डॉ निशंक ने सरकार को दिखाया आयना

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने शोशल मीडिया पर एक पोस्ट मेरा हिमालय शीर्षक से साझा की इस एवरग्रीन पोस्ट से उत्तराखंड सरकार आज भी सीख ले सकती है। – संपादक 

निशंक लिखते हैं “‘हिमालय’ में जड़ी- बूटियों का विशाल भण्डार है, जो यहां के लोगों की ‘आजीविका’ का बड़ा आर्थिक स्रोत हो सकता है। लेकिन बार- बार ‘जड़ी-बूटि’ उत्पादकों के हाथों निराशा ही हाथ लगती है, आजीविका में वृद्धि तभी सम्भव है जब लोग जड़ी -बूटियां उगाएं और सरकार उन्हें तत्काल खरीदे।
साथ ही वैज्ञानिकों को हिमालय पर उगने वाली जड़ी- बूटियों पर शोध करने की आवश्यकता है, हिमालय की जड़ी- बूटियों के ‘जीनस् बदलकर’ महत्वपूर्ण शोध किए जाने चाहिये, वैज्ञानिकों को ‘बाॅयोटेक्नोलोजी’ के माध्यम से औषधीय एवं सगंध पादप प्रजातियों के संरक्षण, नई औषधियों के निर्माण करने हेतु, नए पादप रसायनों की खोज करने, संजीवनी, यार्सागम्बू, थूनेर, वनककड़ी, कुटकी, अश्वगंधा, अर्जुन, आदि औषधियों प्रजातियों से प्राप्त रसायनों को विकसित करने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न विभागों विशेषकर आयुष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि एवं वानिकी, पर्यावरण विभाग को इस दिशा में संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए।
आज हिमालय की जड़ी- बूटियों की महत्ता को विश्व समुदाय के वैज्ञानिकों ने भी माना है।”