आज का पंचाग आपका राशि फल, आज है मोहनी एकादशी करें ये उपचार, संस्कार संस्कृति और प्रकृति विरोधी शहर, समलैंगिकता: एक प्रसव-हीन ‘सुप्रीम’ बुद्धि विलास

पहले मंदिरों के आस पास केवल आम बड़ पयां पीपल नीम रूद्राक्ष कदम्ब और (पहाड़ों में भोज थुनेर देवदार) वृक्ष तथा सुगंधित पुष्प और तुलसी का पौधा होते थे। अब मानव जनित गंदगी होती है।

शहर में रहने वाले वास्तव में धरती के बोझ हैं। ये सुन्दर धराधाम को कंक्रीट का का जंगल और नदियों को गटर बनाने के लिए कुख्यात हैं
ये धरती का दिया हुआ केवल खाते हैं धरती पर उगाते नहीं है।
ये गाय बैल भैंस मछली पक्षी पालते नहीं हैं उनके दूध और चमड़े का उपभोग करते हैं।
ये पर्यावरण प्रदूषण शोर प्रदूषण जल प्रदूषण और वैचारिक प्रदूषण के कारक हैं।
प्रकृति जब रूष्ट होती है तब ये प्रसन्न होते हैं।

प्रयागराज का क्षेत्र का रहने वाला मेरा एक किसान मित्र कह रहा था इस वर्ष असमय बरखा होने के कारण गेंहूं बाली पर ही सड़ गया।
इस बरखा के कारण इस वर्ष खेतों में कीड़े मकोडे और खर पतवार बहुत पनपेगा।

वहीं एक दिल्ली की नाते दार कह रही थी इस वर्ष मौसम चकाचक है पता ही नहीं चल रहा कि गर्मी आ गयी। यही अंतर है प्रकृति के निकट रहने वाले किसानों और शहर में रहने वाले शैतानों में।

कुछ कुछ कबीले तो मरने के बाद भी धरती को घेरे रहते हैं। वे समूची धरती को  कब्रिस्तान बना कर दम लेंगे। मरने के बाद तो धरती का बोझ कम करो विध्वंसक हिंषक पकृति विरोधी कबीलों।

प्रकृत्ति का गणित और विज्ञान बहुत स्पष्ट है कि यदि हम प्रकृति की सुरक्षा नहीं करेंगे तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करने में असमर्थ हो जायेगी।
इसीलिए हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने लाखों वर्ष के अनुसंधान के बाद प्रकृति के अनुरूप रहने के लिए नियम बनाये जिन्हें सोलह संस्कार कहा जाता है। विवाह और संतानोत्पत्ति के भी नियम हैं। ताकि धरती पर अनावश्यक बोझ ना बनें। ये सोलह संस्कार प्रकृत्ति सम्मत जीवन यापन के नियम ही हैं, यहां तक कि आत्मा के परिष्कार के लिए भी हैं ताकि मरणोपरांत हमारी आत्मा रूपी यूनिट कूकर शूकर कीड़े मकोडे ना बने।
पेड़ लगाने और पशुपालन के भी नियम थे। पंच वृक्ष लगाने नव ग्रह वाटिका सताईस नत्रक्षत्रों की वाटिका बनाना पहले समान्य बात थी।  गो वंश पालन अनिवार्य है । घर में कुत्ता पालन निषेध है। और बाघ की खाल से तो बाघंम्बर बनाना था ढोल पर चढ़ाना था। आज उल्टा कर दिया…. गाय काटी जा रही है, कुत्तों को बिस्तर में साथ सुला रहे हैं और बाघों के लिए टाईगर रिजर्व बना रहे हैं। मनुष्य ने अपना विनाश स्वयं ही सुनिश्चित कर रखा है। ✍️ हरीश मैखुरी

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(चित्र – राजस्थान सांगरिया हनुमान गढ का भद्रकाली मंदिर यहाँ पहले गुरूकुल थे अब कंक्रीट का जंगल उगा दिए)

🚩 *व्रत पर्व विवरण – मोहिनी एकादशी राष्ट्रीय श्रम दिवस*
🔥 *विशेष – *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
  🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *मोहिनी एकादशी* 🌷
➡️ *30 अप्रैल 2023 रविवार को रात्रि 08:29 से 01 मई, सोमवार को रात्रि 10:09 तक एकादशी है।*
💥 *विशेष – 01 मई, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।*
🙏🏻 *मोहिनी एकादशी ( उपवास से अनेक जन्मों के मेरु पर्वत जैसे महापापों का नाश )*
🙏🏻 
 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *वैशाख मास के अंतिम ३ दिन दिलायें महापुण्य पुंज* 🌷
   🙏🏻  *‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, (03 मई से 05 मई तक) त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं | इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं |  जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है |*
   🙏🏻  *वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है | जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है | जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है | अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है |*
🙏🏻 *जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता | इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये | अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए |*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) – इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) – इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*🕉️🚩🙏
🙏  *नारायण   नारायण*  🙏

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*श्री हरिहरौ*
*विजयतेतराम*

*सुप्रभातम*
*आज का पञ्चाङ्ग*
*_सोमवार, ०१ मई २०२३_*
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सूर्योदय: 🌄 ०५:५३
सूर्यास्त: 🌅 ०६:५५
चन्द्रोदय: 🌝 १४:४९
चन्द्रास्त: 🌜२७:३९
अयन 🌖 उत्तरायणे
(उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌡️ग्रीष्म
शक सम्वत:👉१९४५ (शोभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०८० (पिंगल)
मास 👉 वैशाख
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 एकादशी (२२:०९
से द्वादशी)
नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी
(१७:५१ से उत्तराफाल्गुनी)
योग👉ध्रुव(११:४५ से व्याघात
प्रथम करण👉वणिज(०९:२२तक
द्वितीय करण👉विष्टि(२२:०९तक
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मेष
चंद्र 🌟 कन्या (२४:२१ से)
मंगल 🌟 मिथुन
(उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध🌟मेष(अस्त,पश्चिम,मार्गी)
गुरु🌟मेष(उदित,पश्चिम,मार्गी)
शुक्र🌟 वृष (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:४१
अमृत काल 👉 १०:५० से १२:३५
रवियोग 👉 ०५:३४ से १७:५१
विजय मुहूर्त 👉 १४:२७ से १५:२१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:५३ से १९:१४
सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:५४ से १९:५८
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५२ से २४:३५
राहुकाल 👉 ०७:१४ से ०८:५४
राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 १०:३४ से १२:१४
होमाहुति 👉 शनि
दिशाशूल 👉 पूर्व
नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (१७:५१ से)
अग्निवास 👉 पाताल (२२:०९ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉 मृत्यु – ०९:२२ से २२:०९
चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण २४:२२ से)
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२२:०९ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – अमृत २ – काल
३ – शुभ ४ – रोग
५ – उद्वेग ६ – चर
७ – लाभ ८ – अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – चर २ – रोग
३ – काल ४ – लाभ
५ – उद्वेग ६ – शुभ
७ – अमृत ८ – चर
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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मोहिनी एकादशी व्रत (सभी के लिए),
विद्या एवं अक्षर आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०५:५१ से ०७:२९ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १७:११ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टी, टू) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (टे, टो, प) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मेष – २८:४९ से ०६:२३
वृषभ – ०६:२३ से ०८:१८
मिथुन – ०८:१८ से १०:३३
कर्क – १०:३३ से १२:५४
सिंह – १२:५४ से १५:१३
कन्या – १५:१३ से १७:३१
तुला – १७:३१ से १९:५२
वृश्चिक – १९:५२ से २२:११
धनु – २२:११ से २४:१५
मकर – २४:१५ से २५:५६
कुम्भ – २५:५६ से २७:२२
मीन – २७:२२ से २८:४५
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०५:३४ से ०६:२३
रोग पञ्चक – ०६:२३ से ०८:१८
शुभ मुहूर्त – ०८:१८ से १०:३३
मृत्यु पञ्चक – १०:३३ से १२:५४
अग्नि पञ्चक – १२:५४ से १५:१३
शुभ मुहूर्त – १५:१३ से १७:३१
रज पञ्चक – १७:३१ से १७:५१
शुभ मुहूर्त – १७:५१ से १९:५२
चोर पञ्चक – १९:५२ से २२:०९
शुभ मुहूर्त – २२:०९ से २२:११
रोग पञ्चक – २२:११ से २४:१५
शुभ मुहूर्त – २४:१५ से २५:५६
मृत्यु पञ्चक – २५:५६ से २७:२२
अग्नि पञ्चक – २७:२२ से २८:४५
शुभ मुहूर्त – २८:४५ से २९:३३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आप अपनी विद्या बुद्धि के बल पर धन कमाएंगे। पारिवारिक प्रतिष्ठा भी आज आपके आधे काम आसान बनाएगी। व्यवसायी वर्ग आज निसंकोच होकर निवेश का जोखिम ले सकते है लाभ ही होगा। नौकरी पेशा जातक भी अधिकारियों की कृपादृष्टि रहने से ज्यादा बेहतर काम करेंगे अपना काम भी आसानी से निकाल सकेंगे। आज परिवार के लोग भी आपकी प्रसंशा करेंगे संताने आज्ञा का पालन करेंगी। परिवार के बुजुर्ग किसी बात पर नाराज होंगे लेकिन बाद में अपनी गलती भी मान लेंगे। महिलाये दाम्पत्य को खुशहाल बनाने का हरसंभव प्रयास करेंगी लेकिन थोड़ी मनमानी भी करेंगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज भी दिन के आरंभ में आपको प्रतिकूल वातावरण का सामना करना पड़ेगा। घर मे व्यर्थ की बातों पर बहस हो सकती है जिससे परिजनों के प्रति मन खराब होगा। कार्य क्षेत्र पर भी आरम्भ में मंदी रहने से निराश रहेंगे। सेहत भी खराब रहने से कार्य मे उत्साह नही रहेगा। मध्यान से स्थिति में सुधार आने लगेगा आपका विरोध करने वाले सांत्वना दिखाएंगे। व्यवसाय में मेहनत का फल मिलने लगेगा। फिर भी आज दिन भर किसी के साथ बहस में ना उतरे हानि ही होगी। संध्या का समय व्यवसायियों को खुशखबरी देगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज दिन का आरंभिक भाग धन लाभ कराएगा व्यापार में कही से आकस्मिक धन मिलने से प्रसन्नता रहेगी। परिजन भी लाभ दिलाने में सहयोगी बनेंगे अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य मध्यान से पहले कर लें इसके बाद स्थिति प्रतिकूल हो जाएगी। आप जो चाहेंगे उसका उल्टा ही होगा परिजनों खास कर स्त्री अथवा भाई-बंधुओ से किसी वजह से कलह होने की संभावना है। व्यवसाय में भी आपकी मेहनत का लाभ कोई अन्य ही ले जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र पर उटपटांग बयानबाजी से बचना होगा मान भंग के प्रसंग बनेंगे। घर मे महिलाये उग्र माहौल बना सकती है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन मिला जुला रहेगा। दिन के पहले भाग में मन इच्छित कार्य होने से संतोष रहेगा। धन भी मिलने की संभावना बनेगी। दूर रहने वाले स्नेहीजन से शुभ समाचार मिलेंगे। परिवार में भी सुख शांति रहेगी। परन्तु मध्यान के बाद का समय विपरीत फल देने लगेगा लाभ की जगह आकस्मिक हानि के योग बनेंगे बनते कामो में विघ्न आने से कार्यो में जोखिम लेने से डरेंगे धन की आमद भी अल्प रह जायेगी। परिवार में किसी के साथ कोई दुर्घटना घट सकती है यात्रा अथवा बिजली के उपकरणों में अत्यंत सावधानी बरतें। आकस्मिक खर्च भी बढ़ेंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपमे दिखावे की मनोवृत्ति रहेगी। दिनचार्य में भी आडम्बर अधिक रहेगा। आज जिस भी कार्य को करेंगे बेमन से ही लोक लाज के कारण ही करेंगे। धार्मिक कार्यो में भी सम्मिलित होंगे परन्तु मन कही और ही भटकेगा। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा मंदिर में पूजा पाठ के अवसर मिलेंगे। सेहत में सुधार रहेगा लेकिन कार्यो के प्रति आलस्य दिखाएंगे। व्यवसायी वर्ग देर से निर्णय लेने के कारण हाथ आये लाभ के अवसर गंवा देंगे। फिर भी आज खर्च निकालने लायक धन कही ना कही से मिल ही जायेगा। परिवार की महिलाओं से सहायता मिलेगी साथ ही ताने भी सुनने पड़ेंगे। घर मे आवश्यकता पड़ने पर ही बोले शान्ति बनी रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज दिन के आरंभिक भाग में उदासीनता छाई रहेगी। किसी भी कार्य के प्रति उत्साह नही रहेगा परिजन भी दैनिक कार्यो के लिए एक दूसरे का मुंह ताकते रहेंगे। घर एवं कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था पसरेगी। दोपहर के बाद स्थिति सुधरने लगेगी कार्य व्यवसाय में लाभ के सौदे मिलने से धन संबंधित उलझनों का समाधान होने से अन्य रुके कार्य भी गति पकड़ेंगे। नये कार्य का आरंभ भी कर सकते है निकट भविष्य में लाभ देगा। जोखिम वाले कार्य भी जल्द ही लाभ देने वाले रहेंगे। परिवार का वातावरण भी मुराद पूरी होने से प्रसन्न बनेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के आरंभ में आप अपनी व्यवहार कुशलता एवं सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रयोग कर लाभ पाएंगे। व्यवसाय में आरम्भ में सुव्यवस्था रहेगी लाभ के अवसर मिलेंगे। रुके कार्यो में भी गति आएगी परन्तु दोपहर के बाद स्थिति एकदम उलट हो जाएगी जहां लाभ की संभावना थी वहां भी हानि होगी। आज किसी कारणवश महत्त्वपूर्ण कार्य को बीच मे ही छोड़ना पड़ेगा। हाथ आये अनुबंद निरस्त हो सकते है। महिलाये भी घरेलू कार्य मे नुकसान होने से दुखी होंगी। नौकरी व्यवसाय से जुड़ी महिलाये आज ज्यादा सतर्क होकर काम करें मामूली गलती विपत्ति ला सकती है। घर मे संध्या से उथलपुथल रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी आपके लिए आनंद दायक रहेगा। कुछ छोटी मोटी बातो को छोड़ व्यवसाय एवं घरेलू कार्य निर्विघ्न चलते रहेंगे। शारीरिक रूप से भी आज स्फूर्ति रहेगी। आज आप जो भी कार्य करेंगे उसमे लाभ-हानि का विचार पहले ही कर लेंगे जिससे लाभ की उम्मीदें ज्यादा रहेंगी। व्यवसाय में जोखिम लेने से डरें नही आज आपके लिए निर्णय लाभ ही देंगें भले विलम्ब से ही क्यों ना हो। घरेलू वातावरण भी मंगलमय रहेगा परिवार के किसी अविवाहित के रिश्ते की बात चलेगी। रिश्तेदारों की आवभगत करनी पड़ेगी। महिला वर्ग का विशेष सहयोग रहने से गृहस्थी में तालमेल बना रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी छवि धनवानों जैसी बनेगी भले ही अंदर से कुछ और ही रहे। उच्चाधिकारियों अथवा उच्चप्रतिष्ठित लोगो से संपर्क बनेंगे इनका व्यक्तिगत लाभ भी आपको शीघ्र ही मिलने वाला है। मध्यान के बाद भाग्योदय की स्थिति रहेगी। जिस भी कार्य मे हाथ डालेंगे सफलता थोड़े विलम्ब से ही सही अवश्य मिलेगी। सहकर्मी आपकी बातों को विश्वास से मानेंगे जिससे कार्य सुचारू रूप से चलते रहेंगे। परिवार की महिलाये भी आज काम पड़ने पर सहयोग करेंगी। स्त्री पक्ष से आर्थिक लाभ भी हो सकता है। परिवार के साथ पर्यटन की योजना बनेगी। खर्च भी आज बेहद रहेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के आरंभ में किसी शुभाशुभ समाचार मिलने से दुविधा में रहेंगे। व्यवसाय अथवा महत्त्वपूर्ण पारिवारिक निर्णय आज किसी की सलाह से ही लें स्वयं लिए निर्णय गलत होने की संभावना ज्यादा है। मध्यान बाद स्वभाव में चंचलता रहेगी गंभीर कार्यो में लापरवाही दिखाएंगे जिसके परिणाम निराशाजनक ही रहेंगे। आज आप आस आस के लोगो को हल्के में लेंगे इसका प्रतिकूल प्रभाव व्यक्तिगत संबंधों के साथ ही आय पर भी पड़ेगा। धन लाभ संध्या के आस-पास कामचलाऊ हों जायेगा। परिजन आपकी बातों को ज्यादा महत्त्व नही देंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन भी आपकी आशाओ पर खरा उतरेगा आज आप प्रत्येक कार्य को ज्यादा चौकन्ने होकर करेंगे फिर भी अगर आप किसी कार्य मे असफल होते है तो इसका कारण किसी अन्य व्यक्ति की कमी ही रहेगी। कार्य के साथ ही आज मनोरंजन भी करते रहने से स्वय के साथ ही सहकर्मियों को भी प्रसन्न रखेंगे पर्यटन की योजना अंत समय पर निरस्त हो सकती है जिससे कुछ समय के लिए मन खिन्न रहेगा। धन लाभ के लिए परिश्रम थोड़ा ज्यादा करना पड़ेगा लेकिन सफलता अवश्य मिलेगी। पारिवारिक वातावरण लगभग शांत ही रहेगा बुजुर्गो का सहयोग एव आशीर्वाद गृहशांति में उपयोगी बनेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
दिन का पूर्वार्ध आपकी आशाओ के अनुरूप ही रहेगा रुपये पैसे के प्रति विशेष गंभीर रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी पुराने अनुबंद से धन लाभ होगा नए अनुबंद मिलने की संभावना भी है लेकिन इसमें व्यवधान भी आएंगे। मध्यान बाद प्रत्येक कार्य मे उलझने पड़ने से विलम्ब होगा। ज्यादा कमाने के चक्कर में अनैतिक कार्य भी करेंगे जिससे हाथ आया धन भी नष्ट हो सकता है प्रलोभनों से बचें आज संध्या तक आपको पर्याप्त धन मिल जाएगा। व्यावसायिक अथवा अन्य कारणों से यात्रा हो सकती है। घरेलू माहौल सामान्य रहेगा महिलाओ की सलाह महत्त्वपूर्ण कार्यो में असरदार रहेगी।
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*समलैंगिकता: एक प्रसव-हीन ‘सुप्रीम’ बुद्धि विलास*

*वैदिक एवं अन्य धार्मिक वैवाहिक मान्यताएं* 

आज हमारे देश में समलैंगिक सम्बन्धों को सामाजिक मान्यता देते देते, उन्हें विवाहित दंपति मानकर अधिकार सम्पन्न भी करने की एक दुर्भाग्यपूर्ण व्यग्रता दिखाई दे रही है। इस असंवैधानिक विषय पर सर्वोच्च न्यायालय तक की अप्रत्याशित रुचि, और इसको लगभग मान्यता देते हुए, मुख्य न्यायाधीश महोदय की व्यक्तिगत टिप्पणियां भी अत्यंत निराशाजनक व अशोभनीय प्रतीत हो रही हैं।

आइये, हम सभी, भारतीय वैदिक संस्कृति में विवाह संस्कार से जुड़ी शास्त्र सम्मत मान्यताओं एवम् व्यवस्थाओं का अवलोकन करें।

हमारी संस्कृति में, परम्परा से, वेद और स्मृतिशास्त्र समर्थित संस्कार मनुष्य को सभ्य, शिष्ट, सुसंस्कृत एवं भयमुक्त बनाते हैं। हिन्दू संस्कृति में गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि पर्यंत सोलह संस्कारों का विधान है।

इन सोलह संस्कारों में से पंद्रहवां संस्कार है ‘विवाह संस्कार ।’

विवाह संस्कार मानव जीवन का बहुत ही महत्त्वपूर्ण संस्कार है। यह सिर्फ दो शरीरों का ही नहीं, अपितु दो आत्माओं का पवित्र मिलन है। विवाह के साथ ही गृहस्थ जीवन प्रारंभ होता है। 

यह गृहस्थाश्रम, चारों आश्रमों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि-

(1) बाकी तीन आश्रम-‘ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ तथा संन्यासाश्रम’ इसी गृहस्थाश्रम पर निर्भर हैं। 

ये तीनों आश्रमवासी गृहस्थियों से ही भिक्षा मांगकर एवम् विविध प्रकार की सहायता प्राप्त कर जीवन यापन करते हैं।

(2) मनुष्य अपने तीन ऋणों- पितृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण से इसी गृहस्थाश्रम में रहता हुआ उर्ऋण, हो पाता है।

(3) इतना ही नहीं, गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि पर्यंत सभी संस्कार विवाह संस्कार के कारण ही संभव हो पाते हैं। कारण स्पष्ट है, विवाह नहीं तो संतानोत्पत्ति नहीं। जब संतान ही उत्पन्न नहीं हो तो कोई भी आश्रम व्यवस्था चलने वाली नहीं है।

(4) धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से तीन पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, और काम की प्राप्ति का साधन भी विवाह ही है।

(5) हमारे शास्त्रों में पत्नी के बिना मनुष्य को यज्ञ तक करने का अधिकारी नहीं माना गया : 

*अयज्ञो वा एषः योऽपत्नीकः* (तैत्तिरीय ब्राह्मण 2.2.2.6)

(6) मनुष्य के मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए भी विवाह अत्यावश्यक है। विवाह से मनुष्य के दृष्टिकोण में परिवर्तन होता है। उसमें सहनशीलता, त्याग, क्षमा, दान, उदारता जैसे गुणों का विकास भी हो पाता है।

इन्हीं सभी कारणों से वेदों, गृह्यसूत्रों, स्मृति-ग्रंथों, आदि में विवाह संस्कार का विस्तृत वर्णन किया गया है। 

‘वि’ उपसर्ग पूर्वक वह्-प्रापणे धातु से ‘घन्’ प्रत्यय करने पर ‘विवाह’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका अर्थ है-*विवाहःविशिष्टवहनम्* । विवाह को विशिष्ट वहन माना गया है क्योंकि विवाह के पश्चात् वर और वधू, दोनों की जिम्मेदारियां, उनके कर्तव्य बहुत ही बढ़ जाते हैं।

महर्षि दयानंद ने अपनी संस्कारविधि में ‘विवाह’ की परिभाषा इस प्रकार की है,

*सन्तानोत्पत्तये* *वर्णाश्रमानुकूलमुत्तमकार्यसिद्धये च स्त्रीपुरुषयोः सम्बन्धो विवाहः*, अर्थात्, संतान की उत्पत्ति के लिए, वर्णाश्रम के अनुकूल, उचित कार्य करने के लिए स्त्री और पुरुष का संबंध ‘विवाह’ कहा जाता है।

तैतरीयोपनिषद् (1.11.1) में भी *प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः* अर्थात् ‘संतानोत्पत्ति रूपी वंश-परंपरा को विच्छिन्न मत करो’- यह कह कर विवाह की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसे शारीरिक अथवा सामाजिक बंधन नहीं माना गया है, बल्कि इसे जीवन की निरन्तरता का रूप दिया गया है।

वर, वधू का पाणिग्रहण करते समय वधू से कहता है कि, सौभाग्य और आजीवन साथ रहने के लिए भग, अर्यमा, सविता, आदि देवताओं की कृपा से गृहस्थ धर्म का पालन करने के लिए मैंने तुम्हारा हाथ थामा है,

*गृभ्णामि ते सौभगत्वाय हस्तं मया पत्या जरदष्टिर्यथासः।*

*भगो अर्यमा सविता पुरन्धिर्मह्यं त्वादुर्गार्हपत्याय देवाः।* 

(ऋग्वेद 10.85.36)

इसी कारण विवाह संस्कार को पाणिग्रहण संस्कार भी कहा जाता है।

वधू से आशा की जाती है कि पतिगृह जाकर वह संतान को जन्म देगी, पति-पत्नी दोनों के प्रेम में वृद्धि होगी, गृहस्थाश्रम के कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों को अच्छे से निभाएगी, पति के साथ एक प्राण, एक मन वाली होकर रहेगी तथा बच्चों को अच्छे संस्कार देगी। उन्हें भविष्य के उत्तम नागरिक बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

*इह प्रियं प्रजया समृध्यतामस्मिन् गृहे गार्हपत्याय जागृहि ।*

*एना पत्या तन्वं सं सृजस्वाऽधा जिव्री विदथमा विदाथः ।* 

(ऋग्वेद 10.85.27)

यहां ध्यान देने योग्य बात है कि सात फेरे और सप्तपदी, दोनों अलग अलग रस्में हैं। सात फेरों में वर और वधू अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेते हैं। और हर फेरे के साथ एक एक वचन लेते हैं जबकि सप्तपदी सात फेरों के बाद होती है जिसमें वर वधू सात कदम साथ चलते हैं और परिवार को आश्वस्त करते हुए कहते हैं कि अब हम पति-पत्नी के साथ साथ मित्र भी बन गए हैं, और हम आजीवन साथ रहेंगे।

विवाह संस्कार में होने वाली फेरों और वचनों की परम्परा में यह पांचवां फेरा और वचन, अत्यंत प्रासंगिक है:

*इन्द्राग्नी द्यावापृथिवी मातरिश्वा मित्रावरुणा भगो अश्विनोभा।*

*बृहस्पतिर्मरुतो ब्रह्म सोम इमां नारीं प्रजया वर्धयन्तु ।* 

(अथर्ववेद 14.1.54) 

वर कहता है- इंद्र, अग्नि, द्यौ, पृथिवी, मातरिश्वा, मित्र, वरुण, भग, अश्विनी कुमार, बृहस्पति, मरुद्, वेद और सोम मेरी इस पत्नी के माध्यम से हमें हमारी संतान प्रदान करने की कृपा करें।

वधू भी यही वचन देती है कि वह भी अपने पति के प्रति प्रेमभाव रखेगी और संतानों को जन्म देकर, परिवार और समाज की भावी पीढ़ी के निर्माण में सहायक होगी ।

इन फेरों के बाद वर वधू सात कदम एक साथ चलते हैं और अन्न, बल, धन, सुख, संतान, और ऋतु के अनुसार व्यवहार करने की तथा परस्पर मित्रता की प्रार्थना करते हैं-

*ओं ईषे एकपदी भव, ओं ऊर्जे द्विपदी भव, ओं रायस्पोषाय त्रिपदी भव, ऊं मायोभव्याय चतुष्पदी भव, ओं प्रजाभ्यः पञ्चपदी भव, ओं ऋतुभ्यः षट्पदी भव, ओं सखे सप्तपदी भव ।* (आ. गृ. सू. 1.7.19) 

यह सप्तपदी कहलाती है और इसके उपरांत ईश्वर, समाज और परिवार को साक्षी मानकर, उस दिन से दो अनजान युवक- युवती के बीच, पति-पत्नी के रुप में, मानों अटूट मित्रता हो जाती है *’मैत्री सप्तपदीनमुच्यते।’*

इस प्रकार वेदों के अनुसार विवाह एक आदर्श और सम्मानित सामाजिक प्रक्रिया है, एक मधुर बंधन है। गृहस्थ जैसे पवित्र आश्रम का आधार है जिसका लक्ष्य मात्र शारीरिक भोग विलास नहीं है अपितु यम, नियम, संयम से चलाने वाला यह एक मजबूत और अटूट रिश्ता है जो उत्तरदायित्वों से भरा होने पर भी अभीष्ट है।

स्पष्ट है कि सदियों से, विधर्मियों के सारे कुत्सित प्रयासों के वावजूद भी आज हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान यदि जीवित रह पाई है तो सिर्फ हमारी वैदिक संस्कृति में इसी वैवाहिक संबंध की पवित्रता, शालीनता और निरन्तरता के कारण ही रह पाई है।

यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संसार के अन्य प्रमुख धर्मों जैसे ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और अन्य सभी मतावलंबियों में भी इन प्रसव-हीन, अनुत्पादक (non productive) संबंधों की कोई मान्यता नहीं है। सभी धर्म और मत, पवित्र विवाह संबंधों के द्वारा मनुष्य जाति की निरन्तरता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को ही स्वीकार करते हैं। प्रकृति भी पशु पक्षियों में नर-मादा के माध्यम से उन योनियों की निरंतरता को सुनिश्चित करती है।

इसीलिए प्रकृति और संस्कृति, दोनों की सभ्य, शिष्ट और शालीन मूल अवधारणाओं को अनावश्यक रूप से तोड़ने पर आमादा कुछ मुट्ठी भर बुद्धि-विलासियों के धूर्त प्रयासों से विचलित नहीं होते हुए, हमें और भी सजग होने, सक्रिय चेतना जगाने और पूरी शक्ति से इस निंदनीय प्रयास का प्रतिकार करने की आवश्यकता है ।

आज यही हम सभी का दायित्व है और यही आज का राष्ट्रधर्म है। (साभार) 

1 मई

महत्त्वपूर्ण घटनाएँ – 

1840 – यूनाइटेड किंगडम ने पहला आधिकारिक डाक टिकट जारी किया।

1886 – अमेरिका में कामगारों के लिये काम के घंटे तय करने को लेकर हड़ताल की गई और उसी दिन से 1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस घोषित किया गया।

1897 – स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

1908 – प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर बम कांड को अंजाम देने के बाद खुद को गोली मारी।

1914 – कार निर्माता फोर्ड वह पहली कंपनी बनी जिसने अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे काम करने का नियम लागू किया।

1923 – भारत में मई दिवस मनाने की शुरुआत में चेन्नई में हुई। इससे पहले भारत के अतिरिक्त 80 देश ऐसे थे जहां एक मई को श्रम दिवस के रूप में मनाया जाता था।

1956 – जोनास सॉल्क द्वारा विकसित पोलियो वैक्सीन जनता के लिए उपलब्ध करायी गयी।

1960 – महाराष्ट्र एवं गुजरात को राज्य घोषित किया गया ।

1972 – देश की कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया।

1984 – फू दोरजी बिना ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल हुये।

1996 – संयुक्त राष्ट्र ने स्वयं को सरकारी तौर पर निर्धन घोषित किया।

1999 – नेपाल में मृत्युदंड की सज़ा समाप्त हुईं।

2001 – जैश-ए-मोहम्मद एवं लश्कर-ए-तोइबा संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवादी संगठन घोषित, भारत संयुक्त अमेरिका की विशेष 301 सूची शामिल किया गया।

2004 – यूरोपीय संघ में 10 नये राष्ट्र शामिल हुए।

2011- बराक ओबामा ने घोषणा की कि 11 सिंतबर के धमाकों का मा्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन मारा गया है।

2013 – स्व. रमेश भाई को श्रद्धांजलिस्वरूप उनके बासठवें जन्मदिवस समारोह मज़दूर दिवस के अवसर पर सर्वोदय आश्रम टडियांवा मे आयोजित समारोह में भारतकोश पर रमेश भाई से संबंधित सामग्री को वैश्विक पाठक वर्ग को समर्पित किया गया।

जन्मदिवस 

1913 – बलराज साहनी का जन्म हुआ।

1919 – भारतीय पार्श्व गायक मन्ना डे का जन्म हुआ।

1927 – हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं समकालीन आलोचक नामवर सिंह का जन्म हुआ 

1930 – निष्ठावान स्वयंसेवक बंसीलाल सोनी का जन्म हुआ ।

1951 – समाज सुधारक एवं सर्वोदय आश्रम टडियांवा के संस्थापक रमेश भाई का जन्म हुआ।

पुण्यतिथि 

1888 – स्वतंत्रता सेनानी प्रफुल्लचंद चाकी का निधन हुआ।

2008- गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध महिला सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे का निधन हुआ।

महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव – 

मई दिवस (विश्व श्रमिक दिवस)

महाराष्ट्र स्थापना दिवस

गुजरात स्थापना दिवस (साभार)