कर्णप्रयाग की शान सामाजिक सांस्कृतिक युग पुरुष सरदार संत सिंह जी का देवलोक गमन, भावपूर्ण श्रद्धांजलि और नमन

एक युग का अंत, नहीं रहे सरदार संत। शानदार व्यक्तित्व के धनी कर्णप्रयाग रामलीला के संस्थापक भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य, उत्तराखंड सरकार में पूर्व माननीय राज्यमंत्री कर्णप्रयाग के प्रसिद्ध खालसा होटल के स्वामी आदरणीय श्री सरदार संत जी का निधन न केवल कर्णप्रयाग नगर एवं भारतीय जनता पार्टी को अपूरणीय क्षति बल्कि भारतीय संस्कृति के एक युग पुरुष का भी अंत है।

सरदार संत सिंह अटल बिहारी वाजपेयी जी के मित्र, जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखंड में प्राथमिक प्रचारकों में एक, विचार परिवार के सभी संगठनों से प्रतिबद्धता से जुड़े रहे, जिन्हें  सभी सम्मान के साथ “बाबूजी” कह कर पुकारते थे, आज वैकुण्ठ धाम को प्रस्थान कर गए हैं। कर्णप्रयाग शहर और विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए आज गहरे शोक का दिन है। 

जिन मनीषियों के संघर्ष परिश्रम और खून पसीने से आज भारतीय जनता पार्टी विश्व के सबसे बड़े संगठन के रूप में खड़ी है, उन मनीषियों में सरदार संत सिंह भी एक थे। जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के अनगिनत कार्यकर्ता आपके प्रशिक्षण में आगे बढ़े और संगठन, सरकार के बड़े दायित्व पर विराजे। जीवन के 9 दशक पूर्ण करने के बाद भी आपकी सक्रियता, ऊर्जा एवं संगठन के प्रति चिंता  समाज के लिए प्रेरणा रहेगी। 

संगठन के लिए संपूर्ण समर्पण के लिए सर्वोच्च उदाहरण रहेंगे। संपूर्ण परिवार को संगठन के कार्य से जोड़ना, अपने प्रतिष्ठान के माध्यम से भी संगठन की सेवा करना और सदैव संगठन और समाज को न्योछावर होने के लिए आप तत्पर रहे। कर्णप्रयाग या जिला चमोली या गढ़वाल ही नहीं बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड भाजपा संगठन के लिए आप श्रद्धेय थे, प्रेरणा थे और रहेंगे।
संक्षेप में कहें तो कर्णप्रयाग के सफल व्यवसायी, भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता। रामलीला मंचों के सरताज, मृदु व्यवहार के धनी, सरल स्वभाव, मेहनती, कर्मठ इंसान विरले ही इस धरती पर पैदा होते हैं। वे सच्चे जनसेवक और पंहुचे हुए निर्विकार संत ही थे। भगवान बद्रीविशाल जी सरदार संत सिंह जी को स्वर्ग में विशेष स्थान दें। उत्तराखंड भर से भारी संख्या में जनप्रतिनिधियों सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें श्रध्दांजलि दी जा रही है। ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम न्यूज संस्थान की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि और सादर नमन् 🙏🏻🙏🏻😭😭✍️🌺🌺🌺🙏🙏✍️डाॅ हरीश मैखुरी 
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कर्णप्रयाग ही नहीं उत्तराखंड की आन, बान और शान खालसा होटल के मालिक सरदार संत सिंह लूथरा जी ने आज दिनांक 13.02.2023 को अंतिम सांस अपने आवास पर ली, जनसंघ के जमाने से आर.एस. एस. संगठन के लिए समर्पित सरदार जी के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई जिसने भी सुना “हे राम” का उच्चारण उनके मुंह से निकला।

        एक जीवंत परोपकारी, गरीबों की मदद करने वाला शख्श आज हमारे बीच नहीं रहा, भाजपा के नेता, अनेक मुख्यमंत्री उनके पैर छूते नहीं अघाते थे। उनकी पार्टी व जनता के प्रति समर्पण को देखते हुए जनरल खंडूड़ी ने उन्हें परिवहन मंत्रालय में राज्यमंत्री (दर्जाधारी) के पद से नवाजा था। कर्णप्रयाग का नवनिर्मित पुल उनकी ही देन है, कर्णप्रयाग शिशु मंदिर के संस्थापक, सदा शिव रामलीला मंडली कर्णप्रयाग उनकी ही देन है।

            भारत पाक विभाजन 1947 की विभीषिका उन्होंने बचपन में ही झेली, जब उनके पितामह, पिता सरदार धन्ना सिंह उन्हें पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र से बैलगाड़ी में पुआल(पराल) के नीचे परिवार समेत छिपाकर किसी तरह भारत लाए, यहां पहुंचकर सहारनपुर, नजीबाबाद, कोटद्वार, दुगड्डा, अगस्तमुनि होते हुए अंतिम पड़ाव उनका कर्णप्रयाग हुआ। स्वयं सरदार जी बताते थे कि पाकिस्तान में मेवों का व्यापार उनके पिता और दादा करते थे और दिल्ली, सहारनपुर आदि स्थानों तक उनके मेवे बिक्री के लिए पहुंचाए जाते।

        संत सिंह जी सही मायने में राम भक्त थे, कर्णप्रयाग में वर्षों से वे राजा दशरथ के पात्र का अभिनय करते, उनके गाये चौपाई जो कैकयी को कोपभवन में संबोधित थी “प्रिय तुम काहे को बैठी मलीना” या फिर “हम नहीं बोले हैं झूठ चाहे पलट जाए महिसारी, पश्चिम दिशा से उदय हो भानु…….” सुनते ही दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

       वे राजा दशरथ के पात्र को इतना आत्मसात करते, राम के वनवास जाते ही दशरथ के देह त्याग की लीला के दिन वे भी राजा दशरथ के साथ ही मरणासन्न हो जाते और बेहोशी की हालत में तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता जहां उन्हें बमुश्किल होश में लाया जाता, इतना जीवंत अभिनय हमने आज तक नहीं देखा।

          सरदार संत सिंह जी आर.एस. एस. व जनसंघ से निकटता उनके लिए कितनी घातक हुई, इसका उदाहरण यह रहा कि आपातकाल में उन्हें D. I. R. (Defence of indian rule) में पुलिस ने अकारण वर्ष 1976 में गिरफ्तार किया , उन्हीं बेड़ियां पहनाकर न्यायालय गोपेश्वर में तत्समय पुलिस ने इस प्रकार पेश किया मानो एक खूंखार व्यक्ति को पकड़ लाये हैं, में तब नया नया वकील हुआ था, मैंने उनकी पैरवी की, शिशु मंदिर के अध्यापकों व आर.एस. एस. के प्रचारकों के साथ निशुल्क की, कहना ना होगा की न्यायालय में जब वे न्यायाधीश के सम्मुख प्रस्तुत किये गए तो न्यायमूर्ति के मुंह से भी निकला “अरे सरदार जी आप” बाद में उन्ही गोपेश्वर से ही जमानत मिल गयी, उनकी रिहाई पर चमोली से कर्णप्रयाग तक जनता की जो भीड़ उनके स्वागतार्थ उमड़ी अद्वितीय थी।

          92 वर्ष की उम्र में बिना किसी तकलीफ के उन्होंने देह त्याग किया है, कल 14.02.2023 को उनकी अंत्येष्टि कर्णप्रयाग संगम में दिन के 11:00 बजे की जाएगी उनके भरे पूरे परिवार राजाराम की तरह उनके 4 पुत्र और पुत्रियां हैं, सर्व श्री जगमोहन लूथरा, हरनाम लूथरा, प्रताप लूथरा, महेंद्र लूथरा उनके पुत्र सगे संबंधी भतीजे सरदार सुरेंद्र सिंह, हरविंदर सिंह नातेदार, अरोड़ा बंधु, सचदेवा परिवार को सांत्वना देते हुए हम सरदार संत सिंह की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए भगवान राम से प्रार्थना करते हैं, श्री हरि स्मरण। सतनाम वाहेगुरू।। ✍️हरीश पुजारी एडवोकेट