🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७९ || शक-सम्वत् १९४४ || याम्यायन् || नल नाम संवत्सर || हेमन्त ऋतु || मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष || तिथि चतुर्दशी पूर्वाह्न ८:०५ तक उपरान्त पूर्णिमा || चांद्रवासर || मार्गशीर्ष सौर २२ प्रविष्ठ || तदनुसार ०७ दिसम्बर २०२२ ई० || नक्षत्र कृतिका पूर्वाह्न १०:२६ तक उपरान्त रोहिणी (धाता) || वृषस्थ चन्द्रमा || श्री दत्तात्रेय जयंती || व्रत की पूर्णिमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
📖 *पर्वानुशंसा………………….*✍
*दत्तो महाहमिति यद्*
*भगवान् स दत्त:।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 मैनें अपने-आपको तुम्हें दे दिया– श्रीविष्णुके ऐसा कहनेसे भगवान् विष्णु ही अत्रिके पुत्ररूपमें अवतरित हुये और *दत्त* कहलाये। अत्रिपुत्र होनेसे ये *आत्रेय* कहलाते हैं
दत्त और आत्रेयके संयोग से इनका *दत्तात्रेय* नाम प्रसिद्ध हो गया। इनका अवतरण मार्गशीर्षकी पूर्णिमाको प्रदोषकालमें हुआ था। इनकी माताका नाम अनुसूया है।
*दत्तात्रेय जयन्तीपर अनन्त शुभकामनाएँ।
*सोमवार, ०२ जनवरी २०२३*
सूर्योदय: 🌄 ०७:१४
सूर्यास्त: 🌅 ०५:३०
चन्द्रोदय: 🌝 १३:५७
चन्द्रास्त: 🌜२८:००
अयन 🌖 दक्षिणायने
(दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 हेमंत
शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)
मास 👉 पौष
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 एकादशी (२०:२३
से द्वादशी)
नक्षत्र👉भरणी(१४:२४से कृत्तिका
योग👉साध्य(३०:५३से शुभ
प्रथम करण👉वणिज(०७:४३तक
द्वितीय करण👉विष्टि(२०:२३तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 धनु
चंद्र 🌟 वृष (२०:५१ से)
मंगल🌟वृष
(उदित,पश्चिम,वक्री)
बुध🌟धनु(अस्त,पश्चिम,वक्री)
गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,मार्गी)
शुक्र🌟मकर(उदित,पश्चिम)
शनि🌟मकर
(उदित,पूर्व,मार्गी)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०० से १२:४१
अमृत काल 👉 ०९:१७ से १०:५९
रवि योग 👉 ०७:१३ से १४:२४
विजय मुहूर्त 👉 १४:०३ से १४:४४
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:२६ से १७:५३
सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:२८ से १८:५१
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५३ से २४:४७
राहुकाल 👉 ०८:३० से ०९:४७
राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ११:०४ से १२:२१
होमाहुति 👉 शनि
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पाताल (२०:२३ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉 स्वर्ग (०७:४३ से २०:२३)
चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण २०:५२ से)
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२०:२३ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – अमृत २ – काल
३ – शुभ ४ – रोग
५ – उद्वेग ६ – चर
७ – लाभ ८ – अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – चर २ – रोग
३ – काल ४ – लाभ
५ – उद्वेग ६ – शुभ
७ – अमृत ८ – चर
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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पुत्रदा एकादशी व्रत (सभी के लिए) आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:२८ तक जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (लो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (अ, ई, उ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
धनु – ३०:०३ से ०८:०७
मकर – ०८:०७ से ०९:४८
कुम्भ – ०९:४८ से ११:१४
मीन – ११:१४ से १२:३७
मेष – १२:३७ से १४:११
वृषभ – १४:११ से १६:०६
मिथुन – १६:०६ से १८:२०
कर्क – १८:२० से २०:४२
सिंह – २०:४२ से २३:०१
कन्या – २३:०१ से २५:१९
तुला – २५:१९ से २७:४०
वृश्चिक – २७:४० से २९:५९
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पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – ०७:१३ से ०८:०७
शुभ मुहूर्त – ०८:०७ से ०९:४८
रोग पञ्चक – ०९:४८ से ११:१४
शुभ मुहूर्त – ११:१४ से १२:३७
शुभ मुहूर्त – १२:३७ से १४:११
रोग पञ्चक – १४:११ से १४:२४
शुभ मुहूर्त – १४:२४ से १६:०६
मृत्यु पञ्चक – १६:०६ से १८:२०
अग्नि पञ्चक – १८:२० से २०:२३
शुभ मुहूर्त – २०:२३ से २०:४२
रज पञ्चक – २०:४२ से २३:०१
शुभ मुहूर्त – २३:०१ से २५:१९
चोर पञ्चक – २५:१९ से २७:४०
शुभ मुहूर्त – २७:४० से २९:५९
रोग पञ्चक – २९:५९ से ३१:१३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन शुभ फलदायी है आज आप दिन के आरंभ में अपने कार्यो के प्रति लापरवाही करेंगे परन्तु धीरे धीरे व्यस्तता बढ़ने के साथ ही कार्य शैली में निखार आएगा मानसिक रूप से चंचल भी रहेंगे महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में दुविधा होगी इसलिये किसी अनुभवी की सलाह अवश्य लें धन लाभ आज अचानक होगा दुबे धन की प्राप्ति भी हो सकती है। व्यवसायी वर्ग मेहनत का उचित फल मिलने से प्रसन्न रहेंगे। आज आपके ऊपर कोई आरोप भी लग सकता है जिससे परिवार में गलतफहमी पनपेगी परिजन आपकी बातों पर आज मुश्किल से ही यकीन करेंगे। महिलाये आज ज्यादा सतर्क रहें ज्यादा हंसना भी नुकसान करा सकता है। सेहत में सुधार आएगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन भी परिस्थितियां आपकी आशाओ के विपरीत रहने वाली है धन संबंधित अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य आज निरस्त करने ही बेहतर रहेगा। आज आप किसी सरकारी उलझन में भी फंस सकते है वाणी एवं व्यवहार संयमित रखें। धन को लेकर घर एवं बाहर विवाद के प्रसंग बनेंगे विवेक से काम ले अन्यथा मामला गंभीर रूप ले सकता है। नौकरी वाले लोगो के अधिकारियों से मतभेद रहेंगे फिर भी मनमारके इच्छा के विपरीत कार्य करना पड़ेगा। मित्र परिचित भी आपसे मतलबी व्यवहार करेंगे किसी से आज कोई वादा ना करें पूरा नही कर पाएंगे। धन के साथ ही आरोग्य में भी कमी आएगी। बड़े बुजुर्गों की बातों को अनदेखी ना करे।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपको सभी जगह से मान-सम्मान दिलाएगा। आज आपकी जीवनशैली भी उच्चवर्गीय जैसी रहेगी। कैसी भी परिस्थितियां हो खर्च करने से पीछे नही रहेंगे आडम्बर भी आज कुछ अधिक रहेगा। महिलाये भी आज दिखावा करने से नही चूकेंगी आवश्यकता से अधिक खर्च कर बाद में पछताएगी। कार्य व्यवसाय आशानुकूल रहेगा किसी पुराने अनुबंद से धन लाभ होगा। राज पक्ष से भी शुभ समाचार मिलने की संभावना है सरकारी कार्यो में ढील ना दे आज पूरे तो नही होंगे लेकिन सफलता की संभावना अधिक रहेगी। घर का वातावरण मिला जुला रहेगा सभी सदस्य अपने कार्य मे मस्त रहेग।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन भी आपके अनुकूल बना हुआ है लेकिन आज किसी महत्त्वपूर्ण कार्यो को लेकर अन्य के भरोसे बैठना पड़ेगा जिसमे निराशा मिलने की संभावना अधिक है आज अपने बलबूते जो भी कार्य करेंगे उसमे देर से ही सही आशाजनक परिणाम मिलेंगे। व्यवसाय में वृद्धि तो होगी लेकिन आर्थिक लाभ समय पर ना होने के कारण आगे के कार्य प्रभावित होंगे। आज धन लाभ एवं खर्च बराबर रहने से संतुलन बना रहेगा। सहकर्मी आपसे कुछ अपेक्षा रखेंगे इसमे टालमटोल ना करें अन्यथा परेशानी हो सकती है। घर के सदस्य मनोकामना पूर्ण होने पर प्रसन्न रहेंगे लेकिन बुजुर्ग आपकी खर्चीली वृति से असंतोष जताएंगे।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपके लिये थोड़ा उलझनों वाला रहेगा। आज कोई भी कार्य भाग दौड़ किये बिना बनाना संभव नही रहेगा व्यवसायी वर्ग भी आज मंदी रहने के कारण लेदेकर काम बनाने के चक्कर मे रहेंगे बाद में असकमात धन लाभ हो जाने से पश्चाताप करेंगे। सरकारी अथवा पैतृक संपत्ति संबंधित कार्यो में थोड़ी परेशानी के बाद नतीजा आपके पक्ष में ही रहेगा। दो पक्षो के झगड़े को सुलझाने में मध्यस्थता करनी पड़ेगी परन्तु पक्षपात का आरोप लग सकता है निष्पक्ष होकर फैसला करें सम्मान में वृद्धि होगी। घरेलू वातावरण आज अन्य दिनों की अपेक्षा शांत रहेगा। संध्या बाद स्वास्थ्य में विकार आएगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन भी आप किसी ना किसी कारण से परेशान रहेंगे। सेहत आज भी प्रतिकूल रहेगी लेकिन कल की अपेक्षा में थोड़ा सुधार अवश्य आएगा। व्यवसाय की स्थिति भी दयनीय रहेगी दैनिक खर्च निकालने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। नौकरी वाले लोग अधिकारी वर्ग को प्रसन्न रखने में असफल रहेंगे भाग्य साथ ना देने के कारण दिन भर की भागदौड़ व्यर्थ जाएगी। लेकिन बेरोजगार लोग आज प्रयास करने में कमी ना रखें शीघ्र ही किसी रोजगार से जुड़ सकेंगे। पारिवारिक वातावरण उथल-पुथल रहेगा घरेलू कार्य सुलझने की जगह और अधिक उलझेंगे। भाई बंधुओ में आत्मीयता की कमी रहेगी। बुजुर्गो का सहयोग मिलने से कुछ राहत अनुभव करेंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के आरंभ में आप किसी कार्य को लेकर दुविधा में रहेंगे लेकिन बाद में उसी कार्य को करने पर धन लाभ के साथ ही सम्मान भी बढ़ेगा। नौकरी वाले जातक आज अपने मृदु व्यवहार के कारण अधिकारियों को प्रसन्न रखेंगे लेकिन सहकर्मियों को इससे जलन हो सकती है फिर भी निश्चिन्त रहे आज कोई चाहकर भी आपका अहित नही कर सकता। व्यवसायी वर्ग जिसभी कार्य मे हाथ डालेंगे उसमे जय होगी धन की आमद एकसाथ ना होकर रुक रुक कर होगी जिससे अन्य कार्य आरम्भ करने में थोड़ी परेशानी आ सकती है। गृहस्थ में आपकी बातों को महत्त्व दिया जाएगा भाइयो से फिर भी आज राग द्वेष बना रहेगा। प्रेम प्रसंगों में निकटता बढ़ेगी। सेहत उत्तम रहेगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन भी आपके लिए विशेष नही रहेगा। आज आप संचित धन के ऊपर ही निर्भर रहेंगे आर्थिक लाभ होते होते टल ने पर निराश होंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज भय का वातावरण रहेगा अपनी किसी कमजोरी को लेकर मन मे चिंतित रहेंगे परन्तु जाहिर नही होने देंगे। विरोधी आपके लचीले व्यवहार का फायदा उठाएंगे लेकिन सहकर्मियों का सहयोग आवश्यकता पड़ने पर मिल जाएगा। आज ना चाह कर भी किसी से उधारी का व्यवहार करना पड़ेगा। खर्च आज कम रहने से आय-व्यय में संतुलन बना रहेगा। घरेलू कामो में टालमटोल करने पर वातावरण उग्र होगा कुछ समय मे स्वतः ही सामान्य भी हो जाएगा। आलस्य अधिक रहेगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपकी तार्किक शक्ति बढ़ी हुई रहेगी लेकिन इसका सही जगह प्रयोग नही करेंगे। प्रत्येक कार्य वह चाहे घरेलू हो अथवा व्यावसायिक उसमे कुछ ना कुछ नुक्स ही निकालेंगे इससे आपके सम्मान में कमी आ सकती है साथ ही परिजनों से कलह भी हो सकती है। आप आज सम्मान पाने के लिये अन्य लोगो के आगे स्वयं को हद से ज्यादा बुद्धिमान के रूप में पेश करेंगे लेकिन आज आपके विचार अन्य लोगो से कम ही मेल खाएंगे सम्मान मिलने की जगह हास्य के पात्र बन कर रह जाएंगे। कारोबार की दशा नीचे जाएगी किसी के सहयोग से खर्च लायक आमदनी हो ही जाएगी। सेहत ठीक रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप स्वयं ही कलहकारी परिस्थितियों का निर्माण करेंगे। जबरदस्ती किसी के कार्यो में दखल देने अथवा बिना मांगे राय देने से बेज्जती हो सकती है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र पर आपको सहकर्मियों का कार्य पसंद नही आएगा और सहकर्मियों को आपका व्यवहार इससे आपसी तालमेल नही बनने के कारण सामूहिक कार्य अधूरे ही रहेंगे। धन लाभ के लिए प्रयास करेंगे फिर भी आज आय की अपेक्षा व्यय का पलड़ा भारी रहेगा। घर मे परिजनों को आपके व्यवहार से पीड़ा होगी। वादा करके मुकरने पर वातावरण अशान्त होगा। मित्र रिश्तेदार भी आज आपसे दूरी बना कर ही रहेंगे। सर अथवा बदन दर्द की शिकायत हो सकती है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज दिन के आरंभ में आर्थिक लाभ की संभावनाए बनेंगी इनके मध्यान के आस-पास पूर्ण होने की संभावना है। व्यवसायी वर्ग आज एक साथ कई कार्यो में भाग्य आजमाएंगे इनमे से कुछ लंबित रहेंगे लेकिन शेष कार्यो से अवश्य ही कुछ ना कुछ लाभ होगा। धन लाभ के लिए आज किसी अन्य के भरोसे नही रहना पड़ेगा। नौकरी करने वाले लोगो को आज अधिक भागदौड़ करनी पड़ेगी जिससे आरम्भ में थोड़ी परेशानी पर बाद में परिणाम पक्ष में रहने से प्रसन्नता मिलेगी। आज किसी पुराने परिचित से यादगार भेंट होगी कुछ समय के लिए अतीत की यादों में खोए रहेंगे। परिजनों के स्नेह में वृद्धि होगी। सेहत को लेकर आज पूर्ण संतुष्ट नही रहेंगे।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिये साधारण रहेगा। आज आप मानसिक रूप से शांत एवं संतुष्ट रहेंगे लेकिन महिलाओ के मन मे कुछ ना कुछ तिकड़म लगी रहेगी अपना काम बनाने के लिये आज किसी की बुराई करने से भी नही चूकेंगी। कार्य व्यवसाय की गति सामान्य से कुछ कम रहेगी फिर भी निर्वाह योग्य आज हो जाएगी। आज आप अन्य लोगो से अपना काम निकालने के लिये मीठा व्यवहार करेंगे लेकिन किसी का कार्य स्वयं करने में आनाकानी करेंगे। सहकर्मी अधिकारियों से आपकी चुगली कर सकते है सतर्क रहें। धन लाभ परिश्रम करने के बाद ही सीमित मात्रा में होगा। परिवार में आपको छोड़ अन्य सभी कुछ ना कुछ अभाव अनुभव करेंगे। घर किसी सदस्य की सेहत खराब रहेगी।
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💐पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
महाराज युधिष्ठिर ने पूछा- हे भगवान! आपने सफला एकादशी का माहात्म्य बताकर बड़ी कृपा की। अब कृपा करके यह बतलाइए कि पौष शुक्ल एकादशी का क्या नाम है उसकी विधि क्या है और उसमें कौन-से देवता का पूजन किया जाता है।
भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण बोले- हे राजन! इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। इसमें भी नारायण भगवान की पूजा की जाती है। इस चर और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है। इसके पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और लक्ष्मीवान होता है। इसकी मैं एक कथा कहता हूँ सो तुम ध्यानपूर्वक सुनो।
भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था। उसके कोई पुत्र नहीं था। उसकी स्त्री का नाम शैव्या था। वह निपुत्री होने के कारण सदैव चिंतित रहा करती थी। राजा के पितर भी रो-रोकर पिंड लिया करते थे और सोचा करते थे कि इसके बाद हमको कौन पिंड देगा। राजा को भाई, बाँधव, धन, हाथी, घोड़े, राज्य और मंत्री इन सबमें से किसी से भी संतोष नहीं होता था।
वह सदैव यही विचार करता था कि मेरे मरने के बाद मुझको कौन पिंडदान करेगा। बिना पुत्र के पितरों और देवताओं का ऋण मैं कैसे चुका सकूँगा। जिस घर में पुत्र न हो उस घर में सदैव अँधेरा ही रहता है। इसलिए पुत्र उत्पत्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए।
जिस मनुष्य ने पुत्र का मुख देखा है, वह धन्य है। उसको इस लोक में यश और परलोक में शांति मिलती है अर्थात उनके दोनों लोक सुधर जाते हैं। पूर्व जन्म के कर्म से ही इस जन्म में पुत्र, धन आदि प्राप्त होते हैं। राजा इसी प्रकार रात-दिन चिंता में लगा रहता था।
एक समय तो राजा ने अपने शरीर को त्याग देने का निश्चय किया परंतु आत्मघात को महान पाप समझकर उसने ऐसा नहीं किया। एक दिन राजा ऐसा ही विचार करता हुआ अपने घोड़े पर चढ़कर वन को चल दिया तथा पक्षियों और वृक्षों को देखने लगा। उसने देखा कि वन में मृग, व्याघ्र, सूअर, सिंह, बंदर, सर्प आदि सब भ्रमण कर रहे हैं। हाथी अपने बच्चों और हथिनियों के बीच घूम रहा है।
इस वन में कहीं तो गीदड़ अपने कर्कश स्वर में बोल रहे हैं, कहीं उल्लू ध्वनि कर रहे हैं। वन के दृश्यों को देखकर राजा सोच-विचार में लग गया। इसी प्रकार आधा दिन बीत गया। वह सोचने लगा कि मैंने कई यज्ञ किए, ब्राह्मणों को स्वादिष्ट भोजन से तृप्त किया फिर भी मुझको दु:ख प्राप्त हुआ, क्यों?
राजा प्यास के मारे अत्यंत दु:खी हो गया और पानी की तलाश में इधर-उधर फिरने लगा। थोड़ी दूरी पर राजा ने एक सरोवर देखा। उस सरोवर में कमल खिले थे तथा सारस, हंस, मगरमच्छ आदि विहार कर रहे थे। उस सरोवर के चारों तरफ मुनियों के आश्रम बने हुए थे। उसी समय राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे। राजा शुभ शकुन समझकर घोड़े से उतरकर मुनियों को दंडवत प्रणाम करके बैठ गया।
राजा को देखकर मुनियों ने कहा- हे राजन! हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारी क्या इच्छा है, सो कहो। राजा ने पूछा- महाराज आप कौन हैं, और किसलिए यहाँ आए हैं। कृपा करके बताइए। मुनि कहने लगे कि हे राजन! आज संतान देने वाली पुत्रदा एकादशी है, हम लोग विश्वदेव हैं और इस सरोवर में स्नान करने के लिए आए हैं।
यह सुनकर राजा कहने लगा कि महाराज मेरे भी कोई संतान नहीं है, यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो एक पुत्र का वरदान दीजिए। मुनि बोले- हे राजन! आज पुत्रदा एकादशी है। आप अवश्य ही इसका व्रत करें, भगवान की कृपा से अवश्य ही आपके घर में पुत्र होगा।
मुनि के वचनों को सुनकर राजा ने उसी दिन एकादशी का व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया। इसके पश्चात मुनियों को प्रणाम करके महल में वापस आ गया। कुछ समय बीतने के बाद रानी ने गर्भ धारण किया और नौ महीने के पश्चात उनके एक पुत्र हुआ। वह राजकुमार अत्यंत शूरवीर, यशस्वी और प्रजापालक हुआ।
श्रीकृष्ण बोले- हे राजन! पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। जो मनुष्य इस माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जयश्री राम
आचार्य पं़दयानन्द डबराल श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर ज्ञानषू उत्तरकाशी देवभूमि उत्तराखंड ।
🙏🚩🌴🌹🐚🌞🕉️🚩🙏पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्होंने जान-बूझकर अपने जमाता भगवान भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकर जी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती को पिता द्वारा इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किए जाने पर भी और भोलेनाथ के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने शिव जी को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया और वे भयंकर तांडव करने के लिए उद्यत हो गए। भगवान के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। शंकर जी ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हो कर पृथ्वी पर घूमते हुए तांडव करने लगे। तब सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिये। वे टुकड़े जिन जगहों पर गिरे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। इन शक्तिपीठों की संख्या इक्यावन कही गई है। ये पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। आइये जानें इनके स्थान, वहां स्थापित देवी के नाम और कौनसा अंग या आभूषण वहां गिरा उसके बारे में।
1- 👉हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है यहां देवी का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा। यहां देवी कोट्टरी नाम से स्थापित हैं।
2- 👉शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट मज्ञैजूद है वैसे इसे नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर में भी बताया जाता है। यहां देवी की आंख गिरी थी और वे महिष मर्दिनी कहलाती हैं।
3- 👉सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे गिरी देवी की नासिका और उनका नाम है सुनंदा।
4- 👉अमरनाथ, पहलगांव, काश्मीर के पास देवी का गला गिरा था और वे यहां महामाया के रूप में स्थापित हैं।
5- 👉ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में हैं जहां देवी की जीभ गिरी थी उनका नाम पड़ा सिधिदा या अंबिका।
6- 👉जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब में उनका बांया वक्ष गिरा और वे त्रिपुरमालिनी नाम से स्थापित हुईं।
7- 👉अम्बाजी मंदिर, गुजरात में देवी का हृदय गिरा था और वे अम्बाजी कहलाईं।
8- 👉गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, में पशुपतिनाथ मंदिर के साथ ही है जहां देवी के दोनों घुटने गिरे बताये जाते हैं। यहां देवी का नाम महाशिरा है।
9- 👉मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, में तिब्ब्त के निकट एक पाषाण शिला के रूप में मौजूद हैं देवी। यहां उनका दायां हाथ गिरा और वे दाक्षायनी कहलाईं।
10- 👉बिराज, उत्कल, उड़ीसा में देवी की नाभि गिरी और वे विमला बनीं।
11- 👉गंडकी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर में देवी का मस्तक गिरा और वे गंडकी चंडी कहलाईं।
12- 👉बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, में पश्चिम बंगाल से 8 किमी दूर बहुला देवी हैं जहां देवी का बायां हाथ गिरा था।
13- 👉उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में दायीं कलाई गिरी और मंगल चंद्रिका देवी की स्थापना हुई।
14- 👉माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाव, उदरपुर, त्रिपुरा में दायां पैर गिरा और देवी त्रिपुर सुंदरी बनीं।
15- 👉छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश में गिरी दांयी भुजा और नाम पड़ा भवानी।
16- 👉त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गांव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल में मां का बायां पैर गिरा और वे भ्रामरी देवी कहलाईं।
17- 👉कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम में उनकी योनि गिरी और वे कामाख्या रूप में प्रसिद्ध हुईं।
18- 👉जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में दायें पैर का अंगूठा गिरा और नाम मिला जुगाड्या।
19- वहीं कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता में दायें पैर का अंगूठा गिरा और वे मां कालिका बनीं।
20- 👉प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में मां ललिता के हाथ की अंगुली गिरी।
21- 👉जयंती नाम से स्थापित है कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश में देवी जहां उनकी बायीं जंघा गिरी।
22- 👉किरीट नाम से ही स्पष्ट है कि किरीटकोण ग्राम, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगालमें देवी का मुकुट गिरा और वे विमला कहलाईं।
23- 👉मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में उनकी मणिकर्णिका गिरी और वे विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं।
24- 👉कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु में देवी की पीठ गिरी और वे श्रवणी कहलाईं।
25- 👉कुरुक्षेत्र, हरियाणा में गिरी एड़ी और माता सावित्री का मंदिर स्थापित हुआ।
26- 👉मणिबंध, गायत्री पर्वत, पुष्कर, अजमेर में देवी की दो पहुंचियां गिरी थीं। यहां देवी का नाम है गायत्री।
27-👉 श्री शैल, जैनपुर गांव, के पास सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश में देवी का गला गिरा, यहां उनका नाम महालक्ष्मी है।
28- 👉कांची, कोपई नदी तट पर पश्चिम बंगाल में देवी की अस्थि गिरी और वे देवगर्भ रूप में स्थापित हैं।
29- 👉मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलाधव नाम के स्थान पर शोन नदी के किनारे एक गुफा में, मां काली स्थापित हैं जहां उनका बायां नितंब गिरा।
30- 👉शोन्देश, अमरकंटक, मध्य प्रदेश में उनका दायां नितंब गिरा और नर्मदा नदी का उद्गम होने के कारण देवी नर्मदा कहलाईं।
31- 👉रामगिरि, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में दायां वक्ष गिरा नाम पड़ा शिवानी।
32- 👉वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास उत्तर प्रदेश में दवी के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरी। वे यहां उमा नाम से प्रसिद्ध हुईं।
33-👉 शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर के पास कन्याकुमारी, तमिल नाडु में ऊपरी दाढ़ गिरी नाम पड़ा नारायणी।
34- 👉वहीं पंचसागर में उनकी निचली दाढ़ गिरी नाम पड़ा वाराही।
35- 👉बांग्लादेश के करतोयतत, भवानीपुर गांव में उनकी बायीं पायल गिरी और वे अर्पण नाम से जानी गई।
36- 👉श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश में दायीं पायल गिरी और स्थापित हुईं देवी श्री सुंदरी।
37- 👉पश्चिम बंगाल के विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला में देवी कपालिनी (भीमरूप) की बायीं एड़ी गिरी।
38- 👉प्रभास, जूनागढ़ जिला, गुजरात में देवी चंद्रभागा का आमाशय गिरा।
39- 👉भैरव पर्वत पर क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जयिनी, मध्य प्रदेश में देवी के ऊपरी होंठ गिरे यहां वे अवंति नाम से जानी जाती हैं।
40- 👉जनस्थान, नासिक, महाराष्ट्र में ठोड़ी गिरी और देवी भ्रामरी रूप में स्थापित हुईं।
41- 👉सर्वशैल राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश में उनके गाल गिरे और देवी को नाम मिला राकिनी या विश्वेश्वरी।
42- 👉बिरात, राजस्थान में उनके बायें पैर की उंगुली गिरी। देवी कहलाईं अंबिका।
43- 👉रत्नावली, हुगली, पश्चिम बंगाल में देवी का दायां कंघा गिरा और उनका नाम है कुमारी।
44- 👉मिथिला, भारत-नेपाल सीमा पर देवी उम का बायां कंधा गिरा था।
45- 👉नलहाटी, बीरभूम, पश्चिम बंगाल में पैर की हड्डी गिरी और देवी का नाम पड़ा कलिका देवी।
46-👉 कर्नाट में देवी जय दुर्गा के दोनों कान गिरे।
47- 👉वक्रेश्वर पश्चिम बंगाल में भ्रूमध्य गिरा और वे कहलाईं महिषमर्दिनी।
48- 👉यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश हाथ एवं पैर यशोरेश्वरी
49- 👉अट्टहास, पश्चिम बंगाल में फुल्लारा देवी के होंठ गिरे।
50- 👉नंदीपुर, पश्चिम बंगाल में मां नंदनी के गले का हार गिरा था।
51- 👉लंका में अज्ञात स्थान पर, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है और महज एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है) देवी की पायल गिरी यहां वे इंद्राक्षी कहलाती हैं।