आज का पंचाग आपका राशि फल, जन्मेजय ने महर्षि वेदव्यास से पूछा कि श्रीकृष्ण तो सर्व समर्थ थे तब उन्होंने महाभारत जैसा भीषण युद्ध रोका क्यों नहीं तब वेदव्यास ने खोला ये रहस्य

धर्म-का-मार्ग-सनातन-है।।

सनातन-का-मार्ग-सत्य-है।।

सत्य-का-मार्ग-शिवम-है।।

शिवम-का-मार्ग-सुंदर-है।।

सुंदर-का-मार्ग-स्वर्ग-है।।

स्वर्ग-का-मार्ग-केदारनाथ-है।।

केदारनाथ-का-मार्ग-देवभूमि-है।।

देवभूमि-का-मार्ग-उत्तराखंड-है।।

उत्तराखंड का मार्ग भगवान बद्रीविशाल है

यही आलौकिक भूवैकुंठ और स्वर्ग का द्वार है

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 06 नवम्बर 2023*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमंत*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – नवमी 07 नवम्बर प्रातः 05:50 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र – अश्लेषा दोपहर 01:24 तक तत्पश्चात मघा*
*⛅योग – शुक्ल दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल – सुबह 08:11 से 09:35 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:47*
*⛅सूर्यास्त – 05:59*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹उत्तम स्वास्थ्य हेतु निद्रा – संबंधी ध्यान देने योग्य जरूरी बातें🔹*

*🔹क्या करें✔️🔹*
*👉 १] आयु –आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है ।*
*👉 २] रात को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें ।*
*👉 ३] अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों पर घी की मालिश करें ।*
*👉 ४] सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी उपासना हो जायेगी ।*

*🔸क्या न करें ❌🔸*

*👉 १] हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए ।*
*👉 २] रात को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए ।*
*👉 ३] देर रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है ।*
*👉 ४] दिन में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है । स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है ।*

*🔹आँवला – भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।*

*🔹आत्म सुख में बाधक पांच बातें🔹*

*नारायण हरिभजन में ये पाँचों न सुहात ।*
*विषय भोग निद्रा हँसी जगत प्रीत बहु बात ॥*

*🔸आत्मरस पाने में परमात्मा के भजन में, परमात्मा के खजाने को पाने में ये पाँच बातें विघ्न करती है ।*

*(१) विषय भोग की इच्छा*
*(२) आलस्य निद्रा*
*(३) बेकार का हँसी-विनोद : हँसी हो तो हरि-तत्त्व की हो, आत्मपरक बात की हो। ये जो पान के गल्ले (दुकान) पर हँसी-मजाक करके अपने को सुखी मान लेते हैं, उसमें से तो झगड़े भी पैदा हो जाते हैं, अज्ञान बढ़ जाता है। इस प्रकार की जो हँसी है वह परमात्म-रस में बाधा डालती है ।*
*(४) जगत के पदार्थों की प्रीति, जगत के पदार्थों का, जगत का चिंतन ।*
*(५) अधिक बोलना ।*

*ये पाँचों बातें शक्ति क्षीण कर देती हैं ये आत्मज्ञान के रास्ते में, हरि भजन में विघ्न हैं ।*

*🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*

*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*

*🌞🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “* 🚩🚩🌞*

*💮🚩   दैनिक राशिफल   🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। दूर रहने वाले व्यक्तियों से संपर्क के कारण लाभ हो सकता है। नई योजनाओं का सूत्रपात होने के योग हैं। कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। व्यर्थ संदेह न करें। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा।
🐂वृष
व्यवसाय ठीक चलेगा। अर्थ प्राप्ति के योग बनेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। बेचैनी रहेगी। विवादों से दूर रहना चाहिए। पिता से व्यापार में सहयोग मिल सकेगा। सरकारी मसले सुलझेंगे। सकारात्मक सोच बनेगी।
👫मिथुन
जोखिम व जमानत के कार्य टालें, बाकी सामान्य रहेगा। प्रयास अधिक करने पर भी उचित सफलता मिलने में संदेह है। कार्य में विलंब के भी योग हैं। आर्थिक हानि हो सकती है। पारिवारिक जीवन तनावपूर्ण रहेगा। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है।
🦀कर्क
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। रुके धन के लिए प्रयत्न जरूर करें। कार्य का विस्तार होगा। दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप से बचें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। विलासिता के प्रति रुझान बढ़ेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। अध्यात्म में रुचि रहेगी।
🐅सिंह
संपत्ति की खरीद-फरोख्त हो सकती है। आय बढ़ेगी। मन में उत्साहपूर्ण विचारों के कारण समय सुखद व्यतीत होगा। मकान व जमीन संबंधी कार्य बनेंगे। अनायास धन लाभ के योग हैं। व्यापार में वांछित उन्नति होगी। बेरोजगारी दूर होगी। विवाद न करें।
🙎‍♀️कन्या
कार्यस्थल पर परिवर्तन लाभ में वृद्धि करेगा। योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध होंगे। कष्ट होगा। पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ने से व्यस्तता बढ़ेगी। कार्य में नवीनता के भी योग हैं। संतान के व्यवहार से समाज में सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
⚖️तुला
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी बड़े कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे। प्रसन्नता बनी रहेगी। नए कार्यों से जुड़ने का योग बनेगा। पारिवारिक जीवन सुखद नहीं रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। इच्छित लाभ होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा हो सकती है।
🦂वृश्चिक
शत्रु सक्रिय रहेंगे। कुसंगति से हानि होगी। व्ययवृद्धि होगी। लेन-देन में सावधानी रखें, जोखिम न लें। किसी शुभचिंतक से मेल-मुलाकात का हर्ष होगा। संतान की आजीविका संबंधी समस्या का हल निकलेगा। लापरवाही से काम न करें।
🏹धनु
किसी कार्य में प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से जुड़ने की प्रवृत्ति आपके लिए शुभ रहेगी। राज्यपक्ष से लाभ होगा। अपने काम से काम रखें। दांपत्य सुख प्राप्त होगा। बुरी खबर मिल सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। भागदौड़ रहेगी। आय में कमी होगी।
🐊मकर
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। आय में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें। आकस्मिक लाभ व निकटजनों की प्रगति से मन में प्रसन्नाता रहेगी। परिश्रम से स्वयं के कार्यों में भी शुभ परिणाम आएँगे। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।
🍯कुंभ
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। परीक्षा आदि में सफलता मिलेगी। पारिवारिक कष्ट एवं समस्याओं का अंत संभव है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। आय से अधिक व्यय न करें। परोपकार में रुचि बढ़ेगी।
🐟मीन
मेहमानों का आवागमन होगा। व्यय होगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। अपने प्रयासों से उन्नति पथ प्रशस्त करेंगे। बुद्धि चातुर्य से कठिन कार्य भी आसानी से बनेंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। व्यर्थ समय नष्ट न करें। रुका पैसा मिलेगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

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🌹 *प्रथम पूज्य श्री गणेश जी महाराज खजराना इन्दौर, श्रृंगार दर्शन, दि. 5 नवम्बर 2023*🌹

*होनी बहुत बलवान है*

अभिमन्यु के पुत्र ,राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के लड़के जनमेजय राजा बने। 

एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे। बातों ही बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से वेदव्यास जी से कहा.. कि, *”जहां आप समर्थ थे,भगवान श्रीकृष्ण थे, भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य कुल-गुरू कृपाचार्य जी, धर्मराज युधिष्ठिर, जैसे महान लोग उपस्थित थे…..फिर भी आप महाभारत के युद्ध को होने से नहीं रोक पाए और देखते-देखते अपार जन-धन की हानि हो गई। यदि मैं उस समय रहा होता तो, अपने पुरुषार्थ से इस विनाश को होने से बचा लेता”।*

अहंकार से भरे जन्मेजय के शब्द सुन कर भी, व्यास जी शांत रहे।

 उन्होंने कहा,” पुत्र अपने पूर्वजों की क्षमता पर शंका न करो। यह विधि द्वारा निश्चित था,जो बदला नहीं जा सकता था, यदि ऐसा हो सकता तो श्रीकृष्ण में ही इतनी सामर्थ्य थी कि वे युद्ध को रोक सकते थे। 

*जन्मेजय अपनी बात पर अड़ा रहा और बोला,”मैं इस सिद्धांत को नहीं मानता। आप तो भविष्यवक्ता है, मेरे जीवन की होने वाली किसी होनी को बताइए…मैं उसे रोककर प्रमाणित कर दूंगा कि विधि का विधान निश्चित नहीं होता”।*

व्यास जी ने कहा,”पुत्र यदि तू यही चाहता है तो सुन….”।

*कुछ वर्ष बाद तू काले घोड़े पर बैठकर शिकार करने जाएगा दक्षिण दिशा में समुद्र तट पर पहुंचेगा…वहां तुम्हें एक सुंदर स्त्री मिलेगी.. जिसे तू महलों में लाएगा, और उससे विवाह करेगा। मैं तुम को मना करूंगा कि ये सब मत करना लेकिन फिर भी तुम यह सब करोगे। इस के बाद उस लड़की के कहने पर तू एक यज्ञ करेगा..। मैं तुम को आज ही चेता कर रहा हूं कि उस यज्ञ को तुम वृद्ध ब्राह्मणों से कराना.. लेकिन, वह यज्ञ तुम युवा ब्राह्मणों से कराओगे…. और..*

जनमेजय ने हंसते हुए व्यासजी की बात काटते हुए कहा कि,”मै आज के बाद काले घोड़े पर ही नही बैठूंगा..तो ये सब घटनाएं घटित ही नही होगी। 

व्यासजी ने कहा कि,”ये सब होगा..और अभी आगे की सुन…,”उस यज्ञ मे एक ऐसी घटना घटित होगी….कि तुम ,उस रानी के कहने पर उन युवा ब्राह्मणों को प्राण दंड दोगे, जिससे तुझे ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा…और..तुझे कुष्ठ रोग होगा.. और वही तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इस घटनाक्रम को रोक सको तो रोक लो”।

वेदव्यास जी की बात सुनकर जन्मेजय ने एहतियात वश शिकार पर जाना ही छोड़ दिया। परंतु जब होनी का समय आया तो उसे शिकार पर जाने की बलवती इच्छा हुई। उस ने सोचा कि काला घोड़ा नहीं लूंगा.. पर उस दिन उसे अस्तबल में काला घोड़ा ही मिला। तब उस ने सोचा कि..मैं दक्षिण दिशा में नहीं जाऊंगा परंतु घोड़ा अनियंत्रित होकर दक्षिण दिशा की ओर गया और समुद्र तट पर पहुंचा वहां पर उसने एक सुंदर स्त्री को देखा, और उस पर मोहित हुआ। जन्मेजय ने सोचा कि इसे लेकर महल मे तो जाउंगा….लेकिन शादी नहीं करूंगा। 

परंतु, उसे महलों में लाने के बाद, उसके प्यार में पड़कर उस से विवाह भी कर लिया। फिर रानी के कहने से जन्मेजय द्वारा यज्ञ भी किया गया। उस यज्ञ में युवा ब्राह्मण ही, रक्खे गए। 

किसी बात पर युवा ब्राह्मण…रानी पर हंसने लगे। रानी क्रोधित हो गई ,और रानी के कहने पर राजा जन्मेजय ने उन्हें प्राण दंड की सजा दे दी.., फलस्वरुप उसे कोढ़ हो गया।

अब जन्मेजय घबरा गया.और तुरंत व्यास जी के पास पहुंचा…और उनसे जीवन बचाने के लिए प्रार्थना करने लगा।

वेदव्यास जी ने कहा कि,”एक अंतिम अवसर तेरे प्राण बचाने का और देता हूं……., मैं तुझे महाभारत में हुई घटना का श्रवण कराऊंगा जिसे तुझे श्रद्धा एवं विश्वास के साथ सुनना है…, इससे तेरा कोढ़ मिटता जाएगा। 

परंतु यदि किसी भी प्रसंग पर तूने अविश्वास किया.., तो मैं महाभारत का प्रसंग रोक दूंगा..,और फिर मैं भी तेरा जीवन नहीं बचा पाऊंगा…,याद रखना अब तेरे पास यह अंतिम अवसर है।

अब तक जन्मेजय को व्यासजी की बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, इसलिए वह पूरी श्रद्धा और विश्वास से कथा श्रवण करने लगा। 

व्यासजी ने कथा आरम्भ करी और जब भीम के बल के वे प्रसंग सुनाए ….,जिसमें भीम ने हाथियों को सूंडों से पकड़कर उन्हें अंतरिक्ष में उछाला…,वे हाथी आज भी अंतरिक्ष में घूम रहे हैं….,*तब जन्मेजय अपने आप को रोक नहीं पाया,और बोल उठा कि ये कैसे संभव हो सकता है, मैं इसे सम्भव नहीं मानता।*

व्यास जी ने महाभारत का प्रसंग रोक दिया….और कहा..कि, “पुत्र मैंने तुझे कितना समझाया…कि अविश्वास मत करना…परंतु तुम अपने स्वभाव को नियंत्रित नहीं कर पाए। क्योंकि यह होनी द्वारा निश्चित था”।

*फिर व्यास जी ने अपनी मंत्र शक्ति से आवाहन किया..और वे हाथी पृथ्वी की आकर्षण शक्ति में आकर नीचे गिरने लगे…..तब व्यास जी ने कहा, यह मेरी बात का प्रमाण है”।*

जितनी मात्रा में जन्मेजय ने श्रद्धा विश्वास से कथा श्रवण की,

उतनी मात्रा में वह उस कुष्ठ रोग से मुक्त हुआ परंतु एक बिंदु रह गया और वही उसकी मृत्यु का कारण बना।

• सार :-

 *पहले भाग्य बनता है फिर बनते हैं शरीर। “कर्म हमारे हाथ मे है लेकिन उस का फल हमारे हाथों में नहीं है”।*

गीता के 11 वें अध्याय के 33 वे श्लोक मैं श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं,”उठ खड़ा हो और अपने कार्य द्वारा यश प्राप्त कर। यह सब तो मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं तू तो केवल निमित्त बना है।🇮🇳🌹जय गणेश🌹🇮🇳
 *सत्ता, शक्ति और युवा अवस्था ,सब की समाप्ति तिथि तय होती है, इसीलिए सदैव विनम्र बने रहिए*! 🌹 🌹

*🧐होनी को टाला नहीं जा सकता लेकिन सद् कर्म व ईश्वर नाम जाप से होनी के प्रभाव को कम किया जा सकता है अर्थात् रोग आएंगे परंतु पीड़ा मालूम नहीं होगी और आपमें सहने की शक्ति आ जाएगी।*

*यदि आपको भागवत गीता का यह प्रसंग अच्छा लगा हो तो आप अन्य और लोगों को जरूर शेयर करें* 

*आपको पुण्य भी मिलेगा लाभ के भागीदार भी बनेंगे …. और अगर सनातन के ग्रंथों पर अविश्वास करेंगे तो फिर राजा जन्मेजय की तरह कष्ट भोगना पड़ सकता है देव पूजा के लिए नवधा भक्ति श्रेष्ठ मार्ग है। 🙏💐

🌸🌸🕉️ शुभ दिवस अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 9634342461