उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में सभी 70 विधानसभाओं में 62.5 प्रतिशत मतदान प्रतिशत रहा, पिछली बार से 3 प्रतिशत कम, प्रत्याशियों की धड़कने बढ़नी शुरू

कौन बनेगा बिधायक
प्रत्याशियों का भाग्य ईबीएम में कैद , 10 मार्च तक करनी होगी प्रतीक्षा 

उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में सभी 70 विधानसभाओं में 62.5 प्रतिशत  मतदान प्रतिशत रहा, यह पिछली बार से करीब 3 प्रतिशत कम हैं।

पिछली बार 2017 में उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव में 65.6% प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था।

उत्तराखण्ड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सोजान्या ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज दिनांक 14 फरवरी, 2022 को राज्य की सभी 70 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के 11,697 मतदेय स्थलों, पर मतदान शान्तिपूर्वक सम्पन्न हो चुका है। विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य में राज्य में लगभग 62.5 प्रतिशत मतदान हुआ है।

मतदान समाप्ति के पश्चात मतदान पार्टियों के संग्रह केन्द्र पर लौटने के पश्चात की मतदान के प्रतिशत वास्तविक आंकड़े जारी किए जा सकेंगें।

मतदान सुबह आठ बजे से शाम के छह बजे तक चला। शाम छह तक हुए मतदान के बाद आए आंकड़ों के अनुसार राजधानी देहरादून में 62.34 फीसदी मतदान हुआ। 

 बद्रीनाथ विधानसभा वोटर 1,01740कुल मत पड़े 63,933

 बता दें इस बार चुनाव आयोग ने सभी प्रत्याशियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार निर्देशित किया था यदि उन पर कोई आपराधिक मामला चल रहा है तो वे उसका विवरण भी मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक करेंगे। लेकिन निर्देशों को ताक पर रखकर अनेक प्रत्याशियों ने अपने आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं किया। किए अब सवाल यही है कि क्या सौजन्य जी , मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तताराखण्ड , वह सब कर पाएंगी,जो वह कह रहीं हैं ?
यदि करना ही है तो उनसे अपेक्षा है कि उन्हें अब जब कि चुनाव निपट गए हैं , तत्काल  आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं के विरूद्ध वह कार्यवाही कर लेनी चाहिए जो किये जाने की बात उन्होंने कही है । सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और इस बारे में सचेत किये जाने के उपरांत आपराधिक मुकदमों में नामजद चुनाव लड़ने वाले जिन नेताओं ने इस तथ्य को सार्वजनिक रूप से यथा निर्देश उजागर नहीं किया है, उनके विरुद्ध कार्यवाही अब तत्काल होनी ही चाहिए ।
देश के निर्वाचन आयोग से भी अपेक्षा है कि जिन नेताओं ने जब सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशो को न मानकर उसकी अवमानना की है तो उनके विरुद्ध माo सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस उसके स्तर से शीघ्रातिशीघ्र दायर करना कर दिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में आपराधिक पृष्ठभूमि के ऐसे नेताओं पर कुछ तो अंकुश लगे ।
देखना है कि राज्य निर्वाचन अधिकारी और राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग क्या करता है ।