पूर्णत: वैज्ञानिक और शरीर स्पंदन व्याकरण के अक्षुण स्त्रोत हैं देवनागरी लिपि के ‘अक्षर’ इन्हीं से होती है शब्द ब्रह्म की उत्पत्ति, इसमें प्रत्येक स्वर के लिए अलग अक्षर और मात्रा है, ऐसा अक्षर विज्ञान अंग्रेज़ी अथवा उर्दू आदि किसी भी भाषा में नहीं

*आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की #वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य #विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है। जैसे देखे*

*क ख ग घ ड़* – पांच के इस समूह को “#कण्ठव्य” *कंठवय* कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें।

*च छ ज झ ञ* – इन पाँचों को “तालव्य” *#तालु* कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।

*ट ठ ड ढ ण* – इन पांचों को “मूर्धन्य” *मुर्धन्य* कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ #मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।

*त थ द ध न* – पांच के इस समूह को *#दन्तवय* कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। उच्चारण का प्रयास करें।

*प फ ब भ म* – पांच के इस समूह को कहा जाता है *#ओष्ठव्य* क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। उच्चारण का प्रयास करें।

दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा #वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है! निःसंदेह, हमें अपनी ऐसी भारतीय भाषा पर गर्व होना चहिए!! पूर्णत: वैज्ञानिक और शरीर स्पंदन व्याकरण के अक्षुण स्त्रोत हैं देवनागरी लिपि के ‘अक्षर’ इन्हीं से होती है शब्द ब्रह्म की उत्पत्ति, इसमें प्रत्येक स्वर के लिए अलग अक्षर और मात्रा है, ऐसा अक्षर विज्ञान अंग्रेज़ी अथवा उर्दू आदि किसी भी भाषा में नहीं सौजन्य- “【बौद्धिक विभाग】Completely scientific and body vibrations are the unbroken sources of grammar. The ‘letters’ of Devanagari script are from these only, the origin of the word Brahman, it cannot be compared with the language of European or Arabic tribes etc.