इतिहास हमारा पढ़ लेना रक्त से शब्द सजाए हैं। सिर कटते थे ,धड़ लड़ते थे, तब शूरवीर “हिंदू” कहलाये हैं। (गुरु तेगबहादुर पुण्य दिवस
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