उत्तराखंड को स्थाईत्व देने वाले मुख्यमंत्री बने धामी, विज्ञान : अब बिना तारों के भी दौड़ेगा वायरलैस करंट, आज है देव शयनी एकादशी

*देव शयनी एकादशी* 

श्री हरि शयनी का महात्म्य बहुत अधिक है। यह एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है और भगवान विष्णु के शयन की शुरुआत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री विष्णु के राजा बलि के दरवार में द्वारपाल बनने से माता महालक्ष्मी बहुत चिंतित हुई माता लक्ष्मी ने फिर राजा बलि को राखी बांधी व उपहार में दक्षिणा में द्वारपाल भगवान विष्णु को मांग लिया,

राजा बलि को ज्ञात हुआ कि ये तो साक्षात जगदम्बा महा लक्ष्मी हैं तो वो खिलखिला कर हसने लगे कि जो अखंड ब्रह्मांड का भरण पोषण करने वाले हैं वो मेरे से मांग रहे हैं और बोले कि बहन अब तुमने छल करके ही मांगा लेकिन मैं वचन दे चुका हूं तो मैं नारायण को द्वारपाल पद से मुक्त करता हूँ

भगवान बोले कि मैं भी द्वारपाल बनने का वचन दिया था लेकिन तुमने मुझे मुक्त कर दिया

मैं तुम्हें एक आशीर्वाद देता हूँ कि वर्ष में चार माह के लिए मैं तुम्हारा द्वारपाल बनने आऊंगा इस कारण आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक भगवान पाताल में निवास करते हैं या शयन करते हैं

*देव शयनी एकादशी का महत्व:*

1. *भगवान विष्णु का शयन*: देव शयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयन में चले जाते हैं।

2. *पवित्रता और पुण्य*: इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति होती है।

3. *सुख-शांति और समृद्धि*: देव शयनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

*देव शयनी एकादशी के व्रत के लाभ:*

1. *पापों का नाश*: देव शयनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।

2. *भगवद् कृपा*: इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

3. *आध्यात्मिक विकास*: देव शयनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।

4. मुहूर्त- देवशयनी एकादशी की तिथि 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होकर छह जुलाई की शाम 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। 

5. व्रत पारण समय- देवशयनी एकादशी का पारण 7 जुलाई की सुबह 5 बजकर 29 मिनट से लेकर 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा

*निष्कर्ष:*

देव शयनी एकादशी का महात्म्य बहुत अधिक है और इसका व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

सोचिए, आपका फ़ोन बिना तार के चार्ज हो रहा है, या दूर-दराज के इलाकों में भी पलक झपकते ही बिना तार के बिजली पहुंच रही है!

यह बात सुनने में भले ही साइंस फिक्शन लगे, लेकिन अब यह सिर्फ कल्पना नहीं है!

जून 2025 में, अमेरिकी रक्षा अनुसंधान एजेंसी DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) ने न्यू मैक्सिको में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है।

उन्होंने लेजर तकनीक की मदद से 800 वॉट ऊर्जा को 5.3 मील (8.6 किमी) दूर सफलतापूर्वक भेजा है!

इस 30 सेकंड के प्रयोग में 1 मेगाजूल से अधिक ऊर्जा भेजी गई, जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

यह सफलता साबित करती है कि लंबी दूरी तक वायरलेस बिजली भेजना अब कोई सपना नहीं, बल्कि एक उज्ज्वल वास्तविकता है।

एक शक्तिशाली लेजर और विशेष रिसीवर का उपयोग करके, हवा में उड़ने वाले ड्रोन, बिना ईंधन वाले सैन्य ठिकाने, और यहां तक कि दुर्गम क्षेत्रों में भी बिजली पहुंचाना संभव होगा।

आश्चर्यजनक रूप से, वायरलेस बिजली भेजने का यह सपना लगभग एक सदी से भी पहले महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने देखा था।

उन्होंने ‘वर्ल्ड सिस्टम’ नामक एक विशाल टावर के निर्माण के माध्यम से दुनिया भर में वायरलेस बिजली वितरण की कल्पना की थी, हालांकि विभिन्न सीमाओं के कारण तब यह साकार नहीं हो पाया था।

DARPA की यह सफलता टेस्ला के उस दूरदर्शी सपने को नया जीवन दे रही है!

लेकिन सिर्फ यु’द्ध के मैदान में ही नहीं, यह वायरलेस बिजली तकनीक हमारे दैनिक जीवन में जो क्रांति ला सकती है, वह अकल्पनीय है!

यह तकनीक हमारे दैनिक जीवन को और अधिक सुविधाजनक, कुशल और सुरक्षित बनाएगी।

हो सकता है निकट भविष्य में हम एक ऐसी दुनिया में रहें जहाँ तारों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी और बिजली और अधिक सुलभ होगी। ❤️

प्रखर राष्ट्रवादी नेता, महान चिंतक व जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर शत शत नमन। राष्ट्र निर्माण के लिए आपके विचार, आदर्श और त्याग की भावना को आज की युवा पीढ़ी को जरूर जानना चाहिए। 

जिस समय जापान, इटली, फ्रांस, अमेरिका हथियार, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य सेवाओं में विश्व में अपनी ताकत बढ़ा रहे थे..
उस समय हम हर चौराहे पर गांधी, नेहरू, इंदिरा, अंबेडकर की मूर्तियां लगा रहे थे..

इस देश में 18 हजार से ज्यादा गांधी परिवार की मूर्तियां लगी हैं जिनकी कुल कीमत लगभग 31 अरब से भी ज्यादा है..

जब जापान भारत के बाद आजाद होने के बावजूद बुलेट ट्रेन बना रहा था, उस समय हम देश में इमरजेंसी लगा कर लोकतंत्र की हत्या कर रहे थे..

जिस एकमात्र एम्स को नेहरू जी उपलब्धि बताते नही थकते, वो भी राजकुमारी अमृत कौर ने बनवाया था..

जिन बड़े बड़े अस्पतालों को लेकर 70 साल इतराते रहे, अधिकतर शहरों में वो किसी निजी संस्थान ने बनवाए हैं..

हम तो सिर्फ हर शहर, हर कॉलोनी, हर खेल योजना, हर स्टेडियम का नामकरण गांधी नेहरू खानदान के ऊपर कर रहे थे..

जब देश को आगे बढ़ाना था उस वक्त हम देश में 18% वालो को डॉक्टर इंजीनियर बना रहे थे और भारतीय विद्वान विदेशो को आगे बढ़ाने के लिए देश से लगातार पलायन कर रहे थे..

आज अमेरिका में कुल डॉक्टर्स में से भारतीय डॉक्टर 35% से अधिक हैं..

40% इंजीनियर भारतीय हैं,
30% वैज्ञानिक भारतीय है,
और ये भारतीय नागरिक, जो विद्वता में लाजवाब हैं वो
सिर्फ इसलिए देश को छोड़ गए क्योंकि हमने 70 साल तक अयोग्य लोगो को योग्य पदों पर भार की तरह ढोया, और आरक्षण की आड़ में लगातार अयोग्य लोगों को योग्य मान कर योग्यता को पलायन पर मजबूर कर दिया..

तुष्टिकरण, आरक्षण, भाई भतीजा वाद, भ्रष्टाचार इस देश के योग्य युवाओं को दीमक की तरह खाते रहे..
जात-पात में बांट दिया हिन्दू धर्म को कमजोर किया , झूठा इतिहास पढ़ाया ये सब कांग्रेस मुश्लिम पार्टी ने किया,
इस देश के ग्रामीण हिस्सो मे जायेंगे तो उनमें कुछ गाँवो में सिर्फ पिछले कुछ सालों में, सड़क, बिजली पहुंची है..

आज भी ग्रामीण इलाके, बस, बैंक, एटीएम, अस्पताल, डिस्पेंसरी, बड़े और आधुनिक स्कूल, आदि सुविधाओं से महरूम हैं..

हमारे देश के अधिकतर हिस्से को सिर्फ उनके हाल पर छोड़ रखा गया था..

2013 से साइबर क्रांति आई..
सिर्फ उस वजह से देश के लोग इस देश में हो रही गतिविधियों से जुड़ पाए और अब हर वक्त अपडेट रहने की वजह से ही आज देश के लोग हर समस्या को जान रहे है और हर पल, हर दिन भारतवर्ष को विश्व के बराबर खड़ा करने में लगे है..

अफसोस, अगर ये सब आजादी से लगातार होता रहता और सरकारें देश के हर हिस्से को समृद्ध करती तो तस्वीर कुछ और होती…#जय_हिंदू_राष्ट्र✍️ मनसुख नागदा (साभार फेसबुक)

आज आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि है। जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही आज विशाखा नक्षत्र रात्रि 10 बजकर 42 मिनट तक उपरांत अनुराधा नक्षत्र का आरंभ। जानें पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।

*मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम, समर्पण और त्याग को नमन किया।*

*यह मुख्यमंत्री जी के किसानों के साथ गहरे जुड़ाव और कृषि कार्य के प्रति उनके संवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।

*उत्तराखंड को स्थायित्व देने वाले पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी*

*उत्तराखंड में भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बने धामी, रचा इतिहास*

*जनता से भावनात्मक जुड़ाव बना धामी की सबसे बड़ी ताकत*

*भाजपा आलाकमान के साथ ही जनता की पहली पंसद हैं सीएम धामी*

उत्तराखंड की राजनीति में नेतृत्व हमेशा अस्थिरता का शिकार रहा है, लेकिन जब बात पुष्कर सिंह धामी की आती है, तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है। धामी भाजपा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लंबे समय से राज्य के सीएम हैं। इससे पहले कांग्रेस के एनडी तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री थे जो पूरे पांच साल तक उत्तराखंड के सीएम रहे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर धामी को जनता और पार्टी नेतृत्व ने क्यों लगातार चार सालों तक भरोसेमंद नेतृत्व के तौर पर स्वीकार किया।

04 जुलाई 2021… वो दिन जब भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड की कमान युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। उस समय राज्य में राजनीतिक अस्थिरता थी—लेकिन जैसे ही धामी ने कमान संभाली, उन्होंने न सिर्फ माहौल बदला, बल्कि जनभावनाओं को भी अपने पक्ष में मोड़ दिया। 2022 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने ऐतिहासिक वापसी की, तो यह साफ हो गया कि धामी ने जनता का विश्वास जीत लिया है।

इन चार वर्षों में धामी की सबसे बड़ी ताकत रही है—उनकी जनसंपर्क शैली। वह कभी आपदा में अभिभावक की भूमिका में दिखे, तो कभी युवाओं के साथ दोस्त की तरह संवाद करते नज़र आए। महिलाओं के कार्यक्रमों में वे कभी बेटे तो कभी भाई के रूप में मंच साझा करते रहे। यह वही भावनात्मक जुड़ाव है, जिसने उन्हें जनता का मुख्यमंत्री बना दिया।

नीतिगत फैसलों की बात करें तो सीएम धामी ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना। महिलाओं को तीन मुफ्त गैस सिलेंडर, सरकारी नौकरियों में 30% और सहकारी समितियों में 33% आरक्षण, महालक्ष्मी योजना, लखपति दीदी, नारी सशक्तिकरण योजना जैसी पहलों ने नारी सम्मान और आत्मनिर्भरता को नई पहचान दी।

धामी ने पूर्व सैनिकों और शहीद परिवारों के लिए भी बड़े कदम उठाए। शहीदों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी गई, वहीं आश्रितों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की सीमा बढ़ा दी गई। उपनल के कर्मचारियों को बीमा और सुविधाओं में समानता दी गई, जिससे उन्हें भी सुरक्षा और सम्मान मिला।

राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के विकास की बात करें तो पलायन को रोकने के लिए ‘एप्पल मिशन’ और ‘कीवी मिशन’ की शुरुआत की गई। हाउस ऑफ हिमालयाज के ज़रिए पहाड़ी उत्पादों को देश-दुनिया में पहचान दिलाई जा रही है। साथ ही नकल विरोधी कानून, सख्त भू कानून, और ‘लव-लैंड-थूक जिहाद’ पर कठोर रुख ने धामी को एक मजबूत फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री की छवि दी है। सीएम धामी ने प्रदेश में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन और जी-20 देशों की बैठकों के आयोजन से प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई पहचान दिलाने का काम किया। इसके साथ ही एसडीजी इंडेक्स में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया।

23 हजार सरकारी पदों पर सीधी भर्तियां, शीतकालीन यात्रा, मानसखंड मंदिरमाला मिशन, महासू मंदिर हनोल विकास, GEP इंडेक्स में शानदार प्रदर्शन, और SDG इंडेक्स में उत्तराखंड का पहला स्थान – ये सभी उपलब्धियाँ धामी के कुशल नेतृत्व को प्रमाणित करती हैं।

सीएम धामी के नेतृत्व में सड़कों से लेकर रेल और हवाई संपर्क तक उत्तराखंड आज विकास की रफ्तार से दौड़ रहा है। योजनाओं के ज़रिए लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए धामी खुद ज़मीन पर उतरकर मॉनिटरिंग करते हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा हाईकमान से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों तक उन्हें पसंद करते हैं।

चार साल पहले जब धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह युवा नेता न सिर्फ स्थायित्व लाएगा, बल्कि एक उम्मीद का प्रतीक बनेगा। आज जब उत्तराखंड उन्हें ‘धाकड़ धामी’ कहता है, तो यह सिर्फ उपाधि नहीं… बल्कि उन फैसलों, उस समर्पण और उस भरोसे की पहचान है, जो उन्होंने प्रदेश को दिया।