स्वतंत्रता दिवस पर प्रतिभा संपन्न युवाओं का विदेश पलायन रोकने के लिए लालकोट से कोई व्यावहारिक घोषणा करें प्रधानमंत्री और फ्री की रेवड़ी बांटने वाले राज्यों में करदाताओं से टैक्स लेना बंद करने की रणनीति भी प्रस्तुत करें

संसार में केवल भारत ही ऐसा देश है जिसकी प्रकृति में भी देश का राष्ट्रीय ध्वज दिखता है।

✍️हरीश मैखुरी

भारत स्वाधीनता दिवस की पूर्व बेला पर अपने देश की बात कुछ विशेष संदर्भ में करते हैं । आपको बताएं कि भारत की नागरिकता छोड़ कर विदेशों की नागरिकता लेने वालों में अमेरिका का आकर्षण अभी तक नहीं घटा है। देश छोड़ने वालों का सबसे बड़ा आकर्षण अमेरिका के प्रति है । जबकि दूसरे स्थान पर कनाडा है और ब्रिटेन को पछाड़कर ऑस्ट्रेलिया नंबर तीन पर पहुंच गया है । चौथे स्थान पर ब्रिटेन के बाद पांचवा आकर्षण इटली है । विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस बार 87 हजार भारत वासियों ने विदेशी नागरिकता ले ली है । भारत से यह पलायन आश्चर्यजनक है।

अब तक करीब 5 करोड़ भारतीय विदेशों में जाकर बस चुके हैं । यह ब्रेन ड्रेन भारत के लिए लाभदायक है या फिर दुखदाई ? भारत कोई अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप जैसा विकसित देश नहीं, विकासशील राष्ट्र है। हमारे आईआईटी , आईआईएम और मेडिकल कालेजों से निकली प्रतिभा की देश को विकसित अमीर राष्ट्र बनाने के लिए हमें आवश्यकता है। हमें अपने वे सभी टेक्नोक्रेट्स चाहिएं जो पैसा कमाने के लिए विदेश जा रहे हैं ।

क्या इस देश से सारी मेधा ग्रहण कर उसका लाभ देश को देने की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं? क्या भारत में रहने वाले उनके माता पिता के लिए यह गर्व ही काफी है कि उनके बच्चे विदेशों में रहते हैं या ग्रीनकार्ड होल्डर हैं ? क्या उस शस्य श्यामला भारत माता की उन्हें कोई चिंता नहीं जिसकी आजाद हवा में उन्होंने जन्म लिया?

अनुभव और ज्ञानार्जन के लिए भले ही कुछ समय विदेश जाइए, पर देश के लिए फिर लौट आइए। प्रतिभा पलायन कम से कम भारत जैसे समस्या प्रधान विशाल देश के लिए अच्छा नहीं। स्वाधीनता दिवस पर यह चिंतन जरूरी है। यह ठीक है कि इस बौद्धिक पलायन के उपरांत भारत की आबादी विश्व में सर्वाधिक हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि करोड़ों युवा डाक्टर इंजीनियर देश में भी रहते हैं, वहां की विकास यात्रा में शामिल हैं। यदि वे भारत में रहते तो इसका लाभ भी भारत और भारतीयों को मिलता। 

हमारे इन्हीं युवाओं के पुरूषार्थ से भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़ कर चौथे स्थान पर आ गई है। शीघ्र ही भारत विश्व में नंबर तीन बनने वाला है। फिर भी प्रतिभा का पलायन किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। कुछ दशक पहले तक पर पंजाब और गुजरात से ही मेधा पलायन होता था। आज देश के गावों तक से हो रहा है। इसके लिए प्रतिभाओं को किनारे करने वाली विभेदकारी आरक्षण नीति भी उत्तरदायी है। 

अमृत महोत्सव मना रहा देश कल अपनी स्वाधीनता की 76 वीं वर्षगांठ मना रहा है । देश माने हम और आप । इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि आज का युवा देश की सड़ांधभरी राजनीति भाई भतीजावाद, हर स्तर पर भ्रष्टाचार, भारी टैक्स पॉलिसी आदि से तंग आकर भी विदेश भागता है। 76 सालों में भी सिस्टम बहुत नहीं बदला। वर्तमान भाजपा नीत सरकार के साढ़े नौ साल में भी भले केन्द्र सरकार और उनकी राज्य सरकारों में बड़े घोटाले नहीं हो रहे हैं लेकिन पुराने सिस्टम के कारण अभी ग्राम पंचायत स्तर पर अभी भारी भ्रष्टाचार है।

हर साल फ्री फ्री के रूप में देश का अरबों रुपया बहाने वाली सरकारें देश के करदाता को क्या देती हैं? क्या करदाताओं को किसी भी क्षेत्र में एक प्रतिशत की भी छूट मिलती है? क्या करदाता सिर्फ देने के लिए है? क्या टैक्स दे रहा ईमानदार किसी भी फील्ड में छूट का अधिकारी नहीं ? यदि नहीं है , तब तो निश्चित रूप से प्रतिभा पलायन होगा ? स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर देश की शिक्षित युवा पीढ़ी का पलायन रोकने का वक्त आ गया है । युवाओं की समस्याओं पर नए सिरे से कोई घोषणा लाल किले की प्राचीर से होनी आवश्यक है ।स्वतंत्रता दिवस पर प्रतिभा संपन्न युवाओं का विदेश पलायन रोकने के लिए लालकोट से कोई व्यावहारिक घोषणा करें प्रधानमंत्री और फ्री की रेवड़ी बांटने वाले राज्यों में करदाताओं से टैक्स लेना बंद करने की रणनीति भी प्रस्तुत करें।