जल है तो कल हैः त्रिवेंद्र

 

हरीश मैखुरी

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज कैंट रोड़ स्थित अपने आवास पर जल दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्य में जल संचय तथा जल संरक्षण की दिशा में मुख्यमंत्री की यह बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है। मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री आवास पर विभिन्न विभागों जिसमें प्रमुख रुप से कृषि, वन, भूमि एंव जल संसाधन से जुड़े विभागों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य राज्य में जल संरक्षण के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण तथा जल संरक्षण व संवर्द्धन का कार्यक्रम आगे बढ़ाना है इसके लिए संबधित विभिन्न विभागों का परस्पर समन्वय भी किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ शहरी विकास मंत्री, मदन कौशिक और विधायक खजानदास भी मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी का उद्दघाटन किया और स्टेट बैंक द्वारा मसूरी शहर को पूरी तरह से कैशलैस सिटी बनाने के एक पाइलेट प्रोजेक्ट का लोकार्पण भी किया। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के 46 हजार गांवों में से बहुत सारे गांव पानी की कमी से जूझ रहे हैं और ये उनकी चिंता का विषय है इसके लिए जरुरी है कि हम अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और लगे हुए पेड़ों की सुरक्षा करें।

हालांकि सरकारी परियोजनाएं कागजों पर ही बनती है और कागजों तक ही सीमित रहती है, परंतु यदि सरकार शहरी क्षेत्रों में मकान बनाने की अनुमति तभी दे जबकि उस मकान पर क्षेत्रफल के हिसाब से कम से कम एक से अधिक पेड़ लगे हों और उस मकान पर जल व विद्युत कनेक्शन उसी दिशा में दिया जाए जब उस मकान में पेड़ लगाने की पर्याप्त जगह हो दूसरा नालियों में किसी भी स्थिति में पाॅलिथीन में भरकर कचरा न गिराया जाए जिस घर की नाली में कचरा या पाॅलीथीन पाया जाए उस घर पर 5 हजार रुपए अर्थदण्ड वसूला जाए साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पुराने जमाने मेें जल को रोकने के लिए गर्मियों में गूलें खोद दी जाती थी ताकि पहाड़ों से पानी सरक कर इन गूलों में जमा होकर जमीं पर जज्ब हो जाए। इन गूलों को डांडाकूल कहते थे डांडाकूल की इस परंपरा को फिर से जीवित किया जाए