इगास लोक पर्व पर गो तुलसी पूजन कर मुख्यमंत्री धामी ने इगास (कांणसि बग्वाल) को उत्साह के साथ मनाने का किया आह्वान प्रदेश वासियों को दी बधाई और शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी के साथ इगास के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में गौ-पूजन कर प्रदेशवासियों की सुख- समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने देवउठनी एकादशी के इस पावन अवसर पर तुलसी पूजन भी किया। बता दें कि मुख्यमंत्री धामी सरकार ने आज के इस पर्व का राजकीय अवकाश भी पहले ही घोषित कर दिया था। 

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गाय सनातन संस्कृति के साथ ही समस्त मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है ।  भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय को सुख, सौभाग्य व समृद्धि प्रदान करने वाली तथा समस्त मनोकामनाएं को पूर्ण करने वाली माना गया है | मुख्यमंत्री श्री धामी ने इगास की बधाई देते हुए लोक पर्व इगास को उत्साह के साथ मनाने का आह्वान किया है। उन्होंने विशेषकर प्रदेश की युवा पीढ़ी का आह्वान किया है कि वे अपनी प्रकृति-प्रेमी एवं पर्यावरण हितैषी परंपराओं व संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आएं |

श्री तुलसी स्तोत्र ||
पापानि यानि रविसूनुपटस्थितानि गोब्रह्मबालपितृमातृवधादिकानि।
नश्यन्ति तानि तुलसीवनदर्शनेन गोकोटिदानसदृशं फलमाशु च स्यात् ॥१।।
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुः पावनी रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।
प्रत्यासक्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥२॥
ललाटे यस्य दृश्येत तुलसीमूलमृत्तिका यमस्तं ।
नेक्षितुं शक्तः किमु दूता भयङ्कराः ॥३॥
तुलसीकाननं यत्र यत्र पद्मवनानि च।
वसन्ति वैष्णवा यत्र तत्र सन्निहितो हरिः॥४॥
पुष्कराद्यानि तीर्थानि गंगाद्याः सरितस्तथा।
वासुदेवादयो देवाः वसन्ति तुलसीवने ॥५॥
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥६॥
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥७॥
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥८॥
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥९॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥१०॥
इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥११॥
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्नानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥१२॥
लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥१३॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥१४॥
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥१५॥देव उठनी एकादशी तुलसी विवाह और कांणसि बग्वाल की सभी को नातानुसारसेवा हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻