*|| 🕉️ ||* *🌞सुप्रभातम🌞*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 17/02/2025, सोमवार*
*पंचमी, कृष्ण पक्ष,**फाल्गुन*(समाप्ति काल)
तिथि————पंचमी 28:52:51 तक
पक्ष—-कृष्णन, क्षत्र—- चित्रा 31:34:29
योग– शूल 08:53:29, करण–कौलव 15:33:05
करण———- तैतुल 28:52:51
वार—सोमवार, माह——फाल्गुन
चन्द्र राशि—– कन्या 18:01:33
चन्द्र राशि—————– तुला
सूर्य राशि—————– कुम्भ
रितु———————- शिशिर
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर (उत्तर) ————कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:55:57
सूर्यास्त————— 18:10:44
दिन काल———— 11:14:47
रात्री काल————- 12:44:21
चंद्रास्त————– 09:19:50
चंद्रोदय—————- 22:28:23
लग्न—-कुम्भ 4°25′ , 304°25′
सूर्य नक्षत्र—————– धनिष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————— चित्रा
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
पे—- चित्रा 11:15:36
पो—- चित्रा 18:01:33
रा—- चित्रा 24:47:55
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कुम्भ 04°40, धनिष्ठा 4 गे
चन्द्र= कन्या 24°30 , चित्रा 1 पे
बुध =कुम्भ 08°52 ‘ शतभिषा 2 सा
शु क्र= मीन 13°05, उ o फाo’ 4 ञ
मंगल=मिथुन 23°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 2 को
गुरु=वृषभ 17°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 25°28 ‘ पू o भा o , 2 सो
राहू=(व) मीन 04°50 उo भा o, 1 दू
केतु= (व)कन्या 04°50 उ oफा o 3 पा
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 08:20 – 09:45 अशुभ
यम घंटा 11:09 – 12:33 अशुभ
गुली काल 13:58 – 15: 22अशुभ
अभिजित 12:11 – 12:56 शुभ
दूर मुहूर्त 12:56 – 13:41 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:11 – 15:56 अशुभ
वर्ज्यम 13:31 – 15:19 अशुभ
प्रदोष 18:11 – 20:46 शुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 06:56 – 08:20 शुभ
काल 08:20 – 09:45 अशुभ
शुभ 09:45 – 11:09 शुभ
रोग 11:09 – 12:33 अशुभ
उद्वेग 12:33 – 13:58 अशुभ
चर 13:58 – 15:22 शुभ
लाभ 15:22 – 16:46 शुभ
अमृत 16:46 – 18:11 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 18:11 – 19:46 शुभ
रोग 19:46 – 21:22 अशुभ
काल 21:22 – 22:57 अशुभ
लाभ 22:57 – 24:33* शुभ
उद्वेग 24:33* – 26:08* अशुभ
शुभ 26:08* – 27:44* शुभ
अमृत 27:44* – 29:20* शुभ
चर 29:20* – 30:55* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 06:56 – 07:52
शनि 07:52 – 08:48
बृहस्पति 08:48 – 09:45
मंगल 09:45 – 10:41
सूर्य 10:41 – 11:37
शुक्र 11:37 – 12:33
बुध 12:33 – 13:30
चन्द्र 13:30 – 14:26
शनि 14:26 – 15:22
बृहस्पति 15:22 – 16:18
मंगल 16:18 – 17:15
सूर्य 17:15 – 18:11
🚩होरा, रात
शुक्र 18:11 – 19:14
बुध 19:14 – 20:18
चन्द्र 20:18 – 21:22
शनि 21:22 – 22:26
बृहस्पति 22:26 – 23:29
मंगल 23:29 – 24:33
सूर्य 24:33* – 25:37
शुक्र 25:37* – 26:40
बुध 26:40* – 27:44
चन्द्र 27:44* – 28:48
शनि 28:48* – 29:51
बृहस्पति 29:51* – 30:55
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कुम्भ > 05:42 से 07:14 तक
मीन > 07:14 से 08:42 तक
मेष > 08:42 से 10:20 तक
वृषभ > 10:20 से 12:18 तक
मिथुन > 12:18 से 14:32 तक
कर्क > 14:32 से 16:52 तक
सिंह > 16:52 से 19:02 तक
कन्या > 19:02 से 21:16 तक
तुला > 21:16 से 23:30 तक
वृश्चिक > 23:30 से 01:48 तक
धनु > 01:48 से 03:44 तक
मकर > 03:44 से 05:42 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।
15 + 5 + 2 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*व्यतिपात महापात*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते ।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम् ।।
।। चा o नी o।।
दान गरीबी को ख़त्म करता है. अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है. विवेक अज्ञान को नष्ट करता है. जानकारी भय को समाप्त करती है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: गुणत्रयविभागयोग :- अo-14
लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणामशमः स्पृहा ।,
रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ ॥,
हे अर्जुन! रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृत्ति, स्वार्थबुद्धि से कर्मों का सकामभाव से आरम्भ, अशान्ति और विषय भोगों की लालसा- ये सब उत्पन्न होते हैं॥,12॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
राजमान व यश में वृद्धि होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से परिचय होगा। सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। काफी समय से लंबित कार्यों में गति आएगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।
🐂वृष
विवेक से कार्य करें। सुख के साधन जुटेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में सहकर्मी विशेषकर महिला वर्ग से लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। किसी बात का विरोध हो सकता है। कष्ट व भय बने रहेंगे।
👫मिथुन
शत्रु कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। वाहन व मशीनरी के कार्यों में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। समय पर किसी कार्य का भुगतान नहीं कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय साधारण रहेगा।
🦀कर्क
कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में मातहतों का साथ रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। अज्ञात भय रहेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी। दुष्टजनों से सावधान रहें। शारीरिक कष्ट से बाधा तथा हानि संभव है। बेचैनी रहेगी।
🐅सिंह
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पस्त होंगे। उनकी एक नहीं चलेगी। किसी मांगलिक-आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। हल्की हंसी-मजाक से बचें। कार्यक्षेत्र में उत्साह व प्रसन्नता बनी रहेगी।
🙍♀️कन्या
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। निवेशादि शुभ रहेंगे। उत्साह में वृद्धि होगी।
⚖️तुला
भूमि व भवन संबंधी कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। यात्रा संभव है। शत्रु सक्रिय रहेंगे। सावधानी आवश्यक है। घर-परिवार की चिंता रहेगी। चोट व रोग से बचें। कष्ट संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करे।
🦂वृश्चिक
परिवार के छोटे सदस्यों की अध्ययन तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। विवाद से क्लेश संभव है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। उत्साह की कमी महसूस करेंगे। व्यापार ठीक चलेगा।
🏹धनु
वैवाहिक प्रस्ताव विवाह के उम्मीदवारों का इंतजार कर रहा है। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। अनहोनी की आशंका रह सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।
🐊मकर
राजभय रहेगा। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। विवाद को बढ़ावा न दें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। कुसंगति से बचें। हानि होगी। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार-व्यवसाय की गति धीमी रहेगी।
🍯कुंभ
सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। थोड़े प्रयास से ही रुके काम बनेंगे। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। अधिकारी वर्ग प्रसन्न रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। थकान व कमजोरी रह सकती है।
🐟मीन
सुख के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। अज्ञात भय रहेगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचारों की प्राप्ति से प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम करने की इच्छा प्रबल होगी।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
क्या आप जानते हैं?
मानव शरीर में कौन-कौन से देवताओं का वास है और उनके कार्य क्या हैं?
🌺।।मानव शरीर एक देवालय (मंदिर) है।।🌺
ईश्वर ने अपनी माया से चौरासी लाख योनियों की रचना की लेकिन जब उन्हें संतोष न हुआ तो उन्होंने मनुष्य शरीर की रचना की।
मनुष्य शरीर की रचना करके ईश्वर बहुत ही प्रसन्न हुए क्योंकि मनुष्य ऐसी बुद्धि से युक्त है जिससे वह ईश्वर के साथ साक्षात्कार कर सकता है।
सनातन धर्म में मानव शरीर को एक देवालय कहा गया है। ईश्वर ने पंचभूतों (आकाश ,वायु ,अग्नि भूमि और जल ) से मानव शरीर का निर्माण कर उसमें भूख-प्यास भर दी।
आकाश की सूक्ष्म शरीर से, भूमि की हड्डियों, मांस से और अग्नि की शरीर के ताप के साथ तुलना की गयी है।
देवताओं की रचना करने के बाद जब ईश्वर कई अन्य रचनाएं कर रहे थे तब देवताओं ने ईश्वर से कहा कि हमारे रहने योग्य कोई स्थान बताएं जिसमें रह कर हम अपने भोज्य-पदार्थ का भक्षण कर सकें। देवताओं के आग्रह पर जल से गौ और अश्व बाहर आए पर देवताओं ने यह कह कर उन्हें ठुकरा दिया कि यह हमारे रहने के योग्य नहीं हैं।
जब मानव शरीर प्रकट हुआ तब सभी देवता प्रसन्न हो गए।
तब ईश्वर ने कहा—अपने रहने योग्य स्थानों में तुम प्रवेश करो ।
💮तब सूर्य नेत्रों में ज्योति (प्रकाश) बन कर,
💮वायु छाती और नासिका-छिद्रों में प्राण बन कर,
💮अग्नि मुख में वाणी और उदर में जठराग्नि बन कर,
💮दिशाएं श्रोत्रेन्द्रिय (सुनना ) बन कर कानों में,
💮औषधियां और वनस्पति लोम (रोम) बन कर त्वचा में,
💮चन्द्रमा मन होकर हृदय में,
💮मृत्यु (मलद्वार) होकर नाभि में, और
💮जल देवता वीर्य होकर पुरुषेन्द्रिय में प्रविष्ट हो गए।
तैंतीस देवता अंश रूप में आकर मानव शरीर में निवास करते हैं ।
🌺।।उपनिषद् का निम्नलिखित कथानक मानव शरीर के देवालय होने की पुष्टि करता है।।🌺
हमारा शरीर भगवान का मंदिर है। यही वह मंदिर है, जिसके बाहर के सब दरवाजे बंद हो जाने पर जब भक्ति का भीतरी पट खुलता है, तब यहां ईश्वर ज्योति रूप में प्रकट होते हैं और मनुष्य को भगवान के दर्शन होते हैं।
🌺।।आइये देखें मानव शरीर में कौन कौन से देवताओं का वास है और उनके कार्य क्या हैं।।🌺
संसार में जितने देवता हैं, उतने ही देवता मानव शरीर में “अप्रकट” रूप से स्थित हैं, किन्तु दस इन्द्रियों (पांच ज्ञानेन्द्रिय और पांच कर्मेन्द्रियां) के और चार अंतकरण (भीतरी इन्द्रियां—बुद्धि, अहंकार, मन और चित्त) के अधिष्ठाता देवता प्रकट रूप में हैं। इस सभी इन्द्रियों का टोटल किया जाये तो 14 बनता है।
💮आइए इन देवताओं के बारे में संक्षेप में जानकारी प्राप्त करें💮;
🌺1. नेत्रेन्द्रिय (चक्षुरिन्द्रिय) के देवता—भगवान सूर्य नेत्रों में निवास करते हैं और उनके अधिष्ठाता देवता हैं; इसीलिए नेत्रों के द्वारा किसी के रूप का दर्शन सम्भव हो पाता है । नेत्र विकार में चाक्षुषोपनिषद्, सूर्योपनिषद् की साधना और सूर्य की उपासना से लाभ होता है ।
🌺2. घ्राणेन्द्रिय (नासिका) के देवता—नासिका के अधिष्ठाता देवता अश्विनीकुमार हैं । इनसे गन्ध का ज्ञान होता है ।
🌺3. श्रोत्रेन्द्रिय (कान) के देवता—श्रोत-कान के अधिष्ठाता देवता दिक् देवता (दिशाएं) हैं । इनसे शब्द सुनाई पड़ता है ।
🌺4. जिह्वा के देवता—जिह्वा में वरुण देवता का निवास है, इससे रस का ज्ञान होता है ।
🌺5. त्वगिन्द्रिय (त्वचा) के देवता—त्वगिन्द्रिय के अधिष्ठाता वायु देवता हैं । इससे जीव स्पर्श का अनुभव करता है ।
🌺6. हस्तेन्द्रिय (हाथों) के देवता — मनुष्य के अधिकांश कर्म हाथों से ही संपन्न होते हैं। हाथों में इन्द्रदेव का निवास है ।
🌺7. चरणों के देवता—चरणों के देवता उपेन्द्र (वामन, श्रीविष्णु) हैं । चरणों में विष्णु का निवास है ।
🌺8. वाणी के देवता—जिह्वा में दो इन्द्रियां हैं, एक रसना जिससे स्वाद का ज्ञान होता है और दूसरी वाणी जिससे सब शब्दों का उच्चारण होता है । वाणी में सरस्वती का निवास है और वे ही उसकी अधिष्ठाता देवता हैं ।
🌺9. उपस्थ (मेढ़ू) के देवता—इस गुह्येन्द्रिय के देवता प्रजापति हैं । इससे प्रजा की सृष्टि (संतानोत्पत्ति) होती है ।
🌺10. गुदा के देवता—इस इन्द्रिय में मित्र, मृत्यु देवता का निवास है । यह मल निस्तारण कर शरीर को शुद्ध करती है ।
🌺11. बुद्धि इन्द्रिय के देवता—बुद्धि इन्द्रिय के देवता ब्रह्मा हैं । गायत्री मंत्र में सद्बुद्धि की कामना की गई है इसीलिए यह ‘ब्रह्म-गायत्री’ कहलाती है । जैसे-जैसे बुद्धि निर्मल होती जाती है, वैसे-वैसे सूक्ष्म ज्ञान होने लगता है, जो परमात्मा का साक्षात्कार भी करा सकता है ।
🌺12. अहंकार के देवता—अहं के अधिष्ठाता देवता रुद्र हैं । अहं से ‘मैं’ का बोध होता है ।
🌺13. मन के देवता—मन के अधिष्ठाता देवता चन्द्रमा हैं । मन ही मनुष्य में संकल्प-विकल्प को जन्म देता है । मन का निग्रह परमात्मा की प्राप्ति करा देता है और मन के हारने पर मनुष्य निराशा के गर्त में डूब जाता है ।
🌺14. चित्त के देवता—प्रकृति-शक्ति, चिच्छत्ति ही चित्त के देवता हैं । चित्त ही चैतन्य या चेतना है । शरीर में जो कुछ भी स्पन्दन (चलन, चेतना) होती है, सब उसी चित्त के द्वारा होती है ।
भगवान ने ब्रह्माण्ड बनाया और समस्त देवता आकर इसमें स्थित हो गए, किन्तु तब भी ब्रह्माण्ड में चेतना नहीं आई और वह विराट् मनुष्य उठा नहीं। जब चित्त के अधिष्ठाता देवता ने चित्त में प्रवेश किया तो विराट् पुरुष उसी समय उठ कर खड़ा हो गया। इस प्रकार भगवान संसार में सभी क्रियाओं का संचालन करने वाले देवताओं के साथ इस शरीर में विराजमान हैं
🌺।।अब मनुष्य का कर्तव्य है कि वह भगवान द्वारा बनाए गए इस देवालय को कैसे साफ-सुथरा रखे ?।।🌺
इसके लिए निम्न कार्य किए जाने चाहिए:
💮1. नकारात्मक विचारों और मनोविकारों-काम,क्रोध,लोभ,मोह,ईर्ष्या,अहंकार से दूर रहे ।
💮2. योग साधना, व्यायाम व सूर्य नमस्कार करके अधिक-से-अधिक पसीना बहाकर शरीर की आंतरिक गंदगी दूर करें ।
💮3. अनुलोम-विलोम व सूक्ष्म क्रियाएं करके ज्यादा-से ज्यादा शुद्ध हवा का सेवन करे ।
💮4. शुद्ध सात्विक भोजन सही समय पर व सही मात्रा में करके पेट को साफ रखें ।
हम जानते हैं कि मनुष्य का शरीर एक देवालय है। इस देवालय के आठ चक्र और नौ द्वार हैं।
🌺अर्थववेद में कहा गया है🌺;
“अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या,तस्यां हिरण्ययः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः”
जिसका अर्थ है कि आठ चक्र और नौ द्वारों वाली अयोध्या देवों की पुरी है, उसमें प्रकाश वाला कोष है जो आनन्द और प्रकाश से युक्त है अर्थात आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त यह देवों की अयोध्या नामक नगरी है।
विज्ञान के अनुसार मनुष्य का जन्म माता-पिता के संयोग से संभव हो पाता है।
लेकिन क्या केवल संयोग से ही मनुष्य की रचना हो जाती हैं, बिलकुल नहीं !
इसके लिए देवी-देवताओं का सहयोग भी होता है। 33 कोटी देवी-देवता जैसे कि सूर्य, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश, चन्द्र आदि हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
हमारी माता के गर्भ में ये देव अपने एक-एक अंश से बच्चा पैदा करने और उसका पालन पोषण करने में सहयोग करते हैं।
ज़रा कल्पना करें कि अगर वायुदेव माँ के गर्भ में न पहुंच पाए तो क्या गर्भ में जीवन संभव हो सकता है। यही बात जल की है, यही बात अग्नि आदि देवों के बारे में भी लागू होती है। इन सभी देवों को एक-एक करके समझने के लिए तो विज्ञान और अध्यात्म की बैकग्राउंड होनी चाहिए, अग्निदेव का अर्थ यह कदापि न लिया जाए कि माँ के गर्भ में कोई स्टोव या भट्टी स्थापित है और वह बच्चे के लिए खाना पका रही है। बेसिक साइंस का ज्ञान बताता है कि भोजन का पचना (digestion), उससे रक्त का बनना, एनर्जी का पैदा होना एक प्रकार का combustion/ burning/ignition process है।
🌺अथर्ववेद के 5वें कांड में लिखा है🌺;
सूर्य मेरी आँखें हैं, वायु मेरे प्राण हैं,अन्तरिक्ष मेरी आत्मा है और पृथ्वी मेरा शरीर है। इस तरह दिव्यलोक का सूर्य, अंतरिक्ष लोक की वायु और पृथ्वी लोक के पदार्थ क्रमशः मेरी आँखें और प्राण स्थूल शरीर में आकर रह रहे है और हाथ जो तीनों लोकों के सूक्ष्म अंश हैं, हमारे शरीर में अवतरित हुए हैं।
इसीलिए ज्ञानी मनुष्य मानव शरीर को ब्रह्म मानता है क्योंकि सभी देवता इसमें वैसे ही रहते हैं जैसे गोशाला में गायें रहती हैं। माँ के गर्भ में 33 कोटि देवता अपने-अपने सूक्ष्म अंशों से रहते हैं परन्तु यह गर्भ तभी स्थिर (ठोस) होने लगता है जब परमात्मा अपने अंश से गर्भ में जीवात्मा को अवतरित करते हैं ।
उस समय सभी देवता गर्भ में उस परमात्मा की स्तुति करते हैं और उसकी रक्षा व वृद्धि करते है। सभी देवता प्रार्थना करते हैं कि- हे जीव ! आप अपने साथ अन्य जीवों का भी कल्याण करना,परन्तु जन्म के समय के कठिन कष्ट के कारण मनुष्य इन बातों को भूल जाता है ।
वेद का मंत्र हमें यह स्मरण दिलाता है कि मैं अमर अथवा अदम्य शक्ति से युक्त हूँ। हमारा शरीर ऐसा दिव्य और मनोहारी मनुष्य शरीर होता है। तभी तो उपनिषदों में ऋषियों का अमर संदेश गूंजता है:
।।अहं ब्रह्मास्मि तत्वमसि।।
इसी तरह सभी जीवों की उत्पत्ति होती है। अतः देवता यह घोषणा करते हैं कि सृष्टि का हर प्राणी परमात्मा का ही अंश है इसलिए हम सभी को इसी भगवानमय दृष्टि से एक दूसरे को देखना चाहिए। इस वाक्य को पढ़कर आज के मानव पर घृणा तो आती है कि हमारे वेद, पुराण, उपनिषद ,देवता क्या शिक्षा देते हैं, कैसे इतने परिश्रम से सृष्टि की स्थापना करते हैं, लेकिन मानव महामानव और देवमानव बनने के बजाय दैत्यमानव बनने में कोई कसर नहीं छोड़ता। समझदारी इसी में है कि मनुष्य शाकाहारी बने अमृत जीवों का मांस अपने पेट में डालकर पेट को कब्रिस्तान ना बनायें सात्विक जीवन लंबा और स्वस्थ होता है जबकि मांसाहारी लोगों का जीवन रूग्ण होने से और उनकी आयु भी कम हो जाती है। और वे जीव हत्या के पाप के भागीदार बनते है।
🙏🚩🙏
भारत में भूकंप के झटके
1. ओडिशा के पुरी में भयानक भूकंप
दिल्ली और बिहार के बाद ओडिशा और सिक्किम में भी तेज़ भूकंप के झटके महसूस किए गए।
जानकारी के अनुसार, पुरी (ओडिशा) में भूकंप की तीव्रता 4.7 मापी गई। इस भूकंप के झटकों से लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। प्रशासन स्थिति की निगरानी कर रहा है।
2. दिल्ली-एनसीआर में भूकंप
इससे पहले, दिल्ली-एनसीआर में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था। केंद्र धौला कुआं के पास था,
और इसके झटके दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद समेत कई इलाकों में महसूस किए गए। हालांकि,
किसी बड़े नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।
3. बिहार में भी भूकंप के झटके
दिल्ली के बाद बिहार में भी भूकंप के तेज़ झटके दर्ज किए गए।
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 मापी गई और झटके सुबह 8:02 बजे महसूस किए गए।
लोगों में भय व्याप्त फैल गई, और कई लोग घरों से बाहर आ गए।
सुरक्षा सलाह:
शांत रहें और सुरक्षित स्थान पर जाएं।
मजबूत संरचनाओं से दूर रहें और किसी खुले क्षेत्र में जाएं।
आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबर 112 पर संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए बने रहें।