आयुष्मान भारत और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति : भांग की खेती के वे लाभ जिन्हें अंग्रेजी शराब लाबी के दबाव में न केवल छिपा दिये अपितु अपूरणीय क्षति उठाई है

✍️डाॅ0 हरीश मैखुरी

आयुर्वेद के अनेक ग्रन्थों के अनुसार भांग एक महा औषधि है भांग मनुष्य को डिप्रेशन से बचाती है यह गैस्ट्राइटिस की अचूक औषधि है भांग से हमारा नर्वस सिस्टम ठीक रहता है भांग कैंसर की भी विशेष औषधि है इसीलिए भांग को शिवप्रिया कहा जाता है। भांग को  आयुर्विज्ञान में अनेक तरह की औषधियों में प्रयोग किया जाता रहा है, भांग अधरंग यानी पैरालिज़ेशन की उत्तम औषधि है। यह लीवर को डिटॉक्स करती है इससे फैटीलीवर पुन: सामान्य हो जाता है। भांग हृदय रोग में लाभकारी और पित नियंत्रित करती है जिससे रक्तचाप सामान्य होता है। आयुर्वेद के अनुसार भांग के पत्तों से डाइजेशन सही होता है। सुबह खाली पेट भांग की दो से तीन पत्तियों को चबाने से पाचन शक्ति सही होती है। शरीर के किसी हिस्से पर घाव हो गया है और जख्म सही नहीं हो रहा तो भांग की पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है। भारत में परंपरागत रूप से भांग के पत्तों की गोली बाजारों में यत्र तत्र बिकती थी जिसे अंग्रेजी शराब लाबी के दबाव में न केवल बंद किया गया अपितु भांग को नारकोटिक एक्ट में भी डाल दिया गया।

एक एकड़ भांग (हैंप) एक एकड़ जंगल की तुलना में 25% अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है और लगभग दोगुनी सेल्यूलोज़ की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
एक एकड़ भांग केवल 6 महीनों में उग जाता है, जबकि जंगल को कटाई योग्य बनने में दशकों लगते हैं।
भांग से कागज बनाकर, हम हर साल लाखों हेक्टेयर जंगलों को बचा सकते हैं।
भांग का उपयोग वस्त्र निर्माण, निर्माण कार्य और यहां तक कि जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) के रूप में भी किया जा सकता है।

स्वतंत्रता के बाद राजस्व प्राप्ति के लिए सरकारें बड़ी बेशर्मी के साथ शराब की दुकानदार बन गई है और शराब माफिया बन चुकी सरकारों ने भारत की बहुत सारी परंपरागत औषधियां भांग अफीम धतूरा आदि को न केवल तिरोहित किया बल्कि नारकोटिक एक्ट में भी डाल दिया। ताड़ी पीना भी कहीं कहीं प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे जहां लोगों ने भांग खेती-बाड़ी के त्याग दी हैं वहीं लोग ₹5 की भांग की जगह 15 सौ रुपए की शराब की बोतल पीने को विवश हैं। भांग की खेती के वे लाभ जिन्हे अंग्रेजी शराब लाबी के दबाव में न केवल छिपाया गया अपितु हमने अपूरणीय क्षति भी उठाई है। भांग के पत्तों के अर्क के नशे में बहुत से जरासीम नष्ट करने की अद्भुत क्षमता है। माना भांग को कुछ लोग नशे के लिए प्रयोग करते हैं लेकिन यह सरकारी शराब, कोकीन अफीम सफेदा सरेस आदि नशे के अन्य साधनों की अपेक्षा कम हानिकारक और सबसे सुरक्षित नशा है। 

आयुर्वेद को चिकित्सा की एक समग्र प्रणाली बताया गया है जिसका प्रयोग हज़ारों सालों से किया जा रहा है। यह पद्धति शरीर, मन, आत्मा और पर्यावरण के बीच संतुलन को बढ़ावा देती है। आयुर्वेदिक उपचार करने वाले लोग अक्सर बीमारियों का इलाज करने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए हर्बल यौगिकों (आयुर्वेदिक दवाओं) का उपयोग करते हैं। आयुर्वेदिक औषधियाँ जड़ी-बूटियों से बनी दवाएं होती हैं। आयुर्वेद, भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है।

आयुर्वेदिक भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है इसकी औषधियों में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। आयुर्वेदिक औषधियों से हृदय रोग और गठिया (संधि वात) चर्म रोग जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।आयुर्वेदिक औषधियों में शिलाजीत और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां भी हैं। आयुर्वेदिक औषधियाँ तनाव कम करने और शक्ति बढ़ाने में सहायक होती है। आयुर्वेदिक औषधियों से दर्द, खून की कमी, थकान, कमज़ोरी को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करने से पहले, आयुर्वेदिक डॉक्टर अथवा वैदकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए। 

आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयुक्त कुछ और उपचार: आहार, मसाज, हर्बल चिकित्सा, मालिश, एक्यूपंक्चर, भाप स्नान, बस्ती और पंचकर्म, योग, आंतरिक सफ़ाई (थेराप्युटिक एलिमिनेशन उन्मूलन)पंचकर्म, प्राणायाम आदि महत्वपूर्ण हैं।आप जो भी दवाइयां ले रहे हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को दिखाएं, उनके अवयवों के बारे में जानें तथा सुनिश्चित करें कि आप इस बात पर भरोसा कर सकें कि उत्पाद में सीसा, आर्सेनिक या पारा नहीं है।

छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली दवाओं के बारे में विशेष रूप से सावधान रहें। आहार विहार के माध्यम से अपना संतुलन बनाए रखें, जैसे स्वस्थ आहार खाना, व्यायाम करना और रिश्तों को सुदृढ़ बनाए रखना।

अब आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण प्रायः नियामक की देखरेख में किया जाता है, आज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति बहुत उन्नत और सुरक्षित हो गयी है। फिर भी उपभोक्ताओं को पूर्ण सुरक्षा जानकारी से निर्णय लेना चाहिए कि उन्हें इनका उपयोग करना है या नहीं। वहीं ऐलोपैथी ने अब पूरी तरह व्यावसायिक रूप धारण कर लिया है यह उपचार मंहगा और साईड इफैक्ट वाली पद्धति के रूप में आयी है, इसलिए आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ रही है। 

संदर्भ- निघंटु, सारंधर्संहिता अष्टांगहृदययम्, आयुर्वेद एवं यजुर्वेद।