जब पालकियों में किले में घुसे लुटेरे आतंकी : राजस्थान का ये इतिहास तो नयी पीढ़ी के पाठ्यक्रम में होना चाहिए

क्या आपने अमीर अली का नाम सुना है, राजस्थान के इतिहास में यह वह व्यक्ति है जिसके धोखे के कारण महिलाएं जोहर नहीं कर पाई और उन्हें तलवारो से काटना पड़ा, तो चलिए आज जैसलमेर के राजा लूणकरण को याद करते है, जो मित्रता के नाम पर राजस्थान के सबसे बड़े धोखे का शिकार हुए।

अमीर अली कंधार का नवाब था, तथा उसकी उसके भाई के साथ लड़ाई हो गयी और उसके भाई ने उसे हरा दिया, अपने भाई से हारने के बाद आमिर अली जैसलमेर के राजा लूणकरण के पास शरण लेता है, और चूँकि शरणागत की रक्षा करना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, महाराज लूणकरण अमीर अली को शरण दे देते है, व दोनों अपनी मित्रता को दर्शाने के लिए पगड़िया बदलते है। लूणकरण अमीर अली को जैसलमेर में जागीर देकर उसके रहने का प्रबंध करते है,

दिन बीतते है, राजा का अमीर अली पर विश्वास बढ़ता जाता है, और राजा अमीर अली पर बहुत ज्यादा विश्वास करने लगते है, अमीर अली एक बार राजा से कहता है की, उसकी बेगमें रानीवास की महिलाओ से मिलना चाहती है, पर वह नहीं चाहता की कोई और उसकी महिलाओं को देखे, इस पर राजा लूणकरण कहते है की कुछ दिनों में, राजमहल के अधिकांश व्यक्ति एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने जायेगे, तब किले में कोई पुरुष नहीं होगा, उस दिन उनकी बेगमें, उनकी रानियों से मिल सकती है। इस पर अमीर अली हामी भर देता है, कुछ दिनों बाद वह दिन आता है जब महल के अधिकांश पुरुष, राजकुमार मालदेव भाटी के साथ विवाह समारोह में भाग लेने चले जाते है, राजा अमीर अली को संदेसा भिजवाते है, की उनकी बेगमें किले में आ सकती है, पर अमीर अली के मनसूबे कुछ और ही थे, वह जैसलमेर पर कब्ज़ा करना चाहता था और वो उसके लिए एक अच्छे मोके का इन्तजार कर रहा था, और उसे वह अवसर मिल गया, वह महिलाओं की पालकियों में अपने सैनिकों को बिठा देता है, और उनमे हथियार रखवा देता है, और प्रत्येक पालकी को उठाने वालो की जगह भी सैनिक लगा देता है। जब अमिर अली की पालकिया किले के प्रथम द्वार को पार कर रही होती है तो, वहा उपस्थित एक सैनिक को उन पर शक हो जाता है, और वह पालकियों की तलाशी लेने को कहता है, अमीर अली उन्हें समझाता है पर वह सैनिक नहीं मानते, जब अमीर अली को लग जाता की है यदि पालकियों की तलाशी हुई तो वे पकडे जायेंगे, और किले के बाकी दरवाजे बंद हो जाएंगे तो वह वही से अपने सिपाहियों को हमला कर देने का आदेश देता है, अचानक हुए इस हमले से सिपाही भी कुछ समझ नहीं पाते है, व जैसे तैसे किले के अंदर ख़बर पहुँचती है की अमीर अली ने विश्वास घात कर दिया है, और किले पर हमला हो चूका है, पर किले में उस वक्त बहुत कम ही पुरुष थे, इसीलिए हमेशा की तरह, जब सिपाही कम और हार निश्चित थी तो साका किया गया, पर एक समस्या सम्मुख आ खड़ी हुई, साके में सबसे पहले जौहर किया जाता है, जिसमे महिलाये अग्नि स्नान कर लेती है, जोहर पुरे विधि विधान द्वारा किया जाता है, पर अब जौहर करने का समय नहीं बचा था, दुश्मन किसी भी वक्त किले में प्रवेश कर सकते थे, तब महिलाएं कहती है की उन्हें तलवारो से काट दिया जाए, इस पर महिलाओं को तलवार से काट दिया जाता है और इस युद्ध में महिलाएं अग्नि स्नान नहीं कर पाती इसलिए इस युद्ध में जौहर नहीं हो पाता, वरना इसमें धारा स्नान होता है, चूँकि महिलाये जोहर नहीं कर पायी थी, और सिर्फ पुरुषो ने केसरिया किया था इसलिए इस साके को जैसलमेर का अर्धसाका कहा जाता है। 

अमीर अली किले पर कब्ज़ा कर लेता है, पर जब यह खबर राजकुमार मालदेव भाटी तक पहुँचती है तो मालदेव भाटी अपनी सेना लेकर आते है व अमीर अली को मारकर किले पर पुनः कब्ज़ा कर लेते है, 

यह घटना समस्त भारतवासीयों से छुपाने के कृत्य किए गये, जिससे एक समुदाय को किसी भी कीमत पर धोखेबाज न समझने पाए, ऐसे कुत्सित प्रयास भारत भूमि पर सदैव कांग्रेस पोषित इतिहासकारों द्वारा आज तक जारी है, जो कौम इतिहास से सबक नही सीखती वह सिर्फ मूर्ख ही नहीं, कुल द्रोही है, धर्मद्रोही समुदाय की कठपुतली है मात्र, 

इसके बाद भी अगर कोई हिंदू एकता वाले रोग से संक्रमित है या सेकुलर का सपोर्टर है तो उसे अपना परीक्षण करवाना चाहिए। 

इतिहास के झरोखों से 🙏🏻🚩