पाकिस्तान डीजीएमओ ने भारत के सामने घुटने टेकने का नाटक किया और हम मान भी गये! नहीं ऐसा नहीं है। नया भारत जानता है आग बीमारी कर्ज और दुश्मन को पूरा निबटाना पडता है। जरा भी छोड़ दिया तो फिर भड़क सकते हैं। ये बात चाणक्य के बाद से भारत जानता है #पाकिस्तान का #नक्शा बदलने का इससे अच्छा अवसर फिर कभी नहीं आयेगा। न जाने कब पाकिस्तान बनाने वाली पार्टी और पाकिस्तान को पालने पोसने वाले गद्दार फिर लौट आयें! इस युद्ध में हमारी सरकार ने केवल 72 घंटों में #पाकिस्तान के हमलों के जवाब पर फोकस, पाकिस्तान में घुस कर उसके चार एयरबेस, एक आयल रिजर्व ही और 10 आतंकवादी प्रशिक्षण अड्डे 800 आतंकी उड़ाये। https://www.facebook.com/share/r/15Gzdtxw84/
भले जैसा कहा जा रहा था #कल्पना से भी बड़ा अंजाम होगा वो अभी तक दिखाई नहीं दिया, पर भविष्य में निश्चित होगा। यह बात कुछ भारतीयों की समझ में भले ना आये लेकिन इतने में ही पाकिस्तान समझ गया कि मौत निश्चित है तो तुरन्त #मुहम्मद_गौरी के जैसा ही #अलतकिया करते हुए #सीज_फायर का छद्म प्रस्ताव रखा और हमारे नेता मिलिट्री एक्शन ना करने के लिए मान भी गये।
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#पापिस्तान के #इस्लामिक #आतंकवादी हर क्षण सीज फायर उल्लंघन करते रहते हैं। शांति इस्लामिक आतंकवादियों के स्वभाव में है ही नहीं। मूल रूप से पाकिस्तान जिहादी आतंकवादीयों का अड्डा है और वहाँ के मदरसे आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्र हैं। भारत में भी मदरसे इस्लामिक आतंकवादियों की फौज तैयार कर देश को भीतर से पाकिस्तान बना रहे हैं। इस्लामिक आतंकवादियों ने देश की सभी सीमायें मदरसों से घेर ली हैं जबकि बस अड्डे और रेलवे स्टेशन मजारों की जद में है। यह बात भारत सरकार जितनी जल्दी समझे उतना ही देश सुरक्षित होगा। क्योंकि भारत हो या पाकिस्तानी मदरसे दोनों की आसमानी किताब एक ही है।
पाकिस्तान के द्वारा हर बार सीज फायर को तोड़ा जाना अब भारत ने युद्ध माना है, यह सिद्ध करने का मोदी सरकार के अब बार बार अवसर है।
युद्ध तो होगा पार्थ
संधि प्रस्ताव पर बने रहना #आतंकिस्तान का स्वभाव नहीं है।
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#आसमानी #किताब में ही नहीं है तो व्यवहार में कहाँ से उतरेगा! इसलिए तीन घंटे बाद ही #पाकिस्तान ने कथित सीज फायर को ठेंगे पर रख कर भारत के अनेक हिस्सों में फायर और ड्रोन अटैक शुरू कर दिया है। अब की पाकिस्तान और भारत दोनों के आतंकवादियों को निबटा ही श्रेयकर है। इस्लामिक दुश्मन को बार बार क्षमा करने की पृथ्वीराज चौहान वाली ऐतिहासिक गलती करनी चाहिए। युद्ध को उत्सव बनाने वाले मीडिया ने आधा पाकिस्तान भारत में मिलाने का जो उन्माद आम भारतीयों में बनाया है उस पर ध्यान देना होगा। इस समय अवसर है केवल पाक अधिकृत कश्मीर ही नहीं आतंंकवादियोंको वहां से खदेड़ कर पंजाब सिंध प्रान्त को भारत में मिलाओ। गिलगित बाल्टिक बलूचिस्तितान बनाओ और खैबर पखतून भारत या अफगानिस्तान जहां वे चाहें जायें लेकिन नक्शे में पाकिस्तान ना रहे।✍️हरीश मैखुरी
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वो बहत्तर घंटे..!
दोपहर ३ बजे, पाकिस्तान के DGMO ने भारत के समकक्ष अधिकारी से अपील की, कि पाकिस्तान युध्द विराम’ (सीज फायर) चाहता हैं। भारत ने इस शर्त पर, कि यदि भविष्य मे पाकिस्तान कुछ उल्टी-सीधी हरकत करता हैं तो वह Act of War माना जाएगा, युध्द विराम पर सहमती दी।
मात्र 72 घंटों मे, टूटी हुई कमर का पाकिस्तान, घुटनों के बल भारत के शरण आया।
स्वतंत्रता के बाद, पूरे 78 वर्षों मे पहली बार, किसी आतंकी हमले का इतना सटीक, इतना शानदार और इतना सफल जवाब भारत ने दिया हैं..!
इस युध्द का 95% हिस्सा पाकिस्तान की भूमी पर लडा गया। पाकिस्तान के 8 शहरों के एयरपोर्ट और हवाई पट्टीयां ध्वस्त की गई। चार बडे आतंकवादी संगठनों के मुख्यालय पूर्णतः नष्ट किए गए। कंधार अपहरणकर्ताओं मे से तीन को हुरों के पास भेज दिया। पाकिस्तान के 500 से ज्यादा सैनिकों / दहशतवादियों को मारा गया।
इन तीन दिनों मे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूर्णतः चरमरा गई हैं। महंगाई आसमान छू रही हैं। उधर, बलूचिस्तान मे बलुचिस्तान लिबरल आर्मी, स्वतंत्र बलुचिस्तान के निकट पहुंच गई हैं। जनता मे सरकार और व्यवस्था के विरोध मे जबरदस्त आक्रोश निर्माण हुआ हैं।
इस सिमित युध्द से चीन के ड्रोन, मिसाईल्स और सैनिकी उपकरणों का खोखलापन सामने आया हैं। भारत के रक्षा प्रणाली की सफल टेस्टिंग हो गई हैं। इस प्रणाली पर भरोसा निर्माण हुआ हैं।
कुल मिला कर, शब्दशः पाकिस्तान की कमर टूटी है। भारत का आत्मविश्वास जगा हैं। ऐसे समय मे यदि कोई नेता / राष्ट्रप्रमुख, इस युध्दज्वर मे, टीवी चैनल्स ने फैलाएं हुए युध्द के उन्माद मे फंस कर, इस युध्द को लंबा खींचता, तो तेजी से बढती हमारी अर्थव्यवस्था को, हमारी प्रगती को ‘डेंट’ आता।
अत्यंत संयम के साथ, हमारे नेतृत्व ने यह जो परिपक्व निर्णय लिया हैं, वह statesmanship को प्रदर्शित करता हैं।
भारत के इस विजय की आप सब को बधाई..!
कुछ लोग घर मे पलंग पे पड़े पड़े उन योद्धाओं को युद्ध करना सीखा रहे है।जो 4 दिन में पाकिस्तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर भी कर आए और तीन दिन में पूरे पाकिस्तान के एयरबेस तक उड़ा आए।
पलंग पर पड़े पड़े पहलवानी करने वाले पहलवानों जितना भारत के पास जितना मजबूत ओर समझदार नेतृत्व आज है उतना कभी भी नहीं रहा ।
पलंग पर पड़े पड़े बातों के बम से युद्ध नही होते युद्ध अपने तरीके से होते है और जो युद्ध मे होते है उन्हें पता होता है युद्ध कैसे करना है ,हमारा का नेतृत्व की नीयत को देखना है उसकी नियत साफ और स्पष्ट भारत की रक्षा की है तो हमे बिना किंतु परन्तु के उसके हर निर्णय पर उसके साथ चट्टान की तरह खड़ा रहना होता है।
70 साल से आतंकी हमले झेलते आया भारत पहले हर हमले के बाद सिर्फ कड़ी निंदा करता ताज का भारत आतंकी हमला होते ही ऑपरेशन सिंदूर करता है और आते ही युद्ध भी छेड़ देता है।
ओर मार कूट कर सत्रु को समझोते के लिए भी मजबूर कर देता है
अपने नेतृत्व पर भरोसा रखो।
जयराम जी की।
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वो बहत्तर घंटे..!
दोपहर ३ बजे, पाकिस्तान के DGMO ने भारत के समकक्ष अधिकारी से अपील की, कि पाकिस्तान युध्द विराम’ (सीज फायर) चाहता हैं। भारत ने इस शर्त पर, कि यदि भविष्य मे पाकिस्तान कुछ उल्टी-सीधी हरकत करता हैं तो वह Act of War माना जाएगा, युध्द विराम पर सहमती दी।
मात्र 72 घंटों मे, टूटी हुई कमर का पाकिस्तान, घुटनों के बल भारत के शरण आया।
स्वतंत्रता के बाद, पूरे 78 वर्षों मे पहली बार, किसी आतंकी हमले का इतना सटीक, इतना शानदार और इतना सफल जवाब भारत ने दिया हैं..!
इस युध्द का 95% हिस्सा पाकिस्तान की भूमी पर लडा गया। पाकिस्तान के 8 शहरों के एयरपोर्ट और हवाई पट्टीयां ध्वस्त की गई। चार बडे आतंकवादी संगठनों के मुख्यालय पूर्णतः नष्ट किए गए। कंधार अपहरणकर्ताओं मे से तीन को हुरों के पास भेज दिया। पाकिस्तान के 500 से ज्यादा सैनिकों / दहशतवादियों को मारा गया।
इन तीन दिनों मे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूर्णतः चरमरा गई हैं। महंगाई आसमान छू रही हैं। उधर, बलूचिस्तान मे बलुचिस्तान लिबरल आर्मी, स्वतंत्र बलुचिस्तान के निकट पहुंच गई हैं। जनता मे सरकार और व्यवस्था के विरोध मे जबरदस्त आक्रोश निर्माण हुआ हैं।
इस सिमित युध्द से चीन के ड्रोन, मिसाईल्स और सैनिकी उपकरणों का खोखलापन सामने आया हैं। भारत के रक्षा प्रणाली की सफल टेस्टिंग हो गई हैं। इस प्रणाली पर भरोसा निर्माण हुआ हैं।
कुल मिला कर, शब्दशः पाकिस्तान की कमर टूटी हैं। भारत का आत्मविश्वास जगा हैं। ऐसे समय मे यदि कोई नेता / राष्ट्रप्रमुख, इस युध्दज्वर मे, टीवी चैनल्स ने फैलाएं हुए युध्द के उन्माद मे फंस कर, इस युध्द को लंबा खींचता, तो तेजी से बढती हमारी अर्थव्यवस्था को, हमारी प्रगती को ‘डेंट’ आता।
अत्यंत संयम के साथ, हमारे नेतृत्व ने यह जो परिपक्व निर्णय लिया हैं, वह statesmanship को प्रदर्शित करता हैं।
भारत के इस विजय की आप सब को बधाई..!
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● यूएसए चाहता है कि भारत हार जाए
● कनाडा/खालिस्तानी चाहते हैं कि भारत हार जाए
● यूरोप चाहता है कि भारत हार जाए
● ब्रिटेन तुर्की आदि चाहते हैं कि भारत हार जाए
● पाकिस्तान चाहता है कि भाजपा हार जाए
● चीन चाहता है कि भाजपा हार जाए
● हथियार लॉबी चाहती है कि भाजपा हार जाए
● फार्मा लॉबी चाहती है कि भाजपा हार जाए
● कट्टरपंथी इस्लामवादी चाहते हैं कि भाजपा हार जाए
● राष्ट्र-विरोधी चाहते हैं कि भाजपा हार जाए
● मिशनरी चाहते हैं कि भाजपा हार जाए
● वामपंथी चाहते हैं कि भाजपा हार जाए
● मुसलमान चाहते हैं कि भाजपा हार जाए
शक्तिशाली विदेशी देश चाहते हैं कि भारत हार जाए क्योंकि भारत उनके हथियार निर्यात बाजार और विनिर्माण आधार को खा रहा है।
वे नहीं चाहते कि भारतीय रक्षा आयात से स्वतंत्र हो। वे केंद्र में एक कठपुतली सरकार चाहते हैं, जिसे वे नियंत्रित कर सकें। भारतीय विपक्ष चाहता है कि भाजपा हार जाए क्योंकि
भाजपा ने अपना वादा पूरा किया…जो पूछ रहे हैं युद्ध विराम क्यों किया उनके लिए बता दें ऐसा 1971 में भी हुआ था तब 3 दिसंबर 1971 को युद्ध शुरू हुआ और 5 दिसंबर 1971 को युद्ध विराम । इस बार तो सरकार ने सीज फायर शब्द का प्रयोग किया ही नहीं अपितु ये कहा है कि पाकिस्तान की सभी आतंकी गतिविधि अब से एक्ट आफ वार मानी जायेगी यानी अब युद्ध भी भारत शर्तों पर है। जब भी गड़बड़ लगेगी ऐसे फोड़ फाड़ आयेंगे । जय हिन्द। विकासशील देश को युद्ध में बर्बाद करना समझदारी नहीं है इस लिए मोदी ने कहा था आतंकवादियों की जमीन मिट्टी में मिला देंगे वो नो आतंकवादी अड्डे ध्वस्त कर पूरा हो गया है। देश हित में भारतीय जनता पार्टी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य
● राम मंदिर
● सीएए/एनआरसी
● नई शिक्षा नीति
● अनुच्छेद 370
● रक्षा को मजबूत किया
● एनजीओ पर लगाम लगाई
● नक्सलियों पर लगाम लगाई
● मिशनरियों पर लगाम लगाई
● पत्रकारों को मुफ्त में मिलने वाली सुविधाएं बंद की
● फर्जी पैन और आधार कार्ड के जरिए नेताओं/नौकरशाहों को मिलने वाली नकद सब्सिडी बंद की
● भारत को चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया।
● कोरोना टीकाकरण
● काशी कॉरिडोर
● अंतरिक्ष पर विजय प्राप्त की
● गुलामी के निशान मिटाए
● बुनियादी ढांचा
● 14 नये आईआईटी
● 12 नये एम्स
● मंत्रालय स्तर पर शून्य भ्रष्टाचार
● जीएसटी लागू कर देश को समृद्ध और जनता को अनेक टैक्सों से झंझट मुक्त कर दिया 20 लाख तक कोई जीएसटी नहीं देना ।
● विमुद्रीकरण
● शून्य बम विस्फोट
● कश्मीर में शांति
● दूसरा मोबाइल निर्माण में ● रेलवे का 100% विद्युतीकरण ● रेलवे फाटकों का पूर्ण उन्मूलन ● वंदे भारत ट्रेन ● बिना कोई गोली चलाए पाकिस्तान को नष्ट कर दिया ● चीन को रोका ● हर घर में पानी ● आयुष्मान भारत के तहत चिकित्सा बीमा ● वरिष्ठ नागरिकों के लिए चार धाम यात्रा
और… ● भाजपा देश को नहीं बेचेगी ● भाजपा चीन के साथ कोई गुप्त समझौता नहीं करेगी ● भाजपा पाकिस्तान के प्रति नरम नहीं रहेगी
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भाजपा बार-बार जीते।
2024 भाजपा🚩
2029 हाँ, केवल भाजपा🚩
2034 भाजपा🚩
और उससे आगे……
अपने आस-पास कम से कम 11 लोगों को शिक्षित करें और गैर भाजपा को भाजपा के वोट में बदलें फिर
हमारे बच्चे सुरक्षित हैं
हम एक अच्छा जीवन जीएँगे।
हमें अपनी अगली पीढ़ी को एक सुरक्षित समाज, सुरक्षित जीवन, सुरक्षित भविष्य देना है। इसे समझें और इसे 11 अलग-अलग इलाकों के ग्रुप में शेयर करें और 11 दोस्तों के साथ शेयर करें और उन्हें इसकी ज़रूरत समझाएँ… धन्यवाद 🙏🏻 *भारत माता की जय 🇮🇳* *वन्देमातरम 🇮🇳*
भगवान नृसिंह प्राकट्य दिवस विशेष
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हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर असुरों का अंत कर धर्म कि रक्षा की थी। तभी से भगवान नृसिंह की जयंती संपूर्ण भारत वर्ष में धूम धाम से मनाई जाती है।
नृसिंह मंत्र
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ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
(हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।)
श्री नृसिंह स्तवः
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प्रहलाद ह्रदयाहलादं भक्ता विधाविदारण। शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥
नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने। हिरन्यकशिपोर्बक्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥
इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह। बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥
तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥४॥
वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि। यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥
श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह। प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म ॥६॥
नृसिंह जी अवतरण कथा
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सतयुग में ऋषि कश्यप के दो पुत्र थे हिरण्याक्ष और हिरणाकश्यप, हिरण्याक्ष भगवान ब्रह्म से मिले वरदान की वजह से बहुत अहंकारी हो गया था। अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए वो भूदेवी को साथ लेकर पाताल में भगवान विष्णु की खोज में चला गया। भगवान विष्णु ने वराह अवतार में उसके साथ युद्ध किया और उसका विनाश कर दिया। लेकिन संसार के लिए खतरा अभी टला नही था क्योंकि उसका भाई हिरणाकश्यप अपने भाई के मौत की बदला लेने को आतुर था उसने देवताओ से बदला लेने के लिए अपनी असुरो की सेना से देवताओ पर आक्रमण कर दिया। हिरणाकश्यप देवताओ से लड़ता लेकिन हर बार भगवान विष्णु उनकी मदद कर देते।
हिरणाकश्यप ने सोचा “अगर मुझे विष्णु को हराना है तो मुझे अपनी रक्षा के लिए एक वरदान की आवश्यकता है क्योंकि मै जब भी देवताओ और मनुष्यों पर आक्रमण करता हु , विष्णु मेरी सारी योजना तबाह कर देता है ……उससे लड़ने के लिए मुझे शक्तिशाली बनना पड़ेगा ”|अपने दिमाग में ऐसे विचार लेकर वो वन की तरफ निकल पड़ता है और भगवान ब्रह्मा की तपस्या में लीन हो जाता हो वो काफी लम्बे समय तक तपस्या में इसलिए रहना चाहता था ताकि वो भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान मांग सके इस दौरान वो अपने ओर अपने साम्राज्य के बारे में भूलकर कठोर तपस्या में लग जाता है।
इस दौरान इंद्रदेव को ये ज्ञात होता है कि हिरणाकश्यप असुरो का नेतृत्व नही कर रहा है। इंद्रदेव सोचते है कि ” यदि इस समय असुरो को समाप्त कर दिया जाए तो फिर कभी वो आक्रमण नही कर पाएंगे हिरणाकश्यप के बिना असुरो की शक्ति आधी है अगर इस समय इनको खत्म कर दिया जाए तो हिरणाकश्यप के लौटने पर उसका आदेश मानने वाला कोई शेष नही रहेगा| “” ये सोचते हुए इंद्र अपने दुसरे देवो के साथ असुरो के साम्राज्य पर आक्रमण कर देते है। इंद्रदेव के अपेक्षा के अनुसार हिरणाकश्यप के बिना असुर मुकाबले में कमजोर पड़ गये और युद्ध में हार गये। इंद्रदेव ने असुरो के कई समूहों को समाप्त कर दिया।
हिरणाकश्यप की राजधानी को तबाह कर इन्द्रदेव ने हिरणाकश्यप के महल में प्रवेश किया जहा पर उनको हिरणाकश्यप की पत्नी कयाधू नजर आयी इंददेव ने हिरणाकश्यप की पत्नी को बंदी बना लिया ताकि भविष्य में हिरणाकश्यप के लौटने पर उसके बंधक बनाने के उपयोग कर पाए इंद्रदेव जैसे ही कयाधू को इंद्र लोक लेकर जाने लगे महर्षि नारद प्रकट हुए और उसी समय इंद्र को कहा “इंद्रदेव रुक जाओ आप ये क्या कर रहे हो ” महर्षि नारद इंद्रदेव के कयाधू को अपने रथ में ले जाते देख क्रोधित हो गये इंददेव में नतमस्तक होकर महर्षि नारद से कहा “महर्षि हिरणाकश्यप के नेतृत्व के बिना असुरो पर आक्रमण किया है और मेरा मानना है कि असुरो के आतंक को समाप्त करने का यही समय है”
वहा के विनाश को देखकर महर्षि नारद ने क्रोधित स्वर में कहा “हा ये सत्य है मै देख सकता हु लेकिन ये औरत इसमें कहा से आयी , क्या इसने तुमसे युद्ध किया , मुझे ऐसा नही लग रहा है कि इसने तुम्हारे विरुद्ध कोई शस्र उठाया है फिर तुम उसको क्यों चोट पंहुचा रहे हो ? “इंद्रदेव ने महर्षि नारद की तरफ देखते हुए जवाब दिया कि वो उसके शत्रु हिरणाकश्यप की पत्नी है जिसे वो बंदी बना करले जा रहा है ताकि हिरणाकश्यप कभी आक्रमण करे तो वो उसका उपयोग कर सके महर्षि नारद ने गुस्से में इन्द्रदेव को कहा कि केवल युद्ध जीतने के लिए दुसरे की पत्नी का अपहरण करोगे और इस निरपराध स्त्री को ले जाना महापाप होगा।
इंद्रदेव को महर्षि नारद की बाते सुनने के बाद कयाधू को रिहा करने के अलावा कोई विकल्प नही था इंद्रदेव ने कयाधू को छोड़ दिया और महर्षि नारद को उसका जीवन बचाने के लिए धन्यवाद दिया महर्षि नारद ने पूछा कि असुरो के विनाश के बाद वो अब कहा रहेगी कयाधू उस समय गर्भवती थी और अपनी संतान की रक्षा के लिए उसने महर्षि नारद को उसकी देखभाल करने की प्रार्थना की महर्षि नारद उसको अपने घर लेकर चले गये और उसकी देखभाल की इस दौरान वो कयाधू को विष्णु भगवान की कथाये भी सुनाया करते थे जिसको सुनकर कयाधू को भगवान विष्णु से लगाव हो गया था उसके गर्भ में पल रहे शिशु को भी विष्णु भगवान की कहानियों ने मोहित कर दिया था
समय गुजरता गया एक दिन स्वर्ग की वायु इतनी गर्म हो गयी थी कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था कारण खोजने पर देवो को पता चला कि हिरणाकश्यप की तपस्या बहुत शक्तिशाली हो गयी थी जिसने स्वर्ग को भी गर्म कर दिय था इस असहनीय गर्मी को देखते हुए देव भगवान ब्रह्मा के पास गये और मदद के लिए कहा भगवान ब्रह्मा को हिरणाकश्यप से मिलने के लिए धरती पर प्रकट होना पड़ा भगवान ब्रह्मा हिरणाकश्यप की कठोर तपस्या से बहुत प्रस्सन हुए और उसे वरदान मांगने को कहा।
हिरणाकश्यप ने नतमस्तक होकर कहा “भगवान मुझे अमर बना दो ”
भगवान ब्रह्मा ने अपना सिर हिलाते हुए कहा “पुत्र , जिनका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु निश्चित है मै सृष्टि के नियमो को नही बदल सकता हु कुछ ओर मांग लो ”
हिरणाकश्यप अब सोच में पड़ गया क्योंकि जिस वरदान के लिए उसने तपस्या की वो प्रभु ने देने से मना कर दिया। हिरणाकश्यप अब विचार करने लगा कि अगर वो असंभव शर्तो पर म्रत्यु का वरदान मांगे तो उसकी साधना सफल हो सकती है। हिरणाकश्यप ने कुछ देर ओर सोचते हुए भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा।
“प्रभु मेरी इच्छा है कि मै ना तो मुझे मनुष्य मार सके और ना ही जानवर , ना मुझे कोई दिन में मार सके और ना ही रात्रि में , ना मुझे कोई स्वर्ग में मार सके और ना ही पृथ्वी पर , ना मुझे कोई घर में मार सके और ना ही घर के बाहर , ना कोई मुझे अस्त्र से मार सके और ना कोई शस्त्र से ”
हिरणाकश्यप का ये वरदान सुनकर एक बार तो ब्रह्मा खुडी चकित रह गये कि हिरणाकश्यप का ये वरदान बहुत विनाश करसकता है लेकिन उनके पास वरदान देने के अलावा ओर कोई विकल्प नही था। भगवान ब्रह्मा ने तथास्तु कहते हुए मांगे हुए वरदान के पूरा होने की बात कही और वरदान देते ही भगवान ब्रह्मा अदृश्य हो गये हिरणाकश्यप खुशी से अपने साम्राज्य लौट गया और इंद्रदेव द्वारा किये विनाश को देखकर बहुत दुःख हुआ। उसने इंद्रदेव से बदला लेने की ठान ली और अपने वरदान के बल पर इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया। इंद्रदेव के पास कोई विकल्प ना होते हुए वो सभी देवो के साथ देवलोक चले गये हिरणाकश्यप अब इंद्रलोक का राजा बन गया।
हिरणाकश्यप अपनी पत्नी कयाधू को खोजकर घर लेकर आ गया कयाधू के विरोध करने के बावजूद हिरणाकश्यप मनुष्यों पर यातना ढाने लगा और उसके खिलाफ आवाज उठाने वाला अब कोई नही था अब कयाधू ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम प्रहलाद रखा गया जैसे जैसे प्रहलाद बड़ा होता गया वैसे वैसे हिरणाकश्यप ओर अधिक शक्तिशाली होता गया हालांकि प्रहलाद अपने पिता से बिलकुल अलग था और किसी भी जीव को नुकसान नही पहुचता था। वो भगवान विष्णु का अगाध भक्त था और जनता उसके अच्छे व्यवाहर की वजह से उससे प्यार करती थी।
एक दिन गुरु शुक्राचार्य प्रहलाद की शिकायत लेकर हिरणाकश्यप के पास पहुचे और कहा “महाराज , आपका पुत्र हम जो पढ़ाते है वो नही पढ़ता है और सारा समय विष्णु के नाम ने लगा रहता है ” हिरणाकश्यप ने उसी समय गुस्से में प्रहलाद को बुलाया और पूछा कि वो दिन भर विष्णु का नाम क्यों लेता रहता है। प्रहलाद ने जवाब दिया “पिताश्री , भगवान विष्णु ही सारे जगत के पालनहार है इसलिए मै उनकी पूजा करता हु मै दुसरो की तरफ आपके आदेशो को मानकर आपकी पूजा नही कर सकता हुआ “।
हिरणाकश्यप ने अब शाही पुरोहितो से उसका ध्यान रखने को कहा और विष्णु का जाप बंद कराने को कहा लेकिन कोई फर्क नही पड़ा इसके विपरीत गुरुकुल में प्रहलाद दुसरे शिष्यों को भी उसकी तरह भगवान विष्णु की आराधना करने के लिए प्रेरित करने लगा।
हिरणाकश्यप ने परेशान होकर फिर प्रहलाद को बुलाया और पूछा “पुत्र तुम्हे सबसे प्रिय क्या है ?”
प्रहलाद ने जवाब दिया “मुझे भगवान विष्णु का नाम लेना सबसे प्रिय लगता है ”
अब हिरणाकश्यप ने पूछा “इस सृष्टि में सबसे शक्तिमान कौन है ?”
प्रहलाद ने फिर उत्तर दिया “तीन लोको के स्वामी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु सबसे सर्वशक्तिमान है “
अब हिरणाकश्यप को अपने गुस्से पर काबू नही रहा और उसने अपने पहरेदारो से प्रहलाद को विष देने को कहा प्रहलाद ने विष का प्याला पूरा पी लिया लेकिन उसकी मृत्यु नही हुयी सभी व्यक्ति इस चमत्कार को देखकर अचम्भित रह गये। अब हिरणाकश्यप ने आदेश दिया कि प्रहलाद को बड़ी चट्टान से बांधकर समुद्र में फेंक दो लेकिन फिर चमत्कार हुआ और रस्सिया अपने आप खुल गयी भगवान विष्णु का नाम लेकर वो समुद्र जल से बाहर आ गया इसके बाद एक दिन जब प्रहलाद भगवान विष्णु के ध्यान में मग्न था तब उस पर उन्मत्त हाथियों के झुण्ड को छोड़ दिया लेकिन वो हाथी उसके पास शांति से बैठ गये।
अब हिरणाकश्यप ने अपनी बहन होलिका और बुलाया और कहा “बहन तुम्हे भगवान से वरदान मिला है कि तुम्हे अग्नि से कोई नुकसान नही होगा , मै तुम्हारे इस वरदान क परखना चाहता हु , मेरा पुत्र प्रहलाद दिन भर विष्णु का नाम जपता रहता है और मुझसे सामना करता है …मै उसकी सुरत नही देखना चाहता हु …..मै उसे मारना चाहता हु क्योंकि वो मेरा पुत्र नही है …..मै चाहता हु कि तुम प्रहलाद को गोद में बिठाकर अग्नि पर बैठ जाओ ” होलिका ने अपने भाई की बात स्वीकार कर ली।
अब होलिका ने ध्यान करते हुए प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाया और हिरणाकश्यप को आग लगाने को कहा हिरणाकश्यप प्रहलाद के भक्ति की शक्ति को नही जानता था फिर भी आग से प्रतिरक्षित होलिका जलने लग गयी और उसके पापो ने उसका नाश कर दिया जब आग बुझी तो प्रहलाद उस जली हुयी जगह के मध्य अभी भी ध्यान में बैठा हुआ था जबकि होलिका कही भी नजर नही आयी।
अब हिरणाकश्यप भी घबरा गया और प्रहलाद को ध्यान से खीचते हुए ले गया और चिल्लाते हुए बोला “तुम कहते हो तुम्हारा विष्णु हर जगह पर है , बताओ अभी विष्णु कहा पर है ? वो पेड़ के पीछे है या मेरे महल में है या इस स्तंभ में है बताओ ?
प्रहलाद ने अपने पिता की आँखों में आँखे मिलाकर कहा “हां पिताश्री , भगवान विष्णु हर जगह पर है ”
क्रोधित हिरणाकश्यप ने अपने गदा से स्तम्भ पर प्रहार किया और गुस्से से कहा “तो बताओ वो कहा है “
हिरणाकश्यप दंग रह गया और देखा कि वो स्तम्भ चकनाचूर हो गया और उस स्तम्भ से एक क्रूर पशु निकला जिसका मुंह शेर का और शरीर मनुष्य जैसा था
। हिरणाकश्यप उस आधे पशु और आधे मानव को देखकर पीछे हट गया तभी उस आधे पशु और आधे मानव ने जोर से कहा “मै नारायण का अवतार नरसिंह हु और मै तुम्हारा विनाश करने आया हु “ हिरणाकश्यप उसे देखकर जैसे ही बच कर भागने लगा तभी नरसिंह ने पंजो से उसे जकड़ दिया हिरणाकश्यप ने अपने आप को छुडाने के बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रहा।
नरसिंह अब हिरणाकश्यप को घसीटते हुए दरवाजे की चौखट तक ले गया [जो ना घर में था और ना घर के बाहर ] और उसे अपनी गोद में बिठा दिया [जो ना आकाश में था और ना ही धरती पर ] और सांझ के समय [ना ही दिन और ना ही रात ] हिरणाकश्यप को अपने पंजो [नाहे अस्त्र ना ही शस्त्र ] से उसका वध कर दिया| हिरणाकश्यप का वध करने के बाद दहाड़ते हुए नरसिंह सिंहासन पर बैठ गया।
सारे असुर ऐसे क्रूर पशु को देखकर भाग गये और देवताओ की भी नरसिंह के पास जाने की हिम्मत नही हुयी अब बिना डरे हुए प्रहलाद आगे बढ़ा और नरसिंहा से प्यार से कहा “प्रभु , मै जानता हु कि आप मेरी रक्षा के लिए आये हो ” नरसिंह ने मुस्कुराकर जवाब दिया “हां पुत्र मै तुम्हारे लिए ही आया हु , तुम चिंता मत करो तुम्हे इस कहानी का ज्ञान नही है कि तुम्हारे पिता मेरे द्वारपाल विजय है उन्हें एक श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा और तीन ओर जन्मो के पश्चात उसे फिर वैकुण्ठ में स्थान मिल जाएगा इसलिए तुम्हे चिंता करने की कोई आवश्यकता नही है ”।
प्रहलाद ने अपना सिर हिलाते हुए कहा “प्रभु अब मुझे कुछ नही चाहिए “
नरसिंह ने अपना सिर हिलाया और कहा “नही पुत्र तुम जनता पर राज करने के लिए बने हो और तुम अपने जनता की सेवा करने के पश्चात वैकुण्ठ आना “
प्रहलाद अब असुरो का उदार शासक बन गया जिसने अपने शाशनकाल के दौरान प्रसिधी पायी और असुरो के पुराने क्रूर तरीके समाप्त कर दिए।
भगवान नृसिंह की मृत्यु का रहस्य
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अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। लाल आंखें और क्रोध से लदे चेहरे के साथ वे इधर-उधर घूमने लगे। उन्हें देखकर हर कोई भयभीत हो गया।
भगवान नृसिंह के क्रोध से तीनों लोक कांपने लगे, इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवता गण ब्रह्मा जी के साथ भगवान शिव के पास गए। उन्हें यकीन था कि भगवान शिव के पास इस समस्या का हल अवश्य होगा। सभी ने मिलकर महादेव से प्रार्थना की कि वे नृसिंह देव के क्रोध से बचाएं।
भगवान शिव ने पहले वीरभद्र को नृसिंह देव के पास भेजा, लेकिन ये युक्ति पूरी तरह नाकाम रही। वीरभद्र ने भगवान शिव से यह अपील की कि वे स्वयं इस मसले में हस्तक्षेप करें और व्यक्तिगत तौर पर इस समस्या का हल निकालें।
भगवान महेश, जिन्हें ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली माना जाता है, वे नृसिंह देव के सामने कमजोर पड़ने लगे। महादेव ने मानव, चील और सिंह के शरीर वाले भगवान सरबेश्वर का स्वरूप लिया।
शरभ उपनिषद के अनुसार भगवान शिव ने 64 बार अवतार लिया था, भगवान सरबेश्वर उनका 16वां अवतार माना जाता है। सरबेश्वर के आठ पैर, दो पंख, चील की नाक, अग्नि, सांप, हिरण और अंकुश, थामे चार भुजाएं थीं।
ब्रह्मांड में उड़ते हुए भगवान सरबेश्वर, नृसिंह देव के निकट आ पहुंचे और सबसे पहले अपने पंखों की सहायता से उन्होंने नृसिंह देव के क्रोध को शांत करने का प्रयत्न किया। लेकिन उनका यह प्रयत्न बेकार गया और उन दोनों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया। यह युद्ध करीब 18 दिनों तक चला।
जब भगवान सरबेश्वर ने इस युद्ध को समाप्त करने के लिए अपने एक पंख में से देवी प्रत्यंकरा को बाहर निकाला, जो नृसिंह देव को निगलने का प्रयास करने लगीं। नृसिंह देव, उनके सामने कमजोर पड़ गए, उन्हें अपनी करनी पर पछतावा होने लगा, इसलिए उन्होंने देवी से माफी मांगी।
शरब के वार से आहत होकर नृसिंह ने अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया और फिर भगवान शिव से यह प्रार्थना की कि वह उनकी चर्म को अपने आसन के रूप में स्वीकार कर लें।
भगवान शिव ने नृसिंह देव को शांत कर सृष्टि को उनके कोप से मुक्ति दिलवाई थी। नृसिंह और ब्रह्मा ने सरबेश्वर के विभिन्न नामों का जाप शुरू किया जो मंत्र बन गए।
तब सरबेश्वर भगवान ने यह कहा कि उनका अवतरण केवल नृसिंह देव के कोप को शांत करने के लिए हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि नृसिंह और सरबेश्वर एक ही हैं। इसलिए उन दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।
अपने प्राण त्यागने के बाद नृसिंह भगवान विष्णु के तेज में शामिल हो गए और शिव ने उनकी चर्म को अपना आसन बना लिया। इस तरह भगवान नृसिंह की दिव्य लीला का समापन हुआ।
श्री लक्ष्मीनृसिंह अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
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।। ॐ श्रीं ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नम: श्रीं ॐ।।
नारसिंहो महासिंहो दिव्यसिंहो महीबल:।
उग्रसिंहो महादेव: स्तंभजश्चोग्रलोचन:।।
रौद्र: सर्वाद्भुत: श्रीमान् योगानन्दस्त्रीविक्रम:।
हरि: कोलाहलश्चक्री विजयो जयवर्द्धन:।।
पञ्चानन: परंब्रह्म चाघोरो घोरविक्रम:।
ज्वलन्मुखो ज्वालमाली महाज्वालो महाप्रभु:।।
निटिलाक्ष: सहस्त्राक्षो दुर्निरीक्ष्य: प्रतापन:।
महाद्रंष्ट्रायुध: प्राज्ञश्चण्डकोपी सदाशिव:।।
हिरण्यकशिपुध्वंसी दैत्यदानवभञ्जन:।
गुणभद्रो महाभद्रो बलभद्र: सुभद्रक:।।
करालो विकरालश्च विकर्ता सर्वकर्तृक:।
शिंशुमारस्त्रिलोकात्मा ईश: सर्वेश्वरो विभु:।।
भैरवाडम्बरो दिव्याश्चच्युत: कविमाधव:। अधोक्षजो अक्षर: शर्वो वनमाली वरप्रद:।।
विश्वम्भरो अद्भुतो भव्य: श्रीविष्णु: पुरूषोतम:। अनघास्त्रो नखास्त्रश्च सूर्यज्योति: सुरेश्वर:।।
सहस्त्रबाहु: सर्वज्ञ: सर्वसिद्धिप्रदायक:।
वज्रदंष्ट्रो वज्रनखो महानन्द: परंतप:।।
सर्वयन्त्रैकरूपश्च सप्वयन्त्रविदारण:।
सर्वतन्त्रात्मको अव्यक्त: सुव्यक्तो भक्तवत्सल:।।
वैशाखशुक्ल भूतोत्थशरणागत वत्सल:।
उदारकीर्ति: पुण्यात्मा महात्मा चण्डविक्रम:।।
वेदत्रयप्रपूज्यश्च भगवान् परमेश्वर:।
श्रीवत्साङ्क: श्रीनिवासो जगद्व्यापी जगन्मय:।।
जगत्पालो जगन्नाथो महाकायो द्विरूपभृत्।
परमात्मा परंज्योतिर्निर्गुणश्च नृकेसरी।।
परतत्त्वं परंधाम सच्चिदानंदविग्रह:।
लक्ष्मीनृसिंह: सर्वात्मा धीर: प्रह्लादपालक:।।
इदं लक्ष्मीनृसिंहस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
त्रिसन्ध्यं य: पठेद् भक्त्या सर्वाभीष्टंवाप्नुयात्।।
श्री भगवान महाविष्णु स्वरूप श्री नरसिंह के अंक में विराजमान माँ महालक्ष्मी के इस श्रीयुगल स्तोत्र का तीनो संध्याओं में पाठ करने से भय, दारिद्र, दुःख, शोक का नाश होता है और अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
नृसिंहमालामन्त्रःविनियोग
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श्री गणेशाय नमः
अस्य श्री नृसिंहमाला मन्त्रस्य नारदभगवान् ऋषिः, अनुष्टुभ् छन्दः, श्री नृसिंहोदेवता, आं बीजम्, लं शवित्तः, मेरुकीलकम्, श्रीनृसिंहप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ॐ नमो नृसिंहाय ज्वलामुखग्निनेत्रय शङ्खचक्रगदाप्र्हस्ताय योगरूपाय हिरण्यकशिपुच्छेदनान्त्रमालाविभुषणाय हन हन दह दह वच वच रक्ष वो नृसिंहाय पुर्वदिषां बन्ध बन्ध रौद्रभसिंहाय दक्षिणदिशां बन्ध बन्ध पावननृसिंहाय पश्चिमदिशां बन्ध बन्ध दारुणनृसिंहाय उत्तरदिशां बन्ध बन्ध ज्वालानृसिंहाय आकाशदिशां बन्ध बन्ध लक्ष्मीनृसिंहाय पातालदिशां बन्ध बन्ध कः कः कंपय कंपय आवेशय आवेशय अवतारय अवतारय शीघ्रं शीघ्रं, ॐ नमो नारसिंहाय नवकोटिदेवग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय अष्टकोटिगन्धर्व ग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय षट्कोटिशाकिनीग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय पंचकोटि पन्नगग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय चतुष्कोटि ब्रह्मराक्षसग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय द्विकोटिदनुजग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय कोटिग्रहोच्चाटनाय, ॐ नमो नारसिंहाय अरिमूरीचोरराक्षसजितिः वारं वारं, श्रीभय चोरभय व्याधिभय सकल भयकण्टकान् विध्वंसय विध्वंसय, शरणागत वज्रपंजराय विश्वहृदयाय प्रल्हादवरदाय क्षरौं श्रीं नृसिंहाय स्वाहा, ॐ नमो नारसिंहाय मुद्गल शङ्खचक्र गदापद्महस्ताय नीलप्रभांगवर्णाय भीमाय भीषणाय ज्वाला करालभयभाषित श्री नृसिंहहिरण्यकश्यपवक्षस्थलविदार्णाय, जय जय एहि एहि भगवन् भवन गरुडध्वज गरुडध्वज मम सर्वोपद्रवं वज्रदेहेन चूर्णय चूर्णय आपत्समुद्रं शोषय शोषय, असुरगन्धर्वयक्षब्रह्मराक्षस भूतप्रेत पिशाचदिन विध्वन्सय् विध्वन्सय्, पूर्वाखिलं मूलय मूलय, प्रतिच्छां स्तम्भय परमन्त्रपयन्त्र परतन्त्र परकष्टं छिन्धि छिन्धि भिन्धि हं फट् स्वाहा।
इति श्री अथर्वण वेदोवत्तनृसिंहमालामन्त्रः समाप्तः श्री नृसिम्हार्पणमस्तु ||
नृसिंह गायत्री〰️〰️〰️〰️〰️
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि |तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
नृसिंह शाबर मन्त्र :
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ॐ नमो भगवते नारसिंहाय -घोर रौद्र महिषासुर रूपाय ,त्रेलोक्यडम्बराय रोद्र क्षेत्रपालाय ह्रों ह्रों क्री क्री क्री ताडय
ताडय मोहे मोहे द्रम्भी द्रम्भी क्षोभय क्षोभय आभि आभि साधय साधय ह्रीं हृदये आं शक्तये प्रीतिं ललाटे बन्धय बन्धय ह्रीं हृदये स्तम्भय स्तम्भय किलि किलि ईम ह्रीं डाकिनिं प्रच्छादय प्रच्छादय शाकिनिं प्रच्छादय प्रच्छादय भूतं प्रच्छादय प्रच्छादय
प्रेतं प्रच्छादय प्रच्छादय ब्रंहंराक्षसं सर्व योनिम प्रच्छादय प्रच्छादय राक्षसं प्रच्छादय
प्रच्छादय सिन्हिनी पुत्रं प्रच्छादय प्रच्छादय
अप्रभूति अदूरि स्वाहा एते डाकिनी ग्रहं साधय साधय शाकिनी ग्रहं साधय साधय
अनेन मन्त्रेन डाकिनी शाकिनी भूत प्रेत पिशाचादि एकाहिक द्वयाहिक् त्र्याहिक चाथुर्थिक पञ्च वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक संनिपात केशरि डाकिनी ग्रहादि मुञ्च मुञ्च स्वाहा मेरी भक्ति गुरु की शक्ति स्फ़ुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ll
नृसिंह भगवान की आरती
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श्री नरसिंह भगवान की आरतीॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥
ॐ जय नरसिंह हरे॥
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।
वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे,
हिरणाकुश नख उदर विदारे।
दूसरी आरती वामन सेवा,
बलि के द्वार पधारे हरि देवा।
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे,
सहसबाहु के भुजा उखारे।
चौथी आरती असुर संहारे,
भक्त विभीषण लंक पधारे।
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।
पाँचवीं आरती कंस पछारे,
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले।
तुलसी को पत्र कण्ठ मणि हीरा,
हरषि-निरखि गावें दास कबीरा।
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।
वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥
*|| 🕉️ ||🌞 सुप्रभातम 🌞*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 11/05/2025, रविवार*
*चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,*
*वैशाख*(समाप्ति काल)
तिथि—चतुर्दशी 20:01:20 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———- स्वाति 30:16:15
योग———- व्यतिपत 28:59:35
करण————- गर 06:46:01
करण———– वणिज 20:01:20
वार—————- रविवार
माह—————-वैशाख
चन्द्र राशि————–तुला
सूर्य राशि———– मेष
रितु—————–ग्रीष्म
आयन———– उत्तरायण
संवत्सर———-विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)——–सिद्धार्थी
विक्रम संवत———– 2082
गुजराती संवत———-2081
शक संवत————1947
कलि संवत———- 5126
सूर्योदय————– 05:34:01
सूर्यास्त————— 18:57:28
दिन काल———— 13:23:26
रात्री काल———— 10:35:55
चंद्रास्त————– 05:53:13
चंद्रोदय—————- 17:57:13
लग्न—- मेष 26°21′ , 26°21′
सूर्य नक्षत्र—————– भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
रू—- स्वाति 10:00:25
रे—- स्वाति 16:46:12
रो—- स्वाति 23:31:30
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
सूर्य= मेष 26°40, भरणी 4 लो
चन्द्र= तुला 06°30 , स्वाति 1 रू
बुध =मेष 06°52 ‘ अश्वनी 2 चे
शु क्र= मीन 12°05, उ o फाo’ 3 झ
मंगल=कर्क 16°30 ‘ पुष्य ‘ 4 ड
गुरु=वृषभ 29°30 मृगशिरा, 2 वो
शनि=मीन 04°88 ‘ उ o भा o , 1 दू
राहू=(व) मीन 00°25 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 00°25 उ oफा o 2 टो==================
*🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩🚩*
राहू काल 17:17 – 18:57 अशुभ
यम घंटा 12:16 – 13:56 अशुभ
गुली काल 15:37 – 17: 17अशुभ
अभिजित 11:49 – 12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 17:10 – 18:04 अशुभ
वर्ज्यम 09:33 – 11:22 अशुभ
प्रदोष 18:57 – 21:06. शुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:34 – 07:14 अशुभ
चर 07:14 – 08:55 शुभ
लाभ 08:55 – 10:35 शुभ
अमृत 10:35 – 12:16 शुभ
काल 12:16 – 13:56 अशुभ
शुभ 13:56 – 15:37 शुभ
रोग 15:37 – 17:17 अशुभ
उद्वेग 17:17 – 18:57 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:57 – 20:17। शुभ
अमृत 20:17 – 21:36 शुभ
चर 21:36 – 22:56 शुभ
रोग 22:56 – 24:15* अशुभ
काल 24:15* – 25:35* अशुभ
लाभ 25:35* – 26:54* शुभ
उद्वेग 26:54* – 28:14* अशुभ
शुभ 28:14* – 29:33* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 05:34 – 06:41
शुक्र 06:41 – 07:48
बुध 07:48 – 08:55
चन्द्र 08:55 – 10:02
शनि 10:02 – 11:09
बृहस्पति 11:09 – 12:16
मंगल 12:16 – 13:23
सूर्य 13:23 – 14:30
शुक्र 14:30 – 15:37
बुध 15:37 – 16:44
चन्द्र 16:44 – 17:51
शनि 17:51 – 18:57
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:57 – 19:50
मंगल 19:50 – 20:43
सूर्य 20:43 – 21:36
शुक्र 21:36 – 22:29
बुध 22:29 – 23:22
चन्द्र 23:22 – 24:15
शनि 24:15* – 25:08
बृहस्पति 25:08* – 26:01
मंगल 26:01* – 26:54
सूर्य 26:54* – 27:47
शुक्र 27:47* – 28:40
बुध 28:40* – 29:33
*🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मेष > 04:08 से 05:40 तक
वृषभ > 05:40 से 07:26 तक
मिथुन > 07:26 से 10:06 तक
कर्क > 10:06 से 12:20 तक
सिंह > 12:20 से 14:36 तक
कन्या > 14:36 से 16:52 तक
तुला > 16:52 से 19:04 तक
वृश्चिक > 19:04 से 21:32 तक
धनु > 21:32 से 23:44 तक
मकर > 23:44 से 01:22 तक
कुम्भ > 01:22 से 02:42 तक
मीन > 02:42 से 04:04 तक
===================
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्क
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट—जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट-अहमदाबाद-8मिनट
कोटा +5 मिनट—-मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान—-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
14 + 1 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩ग्रह मुख आहुति ज्ञान 🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
14 + 14 + 5 = 34 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 20:01 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*श्री नृसिंह जयंती*
*मातृ दिवस*
*श्री आद्यशंकराचार्य कैलाश गमन*
*छिन्नमस्ता जयंती*
*💮🚩शुभ विचार 🚩💮*
विद्यार्थी सेवकः पान्थः क्षुधार्तो भयकातरः ।
भाण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत् ।।
।। चा o नी o।।
इन सातों को जगा दें यदि ये सो जाए…
१. विद्यार्थी
२. सेवक
३. पथिक
४. भूखा मनुष्य
५. डरा हुआ मनुष्य
६. खजाने का रक्षक
७. खजांची
*🚩🚩 सुभाषितानि 🚩🚩*
गीता -:श्रद्धात्रयविभागयोग :- अo-17
यज्ञे तपसि दाने च स्थितिः सदिति चोच्यते।,
कर्म चैव तदर्थीयं, सदित्यवाभिधीयते॥,
तथा यज्ञ, तप और दान में जो स्थिति है, वह भी ‘सत्’ इस प्रकार कही जाती है और उस परमात्मा के लिए किया हुआ कर्म निश्चयपूर्वक सत्-ऐसे कहा जाता है॥,27॥,
*🚩 दैनिक राशिफल 🚩*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष–वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। गृहिणियां विशेष सावधानी रखें। रसोई में चोट लग सकती है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।
🐂वृष–अविवाहितों के लिए वैवाहिक प्रस्ताव आ सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। घरेलू कार्य समय पर होंगे। सुख-शांति बनी रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी।
👫मिथुन–स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शत्रुता में वृद्धि हो सकती है। भूमि व भवन के खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। बड़ा लाभ के योग हैं। परीक्षा व साक्षात्कार में सफलता प्राप्त होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यापार लाभदायक रहेगा। जल्दबाजी न करें।
🦀कर्क–धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी।
🐅सिंह–पुराने शत्रु सक्रिय रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद हो सकता है। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। शारीरिक कष्ट के योग हैं। लापरवाही न करें। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय-व्यापार लाभदायक रहेगा।
🙍♀️कन्या–परिवार के छोटे सदस्यों के अध्ययन तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। लापरवाही न करें। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। निवेश में विवेक का प्रयोग करें। धनार्जन होगा।
⚖️तुला–थकान महसूस होगी। शारीरिक आराम की आवश्यकता रहेगी। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। जल्दबाजी न करें। धनागम होगा।
🦂वृश्चिक–शरीर साथ नहीं देगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उत्साह बढ़ेगा। कार्य की बाधा दूर होकर स्थिति लाभप्रद रहेगी। कोई बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। प्रमाद न करें।
🏹धनु–प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में अधिकारी की अपेक्षाएं बढ़ेगी। तनाव रहेगा। कुसंगति से हानि होगी। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🐊मकर–कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि नीचा देखना पड़े। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास मनोनुकूल रहेंगे। अपनी देनदारी समय पर चुका पाएंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा।
🍯कुंभ–आशंका-कुशंका के चलते निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होगी। योजना में परिवर्तन हो सकता है। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबारी अनुबंध होंगे।
🐟मीन–अनहोनी की आशंका रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल होगी। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*