*।। ॐ ।।* 🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5126
विक्रम संवत्………………….2081
शक संवत्…………………….1946
मास……………………………आश्विन
पक्ष………………………………कृष्ण
तिथी………………………..प्रतिपदा
रात्रि 02.57 पर्यंत पश्चात द्वितीया
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय…….प्रातः 06.19.01 पर
सूर्यास्त……..संध्या 06.12.59 पर
सूर्य राशि………………………..कन्या
चन्द्र राशि……………………….कन्या
गुरु राशि…………………………वृषभ
नक्षत्र………………………………हस्त
दोप 03.26 पर्यंत पश्चात चित्रा
योग………………………………….इंद्र
रात्रि 04.13 पर्यंत पश्चात वैधृति
करण………………………….किस्तुघं
दोप 01.38 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु………………………..(इष) शरद
दिन……………………………..गुरुवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
03 अक्तूबर सन 2024 ईस्वी ।
⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.51 से 12.38 तक ।
👁🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 01.43 से 03.11 तक ।
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कन्या* 05:11:42 07:22:22
*तुला* 07:22:22 09:37:00
*वृश्चिक* 09:37:00 11:53:10
*धनु* 11:53:10 13:58:46
*मकर* 13:58:46 15:45:53
*कुम्भ* 15:45:53 17:19:25
*मीन* 17:19:25 18:50:37
*मेष* 18:50:37 20:31:22
*वृषभ* 20:31:22 22:30:01
*मिथुन* 22:30:01 24:43:44
*कर्क* 24:43:44 26:59:54
*सिंह* 26:59:54 29:11:42
🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
☸ शुभ अंक…………………..3
🔯 शुभ रंग…………………..पीला
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.46 से 12.14 तक चंचल
दोप. 12.14 से 01.42 तक लाभ
दोप. 01.42 से 03.11 तक अमृत
सायं 04.39 से 06.07 तक शुभ
सायं 06.07 से 07.39 तक अमृत
रात्रि 07.39 से 09.11 तक चंचल
📿 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ परमात्मने नम: ।|
📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (नवमोऽध्यायः – राजविद्याराजगुह्ययोग:) -*
येऽप्यन्यदेवताभक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विताः ।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम् ॥९- २३॥
अर्थात :
हे अर्जुन! यद्यपि श्रद्धा से युक्त जो सकाम भक्त दूसरे देवताओं को पूजते हैं, वे भी मुझको ही पूजते हैं, किंतु उनका वह पूजन अविधिपूर्वक अर्थात् अज्ञानपूर्वक है॥23॥
🍃 *आरोग्यं :-*
रक्ताल्पता या खून की कमी (ANAEMIA ) –
१- खून की कमी को दूर करने के लिए,अनार के रस में थोड़ी सी काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है |
२- मेथी,पालक और बथुआ आदि का प्रतिदिन सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है | मेथी की सब्ज़ी खाने से भी बहुत लाभ होता है क्यूंकि मेथी में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है |
३- गिलोय का रस सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है | आप यह अपने निकटवर्ती आयुर्वेदिक औषधालय या औषधि केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं |
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
आज दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कार्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें।
🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। आज किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*
।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
*माँ शैलपुत्री एवं घट स्थापना*
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नवरात्रि के प्रथम दिन *माँ शैलपुत्री* की पूजा होती है. इसीलिए माँ के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है।
इनकी आराधना से हम सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं. माँ शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए *ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ शैलपुत्री देव्यै नम:* इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
नवरात्रि का पर्व ०३ अक्टूबर २०२४ दिन गुरुवार से आरम्भ हो रहा है और १२ अक्तूबर २०२४ को समाप्त होगा. शरद् ऋतु आरम्भ हो चुकी है. इसी कारण इसे शरद् नवरात्रि कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को विशेष स्थान प्राप्त है. माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है. तथा किसी भी कार्य को करने के लिए कलश स्थापना आवश्यक है. यह समस्त देवी-देवताओं का आह्वान है कि आप हमारे कार्य को सिद्ध करें और हमारे घर में विराजमान हों।
इसलिए, कलश स्थापना में विलम्ब नहीं करना चाहिए और समयानुसार कलश स्थापना कर देनी चाहिए. नवरात्रि में तो इसका अत्यन्त महत्व है।
*घट स्थापना मुहूर्त:*
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घट स्थापना मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. घट स्थापना के दिन शुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
घट स्थापना मुहूर्त ०३ अक्टूबर २०२४, दिन गुरुवार प्रातः ०६ बजकर १९ मिनट से प्रातः ०७ बजकर २३ मिनट तक है. यानी कुल अवधि ०१ घण्टा ०४ मिनट
अभिजीत मुहूर्त ११ बजकर ५२ मिनट से दोपहर १२ बजकर ४० मिनट तक है।
*कलश स्थापना के लिए सामग्री:*
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-एक घड़ा या पात्र
-घड़े में गंगाजल मिश्रित जल (जल आधा न हो, केवल तीन उंगली नीचे तक जल होना चाहिए)।
-घड़े या पात्र पर रोली से ऊं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे लिखें या ऊं ह्रीं श्रीं ऊं लिखें।
-घड़े पर कलावा बांधें. यह पांच, सात या नौ बार लपटें।
-घड़े पर कलावा में गांठ न बांधें।
-कलावा यदि लाल और पीला मिलाजुला हो तो बहुत अच्छा।
-जौ, काले तिल, पीली सरसों, एक सुपारी
तीन लौंग के जोड़े ( यानी 6 लोंग), एक सिक्का, आम के पत्ते (नौ)नारियल (नारियल पर चुन्नी लपेटे)एक पान
*घट स्थापना की विधि:*
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-अपने आसन के नीचे थोड़ा सा जल और चावल डाल कर शुद्ध कर लें।
-इसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें. फिर शंकर जी का, विष्णु जी का, वरुण जी का और नवग्रह का।
-आह्वान के बाद मां दुर्गा की स्तुति करें. यदि कोई मंत्र याद नहीं है तो दुर्गा चालीसा पढ़ें. यदि वह भी याद नहीं है तो *ऊं दुर्गायै नम:* का जाप करते रहें।
-कलश स्थापना में पूरा परिवार सम्मिलित हो.
*ऊं दुर्गायै नम: ऊं नवरात्रि नमो नम:* का जोर से उच्चारण करते हुए कलश स्थापित करें।
-जिस स्थान पर कलश स्थापित करें, वहां थोड़े से साबुत चावल डाल दें. जगह साफ हो।
-घड़े या पात्र पर आम के पत्ते सजा दें।
-पहले जल में चावल, फिर काले तिल, लोंग, फिर पीली सरसो, फिर जौं, फिर सुपारी, फिर सिक्का डालें।
-अब नारियल लें. उस पर चुनरी बांधें, पान लगाएं और कलावा पांच या सात बार लपेट लें।
-नारियल को हाथ में लेकर माथे पर लगाएं और माता की जयकारा लगाते हुए नारियल को कलश पर स्थापित कर दें।
*कलश स्थापना के लिए मंत्र इस प्रकार है.*
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*नमस्तेsतु महारौद्रे* *महाघोर पराक्रमे।।*
*महाबले महोत्साहे**महाभय विनाशिनी*
*या*…… *ऊं श्रीं ऊं*
*कलश स्थापना पर ध्यान रखें.*
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प्रतिदिन कलश की पूजा करें. हर नवरात्रि की एक बिंदी कलश पर लगाते रहें. यदि किसी दिन दो नवरात्रि हैं तो दो बिंदी (रोली की) लगाते रहें. कलश की पूजा हर दिन करते रहें और माँ की आरती भी।
*नवरात्रिरि पूजन की तैयारियां*
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*आश्विन शुक्ल प्रतिपदा/नवरात्र प्रारंभ*
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (घट स्थापना) के साथ ही जौ बोये जाते हैं।
*घट स्थापना मुहूर्त:*
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०३ अक्टूबर, २०२४ दिन गुरुवू प्रातः ०६:१९ से प्रातः ०७:२३ मिनट तक। यानी कुल अवधि ०१ घण्टा ०४ मिनट।
*अभिजीत मुहूर्त :-
११:५२ मिनट से दोपहर १२:४० मिनट तक यानी कुल अवधि ४८ मिनट।
दुर्गा पूजा के पहले तीन दिन में मनुष्य अपने अन्दर उपस्थित दैत्य, अपने विध्न, रोग तथा शत्रु का नाश कर डालने के लिए पूजा की जाती है। उसके अगले तीन दिन में धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। अन्तिम तीन दिनों में आध्यात्मिक ज्ञान के उद्देश्य से कला तथा ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की आराधना की जाती है।
*नवरात्रि पूजन की तैयारियां*
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शास्त्रों में माँ दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है. देवी के इन स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में विशेष रूप से की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन लगातार माता पूजन चलता है. तो आइए जानें देवी के इस पावन पर्व पर कैसे करें पूजन की तैयारियाँ….
*देवी पूजन की विशेष सामग्री :*
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माता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना के लिए चौकी.
माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति.
चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा.
माँ पर चढ़ाने के लिए लाल चुनरी या साड़ी.
नौ दिन पाठ के लिए ‘दुर्गासप्तशती’ किताब.
कलश.
ताजा आम के पत्ते धुले हुए.
फूल माला या फूल.
एक जटा वाला नारियल.
पान,सुपारी.इलायची.लौंग.कपूर.रोली, सिंदूर.
मौली (कलावा).चावल।
*अखंड ज्योति जलाने के लिए :*
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पीतल या मिट्टी का साफ दीपक.
घी, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती।
दीपक पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर।
घी में डालने और दीपक के नीचे रखने के लिए चावल।
*नौ दिन के लिए हवन सामग्री :*
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हवन कुंड., आम की लकड़ी.
हवन कुंड पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर.
काले तिल.चावल.जौ (जवा).धूप.शक्करपांच मेवा.घी.लोबान.गुग्गुल.
लौंग का जौड़ा.कमल गट्टा.सुपारी.कपूर.
हवन में चढ़ाने के लिए प्रसाद की मिठाई और नवमी को हलवा-पूरी.
आचमन के लिए शुद्ध जल।
*कलश स्थापना के लिए :*
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एक कलश. कलश और नारियल में बांधने के लिए मौली (कलावा)।
०५, ०७ या ११ आम के पत्ते धुले हुए।
कलश पर स्वास्तिक बनाने के लिए रोली।
कलश में भरने के लिए शुद्ध जल और गंगा जल।
जल में डालने के लिए केसर और जायफल।
जल में डालने के लिए सिक्का।
कलश के नीचे रखने चावल या गेहूं।
*जवारे बोने के लिए :*
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मिट्टी का बर्तन.
साफ मिट्टी (बगीचे की या गड्डा खोदकर मिट्टी लाएं).
जवारे बोने के लिए जौ।
*माता के श्रृंगार के लिए :*
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लाल चुनरी.चूड़ी.बिछिया.
इत्र.सिंदूर.महावर.बिंद्दी.मेहंदी.काजल.
गले के लिए माला या मंगलसूत्र.पायल.आदि
*देवी पूजन में इन बातों का रखें ध्यान :*
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तुलसी पत्ती न चढ़ाएं.
माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर दहाड़ता हुआ नहीं होना चाहिए।
देवी पर दूर्वा नहीं चढ़ाएं.
जवारे बोए हैं और अखंड ज्योति जलाई है तो घर खाली न छोड़ें।
मूर्ति या तस्वीर के बाएं तरफ दीपक रखें।
मूर्ति या तस्वीर के दायें तरफ जवारे बोएं।
आसन पर बैठकर ही पूजा करें. जूट या ऊन का आसन होना चाहिए।
*एक बार दशहरा बीत चुका था , दीपावली समीप थी , तभी एक दिन कुछ युवक – युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई !*
*उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे ; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया !*
*उन्होंने पूछा , ” जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उत्साह में मनाई जाती है , तो दीपावली पर ” लक्ष्मी पूजन ” क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही ?”*
*प्रश्न पर सन्नाटा छा गया , क्यों कि उस समय कोई सोशल मीडिया तो था नहीं , स्मार्ट फोन भी नहीं थे ! किसी को कुछ नहीं पता ! तब , सन्नाटा चीरते हुए , हममें से ही एक हाथ , प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा !*
*उसने बताया कि ” दीपावली ” उत्सव दो युग ” सतयुग ” और ” त्रेता युग ” से जुड़ा हुआ है !”*
*” सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी !” इसलिए ” लक्ष्मी पूजन ” होता है !*
*भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे ! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था ! इसलिए इसका नाम दीपावली है !*
*इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं , ” लक्ष्मी पूजन ” जो सतयुग से जुड़ा है , और दूजा ” दीपावली ” जो त्रेता युग , प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है !*
*हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा , क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था ! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं !*
*बाद में पता चला , कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार ” लिबरर्ल्स ” ( वामपंथियों ) की थी , जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी , कि ” लक्ष्मी पूजन ” का औचित्य क्या है , जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है ?”
*एक और प्रश्न भी था , कि लक्ष्मी और श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है ?*
*और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है ?*
*सही उत्तर है :*
*लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं , और भगवान विष्णु से विवाह किया , तो उन्हें धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया, उन्होंने धन को बाँटने के लिए प्रबन्धक कुबेर को बनाया !*
*कुबेर कुछ कृपण वृति के थे ! वे धन बाँटते नहीं थे , स्वयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए !*
*माता लक्ष्मी उद्विग्न हो गई ! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी !*
*उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई ! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा , कि ” तुम प्रबन्धक परिवर्तित कर लो लो !”*
*माँ लक्ष्मी बोली : ” यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं ! उन्हें अच्छा नहीं लगेगा !”*
*तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी !*
*माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को ” धन वितरक ” बनने को कहा !*
*श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान, वे बोले : ” माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा , उस पर आप कृपा कर देना ! कोई किंतु , परन्तु नहीं !” माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी !*
*अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न / विलंब को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे !*
*कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए ! श्री गणेश जी पैसा प्रदान करने वाले बन गए !*
*गणेश जी की दरियादिली देख , माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया , कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों , वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें !*
*दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को ! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं ! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद , देव उठावनी एकादशी को !*
*माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है , शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में , तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को ! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी – गणेश की पूजा होती है !*
🙏🌹🙏
*( यह कैसी विडंबना है , कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है ? औऱ जो वर्णन है , वह अधूरा है !)यहां तक कि पंचाग राशि फल, दुर्गा पूजा घट स्थापना एवं माता भगवती दुर्गा पूजन विधि, कुछ भी कोर्स में नहीं है जबकि दुर्गा पूजा पर खरीदारी से सरकार क अरबों रूपये का टैक्स कमाती है। स्पष्ट है कि सैक्युलरिज्म और कुछ नहीं अपितु सनातन धर्म संस्कृति के लोगों को वेदच्युत और संस्कार विहीन कर पशुवत बनाने का षड्यंत्र मात्र है!
*इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों , अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !*