महाराष्ट्र के पालघर में 2 संतो व उनके ड्राईवर की मोबलिंचिंग में हत्या से देश भर में रोष

 

महाराष्ट्र के  पालघर में जूना अखाड़ा के कल्पवृक्ष गिरी और सुशील गिरी जी महाराज के साथ ही उनके एक संत ड्राइवर की उन्मादी भीड़ ने लाठी डंडों और पत्थरबाजी करके पुलिस के समक्ष ही हत्या कर दी। प्रेम शुुक्ला के ट्वीट में कहा गया है कि पोस्ट्टमार्ट रिपोर्ट के अनुसार धारदार हथियार से संतों की आंखें भी निकाली गयी हैं, 

   इस घटना से देश भर में खासा रोष है सनातन धर्मावलंबियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ज्योतिर्मठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद महाराज ने संत समाज की ओर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आक्रोश व्यक्त करते हुए कड़ी निंदा करते हुए पत्र लिखा है कि इस दुर्दांत निस्संश हत्याकांड की निष्पक्ष जांच कराई जाए। जूना अखाड़ा के साथ ही 10 नाम अखाड़ों द्वारा भी इस घटना पर रोष व्यक्त किया है और लॉक डाउन के बाद के महाराष्ट्र कूच करने की खबरें भी मीडिया में हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की टिपणी भी आयी है ‘पहले अपराधियों को पुलिस के समक्ष समर्पण करते हुए देखा था पालघर में पुलिस को अपराधियों के समक्ष समर्पण करते हुए देखा’ 

उत्तराखंड भगवा रक्षा दल के कुमांयू मंडल अध्यक्ष हरीश पंत ने कहा कि “महाराष्ट्र में साधु संतों की हत्या अत्यंत निंदनीय घटना है, इसके लिए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए और दोषियों  के खिलाफ सीबीआई जांच कराकर फांसी की सजा होनी चाहिए” योगी गो रक्षा दल के अध्यक्ष कमल बिष्ट सनातनी ने कहा कि “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और जांच ऐजेंसियों को पालघर से आये सभी विभत्स वीडियो ध्यान से देखने चाहिए। पुलिस ने क्या किया, फिर पालघर की लाठी डंडों व पत्थरों से सुसज्जित नरकासुरों की भीड़ ने क्या किया, फिर कथित मीडिया अपने मृत गुरू भाई की अंत्येष्टि हेतु जा रहे एक 70 वर्षीय बुजुर्ग संत को चोर बताने की मुहिम में क्यों जुटा है? ये वही मीडिया है जो छत्तीसगढ़ के बाईक चोर की पुलिस संरक्षण में इलाज के दौरान हृदय गति रूकने से हुई तबरेज की मौत को मोबलिंचीग बनाने में मुस्लिम बनाने में जुटा रहा। अब पालघर की दुर्दांत मोबलिंचीग घटना को चोरी के शक में हुई मौत बताने की मुहिम चल रही है, चोर को मुस्लिम और साधू को चोर बताया जाना कोन सी रणनीति है? सूचना प्रसारण मंत्रालय भी आंखें बंद किये  है। लेकिन पुलिस से खींच कर संतों की हत्या करते वक्त चिल्लाने वालों ने इन सबको नंगा कर दिया। शोशल मीडिया पर आईएसआईएस की तर्ज पर बने हत्या के वीडियो में, ‘मार सोयेब मार’ चिल्लाने वालों की डंडों की बरसात के बाद साधू चित् हो गये,”

सुदर्शन न्यूज डाट इन ने जानकारी देते हुए लिखा कि “इस मामले में एक नया मोड़ आया है और गिरफ्तार साधुओं के हत्यारों के बचाव में अदालतमें एक ईसाई समूह खड़ा हो गया है. इसमामले में गिरफ्तार इन सभी हत्यारों के लिएकोर्ट में प्रदीप देशभक्त नाम रख कर हिन्दुओके बीच जाने वाला Peter D’ Mello खड़ा होगया है और उसने इन सभी को जल्द से जल्द छुडाने के लिए अभियान छेड़दिया है. Peter D’ Mello असलमें एक ईसाई पादरी है जो, महाराष्ट्र में एक NGO चलाता है इसकी पत्नी पारसी है प्रदीप से पीटर बना साधुओं के हत्यारों का ये पैरोकारआगे चल कर ईसाई बन गया था, जिसके हिन्दू नाम से किसी को शक नहीं होता था”। वहीं मूल रूप से उतर प्रदेश के तिवारी  परिवार से संबंधित साधुओं को मीडिया में चोर और आदिवासी बताने की मुहिम भी चलाई जा रही है। ताकि मामले को भटकाया जा सके। गृहमंत्रालय ने मामले से संबंधित रिपोर्ट मांंगी है। 

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महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि साधु बिना अनुमति के जा रहे थे, लेकिन यह नहीं बता रही है जो 110 फसादी हिरासत में लिए गए उनको सरकार ने हत्या करने की परमिशन दी थी क्या? इस हत्याकांड पर अन्दर की रिपोर्ट और भी चिंता जनक है बताया गया कि पुलिस ने तीन घंटे तक साधुओं को बिठाये रखा, किस लिए और इस बीच न भीड़ को समझाया न अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया आखिर पाल घर में चल क्या रहा था?

पालघर में सन्तों की हत्या पर दर्ज प्राथमिकी का एक पन्ना सुमन्त झा ने पोस्ट किया है, इसमें कुल १२ नाम हैं जिनमें से एक भी घटनास्थल वाले गाँव गडचिनचिले के नहीं है। दस लोग पाटीलपाड़ा के हैं जो उस सड़क से संलग्न नहीं है। दो लोग निकावली गाँव के हैं जो वहाँ से बहुत दूर तहसील के विपरीत छोर पर है । लॉकडाउन के दौरान निकावली से वहाँ लोग नहीं आ सकते थे । २०११ की जनगणना के अनुसार पाटीलपाड़ा में कुल २८९५ लोग हैं जिनमें से २ SC के और २७४३ ST के हैं,शेष १५० “अन्य” हैं। हालांकि पूरी प्राथमिकी हमने नहीं देखी, किन्तु घटनास्थल से दूर के लोग लॉकडाउन के दौरान अचानक मारने के लिये कैसे जुट गये?अतः वे लोग आस पास के किसी कारखाने में कार्यरत थे जो लॉकडाउन के दौरान भी कारखाने में ही थे।  जूना अखाड़ा की शिकायत के अनुसार पुलिस द्वारा महाराष्ट्र और दादर−नगर हवेली की सीमा पर साधुओं की गाड़ी को रोका, उनकी गाड़ी से पचास हजार रूपया और भगवान की श्रृङ्गार सामग्री भी लूटी। फिर अपने अपराध को छुपाने के लिये बच्चा चोर का हल्ला मचाकर पुलिस ने भीड़ जुटायी और संतों को भीड़ के हवाले कर दिया। कारखाने के मालिक और कर्मचारियों से पुलिस की पहले से साँठगाँठ थी जिस कारण कारखाने में लॉकडाउन के दौरान भी निकावली जैसे दूरस्थ गाँव के लोग भी उपस्थित थे। सबसे पास के गडचिनचिले गाँव के वनवासियों पर पुलिस को भरोसा नहीं था जिस कारण उनको नहीं बुलाया? पुलिस की ओर से प्रेस दी गयी सूचना का नमूना भी संलग्न है । इसमें पूरी तहसील के सारे गाँवों का मानचित्र है (https://mrsac.gov.in/writereaddata/MRSAC/map/15670696575d6795d984e10TH_PLG_Dahanu.pdf) ,उसमें देख सकते हैं कि स्टेट हाइवे−७३ से पाटीलपाड़ा सटा नहीं है, बीच में गडचिनचिले गाँव है, निकावली गाँव तो बहुत दूर मानचित्र के सबसे दक्षिणी भाग में है जहाँ के लोग पहले से ही कहीं पास में क्यों थे? घटनास्थल के सबसे पास वाली बस्ती गडचिनचिले में कोई कारखाना नहीं है कारखाने सिलवासा के पास हैं जो घटना स्थल से काफी दूर हैं तब इतनी बड़ी भीड़ लाॅकडाउन वहां कैसे पंहुची? अपनी ही पुलिस के विरुद्ध महाराष्ट्र के “शान्तिवादी” पवार−पार्टी के गृहमन्त्री की CID सही जाँच नहीं करेगी, अतः उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के अन्तर्गत अथवा CBI द्वारा जाँच हो यह माँग न्यायोचित है। सन्तों की हत्या में लापरवाही बरतने वाली पुलिस और उसके हत्यारे सहयोगियों को कड़ा दण्ड मिलना चाहिए। दहाणु विधानसभा के वर्तमान विधायक CPM के बताये जाते हैं और इनको जितान चक्कर में उस सीट पर कांग्रेस और एनसीपी ने चुनाव नहीं लड़ा। संतो के नरसंहार के बाद पाल घर से २३ अबैध बांग्लादेशी गिरफ्तार किए गए हैं जिनमें १४ महिलाएं भी हैं। इसी बीच गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र संतों की हत्या संबंधित रिपोर्ट मांगी है।