उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण घोषित हो

न जाने आशमा के दरमियां ,,
बादलों में क्या साजिश हुई ,,
हमारा गैरसैंण मिट्टी का था ,
उसके ऊपर ही बारिश हुई “”

रिपोर्ट – हरीकिशन किमोठी

आज देहरादून में विशाल जन जागरण किया गया
हमारी माँग ,,,

* पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण घोषित हो

*देहरादून जो कि शिक्षा माफिया जमीन माफिया ,स्वास्थ्य माफिया,अन्य माफियाओ ने बर्बाद कर दिया है ,
गैरसैंण एवं पहाड़ को बचाने के लिए हिमाचल की तर्ज पर भूमि अध्यादेश लागू होना चाहिए,,

* विश्व के करोड़ों हिंदुओ की आस्था देवभूमि में सभी मठमदिरो धर्मस्थलों धामों सनातन हिंदू धर्म के मूल उदगम स्थानो की परम्परा को बचाने के लिए , संस्कृति पहाड़ी खान पान तथा आततायियों की खतरनाक मंसूबों से बचाना है तो देवभूमिउत्तराखंड कोधार्मिक छैत्र अधिसूचित करवाना होगा

*पहाड़ में पलायन ,सरकारी गेर सरकारी संस्थानो में नो जवानों का शोषण ,न्यूनतम मानदेय ,ठेकेदार प्रथा का विरोध ,,मूल निवास प्रमाण पत्र को निरधार्रित करने जो कि पाँच पीढियों से राज्य में निवासी हो ,

हमारा 17वर्षो का अनुभव है कि जब Cm पहाड़ में नहीं बैठना चाहते ,ब्यूरो क्रेट्स नहीं चाहते ?
गवर्नर नहीं चाहते ,चीफ सेक्रेटरी नहीं चाहते ?
तब पहाड़ी तहसील में Sdm. हास्पीटल में डाक्टर , इंजीनियर , टीचर प्रोफेसर क्यों जाना चाहेंगे ?

तथा जब पोडी गढवाल कमीश्नर ,डी आई जी गढवाल पोडी में नहीं बैठना चाहते तब अन्य कर्मचारियों अधिकारी जनों से क्यों उम्मीद की जाती है ?

जहां तक राजधानी गैरसैंण जाने के लिए बजट का सवाल है पहले सरकार जबाब दे , नहीं तो हमारे पास जबाब तैयार है ,,,,

* जिन राजनैताओ को पहाड़ गैरसैंण जाना पसंद नहीं वह झूठी जनसेवा का ढोंग छोडकर पद त्याग कर अपने घर बैठे ?

*जिन ब्यूरो क्रेट्स को गैरसैंण पहाड़ जाने में समस्या हो रही वह भी अपनी नोकरी दूसरे स्टेड में जाकर करें या अपना इस्तीफा देकर हमें भगवान बद्रीविशाल के भरोसे छोडे ?

जो पहाड़ से टकरायेगा वो चूर चूर हो जायेगा ,,
देहरादून हमें मंजूर नहीं गैरसैंण अब दूर नहीं
जय बद्रीकेदार 
जय उत्तराखंड

हरीकिशन किमोठी

संयोजक उत्तराखंड रक्षा अभियान
सदस्य राजधानी गैरसैंण निर्माण अभियान