भांग नशा नहीं महा औषधि है इसे विदेशों की भांति अविलंब नारकोटिक्स एक से बाहर निकाल कर प्रमोट करना होगा अन्यथा युवा पीढ़ी तेजी से शराब और ड्रग एडिक्शन की भेंट चढ़ रही है देश की युवा शक्ति और पैंसा बर्बाद हो रहा है

जर्मनी ने भांग को कानूनी कर दिया। अमेरिका में सबसे महंगा खाद्य तेल #केनेबिज_ऑयल यानी भांग का तेल है। भारत में भांग की खेती पर कानूनी नियंत्रण है। सरकारी मशीनरी से करोड़ों फूंका जा रहा अरबों रुपए की भांग नष्ट करने के लिए। पर भारत का शिक्षित लाचार है। नेतृत्व अक्षम।
अमेरिका में एक डॉक्टर हैं, उनके पेशेंट हैं हॉलीवुड एक्टर जस्टिन लिजार्ड। अब भयंकर ड्रग एडिक्ट। जब उनसे पूछा गया कि जस्टिन को ठीक कर सकते हो? कैसे करोगे? कहा, भांग खिलाऊंगा। खाएगा-सोएगा, पाखाना करेगा। तीन माह में ठीक। क्योंकि भांग हैबिट है, #एडिक्शन नहीं।
भारत के ज्ञानी मानेंगे?
विदेशी #दवा_कंपनियों को फ़ायदा पहुँचने के लिये हमें अंग्रेज़ी ज़हरीली दवाओं के सेवन को मजबूर किया गया 
गुटखा, शराब , सिगरेट जैसे सेंथेटिक नशे भांग अफ़ीम से बेहतर कैसे हो गये ? 
वनस्पति विज्ञान को तो जड़ से ख़त्म करने की साज़िश आज की सरकारों ने भी की है।आज का पंचाग आपका राशि फल, महाविद्या स्त्रोत, अंग्रेजी पिलाने के लिए भांग को नारकोटिक्स एक्ट में डालने का षड्यंत्र रचा गया है जबकि भांग नशा नहीं महा औषधि है
03/02/2022 breakinguttarakhand Breakinguttarakhand, अध्यात्म, अल्मोडा, इतिहास, उत्तरकाशी, उत्तराखंड, ऊधमसिंह नगर, चम्पावत, टिहरी, तकनीकी, देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, बड़ी खबर, बागेश्वर, मनोरंजन, महिलाएं, युवा, राजनीतिक, रुद्रप्रयाग, विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, हरिद्वार
महाविद्या स्त्रोत
ऊँ नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी।
नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि।।
शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे।
प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।।
जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।
करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।।
हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्।
गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकारभूषिताम्।।
हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्।
सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।।
मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्।
प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम्।
उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्।
नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम्।।
श्यामांगी श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम्।
प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम्।।
विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्।
आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम्।।
श्री दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम्।
प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।।
त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम्।
शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्।।
सुन्दरीं तारिणीं सर्वशिवागणविभूषिताम्।
नारायणीं विष्णुपूज्यां ब्रह्मविष्णुहरप्रियाम्।।
सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यां गुणवर्जिताम्।
सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्वसिद्धिदाम्।।
विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्।
महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्।।
प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्।
रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजमर्दिनीम्।।
भैरवीं भुवनां देवीं लोलजिह्वां सुरेश्वरीम्।
चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्।।
त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्।
अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशिनीम्।।
कमलां छिन्नभालांच मातंगी सुरसुन्दरीम्।
षोडशीं विजयां भीमां धूमांच वगलामुखीम्।।
सर्वसिद्धिप्रदां सर्वविद्यामन्त्रविशोधिनीम्।
प्रणमामि जगत्तारां सारांच मन्त्रसिद्धये।।
इत्येवंच वरारोहे, स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्।
पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनि
🙏🙏🙏🚩
       गांजा का चमत्कार
 1914 का वर्ष है। प्रथम विश्व युद्ध के वर्ष और अमेरिकी डॉलर के लिए “भांग” की खेती करने वाले किसान … इसे ध्यान में रखें और पढ़ते रहें।
 औद्योगिक भांग सिर्फ एक कृषि संयंत्र नहीं है!
 यह तेल और डॉलर के खिलाफ मारक है!
 गांजा कैसे प्रतिबंधित किया गया था?
 1. भांग का एक टुकड़ा 25 एकड़ जंगल के बराबर ऑक्सीजन पैदा करता है।
 2. फिर से, एक एकड़ गांजा 4 एकड़ पेड़ों के बराबर कागज़ का उत्पादन कर सकता है।
 3. जहां भांग को 8 बार कागज में बदला जा सकता है, वहीं लकड़ी को 3 बार कागज में बदला जा सकता है।
 4. गांजा 4 महीने में उगता है, पेड़ 20-50 साल में।
 5. कैनबिस विकिरण का एक वास्तविक पकड़ने वाला है।
 6. भांग को दुनिया में कहीं भी उगाया जा सकता है और इसके लिए बहुत कम पानी की जरूरत होती है। इसके अलावा, चूंकि इसे कीड़ों से बचाया जा सकता है, इसलिए इसे कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती है।
 7. यदि भांग का कपड़ा व्यापक हो जाता है, तो कीटनाशक उद्योग पूरी तरह से गायब हो सकता है।
 8. पहली जींस भांग से बनी थी; यहां तक ​​​​कि “कानवास” शब्द भी भांग उत्पादों को दिया गया नाम है।
 गांजा रस्सियों, डोरियों, बैगों, जूतों, टोपियों के निर्माण के लिए भी एक आदर्श पौधा है।
 9. भांग, एड्स और कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी और विकिरण के प्रभाव को कम करना; यह गठिया, हृदय, मिर्गी, दमा, पेट, अनिद्रा, मनोविज्ञान और रीढ़ की बीमारियों जैसे कम से कम 250 रोगों में प्रयोग किया जाता है।
 10. भांग के बीज का प्रोटीन मूल्य बहुत अधिक होता है और इसमें दो फैटी एसिड प्रकृति में और कहीं नहीं पाए जाते हैं।
 👉11. सोयाबीन की तुलना में गांजा का उत्पादन और भी सस्ता है।
 12. जिन जानवरों को भांग खिलाया जाता है उन्हें हार्मोनल सप्लीमेंट की जरूरत नहीं होती है।
 👉13. सभी प्लास्टिक उत्पादों को भांग से बनाया जा सकता है, और भांग प्लास्टिक प्रकृति में वापस आना बहुत आसान है।
 👉14. अगर कार की बॉडी गांजा की बनी हो तो यह स्टील से 10 गुना ज्यादा मजबूत होगी।
 15. इसका उपयोग इमारतों के इन्सुलेशन के लिए भी किया जा सकता है; यह टिकाऊ, सस्ता और लचीला है।
 👉16. गांजा साबुन और सौंदर्य प्रसाधन पानी को प्रदूषित नहीं करते हैं; इसलिए यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है।
 अमेरिका में 18वीं शताब्दी में इसका उत्पादन अनिवार्य था और गैर-उत्पादक किसानों को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब स्थिति इसके उलट है. कहां से?
 -डब्ल्यू। आर. हर्स्ट 1900 के दशक में अमेरिका में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और मीडिया के मालिक थे। उनके पास जंगल थे और कागज़ का उत्पादन करते थे। अगर कागज भांग से बना होता, तो उसे लाखों का नुकसान हो सकता था।
 -रॉकफेलर विश्व के सबसे धनी व्यक्ति थे। एक तेल कंपनी थी। बेशक, जैव ईंधन, भांग का तेल, उसका सबसे बड़ा दुश्मन था।
 -मेलन ड्यूपॉन्ट में एक प्रमुख शेयरधारक था और उसके पास पेट्रोलियम उत्पादों से प्लास्टिक के उत्पादन के लिए एक पेटेंट था। और भांग उद्योग अपने बाजार को खतरे में डाल रहा था।
 -बाद में मेलॉन अमेरिकी राष्ट्रपति हूवर के कोषागार के सचिव बने। हमने जिन बड़े नामों के बारे में बात की, उन्होंने उनकी बैठकों में तय किया कि भांग दुश्मन है। और उन्होंने उसका सफाया कर दिया। मीडिया के माध्यम से, उन्होंने मारिजुआना शब्द के साथ-साथ लोगों के दिमाग में एक जहरीली दवा के रूप में मारिजुआना का इंजेक्शन लगाया है।
 भांग की दवाओं को बाजार से वापस ले लिया गया है और उनकी जगह आज उपयोग होने वाली रासायनिक दवाओं ने ले ली है।
 कागज उत्पादन के लिए जंगलों को काटा जा रहा है।
 कीटनाशक और कैंसर का नशा बढ़ रहा है।
 और फिर हमने अपनी दुनिया को प्लास्टिक कचरे, खतरनाक कचरे से भर दिया …
सुधीर सांस्कृत्यायन की वाल से,
(सबसे बड़ी बात कोई भी व्यक्ति औषधि के रूप में भांग सेवन करने वाला न नशेड़ी बनता है न शराब की तरह नशे के दुष्प्रभाव से मरता है इसलिए भारत में यथा शीघ्र भांग को औषधि मानते हुए नारकोटिक्स एक्ट से विरत किया जाना समय की मांग है)