आज का पंचाग, प्रत्येक राशि के व्यक्ति के लिए एक सरल शास्त्रीय उपाय और समस्त दुखों को नष्ट करने वाला दुर्लभ और गोपनीय ‘भैरव तांडव’

*🚩आज की हिंदी तिथि*

🌥️ *🚩युगाब्द-५१२२*
🌥️ *🚩विक्रम संवत-२०७७*
⛅ *🚩तिथि – अष्टमी 07 जनवरी रात्रि 02:07 तक तत्पश्चात नवमी 

⛅ *दिनांक 06 जनवरी 2021*
⛅ *दिन – बुधवार*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु – शिशिर*
⛅ *मास – पौष*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *नक्षत्र – हस्त शाम 05:10 तक तत्पश्चात चित्रा*
⛅ *योग – अतिगण्ड रात्रि 12:13 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
⛅ *राहुकाल – दोपहर 12:45 से दोपहर 02:06 तक*
⛅ *सूर्योदय – 07:18*
⛅ *सूर्यास्त – 18:10*
⛅ *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 02:07 तक)*
💥 *विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🌷 *राशि विशेष* 🌷
👉🏻 *मेष और वृश्चिक राशि जिनकी है, उनके जीवन में अगर विघ्न, कष्ट और समस्याये आती है | तो उनको चाहिए मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है | मंगल गायत्री का जप किया करें |*
🌷 *मंगल गायत्री मंत्र ॐ अंगारकाय विद्महे | शक्तिहस्ताय धीमहि | तन्नो भौम प्रचोदयात |…. ॐ मंगलाय नम: ||*
➡ *ये मंगल गायत्री बोले और हर मंगलवार को मसूर की दाल के दाने थोड़े पक्षियों को डाल दे | और जब स्नान करें तो लाल चंदन का पाउडर मिल जाये तो एक चुटकी पाउडर बाल्टी में डाल दिया थोडा हिलाकर उससे स्नान कर दे | बहुत फायदा होगा |*
👉🏻 *वृषभ और तुला राशि जिनकी है वो शुक्रवार को खीर बना लें | उसमे दूध न दिखे चावल पक जाये (दूध और चावल ) शुक्रवार के दिन वो थोड़ी ठंडी करके गौ माता ( देशी गाय ) को खिलाये | पक्षियों कों थोड़े शुक्रवार को चावल के दाने डाल दे | और थोडा इलायची पाउडर, थोडासा केसर पानी में डाल दिया स्नान कर लिया बहुत लाभ होगा |*
👉🏻 *मिथुन और कन्या राशि उसके स्वामी बुध हैं | कन्या राशि के स्वामी राहू भी माने गये हैं | इस राशिवालों को चाहिए की बुधवार को हरे मूंग थोडे से पक्षियों को डाल दे नहीं तो गाय को दे सकते है | और ॐ गं गणपतये नमः जप करें, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें, गुरुमंत्र का जप जादा करें |*
👉🏻 *कर्क राशि जिनकी है उसके स्वामी चंद्रदेव माने गये है | कर्क राशिवालों को चाहिए की यथाशक्ति थोड़े चावल पक्षियों को डाले और सोमवार को शिवलिंग पर दूध, जल चढ़ाकर मंत्र बोले –*
🌷 *ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् ।*
➡ *ये भी याद न रहे तो – ॐ हरि ॐ ॐ करते हुए दूध , जल चढ़ा दिया | चंद्रमा को अर्घ्य दे दिया शुक्ल पक्ष में , दूज से पूनम तक अगर न कर पायें तो हर पूनम को दें चद्रंमा को अर्घ्य और मन में बोले की भगवान ने गीता में अपने कहाँ है – नक्षत्र का अधिपति मैं ही हूँ मेरा अर्घ्य स्वीकार करों और मेरे जीवन में दुःख, दरिद्रता दूर करों, तो बहुत फायदा होगा |*
👉🏻 *सिंह राशि जिनकी है इसके स्वामी सूर्य हैं | नित्य सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए | अगर सिंह राशिवालों को अगर तकलीफ आती है तो गेहूँ के दाने थोड़े रोज नहीं तो हर रविवार को पक्षियों को डालने चाहिए | और गेहूँ के आटे की रोटी और गुड़ गाय को खिला दे, गाय न मिले तो किसी गरीब को दे दे और गुरुमंत्र का जप खूब करें | रविवार को विशेष ऐसे लोग जिनकी सिंह राशि है जप जादा करें |*
👉🏻 *धनु और मीन जिनकी राशि है | इसके स्वामी भगवान ब्रहस्पतिजी है | लेकिन मीन के स्वामी केतु भी बताये जाते है | तो धनु और मीन राशिवालों को चाहिए की गुरु के प्रति भक्ति खूब बढ़ाये क्योंकि इसके स्वामी ब्रहस्पतिजी है | धनु और मीन राशि जिनकी है वो रोज थोड़ी देर गुरुदेव की तस्वीर सामने रखकर मंत्र बोले – ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |…… ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |*
➡ *गुरुवार को आम के पेड़ को चावल, जल, चने के दाने मिलाकर चढ़ा सकते है और बैठकर थोड़ी देर गुरुमंत्र का जप कर लें | और नवरात्रि शुरू है तो एक टाईम भोजन एक टाईम फलाहार करना – हो सके तो और पूरी रात को नही तो जप करना १५ -२० मिनट तो नवरात्रि से बापूजी के अवतरण दिवस तक करें | ( इसमें नवरात्रि, हनुमान जयंती और गुरुदेव का अवतरण दिवस आता है ) तो धनु और मीन राशिवाले गुरु उपासना करनी ही चाहिए और मीन राशि वालों को गणपति का जप – ॐ गं गणपतये नमः करना चाहिए | आप जब सत्संग में बैठते है गुरुदेव के तो पूरा ध्यान गुरुदेव के वचनों में होता है वो आदमी गणपतिजी की उपासना कर रहा है | उसकी हर क्षण गणेश पूजा हो रही है | क्योंकि गणेश विवेक की देवता है भगवान गणेश |*
👉🏻 *मकर और कुंभ राशि जिनकी है | इसके स्वामी शनिदेवता है | तो इन राशिवालों को चाहिए की हनुमान चालीसा का पाठ पूरी ना पढ़ सके तो –*
➡ *मनोजवं मारुततुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं | वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये ||*
💥 *पूरा याद न रहा तो – श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये | श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्ये |*
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भैरव तांडव 
ॐ यम् यम् यम् यक्षरूपम् दशदिशि वदनं भूमि कम्पाय मानम्
सम् सम् संहारमूर्तिम् शिरमुकुटजटा शेखरम् चन्द्रबिम्बम्
दम् दम् दम् दीर्घकायम् विकृतनखमुखम् उर्ध्वरोमम् करालम्
पम् पम् पम् पाप नाशम्, प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् ||१ ||
ॐ रम् रम् रम् रक्तवर्णम् कटिकटित तनुम् तीक्ष्ण दन्ष्ट्राकरालम्
घम् घम् घम् घोषघोषम् घघ घघ घटितम् घच्चरम् घोरनादम्
कम् कम् कम् कालपाशम् धृक धृक धृकृतम् ज्वालितम् कामदाहम्
तम् तम् तम् दिव्यदेहम्, प्रणमत सततम्, भैरवम् क्षेत्रपालम् ||२ ||
ॐ लम् लम् लम् लम्बदन्तम् लल लल लुलितम् दीर्घजिह्वा करालम्
धूम् धूम् धूम् धूम्रवर्णम् स्फुट विकृतमुखम् भासुरं भीमरूपम्
रुम् रुम् रुम् रूण्डमालम् रुधिरमय मुखं ताम्रनेत्रमम् विशालं
नम् नम् नम् नग्नरूपं , प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् || ३ ||
ॐ वम् वम् वम् वायुवेगम् प्रलय परिमितं बह्र्मरूप स्वरूपं
खम् खम् खम् खड्गहस्तम् त्रिभुवन निलयम् भास्करम् भीमरूपम्
चम् चम् चम् चालयंतं चल चल चलितं चालितम् भूतचक्रम्
मम् मम् मम् माय रूपम्, प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् ||४ ||
ॐ शम् शम् शम् शंख हस्तम् शशिकरधवलम् यक्ष संपूर्ण तेजम्
मं मं मं माय मायं कुलमकुल कुलं मंत्रमूर्ति स्वतत्वं |
भं भं भं भूतनाथं किलकिलित वचच्शार्लू गृह्णालू लंतं |
अं अं अं अन्तरिक्षम्, प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् || ५ ||
ॐ खं खं खं खड्गभेदम् विषम मृतमयम् काल कालाधकारम |
क्षीं क्षीं क्षीं क्षिप्रवेगम् दह दह दहनम् गवितं भूमिकम्पं |
शं शं शं शांत रूपम सकल शुभकरं देवगधर्व रूपं |
वं वं वं वाल लीला , प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् || ६ ||
ॐ सं सं सं सिद्धि योगम् सकलगुणमयं देव देवम् प्रसन्नम्
पं पं पं पद्मनाभम् हरिहर वरदं चन्द्र सूर्याग्नि नेत्रम् |
जं जं जं जक्षनागं सतत भयहरं सर्वदेव स्वरुपम |
रौं रौं रौं रौद्ररूपं , प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् || ७ ||
ॐ हं हं हं हंस घोषम हसित कहकहा रावरूरुद्राटटहासं
यं यं यं यक्ष सुप्तं शिर कनक महा वदध खट्वांगनाशं|
रं रं रं रंगरंग प्रहसित वदनम पिंगकस्या श्मशानं |
सं सं सं सिद्धिनाथम प्रणमत सततम् भैरवम् क्षेत्रपालम् ||८ ||
एवं यो भावयुक्तं पठति च यतः,भैरवस्याष्टकम् हि,
निर्विघ्नं दुःखनाशं असुरभयहरं शाकिनीनां विनाशः।
दस्युर्न व्याघ्रसर्पः धृति विहसि सदा राजशस्त्रोस्तथाज्ञात ,
सर्वे नश्यन्ति दूराद्ग्रह गणविषमांश्चेति चांतेष्ट सिद्धिः॥॥
🙏🙏🙏🌹🌹शुभ दिन 🌹🌹🙏🙏🙏📖 *नीतिदर्शन………………..*✍
*विस्मयः सर्वथा हेयः प्रत्युहः सर्वकर्मणाम्।*
*तस्माद्विस्मयमुत्सृज्य साध्ये सिद्धिर्विधीयताम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 विस्मय सब प्रकार से त्यागने योग्य है। (क्योंकि) यह सब कामों का बाधक है, इस कारण विस्मय छोड़ सिद्ध करने योग्य वास्तु में सिद्धि करें।
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐