आज का पंचाग आपका राशि फल, तीन त्‍योहारो की सौगात एक साथ :- यम द्वितीया, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा जाने महात्म्य और पूजा विधि विधान और लाभ

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शनिवार, ६ नवम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:३६
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२९
चन्द्रोदय: 🌝 ०८:००
चन्द्रास्त: 🌜१८:४२
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु:शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 द्वितीया (१९:४४ तक)
नक्षत्र 👉 अनुराधा (२३:३९ तक)
योग 👉 शोभन (२३:०५ तक)
प्रथम करण 👉 बालव (०९:२८ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (१९:४४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
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सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 वृश्चिक
मंगल 🌟 तुला (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 तुला (उदित, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३९ से १२:२२
अमृत काल 👉 १४:२६ से १५:५१
विजय मुहूर्त 👉 १३:४९ से १४:३२
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१५ से १७:३९
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३४ से २४:२७
राहुकाल 👉 ०९:१७ से १०:३९
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:२२ से १४:४३
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (२३:३९ से)
अग्निवास 👉 पाताल (१९:४४ से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 उत्तर
शिववास 👉 गौरी के साथ (१९:४४ से सभा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ
३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ
७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग
३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग
७ – काल ८ – लाभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पूर्व-उत्तर (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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भाईदूज, यमद्वितीया, चंद्रदर्शन, विश्वकर्मा-चित्रगुप्त पूजा, वाहनादि क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर १२:१० से सायं ०४:१६ तक, व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०८:०३ से ०९:२६ तक, गृहप्रवेश मुहूर्त प्रातः ११:४८ से दोपहर १२:३२ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज २३:३९ तक जन्मे शिशुओ का नाम
अनुराधा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (नी, नू, ने) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (नो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २९:०६ से ०७:२७
वृश्चिक – ०७:२७ से ०९:४६
धनु – ०९:४६ से ११:५०
मकर – ११:५० से १३:३१
कुम्भ – १३:३१ से १४:५७
मीन – १४:५७ से १६:२०
मेष – १६:२० से १७:५४
वृषभ – १७:५४ से १९:४९
मिथुन – १९:४९ से २२:०४
कर्क – २२:०४ से २४:२५
सिंह – २४:२५ से २६:४४
कन्या – २६:४४ से २९:०२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०६:३५ से ०७:२७
शुभ मुहूर्त – ०७:२७ से ०९:४६
रोग पञ्चक – ०९:४६ से ११:५०
शुभ मुहूर्त – ११:५० से १३:३१
मृत्यु पञ्चक – १३:३१ से १४:५७
अग्नि पञ्चक – १४:५७ से १६:२०
शुभ मुहूर्त – १६:२० से १७:५४
मृत्यु पञ्चक – १७:५४ से १९:४४
अग्नि पञ्चक – १९:४४ से १९:४९
शुभ मुहूर्त – १९:४९ से २२:०४
रज पञ्चक – २२:०४ से २३:३९
शुभ मुहूर्त – २३:३९ से २४:२५
चोर पञ्चक – २४:२५ से २६:४४
शुभ मुहूर्त – २६:४४ से २९:०२
रोग पञ्चक – २९:०२ से ३०:३५
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन परिवार अथवा कार्य क्षेत्र पर पूर्व में बरती किसी अनियमितता के चलते अव्यवस्था अथवा अन्य उलझन बढ़ने का भय दिन के आरंभ से ही लगा रहेगा। दिन के आरंभ में पूर्व की गतिविधियों का अवलोकन करेंगे इन में सुधार करने का निर्णय लेंगे लेकिन परिस्थितिवश ऐसा कर नहीं पाएंगे। कार्यक्षेत्र पर आज किसी न किसी रूप में परिजन अथवा अन्य पैतृक संबंधी ही बाधक बन सकते हैं। लाभ कमाने के लिए आज जोखिम से ना घबराए जिस कार्य में झंझट लगेगा उससे बाद में कुछ ना कुछ लाभ अवश्य मिलेगा। धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी। लेकिन बिना मानसिक एवं बौद्धिक परिश्रम किए सफल नहीं हो सकते। दांपत्य जीवन में आज सुख की कमी अनुभव होगी धैर्य से आज का दिन बताए रात्रि के बाद वातावरण में स्वत ही परिवर्तन आने लगेगा। किसी कुटुंबी जन के कारण यात्रा हो सकती है। सेहत में छुटपुट विकार लगे रहेंगे।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए धन-धान्य में वृद्धि कार्य करेगा। आज आपके स्वभाव में सुखोपभोग की इच्छा भी प्रबल रहेगी। इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार भी रहेंगे। लेकिन आज विपरीतलिंगी आकर्षण एवं अभद्र भाषा के प्रयोग से बचना होगा अन्यथा सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान के साथ शत्रुओं में वृद्धि भी हो सकती है। कार्य क्षेत्र से आज आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलेगा। जिस कार्य से उम्मीद नहीं रहेगी वह भी धन लाभ करा देगा। सहकर्मियों के प्रति नरम व्यवहार रखें छोटी-छोटी बातों पर शक करना आपको ही परेशानी में डाल सकता है। घरेलू वातावरण कामना पूर्ति करने पर कुछ समय के लिए शांत रहेगा फिर भी परिजन किसी ना किसी बात को लेकर नाराज हो सकते हैं। आज भी शरीर में त्रिदोष के असंतुलन से पीड़ा हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन भी किसी ना किसी प्रसंग को लेकर आपका मन राग-द्वेष से भरा रहेगा। आपकी दिनचर्या भी अन्य दिनों से धीमी रहेगी एक बार किसी कार्य में विलंब होने पर अन्य कार्य भी अव्यवस्थित हो जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर स्वयं तो लापरवाही करेंगे अन्य लोगों भी आपकी देखा देख कार्य में विलंब करेंगे। कार्यक्षेत्र पर परिस्थितियां पल-पल में बदलेंगी एक पल जहां से लाभ की संभावना रहेगी अगले ही पल वहां से निराश होना पड़ेगा। आज आप स्वयं के बलबूते निर्णय लें तो कुछ ना कुछ लाभ अवश्य होगा अन्यथा गलत मार्गदर्शन मिलने से हानि ही निश्चित है। कई दिनों से अटके सरकारी कार्य अथवा सरकारी उलझनों में कुटुंब का सहयोग मिलने से मुक्ति मिल सकती है। दांपत्य जीवन में भी अन्य दिनों की अपेक्षा शांति का अनुभव होगा। संध्या के समय उत्तम भोजन मिष्ठान आदि का सुख मिलेगा। सेहत मौसमी बीमारियों के चलते थोड़ी नरम रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए कोई नई समस्या लेकर आएगा। बुद्धि विवेक होते हुए भी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। घर में संतान के कारण कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। संतानों का अनापेक्षित अथवा उद्दंड व्यवहार मन को दुखी कर सकता है। कार्य क्षेत्र पर आपका कुशल व्यवहार एवं निर्णय लेने की क्षमता लोगों को पसंद आएगी लेकिन लाभ प्राप्त करने के लिए सहयोगी नहीं बनेगी। आज किसी की खुशामद अथवा कुछ उटपटांग कार्य करके ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु इससे शत्रु वृद्धि भी होनी संभव है। संध्या के आस-पास दिन भर की मेहनत रंग लाएगी धन लाभ किसी ना किसी साधन से अवश्य होगा। पारिवारिक जीवन में भाई बंधुओं के अतिरिक्त अन्य किसी से कोई अपेक्षा ना रखें। मध्यान्ह बाद सुखोपभोग में वृद्धि होने से मानसिक राहत मिलेगी सेहत मानसिक तनाव को छोड़ सामान्य ही रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आप व्यर्थ के प्रपंचों में पड़कर खराब करेंगे या तो जल्दी से किसी कार्य को हाथ में नहीं लेंगे लेंगे तो उसमें अपनी मनमानी ही करेंगे। दोपहर तक का समय व्यर्थ की भागदौड़ में खराब होगा इसके बाद का समय आपके लिए लाभदायक रहेगा। लेकिन स्वभाव की लापरवाही एवं व्यवहारिकता की कमी के कारण इसका उचित पूर्ण लाभ नहीं उठा पाएंगे। कार्य क्षेत्र पर लोग आपकी उदारता का अनुचित फायदा उठा सकते हैं। सहकर्मी एवं अधिकारी वर्ग भी आपके ऊपर सामर्थ्य से अधिक बोझ डालेंगे जिससे सुविधा अनुभव होगी। संध्या के आसपास किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता मिलने पर दिनभर की उलझनों को भूल जाएंगे। पारिवारिक वातावरण में थोड़ी बहुत छींटा कशी लगी रहेगी फिर भी कोई आपके सामने सर उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। सर्दी जुखाम से परेशानी होगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप बीते समय से मिल रही निराशा एवं असफलता के कारण धर्म से विमुख हो सकते हैं। दिन के आरंभिक भाग में थोड़ी शांति रहेगी। लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते विविध उलझनों में फंस जाएंगे फिर भी बीते कल की तुलना में आज थोड़ी राहत का अनुभव भी होगा। कार्यक्षेत्र पर किसी पुराने संपर्क द्वारा मिली सहानुभूति जीवन को नई राह दिखाएगी। व्यवसाई वर्ग को अधूरे कार्य पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। लेकिन धन लाभ इकट्ठा ना होकर थोड़ा-थोड़ा होगा इसलिए कार्यक्षेत्र पर अधिक सतर्कता बरतनी पड़ेगी। अन्यथा आपके हिस्से का लाभ एवं कोई नया सौदा किसी प्रतिस्पर्धी को मिल सकता है। पुरानी उधारी एवं अन्य खर्चों के कारण बचत नहीं कर पाएंगे। घरेलू मामलों में अति आवश्यकता होने पर ही अपने विचार रखें छोटी-छोटी बातों पर अनबन हो सकती है। नेत्र संबंधित समस्या अथवा रक्त पित्त विकार उत्पन्न होंगे। अनदेखा ना करें अन्यथा आगे परेशानी बढ़ भी सकती है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भी बीते कल की भांति ही मिला-जुला फल देगा। आज दिन के आरंभिक भाग में काम करने का मन नहीं करेगा प्रत्येक कार्य में आलस से करेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी विलंब होगा लेकिन थोड़ी देर में ही स्थिति को संभाल लेंगे। आज किसी परिचित को आपसे आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन स्वयं की ही स्थिति ठीक ना होने के कारण इसे टालने का प्रयास करेंगे फिर भी परोपकारी स्वभाव रहने के कारण मदद करेंगे। आज तेल संबंधित अथवा दूध से संबंधित उत्पाद भूमि भवन संबंधित कार्य में निवेश निकट भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी बातों को छोड़ सामान्य ही रहेगा। माता से कोई मनोकामना पूर्ण होने पर जिद बहस हो सकती है। लेकिन भाई बंधुओं से बहस का सामर्थ नहीं बना पाएंगे। घर में यात्रा की योजना बनेगी शीघ्र ही इस पर खर्च भी करना पड़ेगा। सर्दी जुखाम की परेशानी हो सकती।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए बेहतर रहने वाला है। लेकिन आज आपके स्वभाव में स्वार्थ सिद्धि की भावना आवश्यकता से कुछ अधिक ही रहेगी। अपने काम निकालने के लिए परिजनों का सहारा लेंगे जाने-अनजाने किसी पारिवारिक सदस्य का अहित भी कर सकते हैं। स्वभाव में दिखावे की भावुकता रहने से जल्दी से कोई आपके कार्य के लिए मना नहीं करेगा। कार्यक्षेत्र पर भी भाग्य का सहारा मिलने से निश्चित ही धन की आमद होगी। लेकिन किसी सरकारी उलझन अथवा अन्य सरकार संबंधित खर्चे बढ़ने से बचत नहीं कर पाएंगे। कार्यक्षेत्र अथवा कुटुंब में किसी के विपरीत व्यवहार का भी सामना करना पड़ेगा इस को अनदेखा करें अन्यथा अपने मूल उद्देश्य से भटक सकते हैं। आज मौसम जनित बीमारी अथवा छाती के निचले हिस्सों में कुछ ना कुछ समस्या उत्पन्न होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी आपके लिए प्रतिकूल फलदायक है। बीते दिनों जिन लोगों से आप को किसी न किसी रूप में मानसिक कष्ट मिल रहा था आज उनको अपने हिसाब से उत्तर देंगे। जिस वजह से आज भी किसी न किसी का विरोध देखना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र पर मत मध्यान तक व्यर्थ की गतिविधियों में लिप्त रहेंगे जिनका दैनिक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं रहेगा। दोपहर के बाद किसी वरिष्ठ सामाजिक व्यक्ति का सहयोग मिलने से अपनी योजनाओं को दिशा दे पाएंगे लेकिन धन की आमद आज आवश्यकता से भी कम ही होगी। कोई अक्समात कार्य आने से किसी से उधार भी लेने की नौबत आ सकती है। पारिवारिक वातावरण कुछ समय को छोड़ ठीक ही रहेगा। मन में प्रतिशोध की भावना ना रखें अन्यथा फल विपरीत भी हो सकते। आज मांसपेशियों अथवा शरीर के जोड़ों संबंधित समस्या हो सकती है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके अनुकूल है। बीते हुए कल की तुलना में आज उसके विपरीत फल मिलेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर अपने शुभ आचरण एवं परोपकारी स्वभाव के चलते सम्मान के पात्र बनेंगे। कार्यक्षेत्र पर भी अपने बुद्धि विवेक से बिगड़े कार्य को बनाने की क्षमता रखेंगे। जिससे अधिकारी वर्ग आपसे प्रसन्न रहेंगे लेकिन सहकर्मी क्यों में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होगा। पठन पाठन अथवा इससे संबंधित किसी अन्य व्यवसाय से जुड़े जातकों को मध्यान्ह के समय अपमानित होना पड़ेगा। लेकिन संध्या के समय कुछ विशेष लाभ होने से इस को भूल जाएंगे। आप अपने पराक्रम से जितना भी धन कमाएंगे वह किसी न किसी कार्य में खर्च हो जाएगा। भविष्य के लिए बचत ना कर पाने का दुख होगा। घर परिवार में आनंद का वातावरण रहेगा। परिजन किसी पर्यटन क्षेत्र की यात्रा के लिए जिद कर सकते हैं। गिरने कटने सके चोट का भय है सतर्कता से कार्य करें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज दिन के आरम्भ से लेकर दोपहर तक आपको विविध प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। किसी भी कार्य को करने का प्रयास करेंगे उसमें आर्थिक कारणों से व्यवधान आएंगे धन का प्रबंध कहीं से कर भी लेंगे तो कोई ना कोई अन्य बाधा कार्य को पूर्ण होने से रोकेगी। कार्यक्षेत्र पर भी प्रतिस्पर्धी हावी रहेगे जिसके चलते आज धन लाभ होते होते अंतिम चरण में या तो टलेगा या आशा से बहुत कम होगा। किसी भी प्रकार के नए कार्य में निवेश से बचे ना ही आज कोई नई वस्तु खरीदें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। नौकरीपेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें आपकी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर लगाए हुए हैं। दांपत्य जीवन में आपके किसी अनैतिक कृत्य को लेकर झगड़ा हो सकता है। पेट में गर्मी होने से अन्य विकार उत्पन्न होंगे। यात्रा में सतर्कता बरतें चोट आदि का भय भी है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन बीते कल की तुलना में राहत भरा रहेगा सेहत में थोड़ा सुधार आएगा। फिर भी सेहत से संबंधित लापरवाही से बचें खासकर ज्यादा परिश्रम वाले कार्य ना करें। परिवार में आज पैतृक कारणों से खींचतान लगी रहेगी संध्या तक इसको अनदेखा करने का प्रयास करें इसके बाद स्थिति स्वतः ही सुधरने लगेगी कार्य व्यवसाय से आज भी आशा तो काफी लगा कर रखेंगे। लेकिन सोचे कार्य अंत समय में या तो बिगड़ेंगे अथवा आगे के लिए टलेंगे। आज व्यवसाय से संबंधित कोई वादा समय पर पूरा ना करने पर मन में अपमान का भय सताएगा। दैनिक खर्चों की पूर्ति जोड़ तोड़ कर हो ही जाएगी। आज आवश्यकता पड़ने पर जीवनसाथी अथवा किसी अन्य पारिवारिक सदस्य से आर्थिक मदद लेनी पड़ेगी इस कारण ताने भी सुनने को मिलेंगे। पेट, मूत्र संबंधित व्याधि अथवा जुखाम से परेशानी हो सकती है। यात्रा टालने का प्रयास करें हानि हो सकती है
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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

 राधे राधे ॥ आज का भगवद चिन्तन
6 – 11 – 2021

*भाई दूज की मंगल बधाई*

🕉️नारी के प्रेम और सम्मान को स्मरण कराता एक और पर्व। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन बहुत समय से बिछुड़े सूर्य पुत्र यम और सूर्य पुत्री यमुना जी का मिलन हुआ था।

🕉️ कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज भाई के माथे पर तिलक कर उसे यम पाश से मुक्त कराने तक की अपनी सामर्थ्य का परिचय देती है। भाई के सुखद जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना कर बहिन सदैव उसका मंगल ही चाहती है।

🕉️ माँ, पुत्री, पत्नी, बहिन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मनुष्य जाति के लिए जो प्रेम, त्याग, समर्पण है वह अकथनीय है। पति के लिए करवाचौथ, पुत्र के लिए अहोई अष्टमी, और अब भाई की रक्षा और सलामती के लिए भैया दौज। धन्य है इस नारी के लिए, पूरे साल पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना, उनकी सलामती के लिए कुछ ना कुछ करती रहती हैं।

🕉️ मै सोचता हूँ काश बहिनों के लिए भी साल में एक त्यौहार पुरुष लोग मनाएं। गली मोहल्ले, गाँव, नगर, शहर सब जगह एक ही चर्चा हो और वो हो बहिनों की सुरक्षा की।

🕉️ बहिनों की तरफ कोई आँख उठाकर देखने की हिम्मत ना कर सके। बहिनों को आरक्षित नहीं सुरक्षित करने के अभियान चलें। ऐसा त्यौहार जिस दिन देश में मनेगा, मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

🕉️ ऐसा संकल्प लेना ही इस त्यौहार की सार्थकता होगी। बहिन भाई के पवित्र प्रेम को परिभाषित करते भाई दूज पर्व की बहुत-बहुत बधाई।

🇮🇳🌹🙏🏻🕉️ *जय श्री बजरंगबली*🙏🏻🌹🇮🇳

लगुड प्रतिपदा – कार्तिकी प्रतिपदा

कार्तिक शुक्‍ला प्रतिपदा से नव संवत्‍सर की मान्‍यता रही है। जिन क्षेत्रों में देवसेनापति स्‍कंद का प्रभाव रहा, उनमें यह संवत्‍सरारंभ तिथि रही है। आप सभी को बधाई…।

कार्तिक शुक्‍ला प्रतिपदा को लगुड प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता रहा है। यह गोवंश के पूजन का पर्व कृषि बहुल क्षेत्र में मनाया जाता रहा है। आज भी इसको ‘खेंखरा’ या ‘खेंकडा’ के नाम से मनाया जाता है। गांवों में इस दिन गोधन का शृंगार किया जाता है और सुबह गायों के क्रीडन के साथ उत्‍सव मनाकर शाम को बैलों को रमाया-खिलाया जाता है। गाेधन के गीतों और गाथाओं का गान किया जाता है। इन गाथाओं काे हीड़ कहा जाता है। ऋग्‍वेद में गोवंश के चिंतन, अभिवर्द्धन के साक्ष्‍य मिलते हैं। मेरे शोध अध्‍ययन का विषय यही रहा है।

नवीं सदी में संपादित ‘कृषि पराशर’ में इस पर्व का विशेष महत्‍व आया है और यह वर्णन सस्‍यवेद से लेकर पुराणों में विस्‍तृत फलक पाए हुए है। कहा गया है कि लगुड प्रतिपदा को गायों के सींगों में श्‍यामलता बांधकर सजाएं और तेल व हल्‍दी चढ़ाकर सजाए, उनका पूजन करें। गोपालजन गायों की बाधाओं की शांति के लिए उनके शरीर पर कुंकुम व चंदन का लेपकर तथा आभूषण धारण करवाएं। अपने हाथ में लाठी लिए घूमाएं, रमाएं। वस्‍त्रादि समपर्ति कर मुख्‍य बैल को सजाएं और गाजे-बाजे के साथ उसे गांव में घूमाएं। (कृषि पराशर 99, 100)
यह भी कहा गया है-
सर्वा गोजातय: सुस्‍था भवन्‍तयेतेन तदगृहे।
नाना व्‍याध्‍ािविमिर्मुक्‍ता वर्षमेकं न संशय:।। (कृषि पराशर 104)
ऐसा करने वाले किसान के घर का समस्‍त गाेवंश निसंदेह एक साल के लिए स्‍वस्‍थ रहता है और बाधाओं से मुक्‍त रहता है।
मेरे गांव में आज भी यह परंपरा यथारूप है। वहां गोपग्‍वाल काे बुलाकर गांव के मुखिया द्वारा उसके लगुड या दण्‍ड की पूजा की जाती है। बाद में गाेक्रीडन होता है…। संध्‍या वेला में पूरे गांव के बैलों को सजाकर उनका लंबरदार के यहां पूजन करवाया जाता है। उनके लिए सुहालिकाएं बनाई जाती हैं।
रात ढले यक्षपूजा के रूप में भारी भरकम घांस को बैलों से जाेत गांव में घूमाया जाता है…।
✍🏻श्रीकृष्ण जुगनू

दीपावली के अगले दिवस आयोजित गोधन पूजा की क्षेत्रीय विविधतायें है, इनमें बनाई जाने वाली आकृति संरचना एक पूरी नगरीय योजना का रूप लिये हुये दीखती है।
भगवान सिंह जी की आज की पोस्ट में गोधन में स्वास्तिक और बिच्छू बनाये जाने की बात तथा हड़प्पा रचनाओं से साम्य होने की बात पढ़कर मन उत्साही हो गया और एक कल्पना हुई कि स्वास्तिक का सम्बन्ध गोलपाद से है, भचक्र/खगोल के चार समान विभाग जिसमें प्रत्येक खण्ड अयन तथा विषुव को प्रदर्शित करता है और बिच्छू का वृश्चिक राशि से है। ऐसी सम्भावना प्रबल है कि सूर्य के वृश्चिक राशि में रहते हुये होने वाले शरद सम्पात् से ही इस लोकपर्व का सम्बन्ध रहा हो। क्योंकि यही वह समय है जब नई फसल हेतु तैयारियाँ आरम्भ होती हैं।
✍🏻अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी

तीन त्‍योहारो की सौगात एक साथ :- यम द्वितीया, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा

भैयादूज पर्व के बारे में बताते हुए कहा कि पौराणिक मान्यता है कि सूर्य पुत्र यम ने इस दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन कर उपहार भेंट किया था। इसके बदले यमुना ने अपने भाई यम का तिलक किया था। तभी से यह त्योहार यम द्वितीया और भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

यम द्वितीया के दिन धर्मराज की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन के उपरान्त प्रार्थना की जाती है कि ‘हे धर्मराज, आप यमुना के अग्रज है। आप और आपके सहयोगी मेरे ऊपर कृपा करें और कष्ट न दें’। इस दिन यम के निमित्त अर्घ्य देने का भी विधान है। अर्घ्य देते समय यह प्रार्थना करनी चाहिए कि ‘हे धर्मराज आप हमारा अर्घ्य ग्रहण करें’।

यम की पूजा के बाद यमुना जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन यमुना स्नान का भी विधान है। यदि किसी कारण से श्रद्धालु वहां न जा सके तो यमुना का चिन्तन कर अपने घर पर ही स्नान कर पूजन और अर्घ्य का कार्य कर सकते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भाईयों को बहिन के घर जाकर उनके हाथ का भोजन करना चाहिए और उपहार देना चाहिए। अगर सगी बहन न हो तो चचेरी बहन के घर जाकर भी भोजन कर सकते हैं।
भगवान चित्रगुप्त पूजा – यम द्वितीया और भैया दूज पर्व के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रम्हा जी ने देवताओं के यज्ञ के अवसर पर चित्रगुप्त को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त और उनकी कलम-दवात की पूजा करेगा। उसे वैकुण्ड धाम की प्राप्ती होगी।

उसी दिन से कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन भगवान चित्रगुप्त और उनके कलम-दवाज की पूजा शुरू हो गई। चित्रगुप्त जी की पूजा गन्ध, अक्षत से करने के बाद लेखनी और दवात की पूजा कर लेखनी से कुछ लिखने का कार्य किया जाता है।

सप्तधान्य : उत्पादकता की सनातन पहचान
#पूजाथाल

हमारे अनुष्ठान कृषि संस्कृति की पहचान लिए होते हैं और हर अनुष्ठान-पूजन किसी न किसी धान्य, पुष्प, धूपादि नैवैद्य से जुड़ा होता है। देश का कोई भी छोर हो, पूजा का थाल सब ही दिशि सजता है और उसमें प्रधानता और अनिवार्यत: निम्न धान्यौषधियां होती है :
१. यव (जौ)
२. गोधूम (गेहूं)
३. मुद्ग ( मूंग)
४. शालिधान्य (सांवा, साल या अक्षत)
५. धनिया या कंगुनी
६. ईख (रस, गुड़ रूप में)
७. सर्षप या तिल (पीली सरसों या तिल)

ये सप्तधान्य हैं, हालांकि देशोत्पादन के आधार पर एकाध वस्तु बदली भी जा सकती है लेकिन वह देशज ही होती है। हेमाद्रि ने चतुर्वर्ग चिंतामणि में जब इन धान्यों को सर्वसम्मत रूप से चुना तो षट्त्रिंशमत का यह श्लोक उपयोगी हुआ :

यव गोधूम धान्यानि तिला कंगुस्तथैव च।
श्यामकं चीनकंचैव सप्तधान्यमुदाहृतम्।।
(सस्यवेद : श्रीकृष्ण ‘जुगनू’, भूमिका)

सच है कि हर पूजा के थाल में सजने वाले ये धान्यादि हमारे अपने ही है, संसार को हमारी ओर से सबसे बड़ी देन है। ये सभ्यताओं के उष:काल से ही व्यवहार में रहे और निरंतर बने रहे। हम पृथु पुत्री पृथ्वी को अन्नपूर्णा मानकर कई कथाओं का आनंद लेते रहे।

हर जगह त्यौहार पर और मांगलिक अवसर पर थाल सजता है, होने उसमें नमक भी होता है लेकिन पूजन वेला में वह नमक भी मीठा बोला जाता है, यह किसी अवसर को रसमय बनाने की जुगत है, यह सब कोई जानता है मगर थाल के धान्यों यदि भेद है तो वह वहां की स्थानीय उपज को प्रतिनिधित्व है… कुछ आप भी बताइयेगा।
क से ‘कमोद’ ! कहां हैं ?
🙂
श्रीकृष्ण “जुगनू”
चावल आज बासमती के नाम से जाने जाते हैं मगर वागड का कमोद तो कमोद है। मोद से परिपूर्ण, आमोदमय आहार। यह जीभ पर इतना रचा बसा थ कि कभी जीभ से क माने कमोद निकल जाता था। आज इसकी उन्‍नत किस्‍म पैदा हो रही है मगर कभी जो देशी कमोद होता था, उसकी खेती के पास से गुजरते ही मुंह से निकलता था, यहां कहीं कमोद होना चाहिए।

कमोद का नाम और सोखा या चोखा अन्‍न।

डूंगरपुर और बांसवाडा में खूब कमोद होता रहा है। गांवों में और नगरों में भी। पाटीदार परिवार तो चावलों के लिए इतने ख्‍यात रहे कि खरीफ में और कोई फसल ले चाहें नहीं, मगर कमोद तो जरूर उगाएंगे। यहां रोटी बने न बने, कमोद जरूर पकना चाहिए। पर्वतीय ही नहीं, माही नदी का यह एक ऐसा इलाका रहा है जिसे सभ्‍यता के आलोक में चावल संस्‍कृति की पेटी कहा जा सकता है।
श्री हेरंबजी जोशी कहते हैं कि बागीदौरा के पास का पटोक इलाका कमोद की कमसिन मुस्‍कान के लिए जाना जाता रहा है।

श्री प्रफुल्‍ल गांधी कहते हैं कि खेरवाडा के आसपास आज भी कमोद होता है मगर क्‍या उसकी वही पैठ है, जो कल वाली थी। सुबह और शाम, कमोद ही नाम। मित्र दर्जनसिंहजी कहते हैं कि वागड में कभी कमोद ही आहार होता था। यहां चावल इतना होता था कि मालवा और गुजरात के पाटीदारों ने इसे उत्‍पादन इलाका मानकर अपनी बस्तियां बसाईं। मगर इसका इतिहास इससे भी पुराना है। दसवीं सदी के ताम्रपत्रों में यह चावलों की खेती के लिए पहचान लिए है। मनीषजी पांचाल खाडी देश में रहकर भी कमोद का स्‍वाद याद करते हैं, उसकी खुशबू, सौरम को भूला नहीं पाते।

सच ये भी है कि कमोद न केवल यहां के निवासियों को ही प्रिय हैं, बल्कि आंचलिक देवताओं को भी यह रुचिकर लगता है। बनकोडा के पास बडलिया के पास एक धूणी पर चावल ही चढाए जाते हैं। खासकर तब जबकि किसी का कोई चौपाया खो जाए। मनौती के नाम पर चावल का चढावा बोला जाता है और मन्‍नत पूरी होने पर अक्षत ही चढाए जाते हैं। अक्षत के माने कमोद।

सोचना ये है कि आज की उन्‍नत शीघ्र पकने और पचने वाली किस्‍म में हमारा अपना कमोद पिछड क्‍यों गया, क्‍या हमने नई नौकरी पर जाते ही अपने ही पिता और दादा की तरह कमोद को बाय-बाय कह दिया। हमें अपने मूल बीजों को जरूर उगाते रहना चाहिए, भले ही वह कम उगे मगर उसकी खुशबू में हमारी विरासत होती है।

जोरदार जवार !

क्या यह सच है कि अकेले गेहूं का सेवन मधुकारक होता है, पहले जौ की मात्रा में उसका आधा ही गेहूं मिलाकर रोटी खाई जाती थी। मेरे बचपन में दादाजी अपने हाथ से मुठ्ठी प्रमाण से दोनों अनाज मिलाकर जल चक्की पर पीसने को भेजते।

लेकिन, जवार में कुछ नहीं मिलाया जाता। जवार कभी नुकसान दायक नहीं रही। ज्वरहारी, ज्वारकारी जवार। मदर इंडिया में इसी जवार के खेत में गाया गया : दुःख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे ..

#ज्वार
भारत के पारम्परिक अनाजो में ज्वार का महत्वपूर्ण स्थान है…. हमारी कई पीढ़ियों को ऊर्जा देने का काम ज्वार ने किया है, पर अब तो हम इसे भूल से गये है… ज्वार को जोन्ना, ज्वारी,जोल आदि नामों से जाना जाता है… आज भी यह अनाज विश्व मे पांचवा स्थान रखता है,वही भारत मे तृतीय स्थान है…एक समय था कि ज्वार की रोटी के साथ ,ज्वार की राबड़ी,ज्वार के फुल्ले, आदि का सेवन बड़े चाव से किया जाता था पर अब तो कई जगह देखने को तक नही मिलती….. मालवा में जब #शादी होती है तो ज्वार के चारे से मंडप को ढका जाता रहा है पर अब यह बहुत कम मिलती है तो लोग बिना इसके ही मंडप कर लेते है.
ज्वार के #औषधीय गुणों की चर्चा करना हो तो पूरा दिन लग जाये,,,यह इतनी गुणकारी है..
. ज्वार में बहुत सारा फाइबर होता हैं. इसलिए इसे खाने से वजन नही बढ़ता हैं.।
. इसे खाने से किसी भी तरह का दिल का रोग नही होता हैं. यह डायबिटीज और क़ब्ज़ को दूर रखता हैं.।
ज्वार के कच्चे दाने पीस कर उसमे थोड़ा कत्था और चुना मिला कर लगाने से चेहरे के मुहासे दूर हो जाते हैं
✍🏼श्रीकृष्ण जुगनू

भोजपुरी में मटर हेतु पुरानी संज्ञा है केराइ। प्रभुजिन (प्रोटीन) सम्पन्न यह देसी प्रजाति गरिष्ठ होती थी, इतनी कि शारीरिक श्रम के अनभ्यस्त खा लें तो पेट अदहन हो जाता था! 🙂 जौ के साथ इसे बोया जाता था, मिश्रित उपज ‘जौ केरइया’ कहलाती थी। मुझे ज्ञात नहीं कि अनुपात क्या होता था या यवागू की भाँति इसका शक्तिदायी माँड़ पिया जाता था या नहीं किन्तु एक समय यह सस्य थी बहुत प्रचलित।

आप को आश्चर्य होगा कि जो यूरोपीय यहाँ टमाटर ले कर आये, वे स्वयं उसका अत्यल्प प्रयोग करते हैं जब कि यहाँ टमाटर महामारी बन चुका है। बच्चों को टमाटर कैचप का ऐसा व्यसन हो गया है कि अनेक तो महीने में जाने कितने किलो चट कर जाते हैं!
अल्प एकाग्रता टमाटर की देन है। बड़ों में, विशेषकर पुरुषों में टमाटर महामारी के पश्चात अम्लपित्त एवं कैंसर रोग बढ़े हैं। टमाटर स्थूलता का अप्रत्यक्ष कारण भी है।
भार नियन्त्रण (डाइटिंग) में लगे जन टमाटर न खायें।
✍🏼गिरिजेश राव
[11/6, 09:32] +91 99285 86296: भाई दूज (यम द्वितीया) विशेष
राजेश मंत्री
पौराणिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार भाई को यम द्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीष देती हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है ब्रजमंडल में इस दिन बहनें यमुना नदी में खड़े होकर भाईयों को तिलक लगाती हैं।

अपराह्न व्यापिनी कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए।

यदि बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराये तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है।

इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल भी लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए निम्न मंत्र बोलती हैं।

“गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े”

इसी प्रकार इस मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है

” सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे”

इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे। कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं। भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री खिलाती हैं। संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। इस सन्दर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।

भैया दूज की कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।