नयी रेलों के निर्माण पर अफसरों के पेंच से लग सकता है ब्रेक

पिछले दिनों वंदे भारत यानी Train 18 ने अपनी यात्रा के 1 लाख Km पूरे कर लिए ।
इस 1 लाख Km में कोई भी तकनीकी खराबी नही आई और ट्रेन कभी भी 1 मिनट भी लेट नही हुई ।

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि ट्रेन 18 को देश मे बनाने से पहले इसे जापान से खरीदने की बात चली थी ।
जापान ने 10 कोच की ट्रेन के मांगे 660 करोड़ रु ।
वहीं स्पेन ने मांगे 300 करोड़ रु ।

फिर मोदी सरकार ने इसे Make In India के तहत देश मे ही बनाने का निर्णय लिया और काम शुरू हुआ चेन्नई स्थित ICF अर्थात Integral Coach Factory में …….
और जिस गाड़ी के सिर्फ 10 डिब्बों के जापान 660 करोड़ मांग रहा था , वही गाड़ी , 16 कोच की ICF ने सिर्फ 100 करोड़ रु में बना डाली ……. वो भी रिकॉर्ड समय मे , सिर्फ 18 महीने में ……..

इस 18 महीने में ही सारी R&D , Design , Prototype , safety Approvals और फिर Final production ……… मने zero से काम शुरू कर के 18 महीने में ट्रेन बना डाली हमारे Engineers ने ………
खुद मोदी जी ने हरी झंडी दिखा के ट्रेन वंदे भारत की शुरआत की और आज वो सफलता पूर्वक चल रही है …….. दूसरा Rake भी तैयार है जिसे जल्दी ही दिल्ली अमृतसर के बीच शुरू किया जाएगा ।
इस बीच वंदे भारत के शुभारंभ के समय रेल मंत्री पीयूष गोयल जी ने घोषणा की थी कि 2019–20 तक यानी अगले साल तक 10 Set और ट्रेन 18 पटरियों पे दौड़ने लगेगी ……….

सवाल है कि आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे ? सिर्फ 18 महीने में ट्रेन 18 कैसे बन गयी ?????
ये चमत्कार हुआ Bibek Debroy कमेटी द्वारा प्रस्तावित reforms के कारण जिसमे रेलवे से Departmentalism लगभग खत्म कर दिया गया ……. वरना एक ट्रेन को विकसित करने बनाने में एक दर्जन से ज़्यादा विभागों की approval लेनी पड़ती थी और एक एक विभाग एक एक approval पे महीनों बैठा रहता था ……..
Departmentalism के कारण भारतीय रेल कबीलों / गिरोहों में बंटी हुई थी और ये सारे गिरोह अपने अपने Turf कार्य क्षेत्र के लिए लड़ते रहते थे , ऐसे जैसे किसी टोकरी में रखे केकड़े , जो हमेशा एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं …….. हर कबीला अपनी टांग ऊंची रखता है और दूसरे कबीले को दबाने नीचा दिखाने की फिराक में लगा रहता था …….. Bibek Debroy कमेटी की संस्तुति को लागू करने से जब Departmentalism पे काफी हद तक लगाम लग गयी तो इसी का परिणाम था कि सिर्फ 18 महीने में ही ट्रेन 18 बन के पटरी पे दौड़ने लगी ………

पर जैसे ही चुनावों की घोषणा हुई और आचार संहिता लग गयी , मोदी विरोधी अफसरों / नौकरशाहों की एक Lobby ट्रेन 18 के खिलाफ सक्रिय हुई …….
विभागीय खींचतान — Departmentalism का जिन्न फिर एक बार बोतल से निकाला गया और ट्रेन 18 की निर्माण प्रक्रिया में कीड़े खोजे जाने लगे ……. मुद्दा ये निकाला गया कि फलाने विभाग से Clearence तो ली ही नही ……. यहां Clearence को माल मत्ता , मलाई पढ़ा जाए …….. और नए CRB बोले तो Chairman Railway Board ने ICF के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ Vigilance जांच बैठा दी ……. मज़े की बात ये की सारा खेल चुनाव के दौरान हुआ जब आचार संहिता लगी हुई थी और मोदी जी चुनाव में व्यस्त थे और उनके हाथ भी बंधे थे ………

अब हालात ये हैं कि पिछले 3 महीने से ICF में ट्रेन 18 के निर्माण का काम बाधित है ……. ट्रेन लाल फीते में उलझी हुई है ……..

सवाल ये है कि अफसरों / नौकरशाहों की एक lobby इस नई व्यवस्था से नाखुश क्यों है ???????
कारण है मलाई …….. नई व्यवस्था में Single Window Clearence होने के कारण एक दर्जन विभागों को होने वाली मोटी कमाई / भ्रष्टाचार बंद हो गया है …….इसी लिए ट्रेन के 16 डिब्बे सिर्फ 100 करोड़ में बन गए ……..

भारत मे अफसरशाही / नौकरशाही इतनी मजबूत है कि सरकार को अपनी उंगलियों पे नचा सकती है , अपने जाल में फँसा सकती है ……. मोदी जी चुनाव में व्यस्त क्या हुए , सांप बिलों से बाहर आ गए …….ये रेल निर्माण हो या नयी रेल लाइन परियोजना सभी जगह अड्डे लगाये तैयार रहते हैं ? और पेंच फंसाने टांग खींचने के लिए कुख्यात हैं हालात ऐसे रहे  तो भारत में नई रेल परियोजनाओं का सपना टूट सकता है

सांपों को पता होना चाहिए कि नेवले तैयार हैं ।