (शून्य) या ३६० अंशों का होता है। उस समय को अमावस कहते हैं। एक मास में ३० तिथि कहते हैं। १५ तिथि कृष्ण पक्ष व १५ तिथि शुक्ल पक्ष में १, प्रतिपदा, २ द्वितीया, ३ तृतीया, ४ चतुर्थी, ५ पंचमी, ६ षष्ठी, ७ सप्तमी, ८ अष्टमी, ९ नवमी, १० दसमी, ११ एकादशी, १२ द्वादशी, १३ त्रयोदशी, १४ चतुर्दशी, १५ पूर्णिमा, यह शुक्ल पक्ष कहलाता है। कृष्ण पक्ष में १४ तिथि उपरोक्त नाम वाली ही होती है परन्तु अन्तिम तिथि पूर्णिमा के स्थान पर इसे अमावस्या नाम से जाना जाता है। प्रत्येक तिथि के स्वामी अलग-अलग होते हैं, जिनका क्रम निम्न प्रकार है—
तिथि प्रतिपदा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी षष्ठी सप्तमी अष्टमी नवमी दसमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी पूर्णिमाचन्द्र
स्वामी अग्नि ब्रह्मा गणेश गौरी सर्प कार्तिकेय सूर्य शिव दुर्गा यम विषवेदेव विष्णु कामदेव शिव अमावस पित्तर
तिथियों में शुभ शुभत्व के अवसर पर स्वामियों का विचार किया जाता है। तिथियों की पांच संज्ञा होती है।
(१) नंदा (२) भद्रा (३) जया (४) रिक्ता (५)पूर्णा
१-६-११ २-७-१२ ३-८-१३ ४-९-१४ ५-१०-१५-३०,अ .
वार व तिथि मेल से बनने वाले सिद्ध योग। तिथि व वार का संयोग होने से सिद्ध योग बनता है। इनमें किया गया कार्यसिद्धि प्रदायक होता है।
रवि सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
…………. …………. ३-८-११ जया २-७-१२ भद्रा ५-१०-१५ पूर्णा १-६-११ नंदा ४-९-१४ रिक्ता
मृत्युयोग—तिथि वार के संयोग से यह मृत्यु योग बनता है। इनमें किया गया कार्य हानि देता है।
रवि सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
नंदा १-६-११ भद्रा २-७-१२ नंदा १-६-११ जया ३-८-१३ रिक्ता ४-९-१४ भद्रा २-७-१२ पूर्णा ५-१०-१५
१. शुद्ध तिथि—जिस तिथि में एक बार सूर्योदय होता है उसे शुद्ध तिथि कहते हैं।
२. क्षय तिथि— जिस तिथि में सूर्योदय नहीं हो उसे क्षय तिथि कहते हैं।
३. अधिक तिथि— जिस तिथि में दो बार सूर्योदय होता है अधिक तिथि (वृद्धि तिथि) कहते हैं।
४. गण्डात तिथि—(५-१०-१५) पूर्णा तिथि समाप्ति व (१-६-११) नंदा तिथि के प्रारम्भ समय (सन्धि) को गण्डांत तिथि कहते हैं। इन दोनों तिथि के २४-२४ मिनट (कुल ४८ मिनट) को गण्डांत समय रहता है।
५. पक्षरन्ध्र तिथि—४-६-८-९-१२-१४ यह तिथियाँ पक्षरन्ध्र कहलाती है।
६. दग्धा, विष और हुताशन संज्ञक तिथियाँ—इन नाम अनुसार तिथियों में काम करने से विघ्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है।-चक्र नीचे है।
वर रवि सोम मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
दग्ता संज्ञक १२ ११ ५ ३ ६ ८ ९
विष संज्ञक ४ ६ ७ २ ८ ९ ७
हुताशन संज्ञक १२ ६ ७ ८ ९ १० ११
७. मास शून्य तिथियों—चैत्र में दोनों पक्षों की अष्टमी व नवमी, बैशाख में दोनों पक्षों की द्वादशी, ज्येष्ठ में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, आषाढ में कृष्ण की षष्ठी व शुक्ल की सप्तमी, श्रावण में दोनों पक्षों की द्वितीया व तृतीया, भाद्रपद के दोनों पक्षों की प्रतिपदा व द्वितीया, आश्विन में दोनों पक्षों की दशमी व एकादशी, कार्तिकेय में कृष्ण की पंचमी व शुक्ला की चतुर्दशी, माघ में कृष्ण की पंचमी व शुक्ला की षष्ठी, फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की तृतीया यह मास शून्य तिथि होती है। मास शून्य तिथियों में कार्य करने से सफलता प्राप्त नहीं होती।
वार
एक सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय तक की कलावधि को वार कहते हैं। वार सात होते हैं। १. रविवार, २. सोमवार, ३. मंगलवार, ४. बुद्धवार, ५. गुरुवार, ६ शुक्रवार, ७. शनिवार सोम, बुध, गुरु, व शुक्र की शुभ और रवि, मंगल, शनिवार की अशुभ संज्ञा होती है। रविवार को स्थिर, सोमवार को चर, मंगल की उग्र, बुध की मिश्र, गुरुवार की लघु, शुक्र की मृदु और शनिवार की तीक्ष्ण संज्ञा होती है। जिस ग्रह के बार में जो कार्य करने के लिए बताया है। वह कार्य अन्य वारों में अभीष्ट वार की काल होरा भी करना चाहिए। जो कभी आगे बताऐंगे।
नक्षत्र
नक्षत्र ताराओं के समूह को नक्षत्र कहते हैं। नक्षत्र २७ होते हैं। सूक्ष्मता से जानने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। ९ चरणों के मिलने से एक राशि बनती है। २७ नक्षत्रों के नाम—१. अश्विनी २. भरणी ३. कृत्तिका ४. रोहिणी ५. मृगशिरा ६. आद्र्रा ७. पुनर्वसु ८. पुष्य ९. अश्लेषा १०. मघा ११. पूर्वाफाल्गुनी १२. उत्तराफाल्गुनी १३. हस्त १४. चित्रा १५. स्वाती १६. विशाखा १७. अनुराधा १८. ज्येष्ठा १९. मूल २०. पूर्वाषाढ २१. उतराषाढ २२. श्रवण २३. घ्िनाष्ठा २४. शतभिषा २५. पूर्वाभद्रपद २६. उत्तराभाद्रपद २७. रेवती।
विशेष—२८ वां नक्षत्र अभिजित माना गया है। उत्तराषाढ़ की अंतिम १५ घटियाँ और श्रवण के प्रारम्भ की चार घटियाँ मिलाकर कुल १९ घटियाँ के मान वाला अभिजित नक्षत्र होता है। यह समस्त कार्यों में शुभ माना है।
नक्षत्रों के स्वामी २८ ही होते हैं। नक्षत्रों का फलादेश भी स्वामियों के स्वभाव गुण के अनुसार जानना चाहिए।
अश्विनी भरणी कार्तिका रोहिणी मृगशिरा आद्र्रा पुनर्वसु पुष्य अश्लेषा मघा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त चित्रा
अश्विनी कुमार काल अग्नि ब्रह्मा चन्द्रमा रुद्र अदिति बहस्पति सर्प थ्पतर भग अर्यमा सूर्य विश्वकर्मा
स्वाती विशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मूल पूर्वाषाढ़ उत्तराषाढ़ श्रावण घनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभद्रपद उत्तराभाद्रपद रेवती अभिजित
पवन शुक्रारिन मित्र इन्द्र निऋति जल विश्वदेव विष्णु वसु वरुण अजिकपाद अहिर्बुध्न्य पूषा ब्रह्मा
नक्षत्र संज्ञा
1). स्थिर संज्ञक— रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर या ध्रुव संज्ञक है।
2). चल संज्ञक— पुनर्वसु, स्वाती, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्रों की चल या चर या चंचल संज्ञक है।
3). उग्र संज्ञक— भरणी, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों की उग्र (क्रूर) संज्ञक है।
4). मिश्र संज्ञक— कृत्तिका, विशाखा नक्षत्रों की मिश्र या साधारण संज्ञक हैं।
5). लघु संज्ञक— अश्विनी, पुष्य, हस्त, अभिजित नक्षत्र लघु या क्षिप्र संज्ञक हैं।
6). मृदु संज्ञक— मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा और रेवती की मृदु या मैत्र संज्ञक हैं।
7). तीक्ष्ण संज्ञक— आर्दा, अश्लेषा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्रों की तीक्ष्ण या दारुण संज्ञक हैं।
8). अधोमुख संज्ञक— भरणी, कृत्तिका, पूर्वाफाल्गुनी, विशाखा, मूल, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभद्रपद नक्षत्र की अधोमुख संज्ञक हैं। इन नक्षत्रों का प्रयोग खनन विधि के लिए किया जाता है ।
9).ऊर्ध्वमुख संज्ञक—आर्द्रा, पुष्य, श्रवण, घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र ऊर्ध्वमुख संज्ञक हैं। इन नक्षत्रों का प्रयोग शिलान्यास करने में किया जाता है ।
10). तिर्यङ्मुख संज्ञक— अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, स्वाती, अनुराधा, ज्येष्ठा, नक्षत्र तिर्यडं मुख संज्ञक हैं।
11). पंचक संज्ञक— घनिष्ठा के तीसरा चौथा चरण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती नक्षत्रों की पंचक संज्ञक हैं।
12). मूल संज्ञक— अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, रेवती नक्षत्र मूल संज्ञक हैं। इन नक्षत्रों में बालक उत्पन्न होता है तो लगभग २७ दिन पश्चात् जब पुन: वही नक्षत्र आता है,
उसी दिन शान्ति करायी जाती है। इनमें ज्येष्ठा और गण्डांत मूल संज्ञक तथा अश्लेषा सर्प मूल संज्ञक हैं।
अन्धलोचन संज्ञक— रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी विशाखा, पूर्वाषाढ़, घनिष्ठा, रेवती नक्षत्र अन्धलोचन संज्ञक हैं। इसमें चोरी हुई वस्तु शीघ्र मिलती हैं। वस्तु पूर्व दिशा की तरफ जाती है।
मन्दलोचन संज्ञक—अश्विनी, मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ और शतभिषा नक्षत्र मंदलोचन या मंदाक्ष लोचन संज्ञक हैं। एक मास में चोरी हुई वस्तु प्रयत्न करने पर मिलती है। वस्तु पश्चिम दिशा की तरफ जाती है।
मध्यलोचन संज्ञक— भरणी, आद्र्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र मध्यलोचन या मध्यांक्ष लोचन संज्ञक हैं। इनमें चोरी हुई वस्तु का पता चलने पर भी मिलती नहीं। वस्तु दक्षिण दिशा में जाती है।
सुलोचन संज्ञक—कृत्तिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाती, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र सुलोचन या स्वाक्ष लोचन संज्ञक है। इनमें चोरी हुई वस्तु कभी नहीं मिलती तथा वस्तु उत्तर दिशा में जाती है।
दग्ध संज्ञक—वार और नक्षत्र के मेल से बनता है, इनमें कोई शुभ कार्य प्रारम्भ नहीं करना चाहिए। रविवार में भरणी, सोमवार में चित्रा, मंगलवार में उत्तराषाढ़, बुधवार में घनिष्ठा, वृहस्पतिवार में उत्तराफाल्गुनी, शुक्रवार में ज्येष्ठा एवं शनिवार में रेवती नक्षत्र होने से दग्ध संज्ञक होते हैं।
मास शून्य संज्ञक—चैत्र में रोहिणी और अश्विनी, वैशाख में चित्रा और स्वाति, ज्येष्ठ में पुष्य और उत्तराषाढ़, आषाढ़ में पूर्वाफाल्गुनी और घनिष्ठा, श्रवण में उत्तराषाढ़ और श्रवण, भाद्रपद में शतभिषा और रेवती, आश्विन मेंपूर्वाभाद्रपद, कार्तिक में कृत्तिका और मघा, मार्गशीर्ष में चित्रा और विशाखा, पौष में अश्विनी, आद्र्रा और हस्त, माघ में मूल श्रवण, फाल्गुन में भरणी और ज्येष्ठा नक्षत्र मास शून्य नक्षत्र हैं।
विशेष—कार्यों की सिद्धि में नक्षत्रों की संज्ञाओं का फल प्राप्त होता है।
योग
सूर्य चन्द्रमा के संयोग से योग बनता है, इसे ही योग कहते हैं। योग २७ होते हैं।
२७ योगों के नाम—१. विष्कुम्भ २. प्रीति ३. आयुष्मान ४. सौभाग्य ५. शोभन ६. अतिगण्ड ७. सुकर्मा
८.घृति९.शूल १०. गण्ड ११. वृद्धि १२. ध्रव १३. व्याघात १४. हर्षल १५. वङ्का १६. सिद्धि १७. व्यतीपात
१८.वरीयान१९.परिधि २०. शिव २१. सिद्ध २२. साध्य २३. शुभ २४. शुक्ल २५. ब्रह्म २६. ऐन्द्र २७. वैघृति।
योगों के स्वामी—विष्कुम्भ का स्वामी यम, प्रीति का विष्णु, आयुष्मान का चन्द्रमा, सौभाग्य का ब्रह्मा, शोभन का वृहस्पति, अतिगण्ड का चन्द्रमा, सुकर्मा का इन्द्र, घुति का जल, शूल का सर्प, गण्ड का अग्नि, वृद्धि का सूर्य, ध्रुव का भूमि, व्याघात का वायु, हर्षल का भंग, वङ्का का वरुण, सिद्धि का गणेश, व्यतीपात का रुद्र, वरीयान का कुबेर, परिधि का विश्वकर्मा, शिव का मित्र, सिद्ध का कार्तिकेय, साध्य का सावित्री, शुभ का लक्ष्मी, शुक्ल का पार्वती, ब्रह्मा का अश्विनी कुमार, ऐन्द्र का पित्तर, वैघृति की दिति हैं।
योगों का अशुभ समय—योगों का कुछ समय शुभ कार्य का प्रारम्भ करने के लिए र्विजत किया है। इन र्विजत समय में कार्य आरम्भ किया जाए तो कार्यों में बाधाएं आती हैं अत: छोड़कर ही कार्य प्रारम्भ करे।
विष्कुम्भयोगकीप्रथम३घण्टे, परिधि योग का पूर्वाद्र्ध, उत्तराद्र्ध शुभ, शूल योग की प्रथम २ घण्टे ४८ मिनट, गण्ड और अतिगण्ड की २ घण्टे २४ मिनट, व्याघात योग की ३ घण्टे १२ मिनट, हर्षल और वङ्का योग के ३ घण्टे ३६ मिनट, व्यतीपात और वैधृति योग सम्पूर्ण शुभ कार्यों में त्याज्य हैं। इन योगों के रहते इनमें इस समय को छोड़कर ही कार्य करें।
करण
तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं अर्थात् एक तिथि में दो करण होते हैं। करणों के नाम—१. बव
२.बालव ३.कौलव ४.तैतिल ५.गर ६.वणिज्य ७.विष्टी (भद्रा) ८.शकुनि ९.चतुष्पाद १०.नाग ११.किंस्तुघन
चरसंज्ञककरण—बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज्य, विष्टी।
स्थिरसंज्ञक करण—शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किंस्तुघन ।
करणों के स्वामी—बव का इन्द्र, बालव का ब्रह्मा, कौलव का मित्र, तैतिल का सूर्य, गर का पृथ्वी, वणिज्य का लक्ष्मी, विष्टी का यम, शकुनि का कलि, चतुष्पाद का रुद्र, नाग का सर्प, किंस्तुघन का वायु स्वामी होते हैं।
भद्रा : विष्टी करण का नाम ही भद्रा है, प्रत्येक पंचांग में भद्रा के आरम्भ और समाप्ति का समय दिया रहता है। भद्रा में प्रत्येक शुभ कार्य करना र्विजत है। भद्रा का वास भूमि, स्वर्ग व पाताल में होता है।
सिंह-वृश्चिक-कुम्भ-मीन राशिस्थ चन्द्रमा के होने पर भद्रावास भूमि पर होता है। मृत्यु दाता होता है। मेष-वृष-मिथुन-कर्क राशिस्थ चन्द्रमा के रहने पर स्वर्ग लोक में, कन्या-तुला-धनु-मकर राशिस्थ चन्द्रमा के रहने पर भद्रा वास पाताल में होता है। यह दोनों शुभ फलदायक होती हैं।
✍🏻हरीश मैखुरी