प्रचंड विजय के बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद पर मंथन तेज, उत्तराखंड चुनाव परिणाम पर एक विहंगम दृष्टि जाने कहाँ कहाँ टूटे रिकार्ड और मिथक

✍️हरीश मैखुरी

उत्तराखंड में इस बार बहुत सारे मिथक टूट गये भाजपा ने लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर दिया। उत्तराखंड में तीनों दलों के सेनापति अपनी सीट नहीं बचा सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुंवा से और आप पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री से चुनाव हार गये।जनादेश का सम्मान सर्वोपरि होना ही चाहिए, लोकतंत्र की यही सुन्दरता है। प्रचंड विजय के बाद अब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाता है यह देखना रोचक होगा। मंत्रीमंडल में कौन शामिल होंगे इसके गणित लगाने से पहले मुख्यमंत्री पद पर भाजपा में मंथन शुरू हो गया है। पुष्कर सिंह धामी ने अल्प समय में अच्छी परफार्मेंस दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्य भी लोगों ने याद रखे हैं। डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक भी अचानक राजनीतिक धुरी बन गये। सतपाल महाराज बहुत बड़ कद के सर्वमान्य नेता हैं। डॉ धनसिंह रावत आरएसएस पृष्ठभूमि के कारण सुदृढ़ पकड़ रखते हैं। 

         भाजपा ने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार दो-तिहाई बहुमत से जीत कर इतिहास बना दिया है। भाजपा मोदी, योगी, धामी की अथक मेहनत, विकास की सोच व दूरदर्शिता के कारण ही ऐसा सम्भव बता रहीहै। विकास की इस आंधी में क्षेत्रवाद, जातिवाद को जनता ने सिरे से ठुकराया है, ऋतु खंडुरी को कोटद्वार की जनता ने सूद सहित विजय लौटा दी। वहीं हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत ने हरिद्वार ग्रामीण से जीतकर पिछली कसर पूरी कर दी दो निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और यमुनोत्री से संजय डोभाल भी विधानसभा पंहुचे। वहीं हरक सिंह रावत को उनकी अति महत्वाकांक्षा ले डूबी, उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुंसाई को भी हार का सामना करना पड़ा। सबसे रोचक संघर्ष बद्रीनाथ सीट पर रहा, एक वोट से राजेंद्र सिंह भंडारी ने महेंद्र भट्ट को हराया। राजेन्द्र भण्डारी को उनके अनुभव के चलते नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। कांग्रेस से भाजपा में आयी सरिता आर्य ने नैनीताल सीट पर विजय प्राप्त की। वहीं केदारनाथ सीट पर शैला रानी रावत भी जीत गई। सबसे सरप्राइज जीत कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर भाजपा के अनिल नौटियाल की रही। वहां सब कांग्रेस के मुकेश नेगी को आगे बता रहे थे लेकिन साइलेंट महिला वोटरों ने बड़े अंतर से अनिल नौटियाल को जिता दिया। वहीं बदरीनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की एक वोट से जीत भी भंडारी के लिए यादगार और भाजपा के महेन्द्र भट्ट को भारी पश्चाताप दे गयी। हालांकि महेन्द्र भट्ट ने एक परिपक्व नेता की भांति जनता का आभार व्यक्त करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी राजेन्द्र भण्डारी को जीत की बधाई दी।एक मिथक और टूटा पुरोला बीजेपी यमुनोत्री निर्दलीय और बद्रीनाथ कांग्रेस और सरकार भारतीय जनता पार्टी की बनेगी। उत्तराखंड की दो बेटियों ऋतुभूषण खंडूरी और अनुपमा रावत ने अपने पिता के हार का बदला लिया। हरिद्वार से मदन कौशिक लगातार पांच बार चुनाव जीते जबकि शिक्षा मंत्री अरबिन्द पांडे की जीत से शिक्षा मंत्री की हार का मिथक टूट गया। सहसपुर से कांग्रेस के कुशल रणनीतिकार आर्येन्द्र शर्मा जीते हैं। जबकि केदारनाथ से पूर्व विधायक मनोज रावत (पत्रकार) अच्छे कार्यों के बावजूद भी रह गये। देखा जाए तो अबकी बार यशपाल आर्य और डाॅ हरकसिंह रावत को बहुत घाटा हुआ अब दोनों को आगे से पूर्व मंत्री लिखा जायेगा। कुल मिलाकर उत्तराखंड ने अपना स्वाभिमान बनाये रखा, खड़ी बोली में कहें तो 300 यूनिट फ्री बिजली पर लात मारने वाला पहला राज्य बन गया है उत्तराखंड। 

          प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने यहां की चुनावी सभाओं युवा मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की प्रतिबद्धता जताई थी, धामी जी ने भी मोदी जी के नेतृत्व में रात-दिन एक कर अपनी कर्मठता व धाराप्रवाह भाषा शैली से उत्तराखंड ही नहीं भारत में सभी पर्वतीय जनों का मन मोह लिया और अब भले ही वे अपनी सीट नहीं बचा सके लेकिन जिस तरह बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी पूर्ण बहुमत में आई परन्तु स्वयं ममता बनर्जी चुनाव हार गई, लेकिन हार के उपरांत भी उनकी पार्टी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया। ऐसे अनेक विषयों पर भाजपा में मंथन भले आरंभ हो गया है। फिर भी धामी का पलड़ा भारी दिख रहा है।