आप जैसे मनीषि ठान लें, तो इसी वर्ष के संकल्प से भारत पुन: विश्व गुरु बन जायेगा

अनादि काल से भारत विश्व गुरु था और अमेरिका कहीं नहीं था  सबसे पहले विश्व को सभ्यता और विश्वविधालय भारत ने दिये काल गणना दी, ज्योतिष दिया, शाश्वत वैज्ञानिक जीवन पद्धति के शोध के वेद दिए, ३८ नील वर्षों का सच्चा इतिहास पुराणों के रूप में दिए। आदर्श और मर्यादित जीवन हेतु रामायण दी, दया धर्म करूणा और भगवान के दर्शन के लिए महाभारत दिया। ब्रह्माण्ड की खोज के लिए नक्षत्र वेधशालायें दी, आज के समय में हम पूर्वजों को जंगली कहते हैं |जब यूरोप के लोग गूफाओं में रहते थे, यवन और ब्रिटिश लुटेरे माने जाते थे | तब भी भारत समर्थ था |

ग्रंथों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र शुदी १ रविवार था। हिन्दू नववर्ष अंग्रेजी माह के मार्च – अप्रैल में पड़ता है। इसी कारण भारत मे सभी शासकीय और अशासकीय कार्य तथा वित्त वर्ष भी अप्रैल (चैत्र) मास से प्रारम्भ होता है।
चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है। इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है। हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है।
पेड़-पोधों मे फूल,मंजर,कली इसी समय आना शुरू होते है, वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है। इसी दिन ब्रह्मा जी  ने सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है। जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है।
परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।
न शीत न ग्रीष्म। पूरा पावन काल। ऎसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि  के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है। संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हमारा अपना नया साल *  *विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत मेे ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी।
चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है, पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में।
चारों ओर पकी फसल का दर्शन, आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।
नई फसल घर मे आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ़ने लगती है, जिससे पेड़ -पौधे, जीव-जन्तु मे नव जीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय  गीत गुनगुनाने लगते है। गौर और गणेश कि पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान मेें करी जाती है। चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है, मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि मे होता है। आज शराब की दुकानों पर इतनी भीड़ देखी की शिवरात्रि में भी उतनी भीड़ मंदिरों में भी नहीं होती। मंगलवार था लेकिन ? व ? कटवाने के क्रूरतापूर्ण दृश्य दिख रहे हैं। भारत इन दिनों NRC और CAA के बहाने देश जलाने वाले फसादियों का बखेड़ा झेल रहा है। फिर भी भारतीय राजनीति में वर्ष 2019 को मोदी सरकार दुबारा बनने, राममंदिर विवाद और धारा 370 को खत्म करने के लिए विशेष तौर पर इतिहास में याद किया जायेगा।वो भी दिन थे कश्मीर जलाने वाले आतंकवादी दिल्ली के मेहमान होते थे, आज कश्मीर शांत इसलिए कि आतंकवादियों के आकाओं की दुकान सिमट गयी है। ठीक वही स्थिति CAA और NRC पर पाकिस्तान के पैरोकारों व देश के गद्दारों की है। अपनी खोई हुई सत्ता का दर्द सालता है, भड़ास निकालने के लिए आरपार की लड़ाई का ऐलान करते हैं। देश की संपत्तियां नष्ट करी जाने लगती हैं। भारत को बदनाम करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। सिम्मी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठन पीएफआई के रूप में दंगे भड़काने का आवाह्न कर रहे है। देश जलाने के लिए बाकायदा तुर्की सहित इस्लामिक मुल्कों की फंडिंग की भी खबरें हैं। पाकिस्तान जिंदाबाद बोलना अभव्यक्ति की आजादी की आजादी बताई जा रही है। एक पूरी कौम देश विरोधी नारे लगाती। और भारत लाचारी से देश की बर्बादी देख रहा है। अब हालांकि देर हो चुकी है फिर भी भारत का युवा अगर ठान लें तो हम अपनी संस्कृति अपना स्वर्णिम इतिहास गौरवशाली अतीत और स्वर्णिम भविष्य को बनाने के लिए भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं।  इसके लिए कुछ खास नहीं करना बल्कि शाम को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना, स्नान ध्यान करके अपने महान ग्रंथों का चिंतन मनन अध्ययन और उसी ज्ञान की लोगोंं से चर्चा, दया धर्म का मूल है यह चिंतन कर बिना किसी राग द्वेष के समदृष्टि रखना, यही ब्रह्म को जानने की दिनचर्या है और दिनचर्या से ही जीवन चर्या बनती है जीवन चर्या ही व्यक्ति को महान और विश्व का श्रेष्ठतम इंसान बनाती है, यही ज्ञान ब्राम्हण है। यही विश्व गुरू बनने की प्रक्रिया है। अन्यथा मनुष्य रूपेण मृगा: चरन्ती :¦¦ एक ही व्यक्ति समाज की दिशा दशा और धारा बदल देता है हम तो करोड़ों में हैं एक अरब से ऊपर हैं हम तो धरती की दिशा बदल सकते हैं

*सूर्य संवेदना पुष्पे:, दीप्ति कारुण्यगंधने|*

*लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम् ||*

*(जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, पुष्प सदैव महकता रहता है, उसी तरह यह नूतन वर्ष आपके लिए हर दिन, हर पल के लिए मंगलमय हो।)

*मान* मिले *सम्मान* मिले,

*सुख – संपत्ति* का *वरदान* मिले.
*क़दम-क़दम* पर मिले *सफलता*,
*सदियों* तक पहचान मिले।

आरोग्य तन हो, प्रफुल्लित मन हो, लक्ष्मी का वाश हो, परिवार का विकास हो, पथ निष्कंटक हो, महिमा अखंडित, कीर्ति चराचर, पराक्रम अपरंपार, ऐसा हो नये साल का चमत्कार।। ??आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्यों को आंग्ल वर्ष २०२० की हार्दिक शुभकामनाएँ..??

डाॅ हरीश मैखुरी ? संपादक ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम न्यूज