हिन्दी जैसी विश्व में भाषा नहीं, यही अक्षर ब्रह्म है

?हिन्दी को 14 सितम्बर 1949 ई. में राष्टीय भाषा का दर्जा मिला और इस की याद में हिन्दी दिवस इसी दिन मनाया जाता है* लेकिन यह एक दिन या पखवाड़े की रश्म नहीं,  हमे यह प्रत्येक व्यक्ति और पल प्रतिपल  की भाषा बनानी है,  क्योंकि हिन्दी का हर अक्षर अक्षर ब्रह्म है। जानने के लिए पूरा लेख पढेंगे। 

? उसी दिन *अन्य 11 भाषा* भी सविधान सभा में स्वीकार की गई थी I
? *हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत* को माना गया है I
? हिन्दी *देवनागरी लिपि* में
लिखी जाती है I
? हिन्दी का *पहला उपन्यास “निवासदास”*

*”भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से हम सोचते है और अपने भावों/विचारो को व्यक्त करते है”*

*?Topic-वर्ण-विचार ?*
➡ किसी भाषा के व्याकरण ग्रन्थ में इन *तीन तत्वों* की विशेष एंव आवश्यक रूप से चर्चा/ विवेचना की जाती है I
*?(1) वर्ण*
*? (2) शब्द*
*? (3) वाक्य*
*हिन्दी में 44 वर्ण होते है* जिन्हें दो भागो में बाटा गया है
*स्वर और व्यंजन*

*⚫ स्वर*- ऐसी ध्वनियाँ जिनका उच्चारण करने में अन्य किसी ध्वनि की सहायता की आवश्यकता नही होती, उन्हें स्वर कहते है I *स्वर 11 होते है*

*अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ*

? इन्हें दो भागो में बाटा जा सकता है I
*हस्व् एंव दीर्घ* I

? जिन स्वरो के उच्चारण में अपेक्षाकृत कम समय लगे, उन्हें हस्व स्वर एंव जिन स्वरो को बोलने में अधिक समय लगे उन्हें दीर्घ स्वर कहते है I इन्हे मात्रा द्वारा दर्शाया जाता है I ये दो स्वरो को मिला कर बनते है अतः इन्हें सयुक्त स्वर कहते है I

*आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर है I*

*⚫ व्यंजन*- जो ध्वनियाँ स्वरो की सहायता से बोली जाती है, उन्हें व्यंजन कहते हे I जब हम क बोलते है तब उसमे क् + अ मिला होता है I इस प्रकार हर व्यंजन स्वर की सहायता से ही बोला जाता है I इन्हें पाँच वर्गो तथा स्पर्श, अन्तस्थ एंव ऊष्ण व्यजनो में बाँटा जा सकता है I

*स्पर्श* :
*क वर्ग*__ क्, ख्, ग्, घ्, (ङ्)
*च वर्ग*__ च्, छ्, ज्, झ् (ञ)
*ट वर्ग*__ ट्, ठ, ड्, ढ़् (ण्)
*त वर्ग*__ त्, थ, द् , ध् (न्)
*प वर्ग*__ प्, फ्, ब्, भ् (म्)

*अन्तस्थ*__ य, र, ल, व,
*उष्म*__ श्, ष, स्, ह्

*संयुक्ताक्षर*__
क्ष___ क् + ष्
त्र___ त् + र्
ज्ञ___ ज् + ञ
और श्र___ श् + र्

*हिन्दी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन है कुल 44 वर्ण है तथा दिन संयुक्ताक्षर है* I
*➡ व्यंजनो का उच्चारण ⬅*
*क वर्ग*__ क्, ख्, ग्, घ्, (ङ्)

*कण्ठ से उच्चारित वर्ण*

*च वर्ग*__ च्, छ्, ज्, झ् (ञ)
??
*तालु से उच्चारित वर्ण*

*ट वर्ग*__ ट्, ठ, ड्, ढ़् (ण्)
??
*मूर्द्धI से उच्चारित वर्ण*

*त वर्ग*__ त्, थ, द् , ध् (न्)
??
*दंत्य से उच्चारित वर्ण*

*प वर्ग*__ प्, फ्, ब्, भ् (म्)

*ओष्ठ से उच्चारित वर्ण*

*?इन्हें आठ भागों में बाटा गया है ?*

? *1- स्पर्श* __ क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ

? *2- स्पर्श संघर्षि*- च, छ, ज, झ

? *3- संघर्षि*- फ, श, ह, ज, ष

? *4- अनुनासिक*- ङ, ञ, ण, न, म

? *5- पार्शिवक*- ल

? *6- प्रकम्पित*- र

? *7- उत्िक्षप्त*- ङ, ढ़

? *8- अर्द्धस्वर*- य, व

*➡ बाह्य प्रयत्न के आधार पर सम्पूर्ण व्यंजनो को दो भागों में विभाजित किया जाता है*
? *अल्पप्राण*
? *महाप्राण*

? *जिन वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाले श्वास की मात्रा अल्प रहती है वह अल्पप्राण कहलाता है*
➡ प्रत्येक वर्ण समूह का पहला, तीसरा,पाँचवा वर्ण *”अल्पप्राण”* होता है

? *जिन वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाले श्वास की मात्रा अधिक रहती है वह “महाप्राण” कहलाता है*
➡ प्रत्येक वर्ण समूह का दुसरा, चौथा, तथा सभी उष्ण वर्ण *”महाप्राण”* है

*➡ स्वर तन्त्रियो के आधार पर⬅*
*?घोष/सघोष*- नाद या गूंज, जिन वर्णों का उच्चारण करते समय गूंज (स्वर तंत्र में कंपन) होती है I
*➡सभी स्वर घोष होते है और इन की संख्या कुल 30 होती है*
*क वर्ग, च वर्ग, आदि वर्गो के अन्तिम तीन वर्ण* *ग्,घ्,ङ,ज्,झ्,ज्,ञ आदि तथा य्,र्,ल्,व्,ह् घोष वर्ण है*

*? अघोष*- इन वर्णों के उच्चारण में प्राणवायु में कम्पन नही होती हे अतः कोई गुंज न होने से ये अघोष वर्ण होते है I

*➡कुल संख्या- 13*
*सभी वर्गो के पहले और दूसरे वर्ण क्,ख्,च्,छ्,श,ष्,स् आदि सभी वर्ण अघोष है*

*? अनुनासिक*- नाक का सहयोग रहता है जैसे- अँ, ऑ, ई, ऊँ आदि

*➡ कुछ महत्व्पूर्ण बाते ⬅*
*स्वराघात* तथा *बलाघात* का सम्बन्ध शब्दों के उच्चारण के समय वर्ण पर पड़ता है I इसके द्वारा शब्दों को समझने की चेतना सामने आती है I शब्दों का उच्चारण करते हुए किसी वर्ण पर अधिक बल दिया जाता है, उसे *”स्वराघात”* कहते है I यह बल स्वर पर अधिक होने के कारण *”स्वराघात”* कहलाता है I *”बलाघात”* का प्रभाव वर्णों के बदले शब्दों पर पड़ता है I बलाघात विशेषण के समान अर्थ का निवारण तथा परिवर्तन में सहायता प्रदान करता है I
*”अनुतान”* उच्चारण के आरोह-अवरोह को *”अनुतान”* कहते है I यह आरोह-अवरोह शब्द तथा वाक्य का सही अर्थ प्रदान करते हैं। 

संक्षिप्त में इतना समझना चाहिए कि हिन्दी देवनागरी के एक एक अक्षर बीजाक्षर मंत्र है और प्रत्येक उच्चारण के लिए पृथक अक्षर और उसकी मात्रा है। जिस मात्रा का स्वरलगता  है उसका प्रभाव भी उसी मात्रा में होता है। विश्व में ऐसी कोई भाषा नहीं जिसका स्वर तरंग भी उसी कैमैस्ट्री और गहनता प्रस्तस्फूटित हो जिस उच्चारण के निमित्त वह उद्घोषित हो। ॐ इतिमेकाक्षरंप्रब्रह्म।