आज का पंचाग आपका राशि फल, नयी पीढ़ी भी करे कारसेवा, सिक्ख मत का अयोध्या से गहरा संबंध, बाजीराव पेशवा के सामने 70 हजार मुगल सैनिकों का समर्पण, इंडि गठबंधन का भगवान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान से परहेज सनातन धर्म संस्कृति का अपमान!

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शुक्रवार, १२ जनवरी २०२४🌻

सूर्योदय: 🌄 ०७:२१

सूर्यास्त: 🌅 ०५:४८

चन्द्रोदय: 🌝 ०८:०८

चन्द्रास्त: 🌜१८:३२

अयन 🌘 उत्तरायणे (दक्षिणगोलीय)

ऋतु: 🗻 शिशिर 

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 पौष 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 प्रतिपदा (१४:२३ से द्वितीया)

नक्षत्र 👉 उत्तराषाढ (१५:१८ से श्रवण)

योग 👉 हर्षण (१४:०५ से वज्र)

प्रथम करण 👉 बव (१४:२३ तक)

द्वितीय करण 👉 बालव (२४:४७ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

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सूर्य 🌟 धनु 

चंद्र 🌟 मकर 

मंगल 🌟 धनु (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 धनु (अस्त, पूर्व, मार्गी)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मीन 

केतु 🌟 कन्या 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०४ से १२:४६

अमृत काल 👉 ०९:३२ से १०:५८

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 १५:१८ से ३१:१४

विजय मुहूर्त 👉 १४:०९ से १४:५०

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:३३ से १८:०१

सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:३६ से १८:५८

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५८ से २४:५२

राहुकाल 👉 ११:०७ से १२:२५

राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व

यमगण्ड 👉 १५:०१ से १६:१८

होमाहुति 👉 सूर्य

दिशाशूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 पृथ्वी (१४:२३ तक)

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 श्मशान में (१४:२३ से गौरी के साथ)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – चर २ – लाभ

३ – अमृत ४ – काल

५ – शुभ ६ – रोग

७ – उद्वेग ८ – चर

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – रोग २ – काल

३ – लाभ ४ – उद्वेग

५ – शुभ ६ – अमृत

७ – चर ८ – रोग

नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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चन्द्र दर्शन, स्वामी विवेकानंद जयन्ती, वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर १२:३५ से ०१:५५ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १५:१८ तक जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराषाढ नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ज, जी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (खी, खू, खे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

धनु – २९:२५ से ०७:२८

मकर – ०७:२८ से ०९:०९

कुम्भ – ०९:०९ से १०:३५

मीन – १०:३५ से ११:५९

मेष – ११:५९ से १३:३२

वृषभ – १३:३२ से १५:२७

मिथुन – १५:२७ से १७:४२

कर्क – १७:४२ से २०:०४

सिंह – २०:०४ से २२:२३

कन्या – २२:२३ से २४:४०

तुला – २४:४० से २७:०१

वृश्चिक – २७:०१ से २९:२१पञ्चक रहित मुहूर्त

मृत्यु पञ्चक – ०७:१४ से ०७:२८

अग्नि पञ्चक – ०७:२८ से ०९:०९

शुभ मुहूर्त – ०९:०९ से १०:३५

रज पञ्चक – १०:३५ से ११:५९

अग्नि पञ्चक – ११:५९ से १३:३२

शुभ मुहूर्त – १३:३२ से १४:२३

रज पञ्चक – १४:२३ से १५:१८

शुभ मुहूर्त – १५:१८ से १५:२७

चोर पञ्चक – १५:२७ से १७:४२

शुभ मुहूर्त – १७:४२ से २०:०४

रोग पञ्चक – २०:०४ से २२:२३

शुभ मुहूर्त – २२:२३ से २४:४०

मृत्यु पञ्चक – २४:४० से २७:०१

अग्नि पञ्चक – २७:०१ से २९:२१

शुभ मुहूर्त – २९:२१ से ३१:१४

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आपको परिश्रम का उचित फल मिल सकेगा। कार्य व्यवसाय में थोड़ी मेहनत के बाद उत्साहजनक लाभ मिलेगा सहकर्मी आज आपसे ईर्ष्या करेंगे लेकिन आपकी दिनचार्य एवं व्यक्तित्त्व पर इसका कोई असर नही पड़ेगा। कुछ दिनों से चल रही धन संबंधित उलझने शांत होंगी। मन इच्छित कार्यो पर खर्च कर सकेंगे फिजूल खर्ची भी रहेगी लेकिन पारिवारिक खुशी के आगे व्यर्थ नही लगेंगे। सार्वजनिक कार्यो में आज कम रुचि लेंगे महिलाये भी आज अपने आओ में ही ज्यादा मस्त रहेंगी। पारिवारिक वातावरण छोटी मोटी बातो को छोड़ शांत ही रहेगा। सेहत सामान्य रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन पिछले दिनों की अपेक्षा राहत भरा रहेगा। शारीरिक रूप से भी आज पहले से बेहतर अनुभव करेंगे। बुजुर्गो की सेहत में सुधार आयेगा। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज आरम्भ में असमंजस की स्थिति रहेगी परन्तु धीरे -धीरे गाड़ी पटरी पर आने लगेगी। दिन के अंतिम भाग में बिक्री में तेजी आने से धन की आमद होगी। प्रतिस्पर्धियों से बहस के प्रसंग भी बनेंगे इससे बचने का प्रयास करें। पैतृक संबंधों से भी भविष्य में लाभ की उम्मीद बनेगी। दाम्पत्य सुख में थोड़ी नीरसता रहने पर भी बाहर की अपेक्षा शांति का अनुभव होगा। संताने सहयोगी रहेंगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से अशुभ रहेगा। सेहत में दिन भर उतार चढ़ाव लगा रहेगा। कार्य व्यवसाय एवं आर्थिक कारणों से मानसिक अशांति रहेगी। महिलाये भी आज पेट, कमर एवं अन्य शारीरिक अंगों में अकड़न-दर्द रहने से परेशान होंगी। कार्य व्यवसाय पर धन लाभ तो होगा लेकिन व्यर्थ के खर्च बढ़ने से तुरंत खर्च भी हो जाएगा। यात्रा की योजना आज टालना बेहतर रहेगा। खर्च के साथ दुर्घटना के भी योग है घर मे भी उपकरणों पर सावधानी से कार्य करें। पूजा पाठ में भी कम ही मन लगेगा। तंत्र-मंत्र के रहस्यों का प्रति रुचि बढ़ेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आपको अपने अधिकांश कार्यो में विजय मिलेगी। सोच विचार कर ही किसी कार्य को करेंगे। आज धन लाभ प्रयास करने पर अवश्य होगा। सरकारी कार्यो में जोड़ तोड़ करके सफलता पा लेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज आपका दबदबा रहेगा विरोधी आपके आगे आने की हिम्मत नही करेंगे। सहकर्मियों से बीच मे मतभेद होंगे निराकरण भी तुरंत हो जाएगा। घरेलू सुख भी आज उत्तम रहेगा। सुख सुविधा जुटाने पर खर्च करेंगे। लेकिन बाहर के खान-पान में संयम रखें बदहजमी गैस आदि की परेशानी हो सकती है। घर के बुजुर्ग से शुभ समाचार मिलेंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन आपके लिए शांतिदायक रहेगा। ईश्वरीय आराधना भजन-पूजन में निष्ठा रहने से मानसिक रूप से विचलित नही होंगे। कार्य व्यवसाय भी पहले की अपेक्षा बेहतर चलेगा परन्तु धन की आमद होने में कुछ ना कुछ विघ्न अवश्य आएंगे। सहकर्मी भी मनमानी करेंगे जिससे कार्य विलम्ब से पूर्ण होंगे बीच मे कहासुनी होने की भी संभावना है। कार्य क्षेत्र की अपेक्षा आज घर का वातावरण व्यस्त होने पर भी शांति की अनुभूति कराएगा। धार्मिक यात्रा के प्रसंग उपस्थित होंगे। संध्या का समय थकान रहने से आराम में बिताना पसंद करेंगे। स्त्री संतान का सुख सामान्य रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप अपने दिमाग पर कुछ ज्यादा ही जोर डालेंगे अनिर्णायक स्थिति रहने के कारण अधिकांश कार्य अधूरे रह जाएँगे या निरस्त भी करने पड़ सकते है। नौकरी वाले लोगो को अतिआत्मविश्वास के कारण कार्य मे हानि होंगी। व्यवसायी वर्ग भी आज लापरवाही करेंगे जिसके फलस्वरूप कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था फैलेगी जिसे सुधारना आज मुश्किल ही रहेगा। धन लाभ आज परिश्रम करने पर भी अल्प मात्रा में ही होगा। पारिवारिक स्थिति भी समय से मांग पूरी ना कर पाने पर खराब होगी। महिलाये अहसान जता कर कार्य करेंगी। संतान सुख भी कम ही रहेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन सावधानी से व्यतीत करें। आज आप बड़बोलेपन के कारण कलह को स्वयं ही आमंत्रण देंगे। प्रातः काल मे ही परिजन अथवा किसी आस-पड़ोसी से कलह के प्रसंग बनेंगे जिसके कारण मध्यान तक मन मे आवेश बना रहेगा। महिलाओ से आज संयमित व्यवहार रखें अन्यथा पूरी दिनचार्य खराब हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर भी किसी ना किसी से छोटी-छोटी बातों पर उलझने के कारण काम-काज प्रभावित होगा सामाजिक सम्मान में भी आज कमी आएगी। आर्थिक कारणों से भी उलझे रहेंगे धन की आमद खर्च निकलने लायक भी नही रहेगी। शान्त रहने का प्रयास करें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन दौड़ धूप तो रहेगी लेकिन इसका सकरात्मक परिणाम भी मिलेगा। व्यवसाय में आज निश्चिन्त होकर कार्य करें जोखिम लेने से ना डरें मध्यान तक की मेहनत का फल संध्या के आस-पास मिलने लगेगा। धन का निवेश भी आज दुगना होकर ही वापस आएगा। अधिकारी वर्ग की नरमदिली कार्यो को आसान बनाएगी। सरकार सम्भाधित कार्य आज पूर्ण हों सकते है प्रयास करते रहें। महिलाये अधिक बोलने की आदत के कारण हास्य की पात्र बनेगी लेकिन गृहस्थ को संभालने में सहायक भी रहेंगी। पैतृक सम्बन्धित कार्यो अथवा पिता से लाभ होगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके लिए संतोषजनक रहेगा। आप आवश्यकता रहने पर भी आर्थिक मामलों को ज्यादा महत्त्व नही देंगे। सहज रूप से जितना मिल जाएगा उसी में संतोष कर लेंगे। मध्यान तक आलस्य अधिक रहने के कारण कार्यो में सुस्ती दिखाएंगे इसके बाद का समय बेहतर रहेगा कही से आकस्मिक लाभ के समाचार मिलने से उत्साहित होंगे साथ ही निश्चिन्त होने पर लापरवाही भी बढ़ेगी। नौकरी वाले जातक अधिकारियों से किसी कारण नाराज रहेंगे। महिलाये मानसिक रूप से शांत रहेंगी परन्तु व्यवहारिकता में रूखापन

दिखाएंगी। परिवार में नासमझी के कारण तनाव हो सकता है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आपके लिए सौभाग्य में वृद्धि करने वाला रहेगा। परिवार में सुख शांति रहेगी कार्य व्यवसाय में भी कई दिन से चल रही योजना के सफल होने पर उत्साह का वातावरण बनेगा। धन लाभ आज आकस्मिक और आशाजनक ही होगा। भविष्य की योजनाओ के साथ पारिवारिक आवश्यकता की पूर्ति पर भी खर्च होगा। आज मीठा बोलने वालों से दूरी बना कर रहें अन्यथा जेब ढीली करनी पड़ेगी। महिलाये घरेलू कार्यो से ऊबन अनुभव करेंगी फिर भी जिम्मेदारी समय पर पूर्ण कर लेंगी। मित्र रिश्तेदारों के ऊपर खर्च करना पड़ेगा इनसे लाभ भी होगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपको घर एवं बाहर कुछ ना कुछ हानि कराएगा। आज प्रत्येक कार्य को देख भाल कर ही करें। अतिआवश्यक कार्य यथा संभव आज टाल ही दें अन्यथा समय के साथ धन की भी बर्बादी होगी। सरकारी कार्य नियमो की उलझन में लटके रहेंगे। नौकरी वाले लोग आज कागजी कार्यो में सावधानी रखें। व्यापारी वर्ग आज व्यापार में उतार चढ़ाव के दौर से गुजरेंगे एक पल में लाभ की आशा बनेगी अगले ही पल आशा निराशा में बदल जाएगी। घर गृहस्थी में भी आज किसी ना किसी के बीमार पड़ने से अतिरिक्त परेशानी रहेगी। महिलाये पुरुषों की अपेक्षा शांत रहेंगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आपके लिए आज का दिन भी लाभदायक रहेगा। दिन के आरंभ में अवश्य थोड़ी सुस्ती रहेगी इसके बाद का समय व्यस्त रहेगा। कार्य क्षेत्र के साथ ही आज अन्य काम भी आने से थोड़ी असुविधा होगी परन्तु तालमेल बैठा ही लेंगे। नौकरी वाले लोगो को अधिकारी वर्ग के गंभीर रहने से थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन इसका परिणाम बाद में लाभदायक रहेगा सही समय पर कार्य पूर्ण होंगे। व्यवसायी वर्ग आज लेदेकर काम चलाने की नीति अपनाएंगे खर्च करने पर ही लाभ की स्थिति बन सकेगी। महिलाये भी आज भविष्य के लिए संचय कर सकेंगी।

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*वर्तमान युवा पीढ़ी भी करे कार सेवा**

22 जनवरी 2024 के दिन अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर में प्रभु श्री राम अपने सभी स्वरूपों में स्थापित होने वाले हैं। 500 वर्षो के अथक संघर्ष के बाद यह अवसर आया हैं, जब अयोध्या में प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर पुनः स्थापित हो रहा है। जिसका उत्साह भारत ही नहीं विश्व के कोने-कोने में दिखाई दे रहा हैं।

स्वतंत्रता के बाद श्री राम मंदिर आंदोलन के चलते 80 और 90 के दशक के सभी लोगो को मंदिर निर्माण के आंदोलन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ने का अवसर भी मिला।

और एक समय यह भी आया जब भारत की धरती पर लगे कलंक को हमेशा के लिए मिटा दिया गया। उसके बाद भी पुनः भव्य मंदिर निर्माण का संघर्ष बहुत लम्बा चला और वर्षो की सतत न्याय प्रक्रिया के बाद भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

किन्तु 90 के दशक के बाद दो ऐसी पीढ़ी हैं, जो 500 वर्ष के राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ हैं। जिसने उस संघर्ष को केवल पढ़ा और सुना हैं। ऐसे में उस युवा पीढ़ी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी क्या हो सकती हैं कि वह वर्तमान युवा पीढ़ी भी अपने समय और परिस्थितियों के अनुसार कार सेवा को कर सके?

90 के दशक के बाद भारत में जन्म लेने वाली पीढ़ी की मानसिक स्थिति बिलकुल वैसी ही हैं। जैसी मानसिक स्थिति 500 वर्ष पूर्व उस पीढ़ी की रही होगी, जिसके सामने अपने आराध्य के विशाल मंदिर को विधर्मियो के द्वारा जबरदस्ती ढ़हा दिया गया और वह पीढ़ी असहाय होकर सब देखती रही।

किन्तु उस पीढ़ी के अंतर्मन के भीतर मंदिर के रूप में धर्म की पुनर्स्थापना को लेकर जो संकल्प जागृत हुआ होगा, जिसके परिणाम स्वरुप 500 वर्षो के बाद हम वर्तमान में भव्य मंदिर निर्माण के रूप में देख रहे हैं। उसी दृढ विश्वास के साथ वर्तमान युवा पीढ़ी को भी आनेवाले हजारो वर्षो तक उसी धर्म स्थापना के संकल्प को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता होगी।

जिससे आगे आने वाले हजारो वर्षो तक कोई विधर्मी हमारे आराध्य के किसी भी स्थल को क्षति पहुंचाने का कुंठित साहस ना कर सके। वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए यही शास्वत कार सेवा होगी।

कार सेवा, निर्माण के साथ-साथ निरंतर कार्य को करने की भी हो सकती हैं। 90 के दशक के बाद में जन्मे युवाओ के लिए यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी का कार्य इसी पीढ़ी के जिम्मे भी हैं।

वर्तमान युवा पीढ़ी को संपूर्ण समाज को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता हैं कि वर्तमान से लेकर आने वाली सभी पीढ़ी को यह सन्देश देना हैं कि विपरीत परिस्थितियो के चलते जो भूल 500 वर्ष पूर्व समाज से हो गयी थी, उसकी पुनरावृत्ति आगे आने वाले हजारो वर्षो तक ना होने पाए और समाज को जागृत करने के साथ-साथ समाज को सही दिशा में लेकर जाना और भारत के विचार को संपूर्ण विश्व तक पहुंचाते हुए कार सेवा के रूप में विश्व का मार्ग दर्शन करना।

**लेखक‐सनी राजपूत‐अधिवक्ता, उज्जैन**
**The Narrative World‐-11-Jan-2024**

**11 जनवरी, 1966: भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु**

रहस्यमई परिस्थितियों में हुई इस संदिग्ध मौत के उपरांत जब भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो उनका शरीर नीला पड़ा हुआ था उनके शरीर पर कई स्थानों पर चकत्ते के दाग थे एवं कई स्थानों पर प्रत्यक्ष रूप से कटे के निशान देखे जा सकते थे।

10 जनवरी वर्ष 1966 की रात, भारतीय इतिहास के लिए एक काली रात साबित हुई थी, जब देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हत्या कर दी गई। शास्त्री जी वहां भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1965 के युद्ध में भारत की विजय के उपरांत समझौते के लिए ताशकंद गए थे।

मूल रूप से वाराणसी के समीप पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के रहने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री बेहद ही सरल स्वभाव के थे और सादा जीवन जीते थे। उनकी सरलता इसी बात से समझी जा सकती है कि प्रधानमंत्री बनने के उपरांत भी उन्होंने अपने लिए निजी गाड़ी नहीं रखी और प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान अपने निवास स्थान ‘7लोक कल्याण मार्ग’ पर स्वयं खेती किया करते थे।

अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान शास्त्री जी ने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए श्वेत क्रांति अभियान समेत किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाईं। शास्त्री जी भविष्यदृष्टा थे, वे जानते थे कि भारत के लिए सर्वप्रथम वरीयता आत्मनिर्भरता को देनी चाहिए इसलिए उन्होंने इस से संबंधित नए उपक्रमों को क्रियान्वित किया।

हालांकि अभी शास्त्री जी को प्रधानमंत्री पद संभाले हुए एक वर्ष ही हुआ था कि इस दौरान पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। अपने सरल स्वभाव और सहज आचरण के लिये पहचाने जाने वाले शास्त्री जी ने युद्ध की परिस्थितियों में “जय जवान जय किसान” जैसा जनमानस को प्रेरित करने वाला उद्धघोष दिया जो आज भी देश मे खूब प्रचलित है।

युद्ध की परिस्थितियों में सहज और सरल आचरण रखने वाले शास्त्री जी ने दृढ़तापूर्वक देश का नेतृत्व किया, जिसमें अन्तोगत्वा भारत की विजय हुई। हालांकि युद्ध के उपरांत पाकिस्तान के तत्कालीन सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका के संभावित हस्तक्षेप को देखते हुए तत्कालीन वैश्विक शक्ति सोवियत संघ द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया गया, जिस दौरान उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों की भेंट हुई।

इस वार्ता में लाल बहादुर शास्त्री ने उदार हृदय का परिचय देते हुए ऐसे कई पाकिस्तानी प्रांतों को पाकिस्तान को लौटाया जिस पर युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने कब्जा जमाया हुआ था।
10 जनवरी वर्ष 1966 को हुए समझौते के उपरांत प्रधानमंत्री को वापस भारत आना था हालांकि इसी दौरान 11 जनवरी की रात को ताशकंद में ही भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई।

अपनी मृत्यु से पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी बेटी से हुई आखरी बातचीत में कहा था कि “मैंने भोजन कर लिया है और मैं अब विश्राम करने जा रहा हूं।”

उनकी मृत्यु के उपरांत आधिकारिक रूप से रूसी सरकार द्वारा यह कहा गया कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी जिसे बाद में भारत की सरकार ने भी अपना आधिकारिक पक्ष बनाया, जबकि शास्त्री जी के निजी चिकित्सक आर.एन चुग ने सार्वजनिक रूप से ये जानकारी दी थी कि उन्हें दिल की कोई बीमारी नहीं थी।

रहस्यमई परिस्थितियों में हुई इस संदिग्ध मृत्यु के उपरांत जब प्रधानमंत्री शास्त्री जी का पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो उनका शरीर नीला पड़ा हुआ था, उनके शरीर पर कई स्थानों पर चकत्ते के दाग थे एवं कई स्थानों पर प्रत्यक्ष रूप से कटे के निशान देखे जा सकते थे।

उनके पार्थिव शरीर को देखकर ऐसा प्रत्यक्ष रूप से प्रतीत हो रहा था कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से नहीं अपितु संभावित रूप से जहर देने के कारण हुई थी, बावजूद इसके भारत की तत्कालीन सरकार ने इस विषय में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की और उनका भारत आने के उपरांत दोबारा पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया।

शास्त्री जी की मौत जहर से होने के पीछे एक आशंका यह भी जताई जाती रही है कि मृत्यु की रात उनका भोजन उनके रसोइए रामनाथ के बजाय सोवियत संघ में भारतीय राजदूत टीएन कॉल के रसोइए जान मोहम्मद द्वारा बनाया गया था।

उनकी रहस्यमई मृत्यु को लेकर संदेह इसलिए भी गहराता है कि शास्त्री जी के निजी चिकित्सक आर.एन. चुग एवं उनके रसोइए की जनता के भारी दबाव में सरकार द्वारा गठित की गई जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत होने से पूर्व ही दुर्घटना में मौत हो गई थी।

आशंका है कि इन दोनों को ही षड्यंत्र के तहत दुर्घटनाओं में मारा गया था। रसोईए रामनाथ के विषय में यह संदेह इसलिए भी और गहरा होता है क्योंकि समिति के समक्ष प्रस्तुत होने के पूर्व उन्होंने कहा था कि “मैं अपने दिल पे एक बोझ ले के जी रहा हूँ, जिसे मैं देश के सामने लाना चाहता हूं।”

दरअसल इसमें कोई संदेह नहीं कि लाल बहादुर शास्त्री की लोकप्रियता से पार्टी के भीतर उनके कई विरोधी थे जिन्हें शास्त्री जी के उपरांत प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी का समर्थक माना जाता था, इसके अतिरिक्त शास्त्री जी की आत्मनिर्भर भारत की नीतियों के लिए तत्कालीन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए भी उन्हें भविष्य के लिए खतरा मानती थी, जिसको लेकर रहस्यमई परिस्थितियों में हुई उनकी संदिग्ध मृत्यु को लेकर आशंकाएं बढ़ जाती हैं।

यह भारत में सुभाष चंद्र बोस के तथाकथित रूप से विमान दुर्घटना में मारे जाने की अवधारणा को स्वीकारने के उपरांत हुई किसी बड़े राजनीतिक हस्ती की दूसरी ऐसी संदिग्ध मृत्यु थी जिस पर तत्कालीन भारतीय केंद्र सरकार द्वारा लीपापोती करने का प्रयास किया गया।

आज इस हृदय विदारक घटना के दशकों उपरांत भी भारतीय जनमानस, अपने लोकप्रिय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की रहस्यमई परिस्थितियों में हुई संदिग्ध मृत्यु को लेकर उपजे प्रश्नों का उत्तर ढूंढ रहा है।

**The Narrative World–11-Jan-2024**

**इंडी गठबंधन- सिद्ध हुआ रामद्रोही**
**कांग्रेस ने ठुकराया निमंत्रण, अखिलेश ने पहचाना नहीं**

**मृत्युंजय दीक्षित**

क्रमशः वामपंथी, तृणमूल, राजद, सपा के बाद कांग्रेस ने भी मुस्लिम तुष्टीकरण की विकृत राजनीति को आगे बढ़ाते हुए श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर बन रहे भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया है। स्पष्ट है कि कांग्रेस और इसके नेतृत्व में आकार ले रहा इंडी गठबंधन पूर्णतया हिंदू विरोधी है। कांग्रेस इस निर्णय से यह संकेत भी मिल रहे हैं कि कांग्रेस के अपने नेताओं और इंडी गठबंधन के सदस्य दलों के सनातन और हिन्दू विरोधी बयान कांग्रेस आलाकमान की सहमति से ही आ रहे थे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश जहाँ एक और कह रहे हैं कि राम मंदिर का कार्यक्रम संघ व भाजपा का कार्यक्रम है वहीं दूसरी और यह आरोप भी लगा रहे हैं कि अधूरे मंदिर का उद्घाटन कराकर भाजपा राजनैतिक लाभ लेना चाह रही है।
कांग्रेस ने जब 14 जनवरी से अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत करने की घोषणा की तभी संकेत मिल गया था कि कांग्रेस के नेता फिलहाल रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जा रहे हैं। श्री रामजन्मभूमि और श्री राम से जुड़े कांग्रेस के इतिहास को देखते हुए यह स्वाभाविक भी था । जिन श्री राम के काल्पनिक होने का हलफनामा नयायालय में दिया हो भला उनकी जन्मभूमि पर बने मंदिर में उन्ही की प्राण प्रतिष्ठा में क्या मुंह लेकर जायेंगे ? और फिर जिनको “राम काल्पनिक हैं” कहकर खुश किया था उनको कैसे साधेंगे?
कांग्रेस के आदि नेता और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने तो वर्ष 1949 में ही विवादित ढांचे से श्री रामलला को बाहर निकालने के प्रयास आरम्भ कर दिए थे और इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री पर पर्याप्त दबाव भी बनाया था वो तो भला हो सनातन के प्रतिपालक अधिकारी के.के. नायर का जो दबाव में नहीं आए और सत्य का साथ दिया। सनातन के अपमान और मुस्लिम तुष्टीकरण की अपनी परंपरा कांग्रेस कैसे तोड़ सकती थी? कांग्रेस के इतिहास का स्मरण रखने वाले सुधीजन सोशल मीडिया पर उपहास में कह रहे हैं, “अच्छा ही है कांग्रेस का निर्णय, रामद्रोहियों का अयोध्या में क्या काम है?”
वैसे कांग्रेस के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सामरोह में न जाने से उसे आगामी लोकसभा चुनावों में नुकसान होने की संभावना ही अधिक है अगर कांग्रेस नेता समारोह में चले जाते तो सनातन हिंदू समाज में कांगेस के नाराजगी स्वाभाविक रूप से कम हो सकती थी किन्तु अब तो यह तय हो गया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका आदि का चुनावों के समय मंदिर -मंदिर जाना केवल ढोंग और धोखा है। कांग्रेस पूरी तरह से मुस्लिम परस्त पार्टी है जिसका प्रमाण कर्नाटक और तेलंगाना आदि में देखने को मिल रहा है।
जब से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तिथि की घोषणा हुई है तभी से इंडी गठबंधन के विभिन्न दलों के नेता एक के बाद एक राम मंदिर के खिलाफ कोई न कोई भड़काऊ बयानबाजी कर रह हैं । बिहार के चारा घोटाले सहित कई अन्य घोटालों में संलिप्त रहे राजद नेता लालू यादव उनके परिवार के सदस्यों सहित उनके तमाम मंत्री व विधायक लगातार हिंदू विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं। लालू पुत्र तेजस्वी ने कहा कि जब चोट लगेगी तब मंदिर जाओगे या अस्पताल, जब भूख लगेगी तब भी क्या मंदिर ही जाओगे। इसी पार्टी के एक नेता ने कहा कि मंदिर जाना व घंटी बजाना गुलामी की मानसिकता का प्रतीक है। तेजस्वी के भाई तेजप्रताप कहते हैं कि जब देश में गठबंधन की सता आयेगी तब असली रामराज्य आयेगा।
उधर अयोध्या वाले प्रदेश यानि उत्तर प्रदेश में समाजवादी नेता अखिले शयादव ने तो विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को पहचानने से मना करते हुए निमंत्रण ठुकरा दिया है । अखिलेश के साथी और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कारसेवकों के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू समाज का अपमान करने वाले बयानों का अब उनकी अपनी ही पार्टी में मुख्रर विरोध हो रहा है और पार्टी के अन्य विधायक अखिलेश यादव से उनकी बार-बार शिकायत कर रहे हैं किंतु वह स्वामी प्रसाद मौर्य रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं क्योंकि उनके सिर पर अखिलेश का हाथ है। सिद्ध हो रहा है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम तुष्टीकरण और हिंदू समाज पर अत्याचार करने वालों का समूह मात्र है। यह वही समाजवादी पार्टी है जो हर चुनावों में मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर अयोध्या मे बाबरी मस्जिद बनाने की घोषणा करती रही है । समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान वर्क जैसे लोग 22 जनवरी को घर में बंद रहकर बाबरी की वापसी के लिए दुआ करने वाले हैं। समाजवादी नेता अखिलेश यादव कह रहे हैं कि किसी का कोई हो लेकिन हमारा भगवान तो पीडीए है किंतु अखिलेश यादव को यह नहीं पता कि अब पीडीए भी उनके हाथ से निकलता जा रहा है और विकसित भारत संकल्प यात्रा से लेकर स्नेह यात्रा और फिर विश्वकर्मा योजना के कारण पीडीए समाज भी भारतीय जनता पार्टी की ओर उन्मुख होता जा रहा है।
गठबंधन की पार्टी द्रमुक सनातन को समाप्त करने की बात कर चुकी है उधर तृणमूल अल्लाह की कसम खा रही है, वामपंथियों का तो कहना ही क्या। इन परिस्थितियों में यदि लोकसभा चुनावों में मतों का ध्रुवीकरण होता है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी और उसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार होगी। कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश के बयान के बाद सब कुछ साफ हो चुका है, इसकी भूमिका सैम पित्रोदा पहले ही लिख चुके थे। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर न बन पाये इसके लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा रखी थी । इंडी गठबंधन में शामिल सभी दल व नेता हिंदू सनातन संस्कृति, भारतीय सभ्यता व संस्कृति, भाषा, रहन सहन व खान पान के घोर विरोधी हैं।कांग्रेस ने सदा प्रभु राम को काल्पनिक माना माना था और रामसेतु तक को तोड़ने का उपक्रम किया।
सनातन समाज संभवतः अब एक ही कथन सुन रहा है, एक ही कथन जप रहा है – “जाके प्रिय न राम बैदेही, तजिए ताहि कोटि बैरी सम जद्दपि परम सनेही”
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित
फोन नं. – 9198571540
 **लोकमंगल की अयोध्या
**देवानाम् पुरयोध्या**

*सिख मत का अयोध्या से रिश्ता कितना निकट का रहा है, इसका प्रमाण है गुरुगोविंद सिंह जी के साक्षात् शिष्य भाई मणी सिंह की पुस्तक ‘पोथी जनम साखी।’* यह पुस्तक मुस्तफाई छापाखाना, लाहौर से सन् 1890 में छपी है।
इस पुस्तक में भाई मणी सिंह लिखते हैं कि- *”जैसे चारों युग में ईश्वर ने अवतार लिया, वैसे ही त्रेता में भगवान राम ने अवतार लिया, धर्म की मर्यादा की रक्षा के लिए।” सिख धर्म की पृष्ठभूमि में चारों युगों का वर्णन ध्यान देने वाला है।*
भाई मणी सिंह आगे लिखते हैं- *”जगत् में विष्णु भक्ति मुसलमानों के कारण लुप्त हो रही है। इससे उद्धार की विनती ईश्वर से की गई। तां महाराज ने धिआन से गुरुनानक जी का सरूप परगट हुआ।” यानी तब इस संकट से लड़ने के लिए गुरुनानक देवजी ने भारतवर्ष में जन्म लिया।*

इसी पुस्तक में *गुरुनानक देवजी के अयोध्या जाने और रामजन्मभूमि के दर्शन का उल्लेख है। ब्रह्मघाट तीर्थ से वे नाव में बैठकर अयोध्या पहुँचे थे। (पृष्ठ 213)*
रामजन्मस्थान की स्थिति देख गुरुनानक देव ने यह भी कहा कि- *”भाई मरदाना सो असी दसवाँ अवतार धार के मलेछा दा नास करांगे।” यानी दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंहजी के रूप में शस्त्रधारी बनकर कालांतर में उन मलेच्छों का अंत करेंगे। (पृष्ठ 265)*

अयोध्या के *गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड* के दर्शन के लिए दुनिया के कोने-कोने से सिख आते हैं। *सिखपंथ के पहले गुरु गुरुनानक देव, नौवें गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंहजी ने ब्रह्मकुंड में ध्यान किया था। पौराणिक कथा के अनुसार यहीं कभी ब्रह्मा ने तपस्या की थी। इसी कारण इसका ‘ब्रह्मकुंड’ नाम पड़ा। गुरुगोविंद सिंहजी ने पटनासाहिब से आनंदपुर जाते हुए यहाँ रुककर रामलला के दर्शन किए थे।*
कथा यह भी है कि *रामजन्मभूमि की रक्षा के लिए गुरुगोविंद सिंह की निहंग सेना ने मुगलों की शाही सेना से कड़ा संघर्ष किया था। उस समय दिल्ली पर औरंगजेब का शासन था।*

**बाजीराव पेशवा के सामने 70 हजार मुगल सैनिकों का समर्पण**

योजना के अनुसार निजाम भोपाल आकर किले में रुक गया। पेशवा और मराठा सेना को घेरने के लिये भोपाल के समीप सिरोज से लेकर दोराहे तक और रायसेन के बीच नाकाबंदी कर ली गई। रास्ते में इस नाकबंदी की खबर बाजीराव को लग गई थी। बाजीराव चलती हुई सेना में रणनीति बनाने और बदलने में माहिर माने जाते थे। उनकी सेना में लगभग पचास हजार सैनिक थे।

इतिहास के पन्नों में एक ओर आक्रांताओं के क्रूरतम अत्याचार और विध्वंस का वर्णन है तो दूसरी ओर भारतीयों के शौर्य का विवरण भी। भोपाल के समीप हुआ यह एक ऐसा युद्ध था जिसमें मुगल, निजाम हैदराबाद, अवध एवं भोपाल नबाब की संयुक्त सेनाओं को मराठों ने पराजित किया और पेशवा बाजीराव ने 70 हजार मुगल सैनिकों से समर्पण कराया और पचास लाख रुपया युद्ध खर्चे के रूप में वसूल किये।

उन दिनों मुगल बादशाह मोहम्मद शाह दिल्ली की गद्दी पर थे। निजाम हैदराबाद, अवध, भोपाल आदि सब उनके आधीन थे। लेकिन निजाम भी मन ही मन अपनी ताकत बढ़ा रहा था। निजाम ने एक प्रकार से भोपाल रियासत को अपने आधीन कर लिया था। उधर मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव ने उत्तर भारत में अपनी धाक भी जमा ली थी। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के उस सपने को पूरा करने के अभियान में लगे थे जो उन्होंने पूरे भारत में हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना का देखा था। बाजीराव 1720 में पेशवा बने और उत्तर भारत में अभियान आरंभ किया। उन्हें हर युद्ध में विजय मिली।

युद्ध के मैदान में मुगल और मुगलों का कोई समर्थक उनके सामने टिक ही नहीं पाया। इसके दो कारण थे। एक तो औरंगजेब के मरने के बाद मुगल सत्ता कमजोर होने लगी थी। दूसरे पेशवा बाजीराव अद्भुत सेनापति थे। वे युद्धनीति और कूटनीति दोनों में पारंगत थे। उन्होंने दिल्ली पर अनेक धावे बोले। वे हर युद्ध अभियान में सफल रहे।

अपने इन्ही अभियानों की श्रृंखला में मराठा सेना दिल्ली पर चढ़ाई की थी। हमले के बाद बादशाह मोहम्मद शाह ने एक प्रकार से समर्पण ही कर दिया था। पर बादशाह ने मन ही मन पेशवा बाजीराव और मराठों की शक्ति समाप्त करने की योजना बनाई। अपनी योजना को पूरा करने केलिये बादशाह ने निजाम हैदराबाद से संपर्क किया। निजाम भी एक युद्ध में बाजीराव से पराजित हो चुक था। उन दिनों भोपाल रियासत निजाम के आधीन हुआ करती थी। बादशाह ने अवध नबाब से भी बात की और राजा जयसिंह द्वितीय से भी।

रणनीति बनी कि पेशवा बाजीराव के नेतृत्व उत्तर भारत से लौट रही मराठा सेना को भोपाल में घेरा जाय। योजना के अनुसार निजाम भोपाल आकर किले में रुक गया। पेशवा और मराठा सेना को घेरने के लिये भोपाल के समीप सिरोज से लेकर दोराहे तक और रायसेन के बीच नाकाबंदी कर ली गई। रास्ते में इस नाकबंदी की खबर बाजीराव को लग गई थी। बाजीराव चलती हुई सेना में रणनीति बनाने और बदलने में माहिर माने जाते थे। उनकी सेना में लगभग पचास हजार सैनिक थे।

उन्होंने योजना गुप्त रखी और सेना को तीन टुकड़ियों में बाँट दिया। इनमें बीस बीस हजार के दो दस्ते और एक दस्ता दस हजार का बनाया। दोनों बड़े दस्तों को दो अलग अलग दिशाओं में रवाना कर दिया। पेशवा ने दस हजार की सेना वाला दस्ता अपने पास रखा। और अपनी गति धीमी की। यह समाचार भोपाल भी पहुँचा। निजाम को लगा अब बाजीराव को घेरना आसान होगा। लेकिन तभी पहले दस्ते ने सिरोंज से आगे बढ़कर धावा बोला । इसकी कमान सिंधिया के हाथ थी।

दूसरे दस्ते ने आष्टा से धावा बोला। इसकी कमान होल्कर के हाथ में थी। यह युद्ध दिसम्बर 1737 के अंतिम सप्ताह में आरंभ हुआ। लगभग एक सप्ताह के भीषण युद्ध के बाद पेशवा की तीसरी सुरक्षित टुकड़ी चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में सीधे भोपाल में घुसी और किला घेर लिया। किले के भीतर निजाम हैदराबाद, नबाब भोपाल, नबाब अवध भी मौजूद थे। किला घेरकर पानी की सप्लाई काट दी गई। कुछ विवरणों में यह भी लिखा है कि पानी में विष मिला दिया गया था। जो हो, विष मिलाया हो अथवा पानी की सप्लाई काटी हो। किले के भीतर लोग प्यास से बेहाल हो गये। तब निजाम ने राजा जयसिंह द्वितीय के माध्यम से संधि का प्रस्ताव भेजा।

भोपाल के समीप दोराहा नामक स्थान पर पेशवा बाजीराव और राजा जयसिंह द्वितीय के बीच यह वार्ता आरंभ हुई। जो इतिहास में भोपाल युद्ध और दोराहा संधि के रूप में जानी जाती है। यह वार्ता 7 जनवरी 1738 को संपन्न हुई। पेशवा बाजीराव ने समझौते के लिये युद्ध स्थल पर मौजूद सभी मुगल सेना के पूर्ण समर्थन की शर्त रखी। निजाम ने शर्त मानी। यह मुगल सेना लगभग सत्तर हजार सैनिकों की एक संयुक्त सेना थी जिसमें मुगल, निजाम, अवध और भोपाल रियासतों के सैनिक थे। सबका समर्पण हुआ। मराठा सेना ने मुगल सेना की तोपें और कुछ हथियार जब्त किये तथा युद्ध व्यय के रूप में पचास लाख रुपया भी वसूल किया। इसके साथ पूरे मालवा क्षेत्र में राजस्व बसूली के अधिकार भी मराठों ने लिये।

इतिहास में यह युद्ध अपनी तरह का बहुत अलग था। बाजीराव पेशवा जब मथुरा से चले थे तब उन्हें कल्पना भी नहीं थी कि मार्ग में उन्हे घेरने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। षड्यंत्र की सूचना उन्हें मार्ग में मिली। उन्होने बिना किसी हलचल के अपनी सेना को तीन टुकड़ियों में विभाजित कर दिया। एक टुकड़ी आरोन के रास्ते सिरोंज की ओर चली तो दूसरी देवास की ओर रवाना हुई।

सेना को विभाजित करके अलग-अलग दिशाओं से हमला बोलना पेशवा बाजीराव की रणनीति थी। मराठा सेना के अलग अलग दिशाओं में जाने का यह समाचार जब भोपाल आया तो निजाम हैदराबाद को अपनी जीत आसान लगी। उसे कल्पना भी न थी कि जो सेना देवास की ओर गई है वह आष्टा के रास्ते से भी हमला कर सकती है। दो दिशाओं से हुये इस हमले और तीसरी टुकड़ी द्वारा सीधे किला घेर लेने जैसी रणनीति विश्व में बहुत कम देखने को मिलती हैं। अनेक युद्ध लेखकों ने इस युद्ध का विश्लेषण किया और इसे विश्व के अनूठे युद्ध में से एक माना।

**लेखक-‐रमेश शर्मा—वरिष्ठ पत्रकार**