कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बनाये रखने पर विमर्श

✍️हरीश मैखुरी
राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में जहां एक ओर प्रस्ताव रखा गया कि चुनावों के दौरान पार्टी नेतृत्व मंदिर, मस्जिद, चर्च या गिरिजाघर जैसे किसी धार्मिक स्थल के दौरे ना किया करें, 
कांग्रेस चिंतन शिविर में प्रस्ताव भी किया गया कि संगठन को सुदृढ़ बनाने के लिए रणनीति बने। युवाओं को जोड़ने का समय बद्ध कार्यक्रम बने। 
आने वाले चुनाव में अब मंदिर न जाएंगे राहुल प्रियंका।
कॉंग्रेस वक्ताओं ने कहा कि, 
धर्मस्थलों पर जाने का मतदाताओं पर बुरा असर पड़ा था।
प्रस्ताव में कहा गया कि. 
हमें किसी की नकल नहीं करनी है,
वहीं सूत्रों के अनुसार पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने इससे पलट सुझाव दिया कि कांग्रेस नेताओं को हिन्दुओं के कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए। दरअसल मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह सलाह दी है, उनका कहना था कि पार्टी के नेताओं को हिंदुओं के कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए. इससे सॉफ्ट हिन्दुत्व में लाभ मिलेगा। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेता धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बनाए रखने के पक्ष में डटे रहे। उत्तराखंड से भी भारी संख्या में कांग्रेस नेता उदयपुर चिंतन शिविर में गये। जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सांसद प्रदीप टम्टा विधायक राजेंद्र भंडारी आदि प्रमुख हैं। हरीश रावत ने कहा कि उदयपुर के उत्साहजनक वातावरण में पहले दिन के विभिन्न ग्रुपों के जो सुझाव का स्तर है वह बहुत ऊंचा रहा। मंथन-चिंतन के बाद सकारात्मक सुझावों के साथ आगे बढ़ने की ललक, यह पहले दिन की उपलब्धि है। माननीय कांग्रेस अध्यक्षा ने 2 बजे जब इस शिविर का शुभारंभ किया तो उनके भाषण ने प्रत्येक कांग्रेसजन को जो यहां हैं उनको भी और जो यहां नहीं हैं, बाहर हैं, उन सबको भी संकल्पित किया कि हमको हर चुनौती का सामना करना है, देश के लोकतंत्र को बचाना है, सामाजिक सद्भाव को बचाना है और संविधान व सामाजिक न्याय की रक्षा करनी है। इससे पहले पंजाब के पूर्व प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने सुनील जाखड़ द्वारा अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को लेकर कहा था,’उन्हें इस्तीफा देने से पहले सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बाम रखनी चाहिए थी,ऐसा हो नहीं सकता की उनकी बात नहीं सुनी जाए,उन्हें अपनी बात उचित ढंग से रखनी चाहिए थी, वह पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से आरोप लगाए गए हैं. मैं उनके आरोपों का कोई जवाब देना नहीं चाहता, पंजाब चुनाव के दौरान जाखड़ का जो व्यवहार रहा, उससे ज्यादा डैमेज उनके पार्टी छोड़कर जाने से नहीं हुआ।! बता दें कि सुनील जाखड़ ने शोशल मीडिया पर आ कर पंजाब कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था। 
 चिंतन शिविर के पांडाल में जमीन पर गेरूवा /भगवा रंग का कार्पेट उपयोग किए जाने पर शोशल मीडिया में जमकर ट्रोल भी किया जा रहा है।