आज का पंचाग आपका राशि फल, धनु संक्रांति आज से सभी मांगलिक कार्य टले, ऋषि परम्परा की संतान हो अपने बच्चों को जोकर ना बनायें, शूगर बढ़ने और नाभि खिसकने के उपचार

 क्रिश्चियन लड़की ने कहा कि यीशु हमारे लिए सूली पर लटके और मर गए। मैने कहा पगली भगवान शिव ने हमारे लिए जहर पिया और जिंदा है। *स्वयं पढ़ें और बच्चों को भी अनिवार्यतः पढ़ाएं* एक ओर जहां *ईसामसीह* को सिर्फ चार कीलें ठोकी गई थीं, वहीं *भीष्म पितामह* को धनुर्धर अर्जुन ने सैकड़ों बाणों से छलनी कर दिया था। तीसरे दिन कीलें निकाले जाने पर ईसा होश में आया था, वहीं पितामह भीष्म 58 दिनों तक लगातार बाणों की शैय्या पर पूरे होश में रहे और जीवन, अध्यात्म के अमूल्य प्रवचन, ज्ञान भी दिया तथा अपनी इच्छा से अपने शरीर का त्याग किया था। सोचें कि पितामह भीष्म की तरह अनगिनत त्यागी।

#इसाई 2% होकर रामनवमी में अपने बच्चे को #राम नही बनाते हैं। #शिवरात्री में #शिव नही बनाते हैं। #कृष्ण_जन्माष्टमी पर कृष्ण नही बनाते हैं।

अरे जाहिल #हिंदुओ तुम्हारे अन्दर कौन सा चूल मचते हैं। 80% होकर भी 25 Dec को अपने बच्चे को जोकर बनाते हो

#25 Dec को प्लास्टिक का पौधा से अच्छा है तुलसी पूजन कर लेना। #तुलसी_पूजन_25_Dec🚩

. ।। 🕉 ।।
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पञ्चांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………..5125
विक्रम संवत्…………………….2080
शक संवत्……………………….1945
मास…………………………..मार्गशीर्ष
पक्ष……………………………….शुक्ल
तिथी…………………………….चतुर्थी
रात्रि 08.00 पर्यंत पश्चात पंचमी
रवि………………………….दक्षिणायन
सूर्योदय (इंदौर)……प्रातः 06.59.19 पर
सूर्यास्त…………..संध्या 05.44.14 पर
सूर्य राशि………………………..वृश्चिक
चन्द्र राशि…………………………मकर
गुरु राशी……………………………मेष
नक्षत्र…………………………….श्रवण
दुसरे दिन प्रातः 04.29 पर्यंत पश्चात धनिष्ठा
योग…………………………….व्याघात
रात्रि 03.42 पर्यंत पश्चात हर्षण
करण……………………………वणिज
प्रातः 09.15 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु……………………….(सह:) हेमंत
दिन…………………………….शनिवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
16 दिसम्बर सन 2023 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक……………………….7
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.00 से 12.43 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.42 से 11.02 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*वृश्चिक*
04:48:11 07:04:45
*धनु*
07:04:45 09:09:57
*मकर*
09:09:57 10:57:05
*कुम्भ*
10:57:05 12:30:37
*मीन*
12:30:37 14:01:49
*मेष*
14:01:49 15:42:34
*वृषभ*
15:42:34 17:41:13
*मिथुन*
17:41:13 19:54:55
*कर्क*
19:54:55 22:11:05
*सिंह*
22:11:05 24:22:53
*कन्या*
24:22:53 26:33:33
*तुला*
26:33:33 28:48:11

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.22 से 09.41 तक शुभ
दोप. 12.21 से 01.40 तक चर
दोप. 01.40 से 03.00 तक लाभ
दोप. 03.00 से 04.20 तक अमृत
संध्या 05.39 से 07.20 तक लाभ
रात्रि 09.00 से 10.40 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ गोविन्दाय नम: ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
*श्रीमद्भगवतगीता (चतुर्थोऽध्यायः – ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः) -*
न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते॥४-१४॥
अर्थात :
मुझे कर्मों के फल की कामना नहीं है इसलिए कर्म मुझे लिप्त नहीं करते । इस प्रकार जो तत्त्व से मुझे जान लेता है, वह भी कर्मों से नहीं बँधता॥14॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*बाल बढ़ाने घरेलू उपाय -*

*3. ग्रीन टी -*
टी बैग्स जो आप फेंक देते हैं बालों की ग्रोथ के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक उपायों में से एक है। ग्रीन टी, जैसा कि आप जानते हैं कि एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध एक बहुत ही अच्छा पेय पदार्थ है। यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाने और बालों के झड़ने से रोकने में मदद करता है। अपने स्कैल्प पर गर्म ग्रीन टी (इस्तेमाल किए गए टी बैग्स) लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें और फिर इसे ठन्डे पानी से धो लें। आपको बहुत ही फायदा मिलेगा।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। बेवजह कहासुनी हो सकती है। कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
घर के सदस्यों के स्वास्थ्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी सहयोग करेंगे।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कुबुद्धि हावी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। मित्रों से संबंध सुधरेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
किसी अपने के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शत्रु पस्त होंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल होंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग परेशानी का कारण रह सकता है। दूसरों के कार्य में दखल न दें। बड़ों की सलाह मानें। लाभ होगा। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। धैर्य रखें।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
शारीरिक कष्ट संभव है तथा तनाव रहेंगे। सुख के साधन प्राप्त होंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
सुख के साधन जुटेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पराक्रम बढ़ेगा। लंब समय से रुके कार्य सहज रूप से पूर्ण होंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। शेयर मार्केट में सफलता मिलेगी। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शुभ समय। शत्रु पस्त होंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। अज्ञात भय रहेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता का माहौल रहेगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
चोट व रोग से परेशानी संभव है। आराम तथा मनोरंजन के साधन उपलब्ध होंगे। यश बढ़ेगा। व्यापार वृद्धि होगी। नई योजना बनेगी जिसका तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। विरोधी सक्रिय रहेंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। प्रमाद न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। किसी अप‍रिचित पर अतिविश्वास न करें। विवाद से क्लेश होगा। दूसरों के उकसाने में न आएं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। कोई बड़ी समस्या आ सकती है। धैर्य रखें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
शत्रु हानि पहुंचा सकते हैं। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। बेवजह कहासुनी हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। धैर्य रखें।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
आंखों का ख्याल रखें। अज्ञात भय सताएगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। कानूनी अड़चन आ सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। लॉटरी व सट्टे से दूर रहें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में प्रमोशन प्राप्त हो सकता है। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |*

🐚 *।। शुभम भवतु ।।*🐚

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

आज से धनु मलमास
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धनु संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं इसके बाद से खरमास लग जाते हैं और सारे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।

संक्रांति का विशेष महत्व है, हर माह सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति के अलावा साल में धनु संक्रांति का भी खास महत्व है, क्योंकि धनु संक्रांति के बाद से एक महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता। धनु संक्रांति से खरमास लग जाते हैं, हालांकि ये दिन स्नान-दान, पूजा, मंत्र जाप के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

धनु संक्रांति की तिथि
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इस साल धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2023, शनिवार को है। सूर्य के धनु राशि में जाते ही मलमास लग जाते हैं। सूर्य की गति धीमी हो जाती है। धनु राशि के स्वामी बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। यही वजह है कि मांगलिक कार्य के लिए ये अवधि अशुभ मानी जाती है। खरमास का समापन एक माह बाद मकर संक्रांति पर होता है।

धनु संक्रांति का मुहूर्त
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धनु संक्रांति पर सूर्य शाम 04 बजकर 09 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान पुण्य या महापुण्य काल में तीर्थ स्नान, सूर्य पूजा करने से आरोग्य प्राप्त होता है।

धनु संक्रान्ति पुण्य काल – शाम 04:09 – शाम 05:26

अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट्स

धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल – शाम 04:09 – शाम 05:26

अवधि – 01 घण्टा 17 मिनट्स

धनु संक्रांति का महत्व
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सनातन धार्मिक परंपरा में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा गया है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य देव सभी ग्रहों के राजा हैं। यही वजह है कि जब कभी भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो उस दिन सूर्य की पूजा करने से मान-सम्मान में वृद्धि, बल, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साधक के राजयोग करने के योग बनते हैं। करियर में उच्च अधिकारी के पद पर बैठने की कामना पूरी होती है। यही वजह है कि धनु संक्रांति पर स्नान-दान, सूर्य पूजा का महत्व है। हालांकि इस दिन से एक महीने तक विवाह, मुंडन, गृह प्रेवश करना वर्जित है, ऐसे में जो लोग नए कार्य की शुरुआत या कोई मांगलिक काम करना चाहते हैं तो धनु संक्रांति से पहले उससे पहले कर लें।

🕉🔱✍️ आचार्य पांडुरंगराव शास्त्री 

शुगर / मधुमेह/ डाइबिटीज….

डाइबिटीज क्या है??…

 जब शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है, मतलब कम मात्रा में इन्सुलिन पहुंचता है, तो खून में ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है। इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इन्सुलिन की बात करें, तो यह एक तरह का हार्मोन होता है। जो शरीर के भीतर पाचन ग्रंथि से बनता है। इसका काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मधुमेह के मरीज कब और क्या खा रहे हैं। इससे ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है।

डायबिटीज के मरीजों को अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोव में रखना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इनमें हार्ट अटैक, किडनी से जुड़ी बीमारियां, सिरदर्द, वजन घटना, आंखों की रोशनी धुंधली होना, मल्टीपल आर्गन फेलियर, बार-बार पेशाब आना और ज्यादा प्यास लगना शामिल है। 

डाइबिटीज के लक्षण….

डायबिटीज के लक्षण और निदान के बारे में जानना मरीजों के लिए बहुत जरूरी है। ताकि मधुमेह की वक्त पर पहचान हो सके और इसका इलाज भी हो सके । मधुमेह के मरीज का मीठा खाने का अधिक मन करता है तो ऐसे में परिवार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मीठा ना खाए. इसके साथ ही जीवनशैली का भी पूरी तरह ध्यान रखना चाहिए।

मधुमेह के कारण क्या हैं….

टाइप 1 मधुमेह के कारण- 

प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन-उत्पादक बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। जबकि कुछ लोगों के जीन इस मामले में भूमिका निभाते हैं। जिसके चलते इन्सुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता है।

टाइप 2 मधुमेह के कारण- 

इसके पीछे का कारण इन्सुलिन प्रतिरोध होता है। इसे अनुवांशिकी और जीवनशैली के कारकों का संयोजन भी कहते हैं। जैसे मोटापा होने से मधुमेह के इस प्रकार का खतरा बढ़ जाता है।

डाइबिटीज में क्या खाएं….

जामुन या जामुन का रस- इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाता है और मेटाबोलिज्म तेज करता है। इससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है

पपीता- फाइबर से भरपूर होने कारण पेट साफ़ करता है।

अंकुरित मेथी दाने- मेथी दानों को अंकुरित करके खाने से विशेष लाभ मिलता है। इसको सलाद के रूप में या आप सुबह के नाश्ते में डालकर खा सकते हैं, इससे कब्ज़ में भी राहत मिलेगी और शुगर भी कण्ट्रोल में रहेगी।  

दाल चीनी की चाय- पॉलिफेनोलिक्स नामक तत्व पाया जाता है जो फास्टिंग शुगर को नियंत्रित रखता है।

कढ़ी पत्ता- इन्सुलिन एक्टिवेट करता है जिससे शुगर के पाचन में आसानी होती है। इसे मीठी नीम के नाम से भी जाना जाता है।

दवाएं– 

टाइप-2 डायबिटीज के मरीज के लिए केवल शरीरिक गतिविधि और स्वस्थ खाने का सेवन करना ही काफी नहीं होता है, बल्कि उन्हें डॉ जिंदगी दवाओं का सेवन करने की भी सलाह करता है |

आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से… हमने आपकी शुगर की प्रॉब्लम को दूर करने लिए आयुर्वेदिक शुगर मेडिसिन तैयार की है जिससे शुगर तो कंट्रोल रहती है साथ ही अगर आप इंसुलिन ले रहे हो धीरे धीरे वो भी बंद हो जाता है.. और शुगर से होने वाली कमजोरी भी नही होती..

और आप एलोपैथिक दवाओं के होने वाले दुष्प्रभाव से भी बच जाते हो…

शुगर मेडिसिन को प्राप्त करने के लिए आप हमे नीचे दिए गए नंबर पर अपनी प्रॉब्लम के साथ अपना नाम और एडड्रेस भेज दीजिये। 9634342461 

नाभि टलना…..

परिचय =नाभि का खिसकना….

 (naval displacement)

 जिसे आम लोगों की भाषा में धरण(dharan) गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से गैस बनती है कमजोरी रहती है खाने मन रहता स्वभाव में चिड़चिड़ापन दस्त भी लग जाते हैं। गैस बनती है अल्ट्रा साऊंड ऐंडोस्कपी कोलोनोस्कोपी सब ठीक आती है। डाक्टर दवाई देता है कुछ फर्क नहीं पड़ता बल्कि कभी-कभी तो स्थिति और बिगड़ती है तो समझो अब किसी अनुभवी नाड़ी परीक्षण कर्ता वैद्य की आवश्यकता है जो धरण यानी नाभि को अपनी जगह वापस बिठा दे…
कई बार नाभि खिसकने से अपच रहती है या दस्त भी लग जाते हैं।

कारण …

वैसे तो ये परेशानी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर नाभि खिसकने (nabhi ka khisakna)की परेशानी महिलाओं में सबसे अधिक पाई गई है।हर दूसरी महिला को ये परेशानी होना आम पाया गया है, लेकिन ये परेशानी क्यूं होती हैं और किन परिस्थितियों में जन्म लेती है, इसके भी अनेक कारण हैं।

 योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है। इसलिए किसी भी नाड़ी के अस्वस्थ होने से इसका कुछ प्रतिशत असर नाभिस्थान पर जरूर होता है।

 आधुनिक जीवन-शैली एक वजह :दरअसल आधुनिक जीवन-शैली के चलते लोग अपने शरीर को धीरे-धीरे अस्वस्थ बना रहे हैं। रोजाना की भागदौड़ में वे समय से आहार नहीं लेते, कसरत कभी नहीं करते और यहां तक कि पूरी नींद भी नहीं लेते। ऐसा करने से धीरे-धीरे शारीरिक नाड़ियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जिसका सीधा असर नाभिस्थान पर होता है। और महिलाओं में ये स्थान काफी कमज़ोर हो जाता है, उनकी नाभि बहुत जल्दी अव्यवस्थित हो जाती है।

 अन्य कारण …..

लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं जहां ना चाहते हुए भी हम नाभि खिसकने का शिकार हो जाते हैं। जैसे कि खेलते-कूदते समय भी नाभि खिसक जाती है। असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है।

कैसे पहचानें नाभि का खिसकना …..

कैसे पहचानें कि नाभि ही अपने स्थान से खिसक गई है। क्योंकि पेट दर्द होना आम बात है, कुछ गलत आहार लेने से या फिर अन्य समस्याओं से भी पेट दर्द हो सकता है। इसके अलावा दस्त लगना भी कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। किंतु ये कैसे पहचाना जाए कि किसी व्यक्ति विशेष की परेशानी का कारण नाभि खिसकना ही है।

पहला उपाय…..

इसकी पहचान एक लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना।

 रोगी को शवासन यानि कि बिलकुल सपाट लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं।

 यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है।

लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।

दूसरा परीक्षण …..

धरण गिरी है या नहीं इसे पहचानने का एक और तरीका है जो काफी प्रचलित भी है।

 इसके लिए रोगी के दोनों हाथों की रेखाएं मिला कर छोटी अंगुली की लम्बाई चेक करें, दोनों अंगुलियों की रेखाएं बिलकुल बराबर रखें।

  यदि मिलाने पर अंत में दोनों अंगुलियों की लंबाई में थोड़ा सा भी अंतर दिखे, तो इसका मतलब है कि धरण गिरी हुई है।

 इन दो तरीकों से आसानी से नाभि खिसकने की पुष्टि की जा सकती है। अब यदि रोगी की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना आवश्यक है।

औषधियों से उपचार …..

1. सरसों ….. सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है। रोग के बढ़ने पर रूई का फोया तेल में भिगोकर नाभि पर रखें।

 नाभि के जगह से हट जाने से अक्सर पेट में दर्द, गैस, दस्त, भूख न लगना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। नाभि पर कोई भी तेल खासकर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। तेज दर्द होने पर रूई में तेल लगाकर नाभि पर रखने से नाभि का दर्द समाप्त हो जाता है।

2. सौंफ …. गुड़ और सौंफ 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से नाभि का टलना ठीक होता है और तेज दर्द में आराम मिलता है।*

 2 चम्मच सौंफ को पीसकर गुड में मिलाकर प्रतिदिन लगातार 5 दिनों तक लेने से नाभि का हटना ठीक होता है।

3. दही …500 ग्राम दही में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान से नहीं हटता है।*

4. गुड़ ….थोड़ा सा गुड़ में नमक मिलाकर नाभि बैठाने के बाद खाने से अपने नाभि दर्द में जल्द आराम मिलता है।

अन्य उपाय ….

 नाभि खिसक गई है या नहीं, यह हमारे पांव की मदद से भी जाना जा सकता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को 10 डिग्री एंगल पर जोड़ें। ऐसा करने पर यदि आपको दोनों पैर की लंबाई में अंतर दिखे, यानि कि एक पांव दूसरे से बड़ा है तो यकीनन नाभि टली हुई हैं।

 अब पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए छोटे पैर की टांग को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसे कुछ-कुछ इंच तक धीरे से ही ऊपर की ओर उठाएं, तकरीबन 9 इंच की ऊंचाई पर आने के बाद फिर धीरे-धीरे नीचे रखकर लंबी सांस लें। यही क्रिया दो बार और करें। इस क्रिया को सुबह शाम ख़ाली पेट करना है, इससे नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।

सावधानी …..

यह नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो बड़ा रोग हो सकता है। ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है। यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए इससे अनजाने में छेड़खानी करने की कभी ना सोचें।

एक और आखिरी बात, जिसका खास ख्याल रखने की जरूरत है। जब पता चल जाए कि नाभि खिसकने जैसी दिक्कत हो गई है, तो कुछ बातों का परहेज करना चाहिए। जैसे कि गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि मजबूरी में उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं!

आसान उपायों से ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी

नाभि टलने को परखिये….

आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।

ऊपर की तरफ

यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो यकृत प्लीहा आमाशय अग्नाशय की क्रिया हीनता होने लगती है ! इससे फेफड़ों-ह्रदय पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा,ब्रोंकाइटिस -थायराइड मोटापा -वायु विकार घबराहट जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

नीचे की तरफ

यही नाभि मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे अधो अंगों की तरफ चली जाए तो मलाशय-मूत्राशय -गर्भाशय आदि अंगों की क्रिया विकृत हो अतिसार-प्रमेह प्रदर -दुबलापन जैसे कई कष्ट साध्य रोग हो जाते है। फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। स्त्रियों के उपचार में नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया जाये। इससे कई वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो जाती है ।

बाईं ओर

बाईं ओर खिसकने से सर्दी-जुकाम, खाँसी,कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।

दाहिनी ओर

दाहिनी तरफ हटने पर अग्नाशय -यकृत -प्लीहा क्रिया हीनता -पैत्तिक विकार श्लेष्म कला प्रदाह -क्षोभ -जलन छाले एसिडिटी (अम्लपित्त) अपच अफारा हो सकती है।

नाभि टलने पर क्या करे।

मरीज को सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा दस्त आदि उपद्रव शांत हो जाते हैं।

नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।

नाभि कैसे स्थान पर लाये।

1- ज़मीन पर दरी या कम्बल बिछा ले। अभी बच्चो के खेलने वाली प्लास्टिक की गेंद ले लीजिये। अब उल्टा लेट जाए और इस गेंद को नाभि के मध्य रख लीजिये। पांच मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। खिसकी हुई नाभि (धरण) सही होगी। फिर धीरे से करवट ले कर उठ जाए, और ओकडू बैठ जाए और एक आंवला का मुरब्बा खा लीजिये या फिर 2 आटे के बिस्कुट खा लीजिये। फिर धीरे धीरे खड़े हो जाए।

2- कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कर लें। इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं। सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है। कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें। फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें। 3-3 बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी।

3- सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है हैं।

नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहनाई जाती हैं, जिस से भविष्य में नाभि टलने का खतरा कम हो जाता हैं। अक्सर पुराने बुजुर्ग लोग धागा भी बाँध देते हैं।

नाभि के टलने पर और दर्द होने पर 20 ग्राम सोंफ, गुड समभाग के साथ मिलाकर प्रात: खाली पेट खायें। अपने स्थान से हटी हुई नाभि ठीक होगी। और भविष्य में नाभि टलने की समस्या नहीं होगी।

नाभि चिकित्सा योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें। 9634342461