ताजमहल की आज जो ख्याति है, उसका कारण इस इमारत की जोरदार मार्केटिंग भी है, जो मुगल काल से अब तक बखूबी किया गया , अन्यथा भारत में एक से बढ़कर एक पौराणिक कलाकृतियां और मंदिर हैं जिसका कभी प्रचार प्रसार नहीं किया और विश्व इनके दर्शन लाभ से वंचित रह गया।
उदाहरण के लिए हम्पी मंदिर, जो विजयनगर साम्राज्य की एक बानगी है, अद्भुत, अद्वित्य और अप्रतिम है। ताज ताज करने का मतलब ही है कि हिंदुस्तान के गौरव को हीन साबित करना। अब देश गौरव जागना है इन मंदिरों से परिचित कराना है ।
उपर दिए गए चित्र का वर्णन:
नाम: सूर्य मंदिर मोढेरा
निर्माता: भीमदेव प्रथम, सोलंकी वंश
निर्माण काल : १०२६ ई०
देवता: सूर्य देववास्तु
कला: हिन्दू
स्थान: मोढेरा, पाटन, गुजरात, भारत
तनिक विचार करें एवं निर्णय करें। यह फोटो भी सामान्य (बिना किसी आडम्बर के) ढंग से ही लिया गया है।