पूजा वाला सस्ता घी तो पशु चर्बी ही होता है लेकिन महंगा घी भी शुद्ध हो कोई गारंटी नहीं, श्राद्ध पक्ष का महात्म्य और लाभ, आज का पंचाग आपका राशि फल, हिजबुल्ला चीफ नसरल्ला के मारे जाने पर आतंक के आका दुखी लेकिन सुन्नी मुस्लिम देशों जैसे सीरिया आदि में खुशी! का कारण जाने

*🚩🔱❄«ॐ»«ॐ»«ॐ»❄🔱🚩*

🌞🛕🛕 *जय रामजी की*🛕🛕🌞

        🌺 *जय श्री राधेकृष्णा*🌺

       🔔 *बम महाँकाल बाबा*🔔

     🏹 *जय माँ जगदम्ब भवानी*🏹

       *🐀🐘जय श्री गणेश🐘🐀*

※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※

दिनांक :-29-सितम्बर-2024

वार :-रविवार 

तिथी :-12द्बादशी:-16:48

पक्ष:-कृष्णपक्ष

माह:-आश्विन 

नक्षत्र:-मघा:-30:18

योग:-साध्य:-24:16 

करण:-तैतिल:-16:48

चन्द्रमा:-सिंह

सुर्योदय:-06:20

सुर्यास्त:-18:11

दिशा शुल…..पश्चिम

निवारण उपाय:-जौं का सेवन

ऋतु :-शरद् ऋतु 

गुलीक काल:-15:16से 16:45

‌राहू काल:-16:45से18:15

अभीजित….11:53से12:41

विक्रम सम्वंत ………2081

शक सम्वंत …………1946

युगाब्द ………………5126

सम्वंत सर नाम:-कालयुक्त 

       🌞चोघङिया दिन🌞

चंचल:-07:49से09:18तक

लाभ:-09:18से10:47तक

अमृत:-10:47से12:17तक

शुभ:-13:46से15:16तक

      🌓चोघङिया रात🌗

शुभ:-18:15से19:45तक

अमृत:-19:45से21:16तक

चंचल:-21:16से22:47तक

लाभ :-01:48से03:18तक

शुभ :-04:49से06:19तक               

  🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 174वाँ दिन, सन्यासी श्राद्ध, द्बादशी-मघा श्राद्ध, यमघण्टयोग सूर्योदय से 30:18, गजच्छाया योग 16:48 से 30:23,

        🌺👉 टिप्स 👈🌺    

 श्राद्ध का कार्य दोपहर के समय करना चाहिए।                            

  🌹सुविचार🌹

परेशानियां ही हैं जो  को जीवन जीने का सही अर्थ समझाती हैं। इसीलिए परेशानी विचलित नहीं होना अपितु उस समय सूझबूझ से काम लेना👍

   *💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*

*गले के दर्द के लिए घरेलू उपचार :-*

*1. गले के दर्द में गर्म पानी से गरारे करें -*

गले के दर्द में सबसे पहले आप गर्म पानी में नमक मिला कर गरारे करें। नमक मिला गर्म पानी आपके गले में इंफेक्शन से होने वाली सूजन को कम करता है। आप दिन में तीन घंटे के अंतराल पर गर्म पानी के गरारे कर सकते हैं। 

*2. गर्म दूध में हल्दी मिला कर पिएं :-*

गले के दर्द और सूजन में गर्म चीज़ें जैसे गर्म दूध और गर्म पानी बहुत आराम देते हैं। अगर गले में दर्द की वजह से खाने और पीने में परेशानी होती है, तो आपको गर्म दूध में थोड़ी हल्दी मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है। इससे दूध के आवश्यक तत्व भी मिल जाते है और हल्दी के एंटी-सेप्टिक, पीड़ानाशक फायदे भी मिल जाते हैं और साथ ही संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं।

*3. गले के दर्द में तुरंत आराम दे मसाला चाय :-*

लौंग, तुलसी, अदरक और काली मिर्च को पानी में मिलाकर उबालें और इसके बाद इसमें चाय पत्ती डालकर इसकी चाय बनाएं। इस मसाला चाय भी गले के लिए बहुत लाभदायक होती है, जिससे गले के दर्द में तुरंत आराम मिलता है और चाय को गरम ही पीएं। 

*4. गले की दर्द और सूजन को दूर करे मुलेठी :-*

मुलेठी औषधीय गुणों से भरपूर होती है, जो घरों में आसानी से मिल जाती है। गले में दर्द से बचने के लिए आप दिन में मुलेठी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर कुछ देर चबा सकते है। इससे आपके गले की दर्द और सूजन दोनों दूर होते है।

      *🐑🐂 राशिफल🐊🐬*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*

*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*

पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। अध्यात्म में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी। लाभ की स्थिति बनेगी। कुसंगति से बचें। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा।

 

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*

*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*

किसी व्यक्ति विशेष से विवाद हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। आय में निश्चितता रहेगी। चोट व दुर्घटना से हानि से हानि की आशंका है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। निवेश व यात्रा आदि में जल्दबाजी न करें। आलस्य रहेगा। 

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*

*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*

राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यस्तता के चलते थकान हो सकती है। विवाद से दूर रहें। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट, उपहार व यात्रा आदि पर व्यय होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। 

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*

*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*

भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त लाभदायक रहेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्थायी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। नए संपर्क बनेंगे। शत्रु पस्त होंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम न उठाएं। 

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*

*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*

विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। संगीत इत्यादि कार्यों में रुचि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। विद्यार्जन के मौके मिलेंगे। किसी आशंका के चलते निर्णय लेने में दिक्कत हो सकती है। 

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*

*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*

निवेश व यात्रा इत्यादि में हानि की आशंका है। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। भागदौड़ रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। कोई बुरी खबर प्राप्त हो सकती है। अपेक्षित कार्यों में विलंब होने से चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। 

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*

*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*

शत्रुओं का पराभव होगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। नए काम मिलेंगे। मित्रों तथा रिश्तेदारों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। 

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*

*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*

पारिवारिक चिंता में वृद्धि हो सकती है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। कोई बड़ा कार्य करने का मन बनेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। 

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*

*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*

व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। भरपूर प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। प्रमाद न करें। 

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*

*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*

जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। धैर्य रखें। 

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*

*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*

यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं, प्रयास करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। डूबी हुई रकम प्राप्त होने के योग हैं। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। प्रसन्नता रहेगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*

*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*

सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। भाग्य की अनुकूलता का लाभ लें। भरपूर प्रयास करें। योजना फलीभूत होगी। नए व्यापारिक अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।

      *🎊🎉🎁 आज जिनका जन्मदिवस या विवाह वर्षगांठ हैं उन सभी मित्रो को कोटिशः शुभकामनायें🎁🎊🎉*

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       *😍आपका दिन शुभ हो😍*

     *🚩जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम🚩*

  _*👸🏻बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ👧🏻*_

पूजा के समान के नाम पर कसाईयों का बहुत घोटाला और षड्यंत्र बड़ा चल रहा है पूजा वाला घी पूजा वाला तेल खाने योग्य नहीं पूजा वाली सामग्री खाने योग्य नहीं तो यह जब कोई चीज खाने योग्य नहीं है तो वह भगवान को अर्पण क्यों कर रहे हो आपको शुद्ध घी नहीं मिल रहा है तो शुद्ध तेल चढ़ाओ ना भगवान आप यदि तेल भी आपको नहीं मिल रहा है तो धूप लगाओ अगरबत्ती भी केवल मुसलमान मुर्दों को लगती है उस पर बांस होता है जिसे जलने से दमा रोग और फेफड़ों का कैंसर होता है इसलिए हमारे शास्त्रों में बांस जलाना प्रतिबंधित है। इसलिए अशुद्ध वस्तु मांसाहारी वस्तु को बिल्कुल भी मंदिर में ना ले जाए और न छुए ना स्पर्श करें यदि कोई कहता है कि केवल पूजा के लिए तो समझ लीजिए उसमें कोई कसाई का उत्पाद है। पूजा के लिए अपने घर का बना घी का उपयोग सर्वोत्तम होता है। नहीं तो केवल पतंजलि या अमूल का लें। क्योंकि बाजार में अनेक नामों से नकली घी बिक रहा है इस घी को कानपुर आदि चमड़ा कसाई खानों में उपलब्ध चर्बी व हड्डियों को उबाल कर या मशीनों में प्रोसेस कर या सूअर भैंस गाय आदि की चर्बी को पिघलाकर निकाला जाता है। ऐसे में जब मिलावटी घी को दानेदार बनाया जाता है तो उसमें परत और चिकनाहट लाने के लिए पशुओं की चर्बी का बहुत प्रयोग किया जाता है। और उनकी चर्बी को पिघला कर घी में डाला जाता है। ऐसे में यह पहचान पाना बहुत कठिन हो जाता है कि असली घी कौन सा है और नकली घी कौन सा है। सस्ता घी तो पशु चर्बी ही होता है लेकिन महंगा घी भी शुद्ध हो कोई नहीं कह सकता। 

पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक पिंडदान और तर्पण को श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्ध की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसकी मान्यताओं को लेकर तमाम मतभेद हैं। वैदिक ग्रंथों में श्राद्ध शब्द का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन एक शब्द पितृयज्ञ को विस्तार मिला, जिसे आगे चलकर पितरों से जोड़ा गया, जिसे श्राद्ध कहा जाने लगा।

श्राद्ध परंपरा का कोई तथ्यात्मक प्रमाण नहीं मिलता है। इसकी मान्यताओं को लेकर तमाम मतभेद है। वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इसके बारे में अलग-अलग वर्णन मिलता है। पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक चलता है।

ऋग्वेद में उल्लेख

ऋग्वेद में पितृ-यज्ञ का उल्लेख मिलता है और विभिन्न देवी देवताओं को संबोधित वैदिक ऋचाओं में अनेक पितरों तथा मृत्यु की प्रशस्ति में गाई गई हैं। ऋग्वेद के दसवें मंडल में एक पितृ सूक्त है, जिससे पितरों का आह्वान किया जाता है, वे वंशजों को धन, समृद्धि एवं शक्ति प्रदान करें। अत्यंत तर्कशील एवं संभव अनुमान यह निकाला जा सकता है कि पितरों से संबंधित कार्य के विशिष्ट नाम की आवश्यकता प्राचीन काल में नहीं समझी गई। जब पितरों के सम्मान में किए गए संख्या में अधिकता हुई तब श्राद्ध शब्द की उत्पत्ति हुई।

यहां से हुआ आरंभ 

संस्कृत से विद्यावारिधि (पीएचडी) करने वाले व्याकरणाचार्य डा. गायत्री प्रसाद पांडेय ने बताया कि वाल्मिकि रामायण और रामचरित मानस के अनुसार त्रेता युग में श्रीराम ने और द्वापर में महाभारत के अनुशासन पर्व की एक कथा के अनुसार अत्रि मुनि का श्राद्ध के बारे में चर्चा मिलती है। उसके बाद श्राद्ध परंपरा शुरू हुई। यह परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है, लेकिन विष्णुधर्मोत्तर पुराण कुछ अलग ही बताता है, जिसकी तुलना सार्थक और अन्य से भिन्न है।

इसलिए तीन पिंड

डा. पांडेय ने बताया कि मार्कडेय ऋषि द्वारा रचित विष्णुधर्मोत्तर पुराण में बताया गया है कि श्राद्ध प्रथा का संस्थापन विष्णु के वराह अवतार के समय हुआ और विष्णु को पिता, पितामह और प्रपितामह को दिए गए तीन पिंडों में अवस्थित मानना चाहिए। इससे अनुमान लगाया जा सकता है। यह मानव जाति के पिता मनु के समान ही प्राचीन है। उन्होने पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो भागों से पुरुष और स्त्री की उत्पत्ति की थी। पुरुष का नाम स्वयंभुव मनु और स्त्री का नाम शतरूपा था। मनु और शतरूपा की संतानों से ही संसार के सभी लोगों की उत्पत्ति हुई।

संभवतया तभी से यह परंपरा शुरू हुई, क्योंकि मृत जनों का ही श्राद्ध किया जाता है। डा. पांडेय ने तमाम ग्रंथों की रचना की है ,जिसमें संस्कृत में सात ग्रंथ के अलावा संस्कृत में भाष्य एवं अनुदित दो ग्रंथ अष्टवक्रगीता-रहस्यम,(दर्शन ग्रंथ) और श्रीमदभागव महापुराणम (धर्म गंथ), दो हिंदी ग्रंथ,एवं कई ग्रंथों का संपादन किया है। डा. पांडेय को उनकी रचना के लिए नौ पुरस्कार मिले हैं, जिसमें मुख्यरूप से प्रदेश सरकार द्वारा अष्टवक्रगीतारहस्यम कृति के लिए विशेष पुरस्कार, संस्कृत संस्थान से यायावरीयम, बाणभट्ट, व्याकरण एवं वेदांत, धर्मसंघ वारणसी से ‘करपात्र गौरव’, श्रीकोडिमठ संस्कृत साहित्य पुरस्कार शामिल हैं।

वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के अनुसार त्रेतायुग में जन्में श्री राम के द्वारा पिता राजा दशरथ का श्राद्ध करना बताया गया है, जबकि पिंडदान आदि का संपादन माता सीता ने किया। उन्होंने बताया कि पिंडदान, तर्पण का एक समय निर्धारित होता है। उसी समय के भीतर करना उत्तम माना जाता है। माता सीता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर गया में फल्गु नदी के किनारे श्री दशरथ जी महाराज का पिंडदान कर दिया। इससे राजा दशरथ की आत्मा प्रसन्न हुई और सीता जी को आशीर्वाद दिया।

महाभारत के अनुसार महाभारत के अनुशासन पर्व की एक कथा के मुताबिक माना जाता है कि (गरूण पुराण) अत्रि मुनि ने सबसे पहले श्राद्ध के बारे में महर्षि निमी को ज्ञान दिया था। उन्हीं के बाद अन्य ऋषि-मुनियों ने इसका आरंभ किया । इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को पांडवों के श्राद्ध करने की बात का उल्लेख मिलता है, तो कहीं दानवीर कर्ण को इस परंपरा का आरम्भ बात कही जाती है।

✍️ *इस्त्राइल की मोसाद और आईडीएफ द्वारा हिजबुल्ला चीफ नसरल्ला उसकी बेटी जैनब सहित हिजबुल्ला के 6 टॉप कमांडर मारे जाने के शुभ समाचार से कश्मीर में आतंक वादियों के आका हुए दुखी, महबूबा मुफ्ती ने खेला विक्टिम कार्ड, कल हिजबुल्ला चीफ के शोक में प्रचार नहीं करेंगी विश्व के अनेक देशों से भी 72 हूर कम्पनी के आका दुखी हैं कई तो वैंजामिन नेतन याहू की फोटो आते ही अपने टीवी फोड़ रहे हैं 🤣😂

इस शुभ घटना से मुसलमानों में आपसी फूट भी उजागर हुई है!

ये हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद साफ हो गया!

मुसलमानों के अंदर शिया और सुन्नी में भयावह रूप से आपसी दुश्मनी है।

शिया, सुन्नी के खून के प्यासे हैं और सुन्नी, शिया के खुन के प्यासे हैं!

शिया आतंकवादी हसन नसरल्लाह के मारे जाने से जहां शिया मुस्लिम वर्ल्ड में गम का माहौल है, वहीं सुन्नी बाहुल्य देश सीरिया में उसकी मौत पर मिठाईयां बांटी गई हैं!

सीरिया के सुन्नी मुस्लिम मस्जिदों से जश्न का ऐलान कर रहे हैं!

अब पूरी दुनिया में मुसलमानों की आपसी दुश्मनी खुलकर सामने आ गयी है।