भारतीय वैदिक संस्कृति 1,96,08,53,120 वर्ष पुरानी है, राजा विक्रमादित्य के पुरूषार्थ से जीवित है हिन्दुओं का वर्तमान इतिहास!

#कौन_थे_राजा_वीर_विक्रमादित्य

 महाराजा_विक्रमादित्य के बारे में देश को बहुत ही कम ज्ञान है जिन्होंने भारत को #सोने_की_चिड़िया बनाया था और #स्वर्णिम_काल लाया था। #उज्जैन के राजा थे #गन्धर्वसैन, जिनके तीन संताने थी, सबसे बड़ी लड़की थी #मैनावती, उससे छोटा लड़का #भृतहरि और सबसे छोटा वीर #विक्रमादित्य। बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी। जिनके एक लड़का हुआ #गोपीचन्द, आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री #ज्वालेन्दर_नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए, फिर मैनावती ने भी #श्री_गुरू_गोरक्ष_नाथ जी से योग दीक्षा ले ली।

आज ये देश और यहाँ की #संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। अशोक मौर्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और बौद्ध बनकर 25 साल राज किया था। भारत में तब #सनातन_धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे। #रामायण और #महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया।

 

#विष्णु और #शिव जी के #मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया। विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है। अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे।हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे। उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए। राज अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया। वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है।

 

महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का #स्वर्णिम_राज कहा जाता है। विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी #सोने के वजन से खरीदते थे। भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में #सोने_के_सिक्के चलते थे।

 

#हिन्दू_कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है। आज जो भी #ज्योतिष_गणना है जैसे, हिन्दी सम्वंत, वार, तिथीयाँ, राशि, नक्षत्र, गोचर आदि उन्ही की रचना है। वे बहुत ही पराक्रमी, बलशाली और बुद्धिमान राजा थे। कई बार तो #देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे। विक्रमादित्य के काल में हर नियम #धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे। न्याय, राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था। विक्रमादित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम शासको के शासनकाल में लिखित इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है। जबकि #कुतुबमीनार राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया “#हिन्दू_नक्षत्र_निरीक्षण_केंद्र” है।

चक्रवर्ती राजा विजयादित्य के दरबार में नौ रत्न थे जो ज्योतिष विज्ञान से लेकर साहित्य, कला , आयुर्विज्ञान व अन्य क्षेत्रों में पारंगत थे ।

राजा विक्रमादित्य के वजह से ही ज़िंदा है हिन्दुओ का इतिहास!

बंदरों को अपना पूर्वज मानने वालों का कैलेंडर मात्र 2023 वर्षों का ही है।

जबकि भगवान विष्णु की परम्परा से चली आ रही हमारी भारतीय ऋषि मुनियों की वैदिक संस्कृति 1,96,08,53,120 वर्ष पुरानी है

अंग्रेजी नववर्ष लोग मदिरा मांस भक्षण कर मनाते हैं और हिन्दू नववर्ष उपवास और उपासना से शुरू होता है 🙏🙏🙏यही अंतर है देवीय संस्कृति और दानवीय प्रवृत्ति में।