महिला हित में धामी सरकार की सुदृढ़ पहल के चलते उत्तराखण्ड की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण हेतु रोक संबंधी नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे

धामी सरकार की सुदृढ़ पहल के चलते स्थानीय महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक संबंधी नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति उपरांत महिला आरक्षण को यथावत रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी। इसी पर सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे दिया गया है।

मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदेश की महिलाओं के हित में दिए गए फैसले का हम स्वागत करते हैं। हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने उच्चतम न्यायालय में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की।

हाई कोर्ट नैनीताल ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने हाई कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है। इस पर सरकार ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-15 व 16 के अनुसार आवास के आधार पर कोई राज्य आरक्षण नहीं दे सकता, यह अधिकार केवल संसद को है। राज्य केवल आर्थिक रूप से कमजोर व पिछले तबके को आरक्षण दे सकता है। सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य की महिलाओं को आरक्षण दिया जाना संविधानसम्मत है।