आज का पंचाग आपका राशि फल, शंकराचार्य पद की अर्हता, हिंदी का आत्मबोध, बार बार होने वाले गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु वैद्यकीय उपचार

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, १५ सितम्बर २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:१३
सूर्यास्त: 🌅 ०६:२३
चन्द्रोदय: 🌝 २१:२९
चन्द्रास्त: 🌜१०:४५
अयन 🌖 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (नल)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 पञ्चमी (११:०० से षष्ठी)
नक्षत्र 👉 भरणी (०८:०५ से कृत्तिका)
योग 👉 हर्षण (२९:२८ से वज्र)
प्रथम करण 👉 तैतिल (११:०० तक)
द्वितीय करण 👉 गर (२३:३४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 सिंह
चंद्र 🌟 वृष
मंगल 🌟 वृष (उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी)
गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 सिंह (उदित, पूर्व)
शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४७ से १२:३७
विजय मुहूर्त 👉 १४:१५ से १५:०५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१० से १८:३४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:२३ से १९:३२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४९ से २४:३५
राहुकाल 👉 १३:४५ से १५:१७
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०६:०१ से ०७:३४
होमाहुति 👉 मंगल (०८:०५ से गुरु)
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 पाताल (११:०० से पृथ्वी)
चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण १४:२९ से)
शिववास 👉 नन्दी पर (११:०० से भोजन में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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षष्ठी तिथि का श्राद्ध आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०८:०५ तक जन्मे शिशुओ का नाम
भरणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (लो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (अ, ई, उ, ए) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
सिंह – २७:५५ से ०६:१३
कन्या – ०६:१३ से ०८:३१
तुला – ०८:३१ से १०:५२
वृश्चिक – १०:५२ से १३:११
धनु – १३:११ से १५:१५
मकर – १५:१५ से १६:५६
कुम्भ – १६:५६ से १८:२२
मीन – १८:२२ से १९:४५
मेष – १९:४५ से २१:१९
वृषभ – २१:१९ से २३:१४
मिथुन – २३:१४ से २५:२९
कर्क – २५:२९ से २७:५१
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:०१ से ०६:१३
चोर पञ्चक – ०६:१३ से ०८:०५
शुभ मुहूर्त – ०८:०५ से ०८:३१
रोग पञ्चक – ०८:३१ से १०:५२
शुभ मुहूर्त – १०:५२ से ११:००
मृत्यु पञ्चक – ११:०० से १३:११
अग्नि पञ्चक – १३:११ से १५:१५
शुभ मुहूर्त – १५:१५ से १६:५६
रज पञ्चक – १६:५६ से १८:२२
शुभ मुहूर्त – १८:२२ से १९:४५
शुभ मुहूर्त – १९:४५ से २१:१९
रज पञ्चक – २१:१९ से २३:१४
शुभ मुहूर्त – २३:१४ से २५:२९
चोर पञ्चक – २५:२९ से २७:५१
शुभ मुहूर्त – २७:५१ से ३०:०२
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰“प्रलयं हि गमिष्यन्ति श्रीमद्‌भागवतध्वनेः ।

 

           कलेर्दोषा इमे सर्व सिंहशब्दाद् वृका इव ॥”

भावार्थ 

जिस प्रकार सिंह की गर्जना सुनकर जैसे भेड़िये भाग जाते हैं।

 उसी प्रकार श्रीमद्भागवत की ध्वनि से कलियुग के सारे दोष नष्ट हो जाते हैं।।

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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन मिला जुला फल देगा। प्रातः काल में किसी जरूरी कार्य को लेकर किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन लोग स्पष्ट बात ना कर आपको टालने के प्रयास करेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज व्यस्तता बढ़ेगी इसका लाभ भी अवश्य मिलेगा मध्यान के समय आपकी वाणी से किसी का दिल ना दुखे इसका ध्यान रखे। व्यवसायी वर्ग को धन की आमद आवश्यकता अनुसार आसानी से हो जाएगी। लेकिन नौकरी पेशाओ को आज परिश्रम का फल मिलना परेशानी भरा रहेगा लेट लतीफी एवं लापरवाही के कारण अधिकारी वर्ग के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। घर का वातावरण सामान्य रहेगा सन्तानो के ऊपर खर्च बढ़ेगा बाहर घूमने की योजना बनेगी। सेहत को लेकर आशंकित रहेंगे लेकिन लापरवाही भी करेंगे। धर्म कर्म में आस्था बढ़ेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप बैठे बिठाये फालतू के झगड़े मोल लेंगे। किसी काम मे विशेष योग्यता होने का पूरा फायदा उठाएंगे जिससे अन्य लोगो मे आपके प्रति कटु भावनाएं जन्म लेंगी लेकिन आज अपना हित साधने के लिये किसी भी बात या व्यवहारिकता की परवाह नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर मनमानी दिखाएंगे सहकर्मी अथवा जरूरतमंद आपसे मजबूरी में ही व्यवहार करेंगे। धन की आमद संतोषजनक रहेगी थोड़ा धन मिलने पर इसका प्रलोभन बढ़ता ही जायेगा जिससे मन शांत नाहाई बैठेगा। आज माता, मशीनरी, संपत्ति अथवा पशु संबंधित कार्यो पर विशेष खर्च करना पड़ेगा इसके कारण अन्य खर्चो में कटौती करने पर घर के सदस्य नाराज हो सकते है। धर्म से ज्यादा कर्म को महत्त्व देंगे फिर भी गुप्त प्रयोग टोन टोटको के लिये भी थोड़ा समय निकाल लेंगे। लोहे की वस्तु अथवा वाहन से चोट का भय है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको कुछ ना कुछ हानि अवश्य कराएगा प्रत्येक कार्य देखभाल कर ही करें विशेषकर आज धन संबंधित कार्यो अधिक स्पष्टता बरते किसी से धोखा अथवा अपमानित होने की संभावना है। कार्य क्षेत्र पर भी आज निवेश करने से पहले अनुभवी की सलाह जरूर लें घाटा हो सकता है। व्यवसाय को आज मेहनत के बाद भी नियंत्रित नही कर पाएंगे धन लाभ के लिये विविध प्रयास विफल ही होंगे ऊपर से आकस्मिक खर्च आने से संचित कोष से खर्च करना पड़ेगा। आज आपकी मानसिकता धन लोलुप जैसी रहेगी प्रलोभन में शीघ्र आ जाएंगे जिसका बाद में दुख होगा। घर मे किसी न किसी बात से कोहराम लगा रहेगा दाम्पत्य जीवन मे तालमेल नही बैठा पाएंगे कुछ दिन धैर्य धारण करे सेहत में भी आज नया विकार बन सकता है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन मिला जुला रहेगा। आज आपको पूर्व में किये किसी निवेश से काफी उम्मीद रहेगी लेकिन अंत समय मे निराशा ही हाथ लगेगी लाभ की जगह निवेश किया धन व्यर्थ होने की संभावना है। धन को लेकर आज कोई नई संमस्या खड़ी होगी व्यवसाय अथवा अन्य आवश्यक कार्यो के लिये माता अथवा अन्य किसी नापसंद व्यक्ति की आर्थिक सहायता लेनी पड़ेगी जिसमे पहले मामूली कलह का सामना भी करना पड़ेगा। आज भी मध्यान तक कोई बड़ा निर्णय ना ले इसके बाद स्वतंत्र होकर कर कर सकते है आवश्यकता पूर्ति अनुसार धन कहि न कही से उपलब्ध हो जाएगा। पैतृक कारणों से भाई बंधुओ के बीच स्नेह संबंध बिगड़ सकते है जहां तक संभव हो आज किसी के आगे हाथ ना फैलाये। मानसिक चंचलता और तनाव को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये कार्य सफलता वाला रहेगा। बीते दिनों में समाज से मिले अनादर के कारण हीन भावना से ग्रस्त रहेंगे स्वभाव में ईर्ष्या का भाव आपको लाभ से दूर रखेगा इससे बचने का प्रयास करें तो दिन हर प्रकार से आनंददायक बन सकता है। आज काम-धंधा कुछ न कुछ लाभ अवश्य देगा कार्य क्षेत्र पर आज लोगो को आपके सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी इसका लाभ उठाएं मन से अहम की भावना को त्याग समाज सेवा करें इससे धन के साथ सम्मान की भी प्राप्ति होगी।आपके वादा करके टालमटोल करने पर घरेलू वातावरण कुछ समय के लिये अशांत बनेगा महिलाओ का आज वाणी पर नियंत्रण नही रहेगा फिर भी घर मे चलन पहल बनाये रखेंगी। यात्रा के योग बन रहे है इससे लाभ कम शरीर को थोड़ा कष्ट थकान अधिक बनेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन बीते दिन की तुलना में अच्छा प्रदान करेगा आज आप अपनी बुद्धि एवं व्यवहार के बल पर सम्मान के अधिकारी बनेंगे। दिन के पहले भाग में किसी घरेलू समस्या को लेकर मानसिक उलझन रहेगी लेकिन पुरानी घटना से अनुभव लेकर इससे पार पा लेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी छवि अनुभवी एवं भद्र इंसान जैसी रहेगी मध्यान के समय कोई न कोई अपनी समस्या को लेकर आपसे परामर्श लेगा। काम धंधा आज संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा फिर भी पुराने सौदे आज धन देकर जाएंगे। संध्या बाद घरेलू मामलों में लापरवाही करने पर परिजन से मतभेद हो सकते है आज समय पर आवश्यकताओं की पूर्ति करे अन्यथा कलह के लिये तैयार रहे। घर के किसी सदस्य की सेहत चिंता बढ़ाएगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन विषम परिस्थितियों वाला रहेगा। प्रातः काल से ही सेहत में कुछ ना कुछ कमी आएगी जिससे मध्यान तक कि दिनचार्य अस्त व्यस्त रहेगी पेट संबंधित संमस्या में लापरवाही ना करें अन्यथा बाद मे परिणाम गंभीर भी हो सकते है। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी छवि रंगीन मिजाज जैसी बनेगी बोलते समय स्वयं पर नियंत्रण नही रहेगा इसका विपरीत प्रभाव आपकी सख्शियत पर पड़ेगा। कार्य व्यवसाय से आज लाभ अवश्य होगा लेकिन धन आते ही जाने के रास्ते बना लेगा। महिलाओ का स्वभाव आज सब सुख सुविधा मिलने के बाद भी असंतुष्ट ही रहेगा अन्य लोगो से अपनी तुलना करने पर मन हीन भावना से ग्रस्त होगा। आज पैतृक कार्यो को लेकर घर मे खींच तान हो सकती है। पिता से संबंधों में खटास आ सकती है। टोने टोटको पर खर्च करेंगे।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये शुभ फल प्रदान करेगा। दिन के आरम्भ में जो भी योजना बनाएंगे उसमें कई उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे फिर भी ले देंकर सफलता अवश्य मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर आज जिस भी काम को हाथ मे लेंगे उसमे कोई न कोई झंझट अवश्य रहेगा। शत्रु अथवा प्रतिस्पर्धी पक्ष आपको हानि पहुचाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे इनको अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा अन्यथा व्यर्थ की दुविधा में फंस कर अपने उद्देश्य से भटक सकते है। धन लाभ आकस्मिक होगा कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी काम के समय मनमानी करेंगे पहले से ही आत्म निर्भर रहे तो परेशानी नही आएगी। लेखन से जुड़े लोग चाह कर भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित नही कर पाएंगे। दाम्पत्य एव संतान सुख आज न्यून रहेगा। संध्या बाद का समय राहत दिलाएगा लेकिन घर मे कम ही बोलें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपके मन मे दिन भर कुछ ना कुछ उठापटक लगी रहेगी। आज आपको सामाजिक रीतियों के विपरीत कार्य करने में आनद आएगा। अपने कुतर्कों से आस पास के लोगो को दुविधा में डालेंगे इससे आपके ही व्यक्तित्त्व में कमी आएगी। कार्य व्यवसाय से आज जितनी उम्मीद लगाएंगे उसका आधा लाभ भी नही मिल पायेगा। व्यवहारिकता की कमी हर क्षेत्र पर नुकसान ही कराएगी। सहकर्मी अथवा कार्य क्षेत्र पर अन्य किसी से अहम को लेकर टकराव हो सकता है स्वभाव में परिवर्तन लाये किसी के भी ऊपर अनैतिक दबाव डालने पर सम्मान हानि तुरंत होगी। महिला वर्ग घरेलू एवं व्यक्तिगत आवश्यकताओं की लंबी लिस्ट बनाकर पुरुषों को परेशानी में डालेंगी। संध्या के समय टालने पर भी व्यर्थ के खर्च होंगे। मानसिक एवं शारीरिक क्षमता कम रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप अपनी बुद्धि एवं पराक्रम का परिचय देंगे। दिन के पहले भाग में किसी से वैचारिक मतभेद बढ़ सकते है आपको अपने कार्य मे किसी का हस्तक्षेप करना अखरेगा विवेकी व्यवहार से बात बढ़ने नही देंगे फिर भी मन मे खटास अवश्य रह जायेगी। कार्य व्यवसाय में आज आप असम्भव कार्य को भी संभव बना लोगो की वाहवाही लूटेंगे धन की आमद किसी न किसी रूप में अवश्य होगी इसके लिये ज्यादा झंझट में ना पड़े वरना सामाजिक क्षेत्र पर किसी से बिना बात की दुश्मनी हो सकती है आज आप जिसे अपना हितैषी समझेंगे वही पीछे से हानि पहुचायेगा। जमीन जायदाद संबंधित मामले उलझेंगे इनको टालना ही बेहतर है। भाई बंधु एवं पति पत्नी के बीच स्वार्थी संबंध रहेंगे। सेहत मामूली बातो को छोड़ ठीक रहेगी वाहन से सावधानी बरतें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आपके लिये आज का दिन प्रतिकूल है आज ना चाहते हुए भी किसी विवाद में उतारना पड़ेगा जिससे सम्मान को ठेस पहुच सकती है। वाणी एवं व्यवहार को नियंत्रण में रखें खास कर महिलाए पराये कामो में टांग ना फसाये तो बेहतर रहेगा अन्यथा बैठे बिठाये बदनामी हो सकती है। काम के सिलसिले से यात्रा करनी पड़ेगी इससे पहले खर्च करने पर धन लाभ तो होगा लेकिन आशा से कम ही दलाली के कार्य में अन्य कार्यो की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। घर मे पैतृक संपत्ति अथवा अन्य कारणों से पक्षपात का आरोप लग सकता है घरेलू निर्णय बड़ो के ऊपर छोड़ दे इससे सम्मान बना रहेगा। सन्तानो को लेकर आज मन दुखी रहेगा। घर मे छोटी मोटी बातो को अनदेखा करें आवश्यकता पड़ने पर ही बोले। कमर अथवा पैर संबंधित संमस्या हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज भी आपका व्यवहार सामने वाले को अहंकारी जैसा लगेगा लेकिन बाहर से रूखापन दिखने पर भी अंदर से नरमी रहेगी। आज कोई भी आवश्यकता पड़ने पर आपके पास से खाली हाथ नही जाएंगा। कार्य व्यवसाय से आज आशा से अधिक लाभ कमा सकते है परन्तु इसके लिये व्यर्थ के सामाजिक व्यवहारों में आज कमी लाने आवश्यक है। धन की आमद के लिये किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी जो आपके कुशल व्यवहार से तुरंत मिल जाएगी। व्यवसाय में आज गति रहने पर भी कुछ कमी अनुभव करेंगे जिसकी पूर्ति आज सम्भव नही इसपर ध्यान भी ना दें। सरकारी कार्य आज दिन रहते कर ले बाद में सहयोग की कमी के चलते अधूरे रह सकते है। घरेलू व सन्तानो का खर्च बढ़ चढ़ कर रहेगा। दाहिने नेत्र अथवा शरीर के दाहिने भाग में कोई समस्या बन सकती है।
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*आत्मबोध🕉️🦁*

*राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस : विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली सबसे उन्नत भाषा हिन्दी*

_संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। सरकारी काम काज हिंदी भाषा में ही होगा । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।_

अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक हैं। संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।

हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है। हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नहीं है। हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाएं।

आज उस मैकाले के कारण से ही हम मानसिक गुलामी बन माने बैठे है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता। हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उपयोग करना चाहिए।

मदन मोहन मालवीयजी ने 1898 में सर एंटोनी मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए, कचहरियों में हिन्दी भाषा को प्रवेश दिलाया।

लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया। वे कहते थे :- ‘‘अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है। जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते। ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है। ऐसी शिक्षा-प्रणाली किसी भी सभ्य देश में नहीं पायी जाती।’’

जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है।

हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए। एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है। हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए।

राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए। जब कमाल पाशा अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों की कुछ दिन की मोहलत ठुकराकर रातों रात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है ?

आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है । हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि अनेक राष्ट्र ऐसे हैं जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है। इसलिए हिन्दी की संस्कृति को विश्व को अपना अंशदान करना है।

राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें।

*अंग्रेजी शिक्षा पद्दति के दुष्परिणाम*

लॉर्ड मैकाले ने कहा था :- ‘मैं यहाँ (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही संस्कृति से घृणा करेंगे, मंदिर में जाना पसंद नहीं करेंगे, माता-पिता को प्रणाम करने में अपमान अनुभव करेंगे, वे शरीर से तो भारतीय होंगे लेकिन दिलोदिमाग से हमारे ही गुलाम होंगे..!

विदेशी शासन के अनेक दोषों में देश के नौजवानों पर डाला गया विदेशी भाषा के माध्यम का घातक बोझ इतिहास में एक सबसे बड़ा दोष माना जायेगा। इस माध्यम ने राष्ट्र की शक्ति हर ली है, विद्यार्थियों की आयु घटा दी है, उन्हें आम जनता से दूर कर दिया है और शिक्षण को बिना कारण खर्चीला बना दिया है। अगर यह प्रक्रिया अब भी जारी रही तो वह राष्ट्र की आत्मा को नष्ट कर देगी। इसलिए शिक्षित भारतीय जितनी जल्दी विदेशी माध्यम के भयंकर वशीकरण से बाहर निकल जायें उतना ही उनका और जनता का लाभ होगा।

अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें। बोलचाल, इंटरनेट, ऑफिस आदि में हिंदी का प्रयोग करें व अपने बच्चों को अंग्रेजी (कान्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा (गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके चहुमुखी विकास में सहभागी बनें।

*आइए हिन्दी दिवस पर विदेशी भाषा के स्थान पर राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपने जीवन में अधिकाधिक उपयोग देने को संकल्पित हों*

आद्य शंकराचार्य वेद-वेदांत- विज्ञान की पोस्ट-

महानुशासनम् ~~                  

यह ग्रँथ भगवान भाष्यकार द्वारा लिखित है । इसकी हस्तलिखित प्राचीन प्रतियां पुरी, कामरूप, काशी तथा पूना में प्राप्त हुई है । इसमें जगद्गुरु शंकराचार्य के पदपर बैठने वाले संन्यासी की योग्यता का वर्णन किया गया है । शंकराचार्य पद पर जन्मना ब्राह्मण , दण्डधारी एक दण्डी संन्यासी ही बैठ सकता है ।

 

                ।।अथ महानुशासनम्।।

 

“आम्नाया: कथिता ह्वेते यतीनां च पृथक्-पृथक्।

ते सर्वे चतुराचार्या: नियोगेन यथाक्रमम्।।१।।”

 

(संन्यासी आचार्यों के गुरु परम्परानुसार पृथक्-पृथक् उपदेश बताए गये है। यह सब चारों आचार्य अपने-अपने धर्मों में लगे।)

 

“प्रयोक्तव्या: स्वधर्मेषु शासनायास्ततोऽन्यथा।

कुर्वन्तु एव सततमटनं धरिणी तले।।२।।”

 

(यदि इस महानुशासन के विपरीत चलें तो विद्वानों द्वारा उनपर शासन किया जा सकता है, तथा यह आचार्य निरन्तर पृथ्वी पर भ्रमण करते रहें।)

 

“विरुद्धाचरण प्राप्तावाचार्याणां समाज्ञया।

लोकान् संशीलयन्त्येव स्वधर्माप्रतिरोधत:।।३।।”

 

(जब देश में विरुद्ध आचरण होने लगे, तब आचार्यों की आज्ञा से जनता को धर्म की मर्यादा के अनुसार शिक्षा दे।)

 

“स्व स्व राष्ट्र प्रतिष्ठित्यै संचार: सुविधीयताम्।

मठे तु नियतो वास आचार्यस्य न युज्यते।।४।।’

 

(अपने-अपने क्षेत्र की प्रतिष्ठा के लिए आचार्य विचरण करते रहें। उनका मठ में नियत रूप से वास उचित नहीं है।)

 

“वर्णाश्रम सदाचारा अस्माभिर्ये प्रसाधिता:।

रक्षणीयास्तु एवैते स्वे स्वे भागे यथाविधि:।।५।।”

 

(हमने वर्णाश्रम सदाचार की जो मर्यादा स्थापित की है, उसकी वे अपने-अपने क्षेत्र में विधिपूर्वक रक्षा करें।)

 

“यतो विनष्टिर्महती धर्मस्यात्र प्रजायते।

मांद्यं सन्त्याज्यमेवात्र दाक्ष्यमेव समाश्रयेत्।।६।।”

 

(इस युग में धर्म की जब महान् हानि हो रही है, ऐसे में प्रमाद का त्याग कर आचार्यगण चतुराई से काम लें।)

 

“परस्पर विभागे तु प्रवेशो न कदाचन।

परस्परेण कर्त्तव्या आचर्येण व्यवस्थिति:।।७।।

 

(एक दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश न करें। आचार्य आपस में मिलकर इसकी व्यवस्था करें।। अर्थात् तीर्थयात्रा के उद्दयेश्य से सर्वत्र जा सकते हैं, परन्तु वहां की जनता से कर न लें)

 

“मर्यादाया: विनाशेन लुप्तेरन्नियमा: शुभा:।

कलहाङ्गार सम्पत्तिरतस्तां परिवर्जयेत्।।८।।”

 

(मर्यादा के नष्ट हो जाने पर अच्छे नियम लुप्त हो जाते हैं, कलह रूपी अग्नि प्रज्वलित हो जाती है, अतः इसे रोकना चाहिए।)

 

“परिव्राडाचार्य मर्यादां मामकीनां यथाविधि:।

चतु: पीठाधिगां सत्तां प्रयुञ्ज्याच्च पृथक् पृथक्।।९।।”

 

(मेरे द्वारा बताई हुई श्रेष्ठ मर्यादा को चारों पीठों की सत्ता विधिपूर्वक सदुपयोग करें।)

 

“शुचिर्जितेन्द्रियो वेद वेदाङ्गादि विशारद:।

योगज्ञ: सर्व शास्त्राणां समदा स्थानमाप्नुयात्।।१०।।”

 

(शुद्धान्त:करण, जितेन्द्रिय, वेद-वेदाङ्ग का ज्ञाता, समस्त शास्त्रों में कुशल, योगाभ्यासी ऐसा आचार्य ही मेरे पीठ को प्राप्त करें।)

 

“उक्त लक्षण सम्पन्न: स्याच्चेन्मत् पीठभाग् भवेत्।

अन्यथा रूढ़ पीठोऽपि निग्रहार्हो मनीषिणाम्।।११।।”

 

(ऊपर कहे गये लक्षणों से युक्त यति ही मेरे आसन पर बैठ सकता है। इसके विपरीत लक्षणों वाला संन्यासी यदि पीठ पर बैठा हो तो विद्वान उसे हटा दें।)

 

“न जातु मठमुच्छिन्द्यादधिकारिण्युपस्थिते।

विघ्नानामपि बाहुल्यदेष धर्म: सनातन:।।१२।।”

 

(विघ्नों की अधिकता होने पर भी अधिकारी आचार्य के रहते मठ को किसी प्रकार की हानि न पहुँचाई जाये, यह सनातन धर्म है।)

 

“अस्मत् पीठ समारुढ परिव्राडुक्तलक्षण:।

अहमेवेति विज्ञेयो यस्य देव इति श्रुते:।।१३।।”

 

(उक्त लक्षणों से युक्त यती जो मेरी पीठ पर बैठा हो, “यस्य देवे परा भक्ति: यथा देवे तथा गुरौ” ‘जैसे इष्ट देव के प्रति भक्ति है वैसे ही गुरुओं में भी भक्ति है’ इस श्रुति के अनुसार वह मेरा ही स्वरूप है, ऐसा जानो।)

 

“एक एवाभिषेच्य: स्यादन्ते लक्षणसम्मत:।

तत्तत् पीठे क्रमेणैव न बहु युज्यते क्वचित्।।१४।।”

 

(पूर्ववर्ती संन्यासी के अभाव में ऊपर कहे हुए लक्षणों से युक्त उन पीठों पर एक ही शंकराचार्य का अभिषेक किया जाये, अधिक का नहीं)

 

“सुधन्वन: समौत्सुक्य निवृत्यै धर्महेतवे।

देवराजोपचारांश्च यथावदनुपालयेत्।।१५।।”

 

(सुधन्वा राजा की उत्सुकता की निवृत्ति तथा धर्म के लिए, देवताओं तथा राजा के व्यवहारों का यथोचित पालन करना चाहिए।)

 

“केवलं धर्ममुद्दिश्य विभवो ब्रह्मचेतसाम्।

विहितश्चोपकाराय पद्मपत्र नयं व्रजेत्।।१६।।”

 

(ब्रह्मज्ञानी शंकराचार्य का वैभव छत्र, चमर सिंहासनादि केवल धर्म के उद्दयेश्य तथा लोकोपकार के लिए है। इस सम्बंध में आचार्य कमल पत्रवत् जैसे कमलपत्र जल में रहते हुए भी जल का प्रभाव उसपर नहीं पड़ता, निर्लेप रहे।)

 

“सुधन्वा हि महाराजस्तदन्ये च नरेश्वरा:।

धर्म परम्परीमेतां पालयन्तु निरन्तरम्।।१७।।”

 

(महाराज सुधन्वा तथा अन्य राजा धर्म की इस परम्परा का निरन्तर पालन करें।)

 

“चातुर्वर्ण्यं यथायोग्यं वाङ्मन: काय कर्मभी:।

गुरो: पीठं समर्चेत विभागानुक्रमेण वै।।१८।।”

 

(चारों वर्ण योग्यता के विभागानुसार मनसा, वाचा, कर्मणा गुरु पीठ का पूजन करें।)

 

“धरामालम्व्य राजान: प्रजाभ्य: करभागिन:।

कृताधिकारा: आचार्या: धर्मतस्तद्वदेव हि।।१९।।”

 

(जैसे राजा लोग प्रजा के कर के भागी हैं। वैसे ही आचार्य भी धर्मानुसार प्रजा से कर लेने के अधिकारी हैं।)

 

“धर्मो मूलं मनुष्याणां सचाचार्यावलम्बन:।

तस्मादाचार्य सुमणे: शासनं सर्वतोऽधिकम्।।२०।।”

 

(मनुष्य का मूल धर्म है, और वह धर्म आचार्य के आश्रित है। इसीलिए आचार्य रूपी सुमणि का शासन सबसे अधिक है।)

 

“तस्मात् सर्व प्रयत्नेन शासनं सर्वसम्मतम्।

आचार्यस्य विशेषेण ह्यौदार्य भरभागिन:।।२१।।”

 

(अतः विशेष रूप से आचार्य का शासन सर्व सम्मत, उदारतापूर्ण तथा भारवाहन समर्थ विशेष रूप से होना चाहिए।)

 

“आचार्याक्षिप्त दण्डास्तु कृत्वा पापानि मानव:।

निर्मला स्वर्गमायान्ति सन्त: सुकृतिनो यथा।।२२।।”

 

(पाप करने वाला मनुष्य आचार्य द्वारा दण्डित होने पर निर्मल सुकृति सन्तों के समान स्वर्ग का भागी होता है।)

 

“इत्येवं मनुरप्याह गौतमोऽपि विशेषत:।

विशिष्ट शिष्टाचारोऽपि मूलादेव प्रसिद्ध्यति।।२३।।”

 

(इस प्रकार मनु तथा गौतम ने विशेष रूप से कहा है। विशिष्ट पुरुषों का शिष्टाचार मूल से ही प्रसिद्ध है।)

 

“तानाचार्योपदेशांश्च राजदण्डांश्च पालयेत्।

तस्मादाचार्य राजानावनवद्यौ न निंदयेत्।।२४।।”

 

(आचार्यों के उपदेश तथा राजदण्ड का सर्वथा पालन करें। अतः निर्दोष आचार्य तथा राजा की निन्दा न करें।)

 

“धर्मस्य पद्धति ह्र्वेषा जगत: स्थिति हेतवे।

सर्व वर्णाश्रमाणां हि यथा शास्त्रं विधीयते।।२५।।”

 

(संसार की रक्षा के लिए धर्म की यही पद्धति है कि शास्त्रानुसार सभी वर्णाश्रमों के लिए विधान करती है।)

 

“कृते विश्व गुरु ब्रह्मा त्रेतायामृषि सत्तमा:।

द्वापरे व्यास एव स्यात् कलावत्र भवाम्यहम्।।२६।।”

 

(सत्य युग में जगद्गुरु ब्रह्मा, त्रेता में ऋषिश्रेष्ठ दत्तात्रेय, द्वापर में व्यास जी तथा कलियुग में मैं शंकराचार्य गुरु हूँ।)

 

।।इति श्रीमद्भगवत्पाद शंकराचार्य विरचितं महानुशासनम्।।

*गर्भस्राव और गर्भपात रोकने हेतु वैद्यकीय उपचार*

प्राय देखा जाता है कुछ औरतें गर्भधारण तो करती है लेकिन उनको बार बार गर्भपात और गर्भस्राव जैसी समस्याओं के कारण निराशा हाथ लगती है ! 

 

इन्ही समस्याओं के लिए आयुर्वेद में कुछ सरल उपाय बताए गये हैं जिनको अगर प्रयोग में लाया जाये तो निश्चित रूप से सफलता हाथ लग सकती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है ! 

 

आज उन्ही चुनिन्दा नुस्खे आपके सामने, जिनमें से आपको जो सहज और सुलभ हो उसका उपयोग कर सकतें है लेकिन एक बार में किसी एक ही नुस्खे का प्रयोग करें !!

 

■ जिनको बार बार गर्भपात हो जाता हो वे गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें। कमल की डंडी और नागकेसर को बराबर की मात्रा में पीस कर सेवन करने से प्रारंभिक महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है !!

 

■ गुलर के फलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से तथा गुलर की जड़ की छाल का चूर्ण समभाग मिश्री के साथ नियमित सेवन करते रहने से गर्भस्राव नहीं होता है !!

 

■ जिन स्त्रियों को बार बार गर्भपात होता हो उन्हें गर्भस्थापना होते ही नियमित रूप से सुबह शाम एक चम्मच अनंतमूल की जड़ के चूर्ण का सेवन करते रहना चाहिए ! इससे गर्भपात भी नहीं होगा और बच्चा भी स्वस्थ और सुन्दर होगा !!

 

■ तीसरे से पांचवे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर नागकेसर के पुष्प, वंशलोचन और मिश्री समभाग लेकर बनाया गया चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम कुछ दिन तक सेवन करने से गर्भपात नहीं होगा !!

 

■ लोध और पीपली को समभाग मिलाकर पीस लें !

एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ नित्य सुबह शाम सेवन करते रहने से गर्भपात की सम्भावना टल जायेगी ! सातवें आठवें दिन में यह प्रयोग लाभप्रद होगा !!