*श्री हरिहरौ* *विजयतेतराम* *सुप्रभातम*
*आज का पञ्चाङ्ग*
*_मंगलवार, ११ जुलाई २०२३_*
सूर्योदय: 🌄 ०५:४४
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१९
चन्द्रोदय: 🌝 ००:५३
चन्द्रास्त: 🌜१३:४१
अयन 🌖 दक्षिणायणे
(उत्तरगोलीय)
ऋतु: ⛈️ वर्षा
शक सम्वत:👉१९४५(शोभकृत)
विक्रम सम्वत:👉२०८०(पिंगल)
मास 👉 श्रावण
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 नवमी (१८:०४ से
दशमी)
नक्षत्र 👉 अश्विनी (१९:०४
से भरणी)
योग👉सुकर्मा(१०:५३ से धृति)
प्रथम करण👉तैतिल(०६:१९तक
द्वितीय करण👉गर(१८:०४ तक
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मिथुन
चंद्र 🌟 मेष
मंगल 🌟 सिंह
(उदित, पश्चिम, मार्गी)
बुध🌟कर्क (उदय, पश्चिम, मार्गी)
गुरु🌟मेष(उदित,पश्चिम,मार्गी)
शुक्र🌟सिंह (उदित, पश्चिम)
शनि 🌟 कुम्भ
(उदित, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 मेष
केतु 🌟 तुला
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५४ से १२:५०
अमृत काल 👉 ११:५१ से १३:२७
सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:२३ से १९:०४
अमृतसिद्धि योग 👉 ०५:२३ से १९:०४
विजय मुहूर्त 👉 १४:४२ से १५:३८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:२० से १९:४०
सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:२१ से २०:२१
निशिता मुहूर्त 👉 ००:०२ से ००:४३
राहुकाल 👉 १५:५२ से १७:३६
राहुवास 👉 पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०८:५३ से १०:३८
होमाहुति 👉 राहु
दिशाशूल 👉 उत्तर
अग्निवास 👉 पृथ्वी (१८:०४ तक)
चन्द्रवास 👉 पूर्व
शिववास 👉 सभा में (१८:०४ से क्रीड़ा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – रोग २ – उद्वेग
३ – चर ४ – लाभ
५ – अमृत ६ – काल
७ – शुभ ८ – रोग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – काल २ – लाभ
३ – उद्वेग ४ – शुभ
५ – अमृत ६ – चर
७ – रोग ८ – काल
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पूर्व (धनिया अथवा दलिया का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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मंगला गौरी व्रत, बुध उदय पश्चिम में २५:२१ से आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १९:०४ तक जन्मे शिशुओ का नाम अश्विनी नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (चो, ला) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (ली, लू, ले) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मिथुन – ०३:३९ से ०५:५३
कर्क – ०५:५३ से ०८:१५
सिंह – ०८:१५ से १०:३४
कन्या – १०:३४ से १२:५२
तुला – १२:५२ से १५:१३
वृश्चिक – १५:१३ से १७:३२
धनु – १७:३२ से १९:३६
मकर – १९:३६ से २१:१७
कुम्भ – २१:१७ से २२:४३
मीन – २२:४३ से ००:०६
मेष – ००:०६ से ०१:४०
वृषभ – ०१:४० से ०३:३५
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रज पञ्चक – ०५:२३ से ०५:५३
शुभ मुहूर्त – ०५:५३ से ०८:१५
चोर पञ्चक – ०८:१५ से १०:३४
शुभ मुहूर्त – १०:३४ से १२:५२
रोग पञ्चक – १२:५२ से १५:१३
शुभ मुहूर्त – १५:१३ से १७:३२
मृत्यु पञ्चक – १७:३२ से १८:०४
अग्नि पञ्चक – १८:०४ से १९:०४
शुभ मुहूर्त – १९:०४ से १९:३६
रज पञ्चक – १९:३६ से २१:१७
शुभ मुहूर्त – २१:१७ से २२:४३
चोर पञ्चक – २२:४३ से ००:०६
रज पञ्चक – ००:०६ से ०१:४०
शुभ मुहूर्त – ०१:४० से ०३:३५
चोर पञ्चक – ०३:३५ से ०५:२४
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज दिन का कुछ समय मित्र प्रियजनों के साथ धार्मिक अथवा ऐतिहासिक पर्यटन में बितायेंगे। मनोरंजन पर अधिक खर्च करेंगे। सीमा से अधिक खर्च होने से आर्थिक समस्या भी खड़ी हो सकती है। दिखावे एवं फिजूल खर्ची से बचें अन्यथा कर्ज लेना पड़ सकता है। कार्य क्षेत्र पर संसाधनों की कमी के कारण लाभ के अवसर सीमित रहेंगे फिर भी कामचलाऊ धन कही न कही से मिल ही जायेगा। उत्तम संतान सुख मिलेगा। सेहत में छोटे मोटे बदलाव आ सकते है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन भी विपरीत फलों की प्राप्ति होने से अशान्त रहेगा। घर एवं कार्य क्षेत्र पर खिंच-तान बनी रहेगी। मानसिक दुविधा एवं प्रतिकूल स्वास्थ्य के कारण उत्साहहीनता रहेगी। कार्यो में असफलता की खींज आज किसी प्रियजन पर उतर सकती है रिश्तों में समीपता बनाये रखने के लिए आज वाणी में मिठास रखें। निषेधात्मक कार्यो से दूर रहें प्रलोभन में ना आएं। धन की आमद संध्या के आसपास जरूरत के अनुसार थोड़ी कम होगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन भी अनुकूल रहने वाला है। आज उत्तम परिस्थितियों का समय से लाभ उठाये आलस में पड़कर कार्यो का नुकसान भी हो सकता है। सेहत के दृष्टिकोण से भी आज का दिन ठीक रहेगा। कार्य क्षेत्र पर सटीक निर्णय धन एवं मान में बढ़ोतरी कराएगा। परिजनों के साथ मामूली बात पर अनबन हो सकती है परंतु स्थिति नियंत्रण में रहेगी। धन की आमद आज प्रयास करने पर ही होगी।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आप आज के दिन का भरपूर फायदा उठाएंगे। कार्यो में आज आसानी से सफलता मिलने एवं आकस्मिक धन लाभ होने से निश्चिन्त होकर कार्य करेंगे। कार्य क्षेत्र पर धन सम्बंधित व्यवहारों के कारण किसी से गरमा-गर्मी भी हो सकती है शब्दो का सोच समझ कर प्रयोग करें अन्यथा हानि उठानी पड़ सकती है। धन की आमद सामान्य से अधिक होगी। धार्मिक क्षेत्र पर दान-पुण्य के अवसर मिलेंगे। अनावश्यक यात्रा करनी पड़ सकती है। सेहत में दोपहर के समय नरमी आ सकती है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपको धर्म एवं समाज से काफी आशाएं रहेंगी। किसी काम के अटकने पर आध्यत्म अथवा समाज के वरिष्ठ लोगो की सहायता लेनी पड़ सकती है। धार्मिक गतिविधियों में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज उम्मीद के अनुसार लाभ नहीं कमा पाएंगे फिर भी छोटे मोटे साधनों से आय हो जाएगी। विवाहोत्सुकों को विवाह के प्रस्ताव आएंगे। घर में सुख शांति रहेगी। सेहत बनी रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
कार्यो में देरी एवं सेहत को लेकर आपको आज के दिन थोड़ा कष्ट सहना पड सकता है। क्रोध आने पर भी आंतरिक रूप से प्रसन्न रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर सही दिशा ना मिल पाने से दुगना परिश्रम करना पड़ेगा फिर भी आशाजनक धन नही मिल पायेगा। शारीरिक अस्वस्थ्यता के चलते स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा प्रियजनों से मन मुटाव के प्रसंग बनेंगे। यात्रा में सावधानी रखें। शारीरिक जाँच कराएं।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन भाग्योदय कारक रहेगा। शरीर स्वस्थ्य रहेगा। आज आपको किसी सहारे की तलाश रहेगी मध्यान तक इसके पूरे होने की संभावना है। भागीदारी के कार्यो में निश्चित सफलता मिलेगी। फिर भी जमीन सम्बंधित कार्य ना ही करे तो बेहतर रहेगा। कला एवं साहित्य से जुड़े लोग आज नई रचनाओं का सृजन करेंगे। परिवार में शांति बनाने के लिए कड़े कदम उठाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर होने से अधिक सतर्कता की आवश्यकता रहेगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपको मिश्रित फल देने वाला रहेगा। दिन का पहला भाग ख़राब सेहत की भेंट चढ़ेगा। किसी भी कार्य को करने का मन होते हुए भी साहस नहीं जुटा पाएंगे। नौकरी पेशा जातक अधिकारियों के गर्म रवैये से बच कर रहें। मध्यान के बाद स्थिति में सुधार आने लगेगा। व्यापार में विस्तार होने से धन की आमद होने लगेगी। अधीनस्थों पर आज विशेष नजर रखें। पारिवारिक वातावरण स्थिर रहेगा। धन लाभ मुश्किल से होगा लेकिन होगा जरूर।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप बीते दिन की अपेक्षा परिस्थितियों में सुधार अनुभव करेंगे। कई दिनों से मन में चल रही दुविधा का किसी परिजन की सहायता से निराकरण होने से दिल का बोझ हल्का होगा। आप अपने भाग्य के प्रताप से विरोधियो का मुँह बंद करेंगे। कार्य व्यवसाय में अचानक बदलाव आने से आश्चर्यचकित होंगे धन की आमद अकस्मात होगी। मित्र परिवार से अधिक स्नेह मिलेगा। सेहत भी आज ठीक ठाक ही रहेगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आप किसी गलत निर्णय अथवा मार्गदर्शन की कमी के कारण घर एवं बाहर आलोचना के शिकार हो सकते है। किसी भी कार्य को करने से पहले दोनों पहलु को ध्यान में रख कर निर्णय लें। नए कार्यानुबंध को एक दिन के लिए टालें। प्रेम प्रसंगों में भावुकता बढ़ने से कार्य अथवा पढाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। धन सम्बंधित परेशानियां संध्या के समय कुछ हद तक सुलझेंगी। आरोग्य आज थोड़े मानसिक तनाव को छोड़ लगभग सामान्य बना रहेगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आपमें उदासीनता अधिक रहेगी। कार्यो को लापरवाही से करने से नुक्सान हो सकता है जिस कारण आवेश बढेगा धन की प्राप्ति अधिक मेहनत के बाद जरूरत के लायक ही होगी। कार्य क्षेत्र पर मौन रहने का प्रयास करें मुश्किलों से बचे रहेंगे। किसी पुराने निर्णय के कारण मन में ग्लानि होगी। प्रेम प्रसंगों से भी सावधानी रखें धोखा हो सकता है। परिवारिक वातावरण अस्त-व्यस्त रहेगा। विवादों में ना पडे।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मिलाजुला रहेगा। सेहत में थोड़ा उतार चढ़ाव आने से आलस्य बढेगा। परन्तु कार्य व्यस्तता भी अधिक रहने से आलस्य को त्यागना ही पड़ेगा। दिन भर घर की अपेक्षा बाहर समय बिताना पसंद करेंगे। धर्म-कर्म में आस्था बढ़ेगी धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी कर सकते है। कार्य क्षेत्र पर सामान्य व्यवसाय रहेगा जिससे अव्य भी आज कामचलाऊ ही होगी। उधार लेन-देन आज ना करें।
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*प्रेरक जानकारी: समुद्र मंथन कहाँ हुआ था…??*
यदि स्थूल दृष्टि से देखें तो शायद अरब सागर में कहीं। लेकिन ऐसा नहीं है। किसी भी घटना के सही स्थान का पता करने हेतु उस समय की भौगौलिक स्थिति का पता होना भी जरूरी है। ग्रंथों में गहरे घुसेंगे तो पता चलेगा कि बिहार, बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा आदि समुद्र मंथन के समय जलमग्न थे। उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से भी उस समय थे नहीं।
समुद्रमंथन का समय भागीरथी के प्रादुर्भाव से भी बहुत पहले का है। उस समय हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बहुत थोड़ी ही भूमि का निर्माण कर पाई थी। नदियाँ ही भूमि का निर्माण करती हैं। इस राष्ट्र के पिता पर्वत हैं तो माताएँ नदियाँ। अभी भी सबसे प्रसिद्ध डेल्टा सुंदरवन इसी निर्माण का प्रमाण है।
कथा है कि जब समुद्रमंथन की बात उठी तो मंदार पर्वत की मथानी तो बना ली गई, कूर्मावतार ने आधार भी दे दिया, लेकिन मथानी की रस्सी कहाँ से लाएँ। उस समय सर्वसम्मति बनी कि हिमालय की कंदराओं में आराम कर रहे नागराज वासुकि से ही यह काम करवाया जा सकता है। उनसे बड़ी रस्सी जैसी कोई वस्तु तीनों लोग और चौदहों भुवन में नहीं हैं।
अब समस्या थी कि उन्हें लाए कौन?
इतने बड़े थे कि लहरिया स्टाइल में रेंगते तो टकराने लगते। इसलिये अधिकतर समय आराम ही करते थे। इस पर कैलाशपति उठे और वासुकि को अपनी कलाई में लपेट कर चल दिये। नागराज की डिलीवरी करके भोले एक स्थान पर बैठ गए।
जब मंथन प्रारम्भ हुआ तो नागराज को पीड़ा होने लगी। इधर से देवता खींचें, उधर से असुर खींचें, बीच में मंदराचल चुभे। क्षुब्ध होकर नागराज से फुफकारना शुरू कर दिया। अब सोचिये कि जिस नाग को एक पर्वत के चारों तरफ लपेट दिया गया, वह कितना बड़ा होगा। नागराज के फुफकारने से समस्त सृष्टि में जहर फैलने लगा। हाहाकार मच गया।
एक तरफ तो देवता और असुर भाग खड़े हुए और दूसरी तरह नागराज निढाल होकर फुफकारते रह गए।
अब करें तो करें क्या?
देवताओं की मीटिंग बिठाई गई। प्रश्न उठा कि इस हलाहल को कौन पियेगा?
विष्णु भगवान ने भोले बाबा के चरण धर लिये कि बाबा आप ही पी सकते हैं।
जो भोले होते हैं, उनके हिस्से ही जहर आता है। बाबा उठे और पहले जहर पिया और फिर वासुकि का उपचार किया। तब तक तो धन्वंतरि निकले भी नहीं थे। उनसे भी पुराने वैद्य हैं वैद्यनाथ।
बाबा ने हलाहल पी तो लिया, लेकिन उसका ताप असह्य हो गया। वहीँ एक स्थान देखकर बैठ गए। मंथन शुरू हो गया। मंथन से निकले चन्द्रमा के एक टुकड़े को तोड़ कर निकाला गया और उसे भगवान के सर के ठीक ऊपर स्थापित किया गया। उस टुकड़े से निरंतर शीतल जल महादेव के सर पर गिरता रहता है।
यह क्षेत्र कहाँ है जहाँ मंथन हुआ था?
बिहार के बाँका जिले में स्थित मंदार पर्वत के आसपास का क्षेत्र ही मंथन का स्थान है। आज भी झारखण्ड, बंगाल, उड़ीसा और बिहार की भूमि में खनिजों का प्रचुर भण्डार है। सबका केंद्र मंदार पर्वत ही है। मंदार में अब भी समुद्र मंथन से निकली निधियाँ छिपी हुई हैं।
भोलेनाथ नागराज को पहुँचाने के बाद जिस स्थान पर बैठे थे, वह स्थान है वासुकीनाथ। जिस स्थान पर नागराज का उपचार करने व विष ग्रहण करने के बाद बैठे थे, वह स्थान है वैद्यनाथ धाम, देवघर में। चाँद का वह टुकड़ा जो उनके सर पर लगाया गया था, आज भी लगा है और उससे निरंतर जल टपकता रहता है। वह टुकड़ा भोलेनाथ के ठीक ऊपर मंदिर के शिखर के नीचे लगा है। नाम है – चंद्रकांत मणि…
*जो जीता वही सम्राट अशोक*
सम्राट अशोक की जन्म- जयंती हमारे देश में नहीं मनाई जाती ??
बहुत सोचने पर भी, उत्तर नहीं मिलता! आप भी, इन प्रश्नों पर, विचार करें!
जिस सम्राट के नाम के साथ, संसार भर के, इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं,
जिस सम्राट का राज चिन्ह “अशोक चक्र” भारत अपने ध्वज में लगाता है,
जिस सम्राट का -राज चिन्ह, “चारमुखी शेर” को, भारतीय “राष्ट्रीय प्रतीक” मानकर सरकार” चलाते हैं और “सत्यमेव जयते” को अपनाया है l
जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान, सम्राट अशोक के नाम पर, “अशोक चक्र” दिया जाता है l
जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ”… जिसने “अखंड भारत” (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, “बड़े भूभाग” पर एक-छत्र राज किया हो l
सम्राट अशोक के ही, समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई l
जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि विश्वविद्यालय, प्रमुख थे l
इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे,
जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार, भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं।
जिस सम्राट के शासन काल में भारत “विश्व गुरु” था l “सोने की चिड़िया” था l जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी l
जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे प्रख्यात महामार्ग “ग्रेड ट्रंक रोड” जैसे कई ‘हाईवे’ बने l
२,००० किलोमीटर लंबी पूरी सडक पर, दोनों ओर पेड़ लगाये गए l “सरायें” बनायीं गईं..l
मानव तो मानव.., पशुओं के लिए भी, प्रथम बार “चिकित्सा घर” (हॉस्पिटल) खोले गए l पशुओं को मारना बंद करा दिया गया l
ऐसे महान सम्राट अशोक, जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती ?
न ही, कोई छुट्टी घोषित की गई है?
दुख: है कि जिन नागरिकों को ये जयंती, मनानी चाहिए .. वो अपना इतिहास ही, भुला बैठे हैं l
और जो जानते हैं वो ना जाने क्यों ? मनाना नहीं चाहते।
“जो जीता, वही: “चंद्रगुप्त” ना होकर … “जो जीता”, वही “सिकन्दर” कैसे हो गया ?
जबकि ये बात सभी जानते हैं, कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही, लड़ने से मना कर दिया था! बहुत ही, बुरी तरह से मनोबल टूट गया था! और वापस लौटना पड़ा था ।
*कृपया* अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें l
और हम सब मिल कर, बाक़ी साथियों को भी,”जागरूक” करें!
*आइए मिल कर* इस ऐतिहासिक भूल को, सही करने का
*महान सम्राट अशोक*
पिताजी का नाम – बिन्दुसार गुप्त
माताजी का नाम – सुभद्राणी