आज का पंचाग आपका राशि फल, द्रोपदी के एक ही पति थे चक्रवर्ती धर्म सम्राट महाराज युधिष्ठिर, दो सौ वर्ष से भ्रम और झूठ फैलाने वालों के उद्देश्य का खंडन

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शुक्रवार, ८ जुलाई २०२२🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:३४

सूर्यास्त: 🌅 ०७:१४

चन्द्रोदय: 🌝 १३:३७

चन्द्रास्त: 🌜२५:०३

अयन 🌖 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)

ऋतु: ⛈️ वर्षा 

शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षसः)

मास 👉 आषाढ

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 नवमी (१८:२५ से दशमी)

नक्षत्र 👉 चित्रा (१२:१४ से स्वाती)

योग 👉 शिव (०९:०१ से सिद्ध)

प्रथम करण 👉 बालव (०७:०२ तक)

द्वितीय करण 👉 कौलव (१८:२५ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मिथुन 

चंद्र 🌟 तुला 

मंगल 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मिथुन (अस्त, पूर्व, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 वृष (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५४ से १२:५०

अमृत काल 👉 ०५:५१ से ०७:२७

रवियोग 👉 १२:१४ से २९:२२

विजय मुहूर्त 👉 १४:४२ से १५:३८

गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०८ से १९:३२

सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:२२ से २०:२२

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०२ से २४:४२

राहुकाल 👉 १०:३७ से १२:२२

राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व

यमगण्ड 👉 १५:५२ से १७:३७

होमाहुति 👉 शुक्र

दिशाशूल 👉 पश्चिम

अग्निवास 👉 पृथ्वी (१८:२५ तक)

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 गौरी के साथ (१८:२५ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – चर २ – लाभ

३ – अमृत ४ – काल

५ – शुभ ६ – रोग

७ – उद्वेग ८ – चर

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – रोग २ – काल

३ – लाभ ४ – उद्वेग

५ – शुभ ६ – अमृत

७ – चर ८ – रोग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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भड़ली नवमी (अबुझ मुहूर्त), गुप्तनवरात्री विधान पूर्ण, विवाहादि मुहूर्त मिथुन ल. प्रातः ०५:४३ से ०६:१६ तक, कन्या ल. प्रातः १०:५५ से दोपहर ०१:११ गोधुलि, कुम्भ ल. सायं ०७:०८ से रात्रि ११:०५ मेष ल. रात्रि १२:३२ से रात्रि ०२:०९ तक, चूड़ाकर्म (मुंडन) संस्कार मुहूर्त दोपहर १२:०४ से १२:५९ तक, वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर १२:३२ से ०२:१५ तक, देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०५:४३ से १०:४९ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १२:१४ तक जन्मे शिशुओ का नाम 

चित्रा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (रा, री) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशु का नाम स्वाति नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (रू, रे, रो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मिथुन – २७:४९ से ०६:०४

कर्क – ०६:०४ से ०८:२६

सिंह – ०८:२६ से १०:४५

कन्या – १०:४५ से १३:०३

तुला – १३:०३ से १५:२३

वृश्चिक – १५:२३ से १७:४३

धनु – १७:४३ से १९:४६

मकर – १९:४६ से २१:२७

कुम्भ – २१:२७ से २२:५३

मीन – २२:५३ से २४:१७

मेष – २४:१७ से २५:५१

वृषभ – २५:५१ से २७:४५

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०५:२२ से ०६:०४

चोर पञ्चक – ०६:०४ से ०८:२६

शुभ मुहूर्त – ०८:२६ से १०:४५

रोग पञ्चक – १०:४५ से १२:१४

शुभ मुहूर्त – १२:१४ से १३:०३

मृत्यु पञ्चक – १३:०३ से १५:२३

अग्नि पञ्चक – १५:२३ से १७:४३

शुभ मुहूर्त – १७:४३ से १८:२५

रज पञ्चक – १८:२५ से १९:४६

शुभ मुहूर्त – १९:४६ से २१:२७

चोर पञ्चक – २१:२७ से २२:५३

शुभ मुहूर्त – २२:५३ से २४:१७

शुभ मुहूर्त – २४:१७ से २५:५१

चोर पञ्चक – २५:५१ से २७:४५

शुभ मुहूर्त – २७:४५ से २९:२२

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप कुछ हद तक आपके रुके कार्यो को पूर्ण कर सकेंगे लेकिन प्रत्येक कार्यो में धैर्य का परिचय देना होगा तुरंत लाभ ना मिलने से हताश ना हों कर्म करते रहें दे से ही सही सफलता अवश्य मिलेगी। आज सरकार संबंधित कार्यो को प्राथमिकता दें अधिकारी वर्ग का नरम व्यवहार रहने से लटके कार्यो में गति आएगी। लोन अथवा अन्य धन संबंधित कागजी कार्य भी आज कर सकते है निश्चित सफलता मिलेगी। आज आपके अचल संपत्ति के विवाद में पड़ने की संभावना है किसी से विवाद ना करें भाई बंधु आपसे असंतुष्ट रहेंगे। परिस्थितियां कैसी भी बने धन लाभ आज होकर ही रहेगा। बीच मे स्वास्थ्य को लेकर थोड़े चिंतित रहेंगे।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आप अपनी ही कमियों के कारण परेशान रहेंगे गलती करने पर भी स्वीकार नही करेंगे जिससे प्रेम संबंधों में कड़वाहट आएगी महिलाये भी विवाद होने पर शांत नही बैठेंगी तुरंत जवाब देंगी जिससे माहौल ज्यादा गंभीर बनेगा। कार्य क्षेत्र पर धन अथवा अन्य कारणों से विवाद हो सकता है। सहकर्मी मांग पूरी ना होने पर मनमानी करेंगे। कार्य क्षेत्र पर दैनिक गतिविधयां अस्त व्यस्त रहने के कारण सीमित व्यवसाय होगा धन की आमद में भी कमी आएगी। भविष्य को ध्यान में रखते हुए परिजन अथवा सहकर्मियों की छोटी-मोटी गलतियों को अनदेखा करें। नव विवाहितो का वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ सकता है विवेक से काम लें।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपको अपनी किसी गलती का पश्चाताप होगा लेकिन आज का दिन अभाव में रहने के कारण इसमे सुधार करना संभव नही होगा। मन मे बहुत कुछ करने की योजना बनाएंगे लेकिन सहयोग एवं धन की कमी के कारण मन की मन मे ही रह जायेगी। बेरोजगार लोग आज कुछ ज्यादा ही परेशान रहेंगे भाग-दौड़ करने के बाद थोड़ी आशा जागेगी लेकिन जिस पद के अधिकारी है उसे कोई अन्य प्राप्त कर लेगा। व्यवसायी वर्ग का भी कुछ ऐसा ही हाल रहेगा कार्य क्षेत्र पर आज अन्य लोगो के ऊपर निर्भर रहना पड़ेगा। घरेलू वातावरण शांत रहेगा महिलाये परिजनों की भावनाओ को ध्यान में रखकर ही दैनिक व्यवस्था चलाएंगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आपके लिये प्रतिकूल रहेगा। स्वभाव में परिवर्तन होने पर आज आपको बात बात पर क्रोध आएगा आवेश में आकर किसी से अपशब्द बोलने पर झगड़ा हो सकता है। सेहत भी आज नरम रहेगी कार्यो को बेमन से करेंगे। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी आपकी मदद करने का प्रयास करेंगे लेकिन आपके गुस्सैल स्वभाव के कारण हिम्मत नही जुटा पाएंगे। धन लाभ आवश्यकता से थोड़ा कम किसी के माध्यम से हो ही जायेगा। पारिवार में कोई अकस्मात घटना घटने की संभावना है किसी भी कार्य मे जोखिम ना लें परिणाम बुरे होंगे। यात्रा आज ना करें चोटादि का भय रहेगा। परिवार की महिलाये भी शारीरिक समस्या से परेशान रहेंगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज का दिन बीते कुछ दिनों की तुलना में बेहतर रहेगा। आज के दिन आपका मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाना रहेगा इसमें काफी हद तक सफल भी रहेंगे। दिन के आरंभ में परिजन अथवा कार्य क्षेत्र से शुभ समाचार मिलेंगे। आज आप अधिकांश कार्यो में समय से पहले ही पूर्ण कर लेंगे लेकिन फिर भी धन लाभ के लिये थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा। आज कार्य क्षेत्र पर आपके विचारों का विरोध करने वाले भी होंगे जो केवल आपकी छवि खराब कर अपना हित करने का प्रयास करेंगे परन्तु इसमे सफल नही हो सकेंगे। कार्यो से समय निकाल कर मित्र मंडली के साथ आनंद के पल बिताने का समय मिलेगा धार्मिक क्षेत्र की लघु यात्रा भी होगी। सेहत बनी रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आपके अंदर उदासीनता छाई रहेगी। प्रत्येक कार्य को पूरी निष्ठा से करेंगे लेकिन सफलता मिलनी संदिग्ध रहेगी आज व्यवसाय में थोड़ी सी भी लापरवाही करने पर आपके हिस्से का लाभ किसी अन्य को मिल सकता है। धन लाभ की आज संभावनाए ही रहेंगी होगा भी तो बहुत कम। कार्य क्षेत्र पर व्यावहारिक रहेंगे फिर भी लाभ के अवसर बनाने में असफल रहेंगे। धर्म-कर्म के प्रति आस्था रहेगी लेकिन अन्य परेशानियों के कारण केवल व्यवहारिकता निभाएंगे। नौकरी पेशा लोग अधिकारियों से असंतुष्ट रहेंगे व्यवसाइयों को काम का बोझ आज ज्यादा रहेगा इसके अनुपात में लाभ कम ही मिलेगा। परिवार के सदस्य भी स्वार्थ हेतु व्यवहार करेंगे।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन आप परिस्थितियों में सुदर आने से राहत की सांस लेंगे। कल तक जो लोग आपके कार्यो में विघ्न डाल रहे थे अथवा आपके निर्णयों को गलत बताया रहे थे वे ही आपका सम्मान करते नजर आएंगे विशेषकर बुजुर्ग लोगो का व्यवहार आज आपके प्रति एकदम उल्टा नजर आएगा मौका देखकर आपकी प्रशंशा करने से नही चूकेंगे। कार्य व्यवसाय में भी लाभ कमाने के कई अवसर हाथ लगेंगे धन लाभ आज एक से अधिक साधनों से होगा। सरकारी कार्य आज ना करें अधिकारियों से गरमा-गरमी होने पर अधूरे रह सकते है। पारिवारिक वातावरण संतोषजनक रहेगा। सेहत का ध्यान रखे मौसमी बीमारी हो सकती है।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन आपके लिए निराशाजनक रहेगा आज आप जल्दी से किसी भी कार्य को करने का साहस नही जुटा पाएंगे पर जिस भी कार्य को करेंगे उसमे कुछ भी बना रहेगा। कार्य व्यवसाय में सहकर्मियों अथवा अधीनस्थों से तालमेल की कमी के कारण जहां लाभ होने था वहां हानि होगी। निवेश आज भूल कर भी ना करें उधारी के व्यवहारों में भी कमी लाये अन्यथा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। आज किसी से उधार लेने की भी आवश्यकता पड़ सकती है यथा संभव इसे कल तक निरस्त रखें लौटाने में परेशानी आएगी। महिलाये गृहस्थ को संभालने का पूरा प्रयास करेंगे लेकिन कुछ मामलों में लाचार हो जाएंगी।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन आप दैनिक कार्यो के साथ ही सामाजिक कार्यो में भी रुचि लेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र पर आपका परोपकारी व्यवहार सम्मान दिलाएगा। अपने कार्य छोड़कर लोगो की परेशानियों को सुलझाने के लिए तत्पर रहेंगे लेकीन आज धन संबंधित सहायता सोच समझ कर ही करें धन की वापसी असम्भव रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज मध्यान तक परिश्रम करना पड़ेगा इसके बाद ही आय के साधन बन पाएंगे धन लाभ अचानक ही होगा। पारिवारिक माहौल आपसी गलतफहमी के कारण थोड़ी देर के लिये अशान्त बनेगा कुछ समय मे ही सामान्य भी हो जाएगा। हल्के फुल्के क्रोध को छोड़ स्वास्थ्य ठीक ही रहेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपको परिवार के बड़ो का मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलेगा। आज दिन के आरम्भ में आप कोई बड़ी गलती कर सकते है लेकिन बुजुर्गो का सानिध्य रहने से बच जाएंगे। कार्य व्यवसाय में भी आज पैतृक प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। व्यवसाय में उन्नति होगी लेकिन इसका लाभ तुरंत नही मिल सकेगा। आज जल्दबाजी में कार्य करने की जगह धैर्य से सोच समझ कर ही निर्णय लें समय अनुकूल है सफल अवश्य होंगे। विपरीत लिंगीय आकर्षण अधिक रहेगा इससे बचे मान भंग हो सकता है। सामाजिक क्षेत्र पर आपकी आवश्यकता पड़ेगी लेकिन इसमे अरुचि दिखाएंगे। मानसिक परिश्रम अधिक रहेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज का दिन आपके लिये वृद्धिकारक रहेगा। लेकिन आज आप किसी की सहायता बहुत गंभीर परिस्थितियों में ही अथवा कही फंसने पर ही लेंगे जिससे कार्यो में विलंब होगा। आज आप मेहनत की कमाई की अपेक्षा अनैतिक कार्यो से शीघ्र धन कमाने के चक्कर मे भी पड़ेंगे परन्तु इससे लाभ की जगह हानि भी हो सकती है सतर्क रहें आज आपको कोई मीठा बोलकर ठग सकता है। कार्य व्यवसाय में आज पूर्व में कई गई मेहनत का फल अवश्य ही धन लाभ के रूप में मिलेगा। नौकरी वालो के ऊपर अधिकारियों की कृपा दृष्टि रहने से काम निकालना आसान बनेगा परन्तु सहकर्मी आपसे ईर्ष्या का भाव रखेंगे। गृहस्थ में महिलाओं को छोड़ बाकी सभी शांत रहेंगे।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपके लिए सामान्य रहेगा। आज आप कर्म की अपेक्षा कल्पना में ज्यादा खोये रहेंगे। व्यवसाय स्थल पर कार्यो को अंत तक टालने का प्रयास करेंगे हानि लाभ की परवाह भी आज कम ही रहेगी। किसी उलझे सार्वजिक कार्य को सुलझाने पर आपकी बुद्धि चातुर्य की प्रशंसा होगी जिससे मन मे अतिआत्मविश्वास की भावना रहेगी। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों को उपेक्षित दृष्टि से देखना मतभेद को जन्म देगा। व्यावहारिक बने अन्यथा आने वाले समय मे किसी से कार्य निकालने में परेशानी होगी। धन की आमद न्यून रहेगी उधारी के व्यवहारों को लेकर बेचैन रहेंगे समय पर किसी का धन ना लौटाने के कारण तीखी झड़प हो सकती है। 

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#भगवान राम और कृष्ण को काल्पनिक बताने वाले एकलव्य के अंगूठे पर चटकारे लेकर झूठ परोसते हैं ठीक उसी भांति द्रोपदी कौन कहता है कि द्रौपदी के पांच पति विषयक झूठ को भी पिछले दो सौ वर्षों से प्रचारित किया जा रहा है जबकि द्रोपदी के एक ही पति थे चक्रवर्ती धर्म सम्राट महाराज युधिष्ठिर

_जर्मन के संस्कृत जानकार मैक्स मूलर को जब विलियम हंटर की कमेटी के कहने पर वैदिक धर्म के आर्य ग्रंथों को बिगाड़ने का जिम्मा सौंपा गया तो उसमे मनु स्मृति, रामायण, वेद के साथ साथ महाभारत के चरित्रों को बिगाड़ कर दिखाने का भी काम किया गया। किसी भी प्रकार से प्रेरणादायी पात्र – चरित्रों में विक्षेप करके उसमे झूठ का तड़का लगाकर महानायकों को चरित्रहीन, दुश्चरित्र, अधर्मी सिद्ध करना था, जिससे भारतीय जनमानस के हृदय में अपने ग्रंथो और महान पवित्र चरित्रों के प्रति घृणा और क्रोध का भाव जाग जाय और प्राचीन आर्य संस्कृति सभ्यता को निम्न दृष्टि से देखने लगें और फिर वैदिक धर्म से आस्था और विश्वास समाप्त हो जाय। लेकिन आर्य नागरिको के अथक प्रयास का ही परिणाम है कि मूल महाभारत के अध्ययन बाद सबके सामने द्रोपदी के पाँच पति के दुष्प्रचार का सप्रमाण खण्डन किया जा रहा है। द्रोपदी के पवित्र चरित्र को बिगाड़ने वाले विधर्मी, पापी वो तथाकथित ब्राह्मण, पुजारी, पुरोहित भी हैं जिन्होंने महाभारत ग्रंथ का अध्ययन किये बिना अंग्रेजो के हर दुष्प्रचार और षड्यंत्रकारी चाल, धोखे को स्वीकार कर लिया और धर्म को चोट पहुंचाई।_

अब ध्यानपूर्वक पढ़ें—
#विवाह_का_विवाद क्यों पैदा हुआ था:–

(१) अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। यदि उससे विवाह हो जाता तो कोई परेशानी न होती। वह तो स्वयंवर की घोषणा के अनुरुप ही होता।

(२) परन्तु इस विवाह के लिए कुन्ती कतई तैयार नहीं थी।

(३) अर्जुन ने भी इस विवाह से इन्कार कर दिया था। “बड़े भाई से पहले छोटे का विवाह हो जाए यह तो पाप है। अधर्म है।” (भवान् निवेशय प्रथमं)
मा मा नरेन्द्र त्वमधर्मभाजंकृथा न धर्मोsयमशिष्टः (१९०-८)

(४) कुन्ती मां थी। यदि अर्जुन का विवाह भी हो जाता,भीम का तो पहले ही हिडम्बा से (हिडम्बा की ही चाहना के कारण) हो गया था। तो सारे देश में यह बात स्वतः प्रसिद्ध हो जाती कि निश्चय ही युधिष्ठिर में ऐसा कोई दोष है जिसके कारण उसका विवाह नहीं हो सकता।

(५) आप स्वयं निर्णय करें कुन्ती की इस सोच में क्या भूल है? वह माता है, अपने बच्चों का हित उससे अधिक कौन सोच सकता है? इसलिए माता कुन्ती चाहती थी और सारे पाण्डव भी यही चाहते थे कि विवाह युधिष्ठिर से हो जाए।

🔸प्रश्न:-क्या कोई ऐसा प्रमाण है जिसमें द्रौपदी ने अपने को केवल एक की पत्नी कहा हो या अपने को युधिष्ठिर की पत्नी बताया हो ?
🔸उत्तर:- द्रौपदी को कीचक ने परेशान कर दिया तो दुःखी द्रौपदी भीम के पास आई। उदास थी। भीम ने पूछा सब कुशल तो है? द्रौपदी बोली जिस स्त्री का पति राजा युधिष्ठिर हो वह बिना शोक के रहे, यह कैसे सम्भव है?
आशोच्यत्वं कुतस्यस्य यस्य भर्ता युधिष्ठिरः ।
जानन् सर्वाणि दुःखानि कि मां त्वं परिपृच्छसि ।।-(विराट १८/१)
_द्रौपदी स्वयं को केवल युधिष्ठिर की पत्नि बता रही है।_

🔸 वह भीम से कहती है- जिसके बहुत से भाई, श्वसुर और पुत्र हों,जो इन सबसे घिरी हो तथा सब प्रकार अभ्युदयशील हो, ऐसी स्थिति में मेरे सिवा और दूसरी कौन सी स्त्री दुःख भोगने के लिए विवश हुई होगी-
भ्रातृभिः श्वसुरैः पुत्रैर्बहुभिः परिवारिता ।
एवं सुमुदिता नारी का त्वन्या दुःखिता भवेत् ।।-(२०-१३)
द्रौपदी स्वयं कहती है उसके बहुत से भाई हैं, बहुत से श्वसुर हैं, बहुत से पुत्र भी हैं,फिर भी वह दुःखी है। यदि बहुत से पति होते तो सबसे पहले यही कहती कि जिसके पाँच-पाँच पति हैं, वह मैं दुःखी हूँ,पर होते तब ना ।

🔸और जब भीम ने द्रौपदी को,कीचक के किये का फल देने की प्रतिज्ञा कर ली और कीचक को मार-मारकर माँस का लोथड़ा बना दिया तब अन्तिम श्वास लेते कीचक को उसने कहा था, *”जो सैरन्ध्री के लिए कण्टक था,जिसने मेरे भाई की पत्नी का अपहरण करने की चेष्टा की थी, उस दुष्ट कीचक को मारकर आज मैं अनृण हो जाऊंगा और मुझे बड़ी शान्ति मिलेगी।”
अद्याहमनृणो भूत्वा भ्रातुर्भार्यापहारिणम् ।
शांति लब्धास्मि परमां हत्वा सैरन्ध्रीकण्टकम् ।।-(विराट २२-७९)
इस पर भी कोई भीम को द्रौपदी का पति कहता हो तो क्या करें? मारने वाले की लाठी तो पकड़ी जा सकती है, बोलने वाले की जीभ को कोई कैसे पकड़ सकता है?
🔸द्रौपदी को दांव पर लगाकर हार जाने पर जब दुर्योधन ने उसे सभा में लाने को दूत भेजा तो द्रौपदी ने आने से इंकार कर दिया। उसने कहा जब राजा युधिष्ठिर पहले स्वयं अपने को दांव पर लगाकर हार चुका था तो वह हारा हुआ मुझे कैसे दांव पर लगा सकता है? महात्मा विदुर ने भी यह सवाल भरी सभा में उठाया। द्रौपदी ने भी सभा में ललकार कर यही प्रश्न पूछा था -क्या राजा युधिष्ठिर पहले स्वयं को हारकर मुझे दांव पर लगा सकता था? सभा में सन्नाटा छा गया।* किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तब केवल भीष्म ने उत्तर देने या लीपा-पोती करने का प्रयत्न किया था और कहा था, *”जो मालिक नहीं वह पराया धन दांव पर नहीं लगा सकता परन्तु स्त्री को सदा अपने स्वामी के ही अधीन देखा जा सकता है।”-
अस्वाभ्यशक्तः पणितुं परस्व ।स्त्रियाश्च भर्तुरवशतां समीक्ष्य ।-(२०७-४३)
“ठीक है युधिष्ठिर पहले हारा है पर है तो द्रौपदी का पति और पति सदा पति रहता है, पत्नी का स्वामी रहता है।”
यानि द्रौपदी को युधिष्ठिर द्वारा हारे जाने का दबी जुबान में भीष्म समर्थन कर रहे हैं। यदि द्रौपदी पाँच की पत्नी होती तो वह ,बजाय चुप हो जाने के पूछती,जब मैं पाँच की पत्नी थी तो किसी एक को मुझे हारने का क्या अधिकार था? द्रौपदी न पूछती तो विदुर प्रश्न उठाते कि “पाँच की पत्नि को एक पति दाँव पर कैसे लगा सकता है? यह न्यायविरुद्ध है।”
_स्पष्ट है द्रौपदी ने या विदुर ने यह प्रश्न उठाया ही नहीं। यदि द्रौपदी पाँचों की पत्नी होती तो यह प्रश्न निश्चय ही उठाती।_
इसीलिए भीष्म ने कहा कि द्रौपदी को युधिष्ठिर ने हारा है। युधिष्ठिर इसका पति है। चाहे पहले स्वयं अपने को ही हारा हो, पर है तो इसका स्वामी ही। और नियम बता दिया – जो जिसका स्वामी है वही उसे किसी को दे सकता है,जिसका स्वामी नहीं उसे नहीं दे सकता।

🔸 द्रौपदी कहती है- “कौरवो ! मैं धर्मराज युधिष्ठिर की धर्मपत्नि हूं।तथा उनके ही समान वर्ण वाली हू।आप बतावें मैं दासी हूँ या अदासी?आप जैसा कहेंगे,मैं वैसा करुंगी।”-
तमिमांधर्मराजस्य भार्यां सदृशवर्णनाम् ।
ब्रूत दासीमदासीम् वा तत् करिष्यामि कौरवैः ।।-(६९-११-९०७)
द्रौपदी अपने को युधिष्ठिर की पत्नी बता रही है।

🔸पाण्डव वनवास में थे दुर्योधन की बहन का पति सिंधुराज जयद्रथ उस वन में आ गया। उसने द्रौपदी को देखकर पूछा -तुम कुशल तो हो?द्रौपदी बोली सकुशल हूं।मेरे पति कुरु कुल-रत्न कुन्तीकुमार राजा युधिष्ठिर भी सकुशल हैं।मैं और उनके चारों भाई तथा अन्य जिन लोगों के विषय में आप पूछना चाह रहे हैं, वे सब भी कुशल से हैं। राजकुमार ! यह पग धोने का जल है। इसे ग्रहण करो।यह आसन है, यहाँ विराजिए।-
कौरव्यः कुशली राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः
अहं च भ्राताश्चास्य यांश्चा न्यान् परिपृच्छसि ।-(१२-२६७-१६९४)
द्रौपदी भीम,अर्जुन,नकुल,सहदेव को अपना पति नहीं बताती,उन्हें पति का भाई बताती है।
और आगे चलकर तो यह एकदम स्पष्ट ही कर देती है। जब युधिष्ठिर की तरफ इशारा करके वह जयद्रथ को बताती है—
एतं कुरुश्रेष्ठतमम् वदन्ति युधिष्ठिरं धर्मसुतं पतिं मे ।-(२७०-७-१७०१)
“कुरू कुल के इन श्रेष्ठतम पुरुष को ही ,धर्मनन्दन युधिष्ठिर कहते हैं। ये मेरे पति हैं।”
क्या अब भी सन्देह की गुंजाइश है कि द्रौपदी का पति कौन था?

🔸कृष्ण संधि कराने गए थे। दुर्योधन को धिक्कारते हुए कहने लगे”– दुर्योधन! तेरे सिवाय और ऐसा अधम कौन है जो बड़े भाई की पत्नी को सभा में लाकर उसके साथ वैसा अनुचित बर्ताव करे जैसा तूने किया। –
कश्चान्यो भ्रातृभार्यां वै विप्रकर्तुं तथार्हति ।
आनीय च सभां व्यक्तं यथोक्ता द्रौपदीम् त्वया ।।-(२८-८-२३८२)
कृष्ण भी द्रौपदी को दुर्योधन के बड़े भाई की पत्नी मानते हैं।
अब सत्य को ग्रहण करें और द्रौपदी के पवित्र चरित्र का सम्मान करें। 🙏🏼 साभार- हरिमंगलाचार्य🙏🏼

दिनांक – २०.०६.२०२२