पहली बार कोई शंकरचार्य चांदी के सिंहासन से उतर कर आदिवासी क्षेत्र में पैदल भ्रमण कर ईसाई मिशनरियों के कुचक्र को तोड़ रहा है

पहली बार मैंने देखा कि कोई शंकराचार्य अपने चांदी के सिंहासन को छोड़कर महीनों तक आदिवासी क्षेत्र में पैदल भ्रमण कर रहा है धर्म ईसाई मिशनरियों के कुचक्र को तोड़ रहा है आदिवासी बंधुओं को उनके मूल धर्म में वापस ला रहा है

 गुजरात के आदिवासी जिले डांग में जिस पर ईसाई मिशनरियों और इस्लामिक संगठनों की बुरी नजर थी जहां लालच देकर बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन का काम हो रहा था वहां अब बड़े पैमाने पर ईसाइयों को मूल धर्म में वापस लाया जा रहा है हिंदू संस्कृति का प्रचार किया जा रहा है

इस क्षेत्र में द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महीनों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं

 

 शंकराचार्य भोजन के लिए ऐसे ही चलते चलते किसी भी आदिवासी के घर में जाकर खाना मांग कर खा लेते हैं वहां शबरी पीठ को और बड़ा बनाया जा रहा है और आदिवासियों की आर्थिक उन्नति के लिए शैक्षणिक उन्नति के लिए भी द्वारिका पीठ द्वारा बड़े पैमाने पर काम किए जा रहे हैं 

कितने वर्षों में पहली बार मैंने देखा कि कोई शंकराचार्य महीनों से गुजरात के ईसाई मिशनरियों के सबसे ज्यादा प्रभाव वाले क्षेत्र डांग में बटा हुआ है वहां कई मंदिरों का पुनर्निर्माण करवा रहे हैं (साभार)