बक्फबोर्ड के पक्ष में वोट देने वाले पंजाब के सिक्ख सांसद कैसे भूल गये कि मुगल आक्रान्ताओं से युद्ध के लिए ही खालसा पंथ बना था, अमेरिका और चीन में ट्रेड और टेरिफ वार, आदिवासियों के धर्मांतरण हेतु ईसाई मिशनरियों का जातीय कार्ड, आज का पंचाग आपका राशिफल

*|| 🕉️ ||**🌞 सुप्रभातम 🌞* 

     *आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 10/04/2025, गुरुवार*

*त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष,*

*चैत्र*(समाप्ति काल)

तिथि—–त्रयोदशी 24:59:59 तक 

पक्ष——————शुक्ल

नक्षत्र——— पूoफाo 12:23:31

योग————- वृद्वि 18:57:31

करण———– कौलव 11:54:59

करण———– तैतुल 24:59:59

माह—— चैत्र,   वार– गुरूवार

चन्द्र राशि—- सिंह 19:03:31

चन्द्र राशि————    कन्या

सूर्य राशि———- मीन

रितु—————— वसंत

आयन—————— उत्तरायण

संवत्सर—————- विश्वावसु

संवत्सर (उत्तर) ——-सिद्धार्थी

विक्रम संवत—————- 2082 

गुजराती संवत————- 2081 

शक संवत——————1947

कलि संवत—————–5126

सूर्योदय————– 06:01:07 

सूर्यास्त—————18:40:08

दिन काल———— 12:39:00 

रात्री काल———— 11:19:56

चंद्रोदय————– 16:31:33 

चंद्रास्त—————- 28:53:23

लग्न—- मीन 26°11′ , 356°11′

सूर्य नक्षत्र—————– रेवती 

चन्द्र नक्षत्र———- पूर्वा फाल्गुनी

नक्षत्र पाया————-रजत 

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

टू—-पूर्वा फाल्गुनी 12:23:31

टे—- उत्तरा फाल्गुनी 19:03:31

टो—- उत्तरा फाल्गुनी 25:44:32

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

        ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद

======================

सूर्य= मीन 26°40, रेवती 3 च 

चन्द्र= सिंह 23°30 , पू o फाo 4 टू 

बुध =मीन 02°52 ‘ पू o भाo4 दी 

शु क्र= मीन 00°05,पूo फाo’4 दी 

मंगल=कर्क 02°30’पुनर्वसु ‘4 ही 

गुरु=वृषभ 23°30 रोहिणी, 4 वु 

शनि=मीन 01°28’पू o भा ओ,4 दी 

राहू=(व) मीन02°05 पूoभा o,4दी 

केतु= (व)कन्या 02°05उoफाo2 टो

=====================

*🚩💮शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩*

राहू काल 13:56 – 15:30 अशुभ

यम घंटा 06:01 – 07:36 अशुभ

गुली काल 09:11 – 10: 46अशुभ 

अभिजित 11:55 – 12:46 शुभ

दूर मुहूर्त 10:14 – 11:05 अशुभ

दूर मुहूर्त 15:18 – 16:08 अशुभ

वर्ज्यम 20:24 – 22:11 अशुभ

प्रदोष 18:40 – 20:58 शुभ

💮चोघडिया, दिन👉

शुभ 06:01 – 07:36 शुभ

रोग 07:36 – 09:11 अशुभ

उद्वेग 09:11 – 10:46 अशुभ

चर 10:46 – 12:21 शुभ

लाभ 12:21 – 13:56 शुभ

अमृत 13:56 – 15:30 शुभ

काल 15:30 – 17:05 अशुभ

शुभ 17:05 – 18:40 शुभ

🚩चोघडिया, रात👉

अमृत 18:40 – 20:05 शुभ

चर 20:05 – 21:30 शुभ

रोग 21:30 – 22:55 अशुभ

काल 22:55 – 24:20* अशुभ

लाभ 24:20* – 25:45* शुभ

उद्वेग 25:45* – 27:10* अशुभ

शुभ 27:10* – 28:35* शुभ

अमृत 28:35* – 30:00* शुभ

💮होरा, दिन

बृहस्पति 06:01 – 07:04

मंगल 07:04 – 08:08

सूर्य 08:08 – 09:11

शुक्र 09:11 – 10:14

बुध 10:14 – 11:17

चन्द्र 11:17 – 12:21

शनि 12:21 – 13:24

बृहस्पति 13:24 – 14:27

मंगल 14:27 – 15:30

सूर्य 15:30 – 16:34

शुक्र 16:34 – 17:37

बुध 17:37 – 18:40

🚩होरा, रात

चन्द्र 18:40 – 19:37

शनि 19:37 – 20:33

बृहस्पति 20:33 – 21:30

मंगल 21:30 – 22:27

सूर्य 22:27 – 23:23

शुक्र 23:23 – 24:20

बुध 24:20* – 25:17

चन्द्र 25:17* – 26:13

शनि 26:13* – 27:10

बृहस्पति 27:10* – 28:07

मंगल 28:07* – 29:03

सूर्य 29:03* – 30:00

*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*      

मीन > 04:48 से 06:08 तक

मेष > 06:08 से 07:48 तक

वृषभ > 07:48 से 09:48 तक

मिथुन > 09:48 से 12:06 तक

कर्क > 12:06 से 14:22 तक

सिंह > 14:22 से 16:36 तक

कन्या > 16:36 से 18:52 तक

तुला > 18:52 से 21:04 तक

वृश्चिक > 21:04 से 23:32 तक

धनु > 23:32 से 01:44 तक

मकर > 01:44 से 03:18 तक

कुम्भ > 03:18 से 04:42 तक

====================

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

 (लगभग-वास्तविक समय के समीप) 

दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट

जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट

कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट

लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट

कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। 

प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

चर में चक्र चलाइये, उद्वेगे थलगार 

शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥

रोग में रोगी स्नान करे, काल करो भण्डार।

अमृत में काम सभी करो, सहाय करो कर्तार ॥

अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।

उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।

शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।

लाभ में व्यापार करें ।

रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।

काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।

अमृत में सभी शुभ कार्य करें।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*

परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा बेसन लड्डू खाके यात्रा कर सकते है l

इस मंत्र का उच्चारण करें-:

*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च *

*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: *

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*

*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*

*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*

*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*

*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*

*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

 

  13 + 5 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष

 मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

  13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभा रूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*

*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।* 

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

 *प्रदोष व्रत (शिव पूजन)*

*श्री महावीर जयंती* 

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

गम्यते यदि मॄगन्द्रमन्दिरं

लभ्यते करिकपीलमौक्तिकम् ।

जम्बुकालयगते च प्राप्यते

वस्तुपुच्छखरचर्मखण्डनम् ।।

।। चा o नी o।।

  एक अनपढ़ आदमी की जिंदगी किसी कुत्ते की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इज्जत ही ढकती है और ना ही कीड़े मक्खियों को भागने के काम आती है.

*🚩💮🚩सुभाषितानि🚩💮🚩*

गीता -:दैवासुरसम्पद्विभागयोग :- अo-16

अहङ्‍कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः।,

मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः॥,

वे अहंकार, बल, घमण्ड, कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं॥,18॥,

*💮 दैनिक राशिफल 🚩*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।

नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।

विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।

जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष

आर्थिक नीति में परिवर्तन होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा।

🐂वृष

धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।

👫मिथुन

चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों से अपेक्षा बेकार रहेगी।

🦀कर्क

प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। कानूनी अड़चन दूर होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🐅सिंह

स्वास्थ्य कमजोर होगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें ।

🙍‍♀कन्या

विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। पार्टी व भ्रमण का आनंद मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

⚖तुला

वाणी पर नियंत्रण रखें। शत्रु शांत रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। चिंता रहेगी।

🦂वृश्चिक

थोड़े प्रयास से बड़का र्य बनेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। चिंता बनी रहेगी।

🏹धनु

भय, पीड़ा व तनाव का माहौल बन सकता है। शुभ समाचार मिलेंगे। पुराने संगी-साथियों से मुलाकात होगी।

🐊मकर

बेरोजगारी दूर होगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। जोखिम न लें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रसन्नता रहेगी।

🍯कुंभ

फालतू खर्च बढ़ेगा। तनाव होगा। वस्तुएं संभालकर रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। पुराना रोग उभर सकता है।

🐟मीन

नेत्र रोग हो सकता है। जल्दबाजी न करें। ऋण वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा होगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩ये

वही सिख हैं, जिनके गुरुओं और मासूम बच्चों को मुगलों ने क्रूरता की सारी हदें पार करके शहीद कर डाला था — जलाया, दीवारों में चिनवाया, टुकड़े-टुकड़े किया…!

और आज? वही विरासत के वारिस, वक्फ बोर्ड जैसे इस्लामी एजेंडे के खिलाफ नहीं, उसके समर्थन में खड़े दिखते हैं!

कौन कहेगा कि ये वही पंजाब है, जिसने औरंगज़ेब जैसे आततायियों के सामने सिर झुकाने के बजाय तलवार उठाई थी?

शायद अब तलवारें भूलकर, वक्फ के दस्तखतों पर कलम चलाना ही इनका गौरव बन गया है। अन्यथा बक्फबोर्ड के पक्ष में वोट देने वाले पंजाब के सिक्ख सांसद कैसे भूल गये कि मुगल आक्रान्ताओं से युद्ध के लिए ही खालसा पंथ बना था।खालसा पंथ की स्थापना सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में वैशाखी के दिन, आनंदपुर साहिब में, मुगल आक्रान्ताओं के अन्याय और मजहबी उत्पीड़न के विरूद्ध एक योद्धा समुदाय के रूप में की थी, ताकि निर्दोष लोगों की रक्षा की जा सके। 

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अब जबकि अरब ने ही भारत बांग्लादेश पाकिस्तान अफगानिस्तान की मुसलमानों को कन्वर्टेड बताते हुए अपने यहां इनके द्वारा फैलाई जा रही गंदगी के कारण इनकी हज यात्रा बैन कर दी है। यही नहीं भारत में भी अब पढे लिखे लोग दुर्दांत हिंसक अरबी कबीलों का पिछलग्गू बनना यानी मुस्लिम पंथ को तेजी से छोड़ रहे हैं। केरल राज्य इसमें सबसे आगे है। 

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इन दोनों लिंक्स को खोल कर देखें संविधान के नाम कांग्रेस का विसंविधान का खेल समझ आ जायेगा 

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*कार्तिक मास में जन्म होने के कारण झारखण्ड के वनवासी समुदाय के माता पिता ने उनका नाम कार्तिक रख दिया…

#कार्तिक_उरांव। 

70 से 80 के मध्य एक बार ईसाई मिशनरी ने यह अफवाह फैलाई कि सारे आदिवासी मूलतः ईसाई हैं क्योंकि ये ही इस देश के मूल निवासी हैं और हिन्दू उन आर्यों के वंशज हैं जिन्होंने इस देश पर कब्ज़ा किया। कार्तिक उरांव ने इसका बहुत ही कड़ा और कारगर विरोध किया। उन्होंने कहा कि पहले इस बात को निश्चित करे कि बाहर से कौन आया था? यदि हम यहाँ के मूलवासी हैं तो फिर हम ईसाई कैसे हुए क्योंकि ईसाई पन्थ तो भारत से नहीं निकला। और यदि हम बाहर से आये ईसाईयत को लेकर, तो फिर आर्य यहाँ के मूलवासी हुए। और यदि हम ही बाहर से आये तो फिर ईसा के जन्म से हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे समुदाय में निषादराज गुह, शबरी, कणप्पा आदि कैसे हुए? उन्होंने यह कहा कि हम सदैव हिन्दू थे और रहेंगे।

उसके बाद कार्तिक उरांव ने बिना किसी पूर्व सूचना एवं तैयारी के भारत के भिन्न भिन्न कोनों से वनवासियों के पाहन, वृद्ध तथा टाना भगतों को बुलाया और यह कहा कि आप अपने जन्मोत्सव, विवाह आदि में जो लोकगीत गाते हैं उन्हें हमें बताईए। और फिर वहाँ सैकड़ों गीत गाये गए और सबों में यही वर्णन मिला कि यशोदा जी बालकृष्ण को पालना झुला रही हैं, सीता माता राम जी को पुष्पवाटिका में निहार रही हैं, कौशल्या जी राम जी को दूध पिला रही हैं, कृष्ण जी रुक्मिणी से परिहास कर रहे हैं, आदि आदि। साथ ही यह भी कहा कि हम एकादशी को अन्न नहीं खाते, जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा, विजयादशमी, रामनवमी, रक्षाबन्धन, देवोत्थान पर्व, होली, दीपावली आदि बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

फिर कार्तिक उरांव ने कहा कि यहाँ यदि एक भी व्यक्ति यह गीत गा दे कि मरियम ईसा को पालना झुला रही हैं और यह गीत हमारे परम्परा में प्राचीन काल से है तो मैं भी ईसाई बन जाऊँगा। उन्होंने यह भी कहा कि मैं वनवासियों के उरांव समुदाय से हूँ। हनुमानजी हमारे आदिगुरु हैं और उन्होंने हमें राम नाम की दीक्षा दी थी। ओ राम, ओ राम कहते कहते हम उरांव के नाम से जाने गए। हम हिन्दू ही पैदा हुए और हिन्दू ही मरेंगे।

✍🏻लोकेन्द्र जी शर्मा की वाल से

#इंफोर्मेशनल_टेररिज्म: के शिकार भारत का पढ़ा लिखा तबका:

#आदिवासी शब्द किसी संस्कृत या किसी वर्नाक्यूलर भाषा का शब्द नहीं है।

15वी शताब्दी में यूरोप के धर्मांध दस्यु ईसाइयो ने जब भारत के धन और वैभव के लालच में समुद्री यात्रा शुरू किया तो उनकी यात्राओं का खर्चा वहां के राजतंत्र और चर्च ने स्पांसर किया। जिसका नाम उन्होंने एक्सपीडिशन या एडवेंचर रखा।

जिन देशों में वे गए उनका सामना वहां के निवासियों से हुवा जिनका उन्होंने बाइबिल के निर्देशानुसार कत्ल करके उनकी जऱ जोरू और जमीन पर कब्जा किया। 

उन देशों के निवासियों को उन्होंने इंडियन, नेटिव (देशी) या अबोरिन (Aborigines) टाइटल से संबोधित किया। इन देशों में अमेरिका कनाडा औट्रलिया आदि हैं। अमेरिका जाने वाले भारतीय आज भी भारतीयों को #देशी शब्द से संबोधित करते हैं। 

भारत मे जब वे आये तो समस्त भारतीयों को इंडियन नाम दिया। लेकिन दस्यु अपने को व्यापारी से अपग्रेड कर जब इस देश के मॉलिक बन गए। 

उन्होंने 1557 से 1857 तक भारत के धन वैभव को लूटकर अपने देश में औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया और इस देश की तकनीक चुराकर यहां से कच्चे माल को इम्पोर्ट कर कपड़ा बनाना और भारत मे निर्यात करना शुरू किया। लेकिन भारत के कृषि शिल्प और वाणिज्य के रहते उनके कपड़ो का कोई खरीदार न मिलता इसलिये यहां के कृषि शिल्प वाणिज्य का विनाश किया। 

इस विनाश के विरोध में 1857 में भारत मे हर धर्म और हर तबके के लोगों ने उनका हिंसक तरीके विरोध किया। 

1858 में आर्य नश्ल और उनके बाहर से आने की अफवाह रची जिसको पूरे विश्व के सूचना आतंकवादियों ने पूरे विश्व मे अकडेमिया के माध्यम से फैलाया। 

अब भारत मे उन्होंने लिख लिख कर हिन्दुओ के दो वर्ग तैयार किये। एक बाहर से आने वाले कल्पित आर्य ( ब्रामहन क्षत्रिय वैश्य) और दूसरे नेटिव व अबोरिन। 

इन तथाकथित नेटिव व अबोरिन भारतीयों को उन्होंने 1936 में स्कीडुलेड ट्राइब और कास्ट के नाम से चिन्हित कर उसको सरकारी गजट का हिस्सा बनाया। ये वर्ग उनके टारगेट पापुलेशन थे – जिनको उन्होंने धर्म परिवर्तन के लिए चुना था। 

भारत के तथाकथित ब्रिटिश एडुकेटेड इंडियन बररिस्टर्स एजुकेशन के माध्यम से फैलाये गए इस सूचना आतंकवाद के सबसे बड़े शिकार थे – सो उन्होंने इन अफवाह और आतंकी सूचना को संविधान का हिस्सा बनाया। 

जब हिंदी पढ़ने वाले गुलाम भारतीयों तक इस सूचना आतंक की पहुंच बनी तो उन मूर्खो ने नेटिव और अबोरिन का अनुवाद आदिवासी में किया। 

और यह मंत्री भी उसी सूचना आतंक की पैदायिशों में से एक है।

#आदिवासी_अबोरिन_या_नेटिव शब्द का भ्रस्ट अनुवाद है।

इसका प्रयोग न कीजिये।

क्लास 5th मे पढ़ने वाली बच्ची ने आज पूंछा कि -“पापा Early Human Beings क्या खाते थे” ?

मेरी समझ मे नहीं आया कि क्या पूंछ रही है ये / मैंने पूंछा -“क्या मतलब” ?

उसने दो बार यही बात दोहराई / फिर मुझको बेवकूफ समझकर उसने बताया कि #आदिवासी को अङ्ग्रेज़ी मे Early Human Beings कहते हैं /

मैंने पूंछा कहाँ पढ़ा ? उसने बताया कि उसके क्लास 4 की पुस्तक मे था / मैंने कहा दिखाओ / उसने कहा अभी आप काम पर जाइए , शाम तक खोज कर दिखाऊँगी /

ये पढ़ाया जा रहा है कोमल मस्तिस्क के बच्चो को / बाद मे ये वामपंथ के शिकार बनकर class War और Caste War पढ़ेंगे /

दरअसल आदिवासी Aborigines का हिन्दी अनुवाद है , जिसका अनुवाद मिशनरियों ने किया था /

जब ये चंडूखाने की हवा मक्ष्मुल्लर ने उड़ाई कि आर्य बाहर से आए और Aborigines – द्रविड़ , शूद्र , अति शूद्र ( फुले महात्मा की खोज ) आदि को गुलाम बनाया / और एच एच रीसले ने 1901 मे जातियों की उत्पत्ति के रहस्य के खोज करते हुये ये बताया कि बाहर से आने वाले सुदृढ़ आर्य जब भारत आए तो Aborigines की स्त्रियॉं को Concubine ( इसका अर्थ रखैल होता है ?) बनाया / और उनसे जो बच्चे पैदा हुये उससे एक जाति बनी / इस तरह से उसने 2000 से ऊपर जातियों की खोज की /

अब अम्रीका और औस्ट्रालिया के Aborigines की तो हत्या कर दिया गोरे इसाइयों ने और उनकी सोने चांदी के खज़ानों पर कब्जा कर दिया / मात्र अमेरिका मे 1500- से 1800 के बीच 20 करोड़ Aborigines की हत्या इसलिए कर दिया क्योंकि वे अपनी जमीन से हटने को तैयार नहीं थे /

लेकिन भारत के Aborigines 64 कलाओं के ज्ञाता थे – जिनके बनाए हुये वस्त्रों को भारत पर कब्जा करने के पूर्व वे आयातित करते थे / इसके अलावा अन्य बहुत सी जीवन उपयोगी बहुमूल्य वस्तुवे , जिंका उत्पादन करना उन जंगलियों ने नहीं सीखा था, वो वस्तुएं भी वे भारत से आयात कर ले जाते थे / इसलिए इन बहूपयोगी Aborigines की हत्या नहीं किया बल्कि उनको बेघर बेरोजगार कर भूंख से मरने के लिए छोड़ दिया / 1850 से 1900 के बीच करीब 5 करोड़ Aborigines भूंख से तड़पकर मर गए /

1935 मे इन्हीं Aborigines को 429 जातियों की लिस्ट बनाकर एक सूची तैयार किया और उनको scheduled Caste घोसित किया / उनके प्रतिनिधियों को एकलव्य शंबूक और मनुस्मृतियों की लोरी सुनाकर बताया कि तुम्हारे दुर्दशा के असली कारण हम #गौरांग ईसाई नहीं , बल्कि ये सवर्ण है , जिनहोने तुमको बेरोजगार होने पर अपने खेतों मे काम करके पेट भरने का मौका दिया /

 

तो Aborigines को तो संविधान मे सुरक्शित कर दिया गया / Annihilation Of caste वाले बाबाजी ने जाति एक सामाजिक विधान था , उसको वैधानिक जामा पहना दिया / और उनके ठुल्लू अभी भी — एकलव्य , शंबूक की लोरी बहज रहे हैं और मनुस्मृति जला रहे हैं /

अब ये नया वामपंथी खेल है — Aborigines — से आदिवासी (ईसाई खडयंत्र ) – और आदिवासी — से Early Human Being ( वामपंथी – हरामीपन ) — कोमल बच्चो के मन को विषाक्त करने की नीव डाल रहे हैं। 

नोट – पोस्ट थोड़ा क्लिष्ट हो सकती है

दो शब्दों को ईसाईयों ने भारत में ईसाइयत फैलाने के लिए प्रचिलित किया ।

एक है #आदिवासी । किसी संस्कृत ग्रन्थ में नहीं मिलेगा ये शब्द । इसका अर्थ है – #Aborigines .

इसका अर्थ न समझते हो तो पूँछियेगा।

किसके लिए ?

जिनको पहले की जनगणना में नाम दिया – Animist -यानि प्रकृति पूजक।

यानि ST 

तो हमारे वेद वेदांत ही प्रकृति की पूजा पर आधारित हैं ।

हमारे समस्त ऋषि मुनि गुरुकुल सब वनों में ही चलते थे ।

तो मेरी सलाह है कि उनको – #आरण्यक के नाम से पुकारें या लिखें।

दूसरा शब्द ईसाईयों ने अपने हरामपंथी से गठित किया – दलित ।

जब अंग्रेजों ने शूद्र कर्मी भारतीय उद्यमियों को बेरोजगार ,बेघर , भुखमरी और अछूत स्थिति में पहुँचाया तो – गांधी ने उनको #हरिजन शब्द से सम्मान देने का निर्णय लिया ।

लेकिन ईसाईयों ने उनको समझाया – हरिजन का अर्थ होता है , जिसके बाप भगवान हैं , यानि उसके बाप का पता नहीं । यानि हरामी ।

तो भैया सज्जन दुर्जन को समझाएं।

फिर एक अनजान औरत चिग्घाड़ती है 1987 के आस पास – “अगर हम भगवान की औलाद हैं तो गांधी क्या शैतान की औलाद था “?

जिसको मीडिया फ्रंट पेज पर जगह देती है । तब इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया नहीं था ।

तो प्रश्न ये उठता है कि एक प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका को मुख्य पृष्ठ पर जगह दिलवाने के लिए पैसा किसने दिया ?

उस समय तो हम जो खबर छपे उसको सच ही मान लेते थे ।

लेकिन क्या आज आप उस पर विश्वास करेंगे। अब तो जानते हैं कि मुख्य पृष्ठ प्रायोजित होता है ।

फिर एक अनजान पृष्ठिभूमि से आया एक व्यक्ति – #कांशीराम । 

आज तक लोग उसके बारे में उसी तरह नहीं जानते जिस तरह आज तक लोग ये नहीं जानते कि – 1942 में जब पूरा भारत #अंग्रेजों_भारत_छोडो का नारा लगाकर अपनी क़ुरबानी दे रहा था , उस समय एक श्रीमान वाइसराय की टीम के मुख्य सलाहकार बन कर इसका विरोध कर रहे थे ।

तो फिर कांशी राम ने इस घृणा व्यवसाय को आगे बढ़ाया – तिलक तराजू औ तलवार के माध्यम से ।

और भारत के उद्यमियों को एक नाम दिया गया -#दलित ।

फिर उससे भी काम नहीं बन रहा था तो एक शब्द गढ़ा ईसाईयों ने – #बहुजन।

तो भैया जिन दलितों को हरिजन से ऐतराज था उनको बहुजन को भी एक्सप्लेन करना चाहिए ।

लेकिन वो न करेंगे ।

मेरा आग्रह है – कि आप न इनको दलित बोले न बहुजन न SC ।

इनको बोले -#शूद्र ।

जो पुरुषार्थ और कलाओं का स्वामी था।

✍🏻 डॉ त्रिभुवन सिंह की पोस्ट से संकलित

अमेरिका और चीन के बीच जबरदस्त ट्रेड वॉर चल रहा है. पहले अमेरिका ने चीन पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. अमेरिकी फैसले के बाद चीन ने भी आक्रामक रूख अख्तियार करते हुए US पर 84 फीसदी का जवाबी टैरिफ लगा दिया. हालांकि, अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी चाल चली है, जिसमें चीन फंसता हुआ नजर आ रहा है. US ने अब चीन के हर सामान पर 125 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जबकि भारत समेत अन्य 75 देशों पर लगाए गए टैरिफ को अगले 90 दिनों के लिए रोक दिया है।