आज का पंचाग आपका राशि फल, शाश्वत प्राकृतिक ऋषि कृषि विज्ञान परम्परा, कृषि विज्ञान के जनक ऋषि पाराशर

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शुक्रवार, १२ नवम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:४१
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२६
चन्द्रोदय: 🌝 १३:४६
चन्द्रास्त: 🌜२४:५५
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: 🌳 हेमन्त
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 नवमी (२९:३१ तक)
नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (१४:५४ तक)
योग 👉 ध्रुव (२७:१७ तक)
प्रथम करण 👉 बालव (१७:३६ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (२९:३१ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 कुंम्भ
मंगल 🌟 तुला (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 तुला (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३९ से १२:२२
रवियोग 👉 १४:५४ से ३०:४०
विजय मुहूर्त 👉 १३:४८ से १४:३१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:११ से १७:३५
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३५ से २४:२८
राहुकाल 👉 १०:४० से १२:०१
राहुवास 👉 दक्षिण-पूर्व
यमगण्ड 👉 १४:४१ से १६:०२
होमाहुति 👉 शुक्र
दिशाशूल 👉 पश्चिम
अग्निवास 👉 पृथ्वी (२९:३१ तक)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 गौरी के साथ (२९:३१ से सभा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – चर २ – लाभ
३ – अमृत ४ – काल
५ – शुभ ६ – रोग
७ – उद्वेग ८ – चर
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – रोग २ – काल
३ – लाभ ४ – उद्वेग
५ – शुभ ६ – अमृत
७ – चर ८ – रोग
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दहीलस्सी अथवा राई का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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अक्षय आंवला नवमी, देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०६:४८ से १०:५० तक, विवाहादि मुहूर्त (पंजाब, कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा) आदि के लिये धनु-कुंम्भ लग्न प्रातः ०९:२६ से दोपहर ०२:४४ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:५४ तक जन्मे शिशुओ का नाम
धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गू, गे) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (गो, सा, सी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २८:४२ से ०७:०३
वृश्चिक – ०७:०३ से ०९:२२
धनु – ०९:२२ से ११:२६
मकर – ११:२६ से १३:०७
कुम्भ – १३:०७ से १४:३३
मीन – १४:३३ से १५:५६
मेष – १५:५६ से १७:३०
वृषभ – १७:३० से १९:२५
मिथुन – १९:२५ से २१:४०
कर्क – २१:४० से २४:०२
सिंह – २४:०२ से २६:२०
कन्या – २६:२० से २८:३८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:३९ से ०७:०३
मृत्यु पञ्चक – ०७:०३ से ०९:२२
अग्नि पञ्चक – ०९:२२ से ११:२६
शुभ मुहूर्त – ११:२६ से १३:०७
रज पञ्चक – १३:०७ से १४:३३
शुभ मुहूर्त – १४:३३ से १४:५४
चोर पञ्चक – १४:५४ से १५:५६
रज पञ्चक – १५:५६ से १७:३०
शुभ मुहूर्त – १७:३० से १९:२५
चोर पञ्चक – १९:२५ से २१:४०
शुभ मुहूर्त – २१:४० से २४:०२
रोग पञ्चक – २४:०२ से २६:२०
शुभ मुहूर्त – २६:२० से २८:३८
मृत्यु पञ्चक – २८:३८ से २९:३१
अग्नि पञ्चक – २९:३१ से ३०:४०
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपके लिये आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा आज दिन का आरंभिक भाग परिवार में मतभेद के कारण थोड़ा उदासीन रहेगा इसके बाद का समय सार्वजिनक क्षेत्र पर आपकी नई पहचान बनने से जीवन को नई दिशा मिलेगी लेकिन इसके लिये स्वयं को भी दृढ़ संकल्पित रहना पड़ेगा। लक्ष्य बनाए कर कार्य करने पर ही आज के दिन से उचित लाभ पाया जा सकता है। स्वभाव में थोड़ी तल्खी रहने के कारण किसी को भी मन की बाते समझाने में परेशानी आएगी। कार्य व्यवसाय में पल पल में स्थिति बदलने से असमंजस की स्थिति रहेगी कम मुनाफे में व्यापार करना पड़ेगा। परिवार की अपेक्षा बाहर से अधिक सहयोग मिलेगा। उच्च रक्तचाप अथवा अन्य रक्त पित्त संबंधित समस्या हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये सिद्धि दायक रहेगा कोई भी कार्य करने से पहले उसके विषय मे बारीकी से अध्ययन करें आज थोड़े से परिश्रम से बड़ा कार्य पूर्ण कर सकेंगे। पहले से चल रही किसी योजना के पूर्ण होनेपर भी लाभ मिलेगा लेकिन जल्दबाजी करने पर कुछ अभाव भी रह सकता है। कार्य व्यवसाय से धन की प्राप्ति निश्चित होगी लेकिन आज उधार के व्यवहार भी परेशानी में डालेंगे यथा सम्भव इनपर नियंत्रण रखें। पारिवारिक वातावरण में छोटी मोटी गलतफहमियां बनेगी आपसी तालमेल से इनपर विजय पा सकते है। महिलाए मामूली बातो का बतंगड़ बनाएंगी जिससे घर मे अशान्ति रहेगी। सेहत आज लगभग ठीक ही रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आपमे धैर्य की कमी रहेगी। किसी भी कार्यो को लेकर पहले लापरवाही करेंगे बाद में उसे जल्दबाजी में करने पर कुछ ना कुछ कमी रह जायेगी। धन संबंधित मामलों में जल्दबाजी ना करें अन्यथा आज के दिन का उचित लाभ लेने से वंचित रह जाएंगे कार्य व्यवसाय से आरंभ में ज्यादा आशा नही रहेगी लेकिन धीरे धीरे जमने पर अकस्मात धन के मार्ग खुलने से उत्साह बढेगा। दान-पुण्य के साथ किसी की सहायता पर खर्च करना पड़ेगा परोपकार की भावना के कारण अखरेगा नही। आज घर मे समय पर आवश्यकता पूर्ति ना करने पर विवाद हो सकता है। स्वास्थ्य आज सामान्य ही रहेगा। क्रोध से बचें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन शारिरिक दृष्टिकोण से विपरीत रहेगा दिनचार्य अस्त व्यस्त रहेगी सहयोग मिलने पर भी अधिकांश कार्य समय पर पूरा नही कर सकेंगे। काम-धंदे को लेकर मन अशांत रहेगा किसी से पूर्व में किया वादा पूरा ना करने का डर मन मे रहेगा जिसका प्रभाव मानसिक दबाव बढ़ाएगा। विरोधी आपके ऊपर दया भाव प्रदर्शित करेंगे लेकिन फिर भी सावधान रहें ये कुचक्र भी हो सकता है। जल्द पैसा कमाने की मानसिकता आज कुछ ना कुछ नुकसान ही कराएगी इससे बचकर रहें। धन की आमद मध्यान बाद होगी लेकिन अनर्गल खर्च रहने से आवश्यक कार्यो पर खर्च नही कर पाएंगे। घर के सदस्यों का स्वार्थी व्यवहार मन दुख का कारण बनेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन लाभदायक रहेगा कार्य क्षेत्र पर आज आपसे प्रतिस्पर्धा करने वाले बहुत रहेंगे फिर भी अपने हिस्से का लाभ थोडे बौद्धिक परिश्रम से प्राप्त कर लेंगे। व्यवसायी वर्ग को दैनिक कार्यो की जगह आज जोखिम वाले कार्य से अधिक लाभ की संभावना है पूर्व में अथवा आज किया निवेश शीघ्र ही फलती होकर धन की आमद बढ़ाएगा। उधारी के व्यवहारों के कारण आज मन मे क्रोध भी रहेगा लेन देन को लेकर किसी से तीखी बहस हो सकती है धैर्य से काम लें अन्यथा आगे नुकसान हो सकता है। घर के सदस्यों पर नाजायज हुकुम चलाना नई समस्या को जन्म देगा परिजन आपके सामने ही उद्दंडता करेंगे। सेहत संध्या तक ठीक रहेगी इसके बाद कुछ विकार आ सकता है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन संभावनाओं पर ज्यादा केंद्रित रहेगा। परिश्रम करने में कमी नही रखेंगे फिर भी सफलता असफलता संपर्क में रहने वालों पर निर्भर रहेगी। मध्यान तक का समय उदासीनता में बीतेगा इसके बाद व्यस्तता बढ़ेगी कार्य व्यवसाय में गति आने से लाभ की संभावना जागेगी लेकिन धन प्राप्ति में विलंब होगा फिर भी आज के दिन से वृद्धि की आशा रख सकते है भले ही इसमें विलंब क्यो ना हो। सहकर्मी अपने मनमाने व्यवहार से कुछ समय के लिये परेशानी में डालेंगे लेकिन इससे बाहर भी स्वयं ही निकालेंगे। गृहस्थ में शांति रहेगी परन्तु आज किसी व्यक्ति विशेष का अभाव भी अनुभव करेंगे। सेहत को लेकर थोड़ी समस्या बनेगी पर प्रदर्शित नही करेंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन बौद्धिक कार्यो से सफलता दिलाएगा सामाजिक क्षेत्र अथवा गृहस्थ में आपके महत्त्वपूर्ण सुझाव मिलने से किसी ना किसी के जीवन को नई दिशा मिलेगी आपके प्रति लोगो का आदर भाव बढेगा परन्तु स्वयं के प्रति लापरवाह ही रहेंगे कार्य क्षेत्र पर धीमी गति से कार्य करने पर किसी के ताने सुनने पड़ेंगे फिर भी स्वभाव में परिवर्तन नही होगा। काम-धंधा कुछ समय के लिये ही फलदायी रहेगा लापरवाही की तो आज खर्च चलाने के लिये भी किसी से उधार लेना पड़ सकता है। नौकरी वाले लोग व्यवसायियों की तुलना में बेहतर रहेंगे लेकिन धन संबंधित मामले आज सभी के लिये चिंता का विषय बनेंगे। छाती में संक्रमण होने की सम्भवना है तले भुने एवं ठंडे प्रदार्थ के सेवन से बचें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये कलहकारी रहेगा दिन के आरंभ से ही इससे बचने का प्रयास करेंगे लेकिन परिजन आज आपकी गलतिया खोज खोज कर गिनाएंगे आपने जो गलती की ही नही उसपर भी ताने सुनने को मिलेंगे। मौन धारण ही शांति का उत्तम उपाय है लेकिन ज्यादा देर तक धैर्य नही रखने पर मामला गंभीर होगा। कार्य क्षेत्र पर भी अधिकारी अथवा अन्य के साथ गरमा गरमी बढ़ने पर संबंध विच्छेद की संभावना है। नौकरी वाले लोग आज विशेष सतर्क रहें छोटी से भूल जीवन की दिशा बदल सकती है। धन लाभ कही ना कही से हो जाएगा लेकिन मानसिक उलझने यथावत रहेंगी। सेहत में उतार-चढ़ाव लगा रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपका व्यवहार पल-पल में बदलने से संपर्क में रहने वालों को परेशानी आएगी आप कहेंगे कुछ करेंगे उसके विपरीत ही। दिन का आरंभिक भाग आलस्य में खराब होगा किसी कार्य मे एक बार विलंब होने पर सारी दिनचार्य बदल जाएगी अधिकांश कार्य आज विलंब से ही पूर्ण होंगे अथवा अधूरे रह जाएंगे लेकिन फिर भी धन लाभ कही ना कहीं से अवश्य होगा आकस्मिक होने पर आश्चर्य में पड़ेंगे। कार्य व्यवसाय में उधारी के व्यवहार से बचें बाद में परेशानी बनेगी। धन को लेकर किसी से कलह हो सकती है। आज विवेक से काम लें अन्यथा मनोकामना पूर्ति सम्भव नही होगी। आरोग्य में कमी रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन कुछ ना कुछ अभाव के बाद भी संतोषजनक रहेगा। लेकिन महिलाए किसी भी बात को लेकर घर का वातावरण अशान्त बनाएंगी। दिन के आरंभिक भाग के अलावा अन्य समय बाहर ही शांति अनुभव होगी। आज आप जल्दी से किसी के गलत आचरण का विरोध नही करेंगे लेकिन धैर्य सीमित ही रहेगा एक बार क्रोध आने पर शांत करना आपके वश में भी नही रहेगा जो लोग उद्दंडता कर रहे थे वो भी बचते नजर आएंगे। कार्य व्यवसाय में भी किसी कमी के कारण धन लाभ अल्प और विलंब से होगा। शेयर सट्टे में निवेश शीघ्र लाभ दिला सकता है इसके अतिरिक्त कार्यो में धन फसने की संभावना है। स्वास्थ्य में कमी आएगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप अपनी ही धुन में रहेंगे। मन की ज्यादा सुनेंगे और करेंगे भी वैसा ही किसी का कार्यो में दखल देना कुछ ज्यादा ही अखरेगा जरासी बात पर नाराज हो जाएंगे जिससे मुख्य लक्ष्य से भटक सकते है। कार्य व्यवसाय आज अन्य दिन की तुलना में थोड़ा धीमा रहेगा इसका एक कारण आपका मानसिक रूप से तैयार ना होना भी रहेगा। लाभ हानि की परवाह किये बिना ही कार्य हाथ मे लेंगे बाद में ले देकर पूरा करने का प्रयास कुछ ना कुछ हानि ही कराएगा। घर में किसी ना किसी से व्यर्थ की बातों पर बहस कर समय खराब करेंगे। मानसिक रूप से बेचैनी अधिक रहने पर पूजा पाठ से भी विमुख रहेंगे एक साथ दो जगह मन भटकने के कारण आध्यात्मिकता का लाभ नही मिल सकेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपको दैनिक कार्यो के अतिरिक्त भाग दौड़ करनी पड़ेगा लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नही मिलेगा। आज अधिकांश कार्य किसी अन्य पर निर्भर रहने के कारण अधूरे रह सकते है जोर जबरदस्ती करने पर हानि ही होगी। कार्य व्यवसाय अथवा सरकारी क्षेत्र से अशुभ समाचार मिलने या किसी अप्रिय घटना की संभावना मन को बेचैन रखेगी। धन की आमद सीमित रहेगी लेकिन ख़र्च अनियंत्रित होने पर बजट प्रभावित होगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मी अथवा अधिकारी वर्ग से गलतफहमी बनेगी फिर भी मामला गंभीर नही होने देंगे। परिवार के सदस्य से हानि हो सकती है धैर्य से काम लें। सेहत में अकस्मात नरमी आएगी। बुजुर्गो के प्रति आदर भाव बढेगा

 

शाश्वत प्राकृतिक ऋषि कृषि विज्ञान परम्परा, कृषि विज्ञान के जनक ऋषि पाराशर

दुनियाँ के अन्य महाद्वीपों के लोग जब वर्षा, बादलों की गड़गड़ाहट के होने पर भयभीत होकर गुफाओं में छुप जाते थे, जब उन्हें एग्रीकल्चर का ककहरा भी मालूम नहीं था, उससे भी हजारों वर्ष पूर्व ऋषि पाराशर मौसम व कृषि विज्ञान पर आधारित आर्यावर्त के किसानों के मार्गदर्शन के लिए “कृषि पाराशर” नामक ग्रंथ की रचना कर चुके थे!

तीन खण्डों में लिखा गया यह लघु ग्रंथ वृष्टि ज्ञान, मेघ का प्रकार, कृषि भूमि का विभाजन, कृषि में काम आने वाले यंत्रों का वर्गीकरण आकार प्रकार, वर्षा जल के मापन की विधियाँ, हिंदी महीने पूस के महीने में वायु की गति व दिशा के आधार पर 12 महीनों की बारिश का अनुमान व मात्रा का प्रतिशत निकालने की विधि! बीजों का रक्षण, जल रक्षण की विधियाँ, कृषि में काम आने वाले वाहक पशुओं की देखभाल पोषण व उनके प्रबंधन के संबंध में अमूल्य जानकारी का निर्देश दिया गया है!

ऋषि पाराशर ग्रंथ में लिखते हैं कि जीवन का आधार कृषि है, कृषि का आधार वृष्टि अर्थात बारिश है,,
हर किसान को बारिश के विषय में जरूर जानना चाहिए!

ऋषि पाराशर ने अपने ग्रंथ के द्वितीय खंड वृष्टि खंड में बादलों को 4 भागों में वर्गीकृत किये है!
बादलों का यह वर्गीकरण उनके आकार (पैटर्न) के आधार पर किया गया है! ज्ञात हो आधुनिक मौसम विज्ञानी भी कंप्यूटर मॉडल एल्गोरिदम के तहत इसी कार्य को आज कर रहे हैं!
▪️आवरत मेघ
▪️सम्रत मेघ
▪️पुष्कर मेघ
▪️द्रोण मेघ
पहले वाला मेघ एक निश्चित स्थान में बारिश करता है, दूसरा मेघ एक समान बारिश करता है,
तीसरे मेघ से बहुत कम वर्षा होती है,
चौथे मेघ से उत्तम वर्षा होती है!

ऋषि पाराशर का मत है 2, 3 दिवस पूर्व बारिश का पूर्वानुमान कोई लाभकारी नहीं होता किसान के लिए!
पूरे वर्ष के लिए बारिश की मात्रा ज्ञात करने के लिए एक विधि विकसित की, इसके तहत उन्होंने वर्णन किया है कि
●पौष महीने के 30 दिन को 60 घंटे के 12 भागो में विभक्त कर प्रत्येक दिन के सुबह शाम के 1:00 1 घंटे में वायु की गति व दिशा के आधार पर पूरे वर्ष के लिए वर्षा की मात्रा एवं किन किन तिथियों में वर्षा होगी उसका विश्लेषण किया जा सकता है!

यह जानकर अपार हर्ष होगा वर्ष 1966 में काशी के राजा स्वर्गीय डॉ. विभूति नारायण सिंह के निर्देश पर एक प्रयोग किया गया था जिसमें ऋषि पाराशर की इस विधि को एकदम सटीक पाया गया था!

अब बात हम ऋषि पाराशर के ग्रंथ की कृषि खण्ड की करते हैं!
ऋषि पाराशर ने कृषि भूमि को तीन भागों में विभाजित किया – अनूप कृषि भूमि, जंगल कृषि भूमि, विकट भूमि!
पहली से दूसरी… दूसरी से तीसरी भूमि को कृषि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया!

कृषि खण्ड में उन्होंने बताया किस महीने में बीजों का संग्रह करना चाहिए, बीजों की रक्षा कैसे करनी चाहिए, बीजों का रोपण किस विधि से होना चाहिए!

कृषि कार्य में खगोलीय घटनाओं नक्षत्र आदि के प्रभाव का भी उन्होंने विस्तृत वर्णन किया है!
सचमुच अतीत का भारत विश्व गुरु था! जहाँ ज्ञान, विज्ञान कला कौशल की भरमार थी! कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ हमारे ऋषि मुनियों ने अमूल्य ग्रंथों की रचना ना की हो!

दुर्भाग्य से महाभारत के महायुद्ध में हजारों लाखों ऋषि महर्षि, योद्धा मारे गयें, परिणाम स्वरूप गुरुकुल शिक्षा पद्धति और शिक्षा परंपरा विद्या की वैदिक संस्थाएं लुप्त हो गई! देश की अधिकांश जनता पाखण्ड अंधविश्वास ढोंग आडंबर जातिवाद आलसी भाग्यवादी पुरुषार्थ विहीन हो गई!
90 फ़ीसदी से अधिक ज्ञान परम्परा व ग्रंथ लुप्त हो गयें! उसका खामियाजा हम क्या पूरी दुनियाँ उठाएगी!

आज जलवायु परिवर्तन के कारण अमेरिका ऑस्ट्रेलिया की भूमि बंजर होती जा रही है!
यह भारत के ऋषि महर्षियों का प्रबल प्रताप ज्ञान ही था!
कृषि क्षेत्र में लाखों करोड़ों वर्ष के पश्चात भी भारत भूमि बंजर नहीं हो पायी! ऋषि पाराशर का मत था कि प्रकृति का बलात् दोहन हमें नहीं करना चाहिए! पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए ही प्रकृति का उपयोग करना चाहिए!
✍🏻सुदर्शनाचार्य यज्ञाधीश

वनस्पति विज्ञान में ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ भारत के ऋषि पराशर

विश्व भर में वनस्पति विज्ञान के जनक के रूप में जिनका सम्मान के साथ नाम लिया जाता है वह ग्रीस के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रकृतिवादी ”थिओफ्रैस्टस” हैं। जबकि अब इस संबंध में आया शोध बता रहा है कि विश्व में यदि सबसे पहले पादपों की पहचान कहीं हुई तो वह भारत है। यहां इसके लिए ”पराशर ऋषि” ने प्रमाणिक ग्रंथ लिखा है जिनमें तमाम पादपों की पहचान, जड़, तने को लेकर बहुत ही सूक्ष्म तरीके से की गई है। इस नए शोध के आधार पर कहना होगा कि भारत ही वह पहला देश है जिसे ‘वनस्पति शास्त्र’ का पितामह देश और ऋषि पराशर को ऐसे वैज्ञानिक के रूप में गिना जाएगा, जिन्होंने सबसे पहले ”वनस्पति विज्ञान” को लिपिबद्ध करने का काम किया है। इसलिए यदि किसी को कहा जाएगा ”फादर ऑफ़ बॉटनी” तो वे ऋषि पराशर ही हैं। पादपों से दुनिया को सबसे पहले परिचित करानेवाला ग्रंथ है ‘वृक्ष आयुर्वेद’ दरअसल, ईसा पूर्व 372 में एरेसस में जन्में थिओफ्रैस्टस के अब तक प्राप्त वनस्पति विज्ञान संबंधी दो निबंधों के आधार पर पूरी दुनिया में यह स्थापित कर दिया गया कि वे ही सर्वप्रथम ”वनस्पति विज्ञान” से दुनिया को परिचित करनेवाले वैज्ञानिक हैं, जबकि वर्तमान में ‘वृक्ष आयुर्वेद’ को लेकर निकाली गई काल गणना के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि युरोप के इस दार्शनिक को ”वनस्पति शास्त्र” का जनक होने का श्रेय देना गलत होगा। वास्तविकता में उनसे छह हजार साल पूर्व ”ऋषि पराशर” ने इस ग्रंथ को लिखकर यह सिद्ध कर दिया था कि भारत के लिए यह विषय नया नहीं है। महाभारत काल से पहले की है ऋषि पराशर की उपस्थिति ऋषि पराशर के बारे में एतिहासिक संदर्भों में कहें तो वे महर्षि वसिष्ठ के पौत्र हैं। महाभारत ग्रंथ को इतिहासकार अपनी काल गणना के अनुसार ईसा से कम से कम पांच हजार साल पुराना बताते हैं, यहां पराशर शर-शय्या पर पड़े भीष्म से मिलने गये थे। इतना ही नहीं तो पौराणिक आख्यानों में आया है कि परीक्षित के प्रायोपवेश के समय उपस्थित कई ऋषि-मुनियों में वे भी थे। उन्हें छब्बीसवें द्वापर के व्यास के रूप में भी मान्यता दी गई। यहां गौर करनेवाली बात यह है कि द्वापर का काल महाभारत से भी पूर्व का काल खण्ड है, हालांकि यह अब भी शोध का विषय है कि कैसे पहले मनुष्य सैकड़ों वर्ष जीवित रह लेता था। इसी प्रकार से जनमेजय के सर्पयज्ञ में उपस्थित होना भी उनका भारतीय वांग्मय में पाया गया है । इस तरह हुआ ”ऋषि पाराशर” को ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ स्थापित करने का प्रयास शोध की दृष्टि से विश्व धरोहर केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान जहां हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के विदेशी पक्षी पाए जाते हैं की बायोडायवर्सिटी खासकर मिट्टी को लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार में अनुसंधानकर्ता रहते हुए शोध करनेवाली डॉ. निवेदिता शर्मा ने अपने एतिहासिक संदर्भों के अध्ययन के आधार पर व बॉटनी के अब तक के हुए अध्ययनों के निष्कर्ष के तहत सबसे पहले आज यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि वनस्पति विज्ञान का पितामह होने का श्रेय किसी को दिया जाना चाहिए तो वह ”ऋषि पराशर” हैं। ”वृक्ष आयुर्वेद” में है वनस्पति विज्ञान के कई रहस्यों की चर्चा अपनी बात को पुख्ता करने के लिए वे वृक्ष आयुर्वेद के उदाहरण के साथ उनके लिखे अन्य ग्रंथों के बारे में भी बताती हैं। वे कहती हैं कि इस एक ग्रंथ में ही किसी बीज के पौधे बनने से लेकर पेड़ बनने तक संपूर्णता के साथ वैज्ञानिक विवेचन दिया गया है, वह विस्मयकारी है। इस ”वृक्ष आयुर्वेद” पुस्तक के छह भाग हैं- (पहला) बीजोत्पत्ति काण्ड (दूसरा) वानस्पत्य काण्ड (तीसरा) गुल्म काण्ड (चौथा)वनस्पति काण्ड (पांचवां) विरुध वल्ली काण्ड (छटवां) चिकित्सा काण्ड। इस ग्रंथ के प्रथम भाग बीजोत्पत्ति काण्ड में आठ अध्याय हैं जिनमें बीज के वृक्ष बनने तक की गाथा का वैज्ञानिक पद्धति से विवेचन किया गया है। इसका प्रथम अध्याय है बीजोत्पत्ति सूत्राध्याय, इसमें महर्षि पराशर कहते हैं- पहले पानी जेली जैसे पदार्थ को ग्रहण कर न्यूक्लियस बनता है और फिर वह धीरे-धीरे पृथ्वी से ऊर्जा और पोषक तत्व ग्रहण करता है। फिर उसका बीज के रूप में विकास होता है और आगे चलकर कठोर बनकर वृक्ष का रूप धारण करता है। दूसरे अध्याय भूमि वर्गाध्याय में पृथ्वी का उल्लेख है। इसमें मिट्टी के प्रकार, गुण आदि का विस्तृत वर्णन है। तीसरा अध्याय वन वर्गाध्याय का है। इसमें 14 प्रकार के वनों का उल्लेख है। चौथा अध्याय वृक्षांग सूत्राध्याय (फिजियॉलाजी) का है। इसमें प्रकाश संश्लेषण यानी फोटो सिंथेसिस की क्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया है। अब तक नहीं हुआ ”वृक्ष आयुर्वेद” जैसा कार्य किसी अन्य पादप वैज्ञानिक से इसी प्रकार से इस पूरे ग्रंथ में कई प्रकार के पौधों एवं जड़ी बूटियों का विस्तार से उसके मूल स्वभाव एवं उसके गुण धर्म के साथ वर्णन मिलता है। डॉ. निवेदिता कहती हैं कि यह अकेला ही ग्रंथ यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इससे आच्छा कार्य आज तक भी किसी ने दुनिया भर में वनस्पति वैज्ञानिक ने नहीं किया है। अलग-अलग पौधों पर एक साथ काम जितना कि अकेले इस ग्रंथ में ”ऋषि पराशर” करते दिखाई देते हैं,वह अद्भुत है। इसलिए वे ही ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ हैं ना कि ग्रीस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं प्रकृतिवादी थिओफ्रैस्टस। अमेरिकन वैज्ञानिकों ने की है अपनी पुस्तक में पराशर की चर्चा, शोध पर किया है आश्चर्य व्यक्त डॉ. निवेदिता शर्मा यहां एक पुस्तक का संदर्भ भी देती हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के अल्बर्ट अर्नेस्ट, रेडफोर्ड और बेन डब्ल्यू. स्मिथ द्वारा पुस्तक वस्कुलर प्लान्ट सिस्टमेटिक्स (Vascular Plant Systematics) जिसका कि पहला संस्करण वर्ष 1972 में प्रकाशित हुआ, उसमें वे भी इस ”वृक्ष आयुर्वेद” का उल्लेख करते हुए लिखा गया है, ‘प्राचीन भारत ने संभवतः ईसाई युग की शुरुआत से पहले एक बहुत ही रोचक एवं गहरा वनस्पति कार्य का किया जाना पाया गया है। (पुस्तक कितनी पुरानी है, ये नहीं कहा जा सकता) इसका श्रेय पराशर नामक एक लेखक को दिया जाता है। यह मूल रूप से एक वनस्पति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक है जिसमें आकारिकी, वर्गीकरण और पौधों के वितरण की विस्तृत चर्चा की गई है। रूपात्मक सामग्री को तुलनात्मक रूप से बहुत विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे आधुनिक पाठक को यह संदेह होता है कि लेखक के पास किसी प्रकार का सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) या एक अच्छा हैंड-लेंस जरूर रहा होगा, क्योंकि जिस तरह से इस पुस्तक में पौधों का वर्णन है, वह बिना आधुनिक माइक्रोस्कोप या बड़े लेंस के बिना संभव ही नहीं है’ । यानी कि इस बात से यह भी पता चलता है कि प्राचीन भारत में सूक्ष्मदर्शी जैसे यंत्र थे, लेंस भी रहे हैं, जिनसे कि किसी भी चीज की गहराई तक का आसानी से पता लगा लिया जाता था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी वनस्पति विज्ञान विभाग ने भी कहा ये सही स्थापना है आगे उनकी कही बातों की पुष्टि करते दिखाई दिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एनके दुबे । उन्होंने कहा कि एतिहासिक संदर्भों में देखें तो यह सही स्थापना है, थियोफेस्टस ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ नहीं हैं बल्कि वनस्पति विज्ञान में पादपों का सही तरह से सबसे पहले वर्गीकरण किसी ने किया है तो वह भारतीय ”ऋषि पराशर” हैं। लैटिन भाषा के कारण ये श्रेय गया युरोप को उन्होंने कहा कि 16वीं, 17 वीं और 18वीं इन तीन शताब्दियों में जब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का उदय हो रहा था, उस समय युरोप के विद्वानों ने सबसे अधिक लैटिन प्राचीन भारोपीय भाषा के ग्रंथों को पढ़ा, हमारे संस्कृत में लिखे ग्रंथों को इस बीच ना तो उस दृष्टि से देखा गया और ना ही यह भाषा आमजन की भाषा में कहीं रही, इसलिए भी लैटिन ऊपर आ गई और उसका प्रभाव व उसमें लिखे लेखकों का असर पूरे विश्व में वैज्ञानिकों के बीच दिखाई देने लगा। लम्बे समय से हो रहा है भारत को दबाने का प्रयास वे कहते हैं कि यह सच है कि हर क्षेत्र में लम्बे समय से भारत को दबाने का प्रयास ही किया गया है। यहां भी हमें वही दिखाई देता है। थियोफेस्टस के बारे में भी बॉटनी को लेकर यही है कि वनस्पति विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिक उन्हें ही बार-बार अपने अध्ययन के साथ जोड़ते रहे इसलिए वे दुनिया के लिए ‘फादर ऑफ़ बॉटनी’ हो गए। जबकि पराशर ऋषि का लिखा हुआ वृक्ष आयुर्वेद ग्रंथ, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता से भी पुराना है इसलिए वे ही आज ना केवल भारत के संदर्भ में बल्कि वैश्विक पटल पर ”फादर ऑफ़ बॉटनी” हैं। प्रो. एनके दुबे साथ में यह भी जोड़ते हैं कि भारत में इन्हें पढ़ाने का आरंभ आज से वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में कर दिया जाए। यह वृक्ष आयुर्वेद ग्रंथ हजारों वर्ष पूर्व की भारतीय प्रज्ञा की गौरवमयी गाथा कहता है।
✍🏻मयंक चतुर्वेदी, संवाददाता, हिंदुस्तान समाचार

कुछ प्राचीन कृषि ग्रन्थ —
कृषि पराशर (पराशर)
कृषि संग्रह
पराशर तंत्र
वृक्षायुर्वेद (सुरपाल)
कृषिगीता (मलयालम में, रचनाकार : परशुराम)
नुश्क दर फन्नी फलहत (फारसी में, दारा शिकोह)
कश्यपीयकृषिसूक्ति (कश्यप)
विश्ववल्लभ (चक्रपाणि मिश्र)
लोकोपकार (कन्नड में, रचनाकार: चावुन्दाराया)
उपवनविनोद (सारंगधर)

सस्यवेद : भारतीय कृषि विज्ञान

ऋषियों ने कृषि को हमारी आत्म निर्भरता के लिए बेहद जरुरी बताया है। उन्होंने कृषिकार्य को बढ़ावा देने का भरसक प्रयास ही नहीं किया बल्कि स्वयं कृषि भी की। आश्रमों के आसपास के क्षेत्र को कृषि के लिए उपयोगी बनाया। ये ‘क्षेत्र’ ही ‘खेत’ कहे गए। मिट्टी की प्रकृति काे पहले जाना गया…।

इस खेत की उपज-निपज के रूप में जो कुछ बीज पाये वे परिश्रम की धन्यता के फलस्वरूप धान या धान्य कहे गये। ये धन्य करने वाले बीज आज तक भारतीयों के प्रत्येक अनुष्ठान व कर्मकांड के लिए सजने वाले थाल में शोभित होते हैं। चावल अक्षत रूप में है तो यव के जौ या जव के नाम से जाना जाता है। रसरूप गुड़ के साथ धनिया तो पहला प्रसाद ही स्वीकारा गया है। ऋषिधान्य सांवा है जो शायद पहले पहल आहार के योग्य बना और जिसकी पहचान महिलाओं ने पहले की क्योंकि वे आज भी ऋषिपंचमी पर उसकी पूजा करती हैं।

इन खेतों के कार्यों से जो कुछ अनुभव अर्जित हुआ, वह सस्यवेद के प्रणयन का आधार बना। यह ज्ञान संग्रह से अधिक वितरण के योग्य माना गया। इसीलिये जो कुछ ज्ञान हासिल हुआ, उसे सीखा भी गया तो लिखा भी। सस्यवेद के इस प्रचार को दानकृत्य की तरह स्वीकार किया गया।

‘कृत्यकल्पतरु’ में सस्यवेद के दान की महत्ता लिखी गई है। विधान पारिजात, राज निर्देश, अमात्य कर्म, वर्ण कर्मावली आदि में भी विषय व्याप्ति है। पराशर का जोर कृषि के लिए मौसम के अध्ययन पर रहा तो काश्यप ने जल की उपलब्धि वाले इलाकों में खेती के उपाय करने को कहा। शाश्वत मुनि ने भूमिगत स्रोतों की खोज के लिए उचित लक्षणों को ‘दकार्गल’ नाम से प्रचारित किया। काश्यप ने पेड़ों की शाखाओं को भी द्रुमोत्पादन क्षेत्र के रूप में स्वीकारा और कलम लगाने के प्रयोग किए। कोविदार एेसे ही बना… है न रोचक सस्यवेद की परंपराएं।

एेसे उपाय लोक के गलि़यारे में बहुत हैं। आपको भी कुछ तो याद होंगे ही… पारंपरिक बातों, विशेष कर देशी खाद की बातें तो याद होंगी ही। इन सब बातों पर आधारित सस्यवेद का हाल ही चौखंबा ग्रंथमाला में प्रकाशन हुआ है। एक लुप्त ग्रंथ पर यह पहली बार काम हुआ है।
✍🏻श्री कृष्ण जुगनू