दून शहर का ट्रायल रूट प्लान वापस, अन्य विकल्पों पर होगा होमवर्क?

हरीश मैखुरी

     देहरादून शहर का सबसे अधिक ट्रेफिक लोड घंटाघर परेड ग्राउंड और उसके आसपास  संकेंद्रित रहता है, इसी के मद्देनजर परेड ग्राउंड और उसकी सराउंडिंग का  ट्रैफिक लोड  कम करने के लिए उसे डायवर्ट किया गया था लेकिन  अचानक आए इस बदलाव को लोग पचा नहीं पाए और यही सिस्टम रोडा बनता नजर आया। इस पर डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने ट्रैफिक प्लान वापस लेकर लोगों को राहत दी, आज के समय नवाचारी प्रयोग करने का साहस और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता भी  कम ही अधिकारियों में है। अरुण मोहन जोशी ने  देहरादून में  पटरियों और सड़कों पर  किए जा रहे अतिक्रमण से भी  शहर को राहत दिलाने की   कोशिश की है। जबकि अतिक्रमणकारी राजनीतिक पहुंच के चलते  पुलिस पर दबाव बनाने में भी माहिर हैं, बावजूद इसके  अरुण मोहन जोशी का हौसला और जज्बा ही है कि उन्होंने नासूर बन रही समस्या के समाधान की दिशा में सोचा तो सही। 

इसके लिए सड़कों और पटरी से अतिक्रमण हटाना होगा, साथ ही वैकल्पिक सड़कों के बारे में सोचनेे की प्रबल आवश्यकता है। क्योंकि जिस तेजी से गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, उनके लिए देहरादून में सरकार एवं नगरनिगम को सड़कों के चौड़ीकरण के साथ ही नई सड़कें, फ्लाईओवर और नये पार्किंग सिस्टम विकसित करने होंगे। पुलिस तो सिर्फ व्यवस्था बना सकती है।

साथ ही एक टास्क फोर्स भी बनानी होगी जिसमें जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन न्याय विभाग और कुछ सामाजिक कार्यों से जुड़े लोग हों जो समय-समय पर अतिक्रमणकारियों की मॉनिटरिंग करें अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने  उन पर  भारी जुर्माना लगाने  की का अधिकार भी  इस टास्क फोर्स के पास हो और यह टास्क फोर्स सरकार को जाम से मुक्ति दिलाने की दिशा में सुझाव दे सके।