एक भूल जो बनी मौत का कारण

फोटो सेशन बनी गौंछ मछली की मौत का कारण
हरीश मैखुरी
वो गौंछ मछली रामगंगा नदी के एक बड़े हिस्से की न केवल सफाई करती थी बल्कि जिन लोगों ने इस मछली को पहले देखा था, वे इसे बड़े सम्मान के साथ अपने दोस्तों को दिखाने इस नदी में लाते। बहुत सारे मछली प्रेमी और फोटो खींचने के शौकीन लोग अब तो इस मछली के दोस्त बन गए थे, जब से एनीमल प्लेनेट वालों ने इस मछली की हफ्तों शूटिंग की तब से ये गौंछ मछली कैमरा वालों को देखकर अपना फोटो सेशन कराने खुद ही पहुंच जाती। ये केवल एक मछली भर नहीं थी बल्कि उस नदी का एक पूरा ईको सिस्टम था वो नदी की सफाई करती और नदी को गंदा करने वालो जलचरों से अपनी पेट पूजा करती। यूं कहें कि वो सालों से इस नदी की चैकीदार थी लेकिन आदमी ने जो मछली को फोटो सेशन कराने और उसे कृत्रिम दाना डालने की आदत डाली उससे गलती से मछली भी आदमी पर भरोसा करने लग गई। लेकिन मछली की आदमी पर विश्वास करने की भूल उसकी मौत का कारण बन गई। अब सवाल उठता है कि क्या उस नदी में अब दूसरी गौछ मछली बची होगी?
पत्रकार दिनेश मानसेरा लिखते हैं कि एनिमल प्लेनेट की शूटिंग के दौरान मनीला रामगंगा में कॉर्बेट के पास हमने इसे देखा था, जब मछली के मशहूर जानकर जेर्मी ने इसे पकड़ा था, ये गौंछ मछली प्राकृतिक रूप से रामगंगा की सफाई करती है जिसका पानी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाघ और दूसरे जानवर पीते है, वन विभाग क्यों सोया हुआ है, आखिर इस मछली ने गांव वालों का क्या बिगाड़ा था, जो इसका ये हाल किया..?
पत्रकार पुरुषोत्तम असनोड़ा मछली को मारना गांव वालों का हक बताते हुए गांव वालों की पैरवी में खड़े दिख रहे हैं, लेकिन अल्मोड़ा के जिलाधिकारी की दखल के बाद वन विभाग ने ग्रामीणों पर इस दुर्लभ मछली को मारने के बदले मुकदमा दर्ज कर दिया जिसमें छह साल तक की सजा का प्रावधान है। ग्रामीणों को दुर्लभ प्रजाति की मछली, मोनाल, और कस्तूरा जैसे जीवों को मारने से पहले अपने विवके का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।