बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर में स्थानीय उत्पादों से बने मंडुए की बर्फी और चौलाई के लड्डू का प्रसाद प्रारम्भ कराने वाले गोविंद सिंह के प्लान जानते हैं?

मनीष सिंह 
पहली नजर देखने से इस व्यक्ति के बारे में क्या धारणा बनती है , मेरी तरह शायद यही कि यह ग्रामीण परिवेश का कोई सीधा साधा व्यक्ति है, जो अपने किसी कार्य के सिलसिले में सरकारी कार्यालय में आये होंगे । इनका नाम है गोविंद सिंह जी मूल रूप से पहाड़ के चमोली जिले के रहने वाले है सीधे व सरल व्यक्तित्व है लेकिन अपने आप में एक मिशन है । ये एक ngo के मास्टर ट्रेनर है । इन्होंने श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर में उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों से बने मिष्ठान मंडुए की बर्फी और चौलाई के लड्डू का बना प्रसाद प्रारम्भ कराया है। आप लोगो से
शेयर करने के लिए इनकी जिस बात ने प्रेरित किया वो ये है कि दोनों मंदिरो के आसपास के कई गावो में इन्होंने महिला स्वयं सेवी सहायता समूहों का गठन कर इन्हें ट्रेनिंग दी जो इन प्रसाद को सामूहिक /व्यक्तिगत बनाती है ।वर्तमान में स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद की बिक्री एक एक लाख रुपया प्रतिदिन पहुच गया है ।यही नही उन्होंने जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर में भी मक्के से बने प्रसाद को प्रारम्भ किया है । यह प्रयास इनके द्वारा हरिद्वार के मंशा देवी एवं चंडी देवी में भी प्रारम्भ किया जा रहा है , उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा भी इसे बढ़ावा देने का लगातार प्रयास किया जा रहा है ।हो क्या रहा है इससे एक तो स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है जिससे लोग खेती की और लौट रहे है खासकर इन क्षेत्रों में और ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सामाजिक सशक्तिकरण हो रहा है ।इन्हें सहयोग कर एक छोटा सा प्रयास  मैंने भी किया है । जीवट है यह व्यक्ति ।बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर में स्थानीय उत्पादों से बने मंडुए की बर्फी और चौलाई के लड्डू का प्रसाद प्रारम्भ कराने वाले गोविंद सिंह  के प्लान आगे और जानते महििलाओं को रोजगार देना है   उम्मीद है कि बिना कालेज की पढ़ाई के यह सब एक आदमी कर सकता है तो सरकारें क्ययों नहीं?